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सरकारी स्कूल, शिक्षा और गुणवत्ता

सरकारी स्कूल, शिक्षा और गुणवत्ता

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ऐसा प्रतीत होता है कि आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी सरकारें यह नहीं समझ सकी हैं कि देश के नौनिहालों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए बच्चों को केवल स्कूल तक पहुंचा देने भर से ही काम नहीं बनेगा। तमाम सरकारी एवं गैरसरकारी आंकड़ें यह सिद्ध करने के लिए काफी हैं कि शिक्षा का अधिकार कानून, मिड डे मिल योजना, निशुल्क पुस्तकें, यूनिफॉर्म आदि योजनाओं के परिणामस्वरूप स्कूलों में दाखिला लेने वालों की संख्या तो बढ़ी हैं लेकिन छात्रों के सीखने का स्तर बेहद ही खराब रहा है। देश में भारी तादात में छात्र गणित, अंग्रेजी जैसे विषय ही नहीं, बल्कि सामान्य पाठ पढऩे में भी समर्थ नहीं हैं। यहां तक कि 5वीं कक्षा के छात्र पहली कक्षा की किताब भी नहीं पढ़ पाते। यूं तो यह ट्रेंड पूरे देश का है लेकिन लैपटॉप और स्मार्ट फोन बांटने वाला उत्तर प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता की गिरावट के मामले में नए प्रतिमान स्थापि...
योगी बदलेंगे यूपी का चेहरा

योगी बदलेंगे यूपी का चेहरा

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जैसे ही योगी आदित्यनाथ जी के नाम की घोषणा हुई, टीवी चैनलों पर बैठे कुछ टिप्प्णीकारों ने इस समाचार पर असंतोष जताया। उनका कहना था कि योगी समाज में विघटन की राजनीति करेंगे और प्रधानमंत्री मोदी के विकास के एजेंडे को दरकिनार कर देंगे। यह सोच सरासर गलत है। विकास का एजेंडा हो या कुशल प्रशासन, उसकी पहली शर्त है कि राजनेता चरित्रवान होना चाहिए। आजकल राजनीति में सबसे बड़ा संकट चरित्र का हो गया है। चरित्रवान राजनेता ढूंढे से नहीं मिलते। 21 वर्ष की अल्पायु में समाज और धर्म के लिए घर त्यागने वाला कोई युवा कुछ मजबूत इरादे लेकर ही निकलता है। योगी आदित्यनाथ ने अपने शुद्ध सात्विक आचरण और नैष्टिक ब्रह्मचर्य से अपने चरित्रवान होने का समुचित प्रमाण दे दिया है। पांच बार लोकसभा जीतकर उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता को भी स्थापित कर दिया है। गोरखनाथ पंथ की इस गद्दी का इतिहास रहा है कि इस पर बैठने वाले संत चरित्रवान...
राहुल गांधी होने का सौभाग्य!

राहुल गांधी होने का सौभाग्य!

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कभी-कभी मुझे लगता है कि टाटा नैनो के लिए जो प्यार रतन टाटा का है वही प्यार राहुल गांधी के लिए कांग्रेस का है। टाटा नैनो चलती नहीं, फिर भी रतन टाटा उसे बार-बार रीलांच करते रहते हैं उसी तरह कांग्रेस पार्टी भी राहुल गांधी को लेकर हिम्मत नहीं हार रही। उलटे हर हार के बाद राहुल गांधी को कांग्रेस में प्रमोशन मिल जाता है। इस बार भी जिस तरह कांग्रेस हारी है उम्मीद की जा रही है कि राहुल गांधी को जल्द ही उपाध्यक्ष से कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिए जाएगा। और उन्होंने अगर एक-आधा चुनाव और हरवा दिया तो पार्टी उन्हें संयुक्त राष्ट्र का महासचिव भी बनवा सकती है! कांग्रेस पार्टी का राहुल गांधी से जो रिश्ता है वो शादी में पति को दिलाई जाने वाली कसमों की याद दिलाता है। जिसमें पंडित जी पति से कहते हैं कि तुम जो-जो पुण्य करोगे उसमें आधा हिस्सा तुम्हारी बीवी के खाते में जाएगा और वो जो-जो पाप करेगी उसका आधा तुम्हारे...
कृष्ण होने के मायने

