न्याय पंचायत बढ़ेगी, तो मुक़दमें घटेंगे
लंबित मुक़दमें की संख्या और उसके दोषी कारणों को लेकर आये दिन बहस होती है। जजों की कम संख्या, न्यायालयों में पेशकार और वकीलों की मिलीभगत और शासन की ढिलाई जैसे कई कारण इसके लिए ज़िम्मेदार बताये जाते हैं। मीडिया में बहस का मुद्दा यह शायद ही कभी बना हो, कि ऐसा क्या किया जाये कि ऊपर की अदालतों में मुक़दमा दर्ज कराने की नौबत कम से कम आये। गुजरात मुख्यमंत्री के तौर पर श्री नरेन्द्र मोदी ने अवश्य गांव को मुक़दमामुक्त और सद्भावपूर्ण बनाने की दृष्टि से समरस गांव योजना के तहत् 'पावन गांव और 'तीर्थ गांव' का आह्वान तथा सम्मान किया था। राष्ट्रीय मीडिया के लिए ऐसा प्रयास न तब बहस अथवा प्रचार का विषय था और न अब।
सक्रिय न्याय पंचायतों का असर
आंकडे़ बताते हैं कि जिन राज्यों में न्याय पंचायत व्यवस्था सक्रिय रूप से अस्तित्व में है, कुल लंबित मुक़दमों की संख्या में उनका हिस्सेदारी प्रतिशत अन्य राज्यों की त...