कृष्ण होने के मायने

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श्रीकृष्ण को समझने की बुद्धि प्रशांत भूषण में नही हो सकती क्योंकि उसको क्या पता  कि क्यों कोर्ट में अदालत में शपथ लेते वक्त गीता पर हाथ रखवाते हैं? रामायण पर क्यों नहीं रखवा लेते? उपनिषद पर क्यों नहीं रखवा लेते? बड़ा कारण है। पता नहीं अदालत को पता है या नहीं, लेकिन कारण है; कारण बड़ा है। राम, कितने ही बड़े हों, लेकिन इस मुल्क के चित्त में वे पूर्ण अवतार की तरह नहीं हैं; अंश है उनका अवतार। उपनिषद के ऋषि कितने ही बड़े ज्ञानी हों, लेकिन अवतार नहीं हैं। कृष्ण पूर्ण अवतार हैं। परमात्मा अगर पूरा पृथ्वी पर उतरे, तो करीब-करीब कृष्ण जैसा होगा। इसलिए कृष्ण इस मुल्क के अधिकतम मन को छू पाए हैं; बहुत कारणों से। एक तो पूर्ण अवतार का अर्थ होता है, मल्टी डायमेंशनल, बहुआयामी; जो मनुष्य के समस्त व्यक्तित्व को स्पर्श करता हो। राम वन डायमेंशनल हैं। हर्बर्ट मारक्यूस ने एक किताब लिखी है, वन डायमेंशनल मैन, एक...
लोहिया एवं राजव्यवस्था

लोहिया एवं राजव्यवस्था

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23 मार्च को डॉ. राम मनोहर लोहिया का जन्म दिवस है। कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। तस्वीरों पर फूल मालाएं चढ़ायी जाएगी परन्तु उनके दर्शन, सिद्धान्त और नीतियों को भुला दिया जाएगा। समलक्ष-समबोध, समदृष्टि, समता समाज और समूल परिवर्तन की राह पर चलकर उनका अनुसरण नहीं किया जाएगा। जाति प्रथा के समूल नाश के लिए वे जीवन भर सामाजिक चेतना जागृत करने में लगे रहे। जब तक जाति प्रथा रहेगी तब तक जातिवाद और जातीयता चलती रहेगी। जब तक जातिवाद रहेगा तब तक परिवार वाद और सामाजिक सामन्तवाद चलता रहेगा। इसको तोडऩे के लिए कोई पार्टी और सरकार कुछ नहीं कर रही है। इस पर चिन्तन करना चाहिए। एक कारण लगता है कि चुनाव लडऩे वाली सभी पार्टियां जातियों का धु्रवीकरण कर सत्ता प्राप्त करना चाहती है। वाणी से जातीयता का विरोध और कर्म से समर्थन करते हैं। डॉ. लोहिया जीवन भर जाति तोड़ो सम्मेलन करवाते रहे। उन्होंने कार्यक्रम दिया था...
बदलाव की ओर पंजाब, बिखराव की ओर ‘आप’

बदलाव की ओर पंजाब, बिखराव की ओर ‘आप’

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पंजाब भोले और खुशमिजाज़ लोगों की धरती है। यहां के लोग हर त्योहार को आनंद से मनाते हैं। चुनाव के दौरान भी पंजाब में उत्सव का माहौल दिखा। पंजाब वर्तमान में युवाओं में बढ़ती नशे की लत से जूझ रहा है। पाकिस्तान के सीमावर्ती होने के कारण पंजाब में एक जिम्मेदार सरकार का होना आवश्यक था। अप्रवासी भारतीयों में पंजाबियों का एक बड़ा वर्ग है जो देश से प्यार करता है। इस बार वह पंजाब में बदलाव की नीयत से कई माह से चुनाव प्रचार में जुटा था। एक बड़ी संख्या में अप्रवासी भारतीयों द्वारा चुनाव प्रचार एवं प्रोफेशनल्स के चुनाव लडऩे के कारण रोचक बने पंजाब चुनाव के परिणामों का विश्लेषण विशेष संवाददाता अमित त्यागी कर रहे हैं । जाब में अकाली-भाजपा सरकार का विरोध था। उनकी हार तय तो सभी मान रहे थे किन्तु इन सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह था कि क्या पंजाब में आप का शासन आ जायेगा? क्या सिर्फ मोदी विरोध के द्वारा खुद को रा...
भाजपा चुस्त, कांग्रेस सुस्त  (उच्चतम न्यायालय ने कहा दुरुस्त)

भाजपा चुस्त, कांग्रेस सुस्त (उच्चतम न्यायालय ने कहा दुरुस्त)

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  जब कुछ करने के लिये ठान लिया जाता है तब उसके लिये रास्ते भी निकलने लगते हैं। अमित शाह गोवा में सरकार बनाने की ठान चुके थे। पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो भी सरकार बनाने की जोड़तोड़ में वह लगे रहे। सबसे बड़ा दल न बनने के बावजूद उनके रणनीतिक कौशल ने रातोंरात गोवा में सरकार का गठन करवा दिया। चुनाव पूर्व आम आदमी पार्टी के चंगुल से गोवा को बचाते हुये और चुनाव परिणाम उपरांत कांग्रेस को सरकार बनाने से विफल करती भाजपा की राजनीति बता रहे हैं विशेष संवाददाता अमित त्यागी। गोवा एक ऐसा राज्य था जहां आम आदमी पार्टी अपना वर्चस्व बढ़ाने में लगी थी। कमजोर होती कांग्रेस और सत्ताधारी भाजपा की सत्ताविरोधी लहर के चलते 'आप’ गोवा में पूरी तरह रायता फैलाने के मूड में थी। यदि छह माह पहले गोवा में चुनाव होते तो वहां की राजनैतिक परिस्थितियां ऐसी थीं कि अपनी ईमानदार छवि के पीछे एक धूर्त मुखौटा छिपाये अरविंद के...
योगी आदित्यनाथ बनाम विपक्ष

योगी आदित्यनाथ बनाम विपक्ष

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अभी शपथ ग्रहण भी नहीं हुआ और आप हुआ-हुआ करने लगे। यदि हुआ-हुआ ही करना था तो भाजपा को इतने भारी बहुमत से जिताया क्यों? यदि आपको यह लगता है कि भारी बहुमत ईवीएम की करामात है तो उतरिए सड़क पर और बचाइए लोकतंत्र को, खाइए लाठियां, जाइए जेल, करिए अपना सीना पुलिस की बंदूक से निकलने वाली गोली के सामने। फेसबुक व वॉट्सएप से दुनिया नहीं चलती है। आप एक समय की रोटी नहीं कमा सकते फेसबुक व वॉट्सएप में मैसेजों को कॉपी, फारवर्ड करके, और दुनिया बदलने का ख्वाब देखते हैं।   कुछ बातें बिलकुल चुस्ती के साथ गांठ में बांध कर समझ लीजिए। या तो यह स्वीकारिए कि संघ व भाजपा के कार्यकर्ता जमीन से लेकर सोशल मीडिया में हर स्तर पर आपसे बेहतर हैं। वोट फेसबुक व वॉट्सएप की लफ्फाजी से नहीं मिलता। वोट जमीन पर उतर कर अपने नेता के लिए मेहनत करने से मिलता है। वोट जब रोड-शो करने से नहीं मिलता तो फेसबुक व वॉट्सएप में...
भारतीय न्याय मंच : दिल्ली जन पार्षद चौपाल

भारतीय न्याय मंच : दिल्ली जन पार्षद चौपाल

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जन पार्षद की अवधारणा : जन पार्षद की जिम्मेदारी जन पार्षद, स्थानीय जनता के प्रति उत्तरदायी होगा। वह नगर निगम और दिल्ली के राजकाज की सभी व्यवस्थाओं के बारे में अपनी जानकारी बनाएगा और उसमें सतत बढ़ोत्तरी करेगा। साथ में स्थानीय जनता को भी इसके बारे में शिक्षित करेगा। नगर निगम के संचालन में निगम पार्षद की क्या भूमिका है, यह अपने लिए भी स्पष्ट करेगा और स्थानीय जनता को भी शिक्षित करेगा। अगर नव निर्वाचित निगम पार्षद, कमिश्नर या उसके ऊपर की राजसत्ता को अपने संविधानिक दायित्व का निर्वाह समुचित रूप से करवाने में अपने को अक्षम पाता है , तो जन पार्षदों को दबाव बनाने के लिए, स्थानीय जनता के सहयोग से निगम पार्षद को अपने पद से त्यागपत्र देकर दोबारा चुनाव की मांग करनी चाहिए। अभी की जो वैधानिक व्यवस्था है उसमें सत्ता कमिश्नर के पास है। पार्षद का काम जनता का काम कमिश्नर के समक्ष रखकर उस प...
क्या हम दिल्ली में बदलाव ला सकते हैं

क्या हम दिल्ली में बदलाव ला सकते हैं

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लगभग हर दूसरे दिन हम टाइम्स ऑफ इण्डिया और अन्य समाचार पत्रों में दिल्ली के बारे में निम्न शीर्षकों के अंतर्गत ख़बरें पढ़ते हैं-   उपराज्यपाल की अनुमति का इंतज़ार न करें, दिल्ली गृह मंत्रालय से अधिकारियों को निर्देश अधिकारियों से बात करें, उपराज्यपाल के आदेशों का पालन न करें सिविक सेंटर के स्वामित्व को लेकर कॉर्पोरेशन में झगड़ा बलात्कार के तमाम मामलों के बाद दिल्ली को मिला असुरक्षित राजधानी का तमगा सड़कों पर कचरे का ढेर, बीमारियों को खुला निमंत्रण एक ही घंटे की बारिश के बाद हर जगह पानी- ड्रेनेज सिस्टम फेल अधिकरण कार्यवाही, प्रतिपूर्ति जारी करने और भूमि पाने के मामले में दिल्ली सरकार और डीडीए के बीच तनातनी दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर है दिल्ली महिला आयोग के सदस्य सचिव की नियुक्ति पर हमारे माननीय मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल को हिटलर की संज्ञा दी स्थानीय नागर...