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कांग्रेस मुक्त संवैधानिक पद अब संघी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति

कांग्रेस मुक्त संवैधानिक पद अब संघी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति

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अमित त्यागी ति आधारित भारत की राजनैतिक व्यवस्था में एक समय यह बड़ा मुश्किल माना जाता था कि जाति-व्यवस्था टूट भी सकती है। मतदाता अपनी जाति से बाहर आकर राष्ट्रनिर्माण के लिये भी मत दे सकता है। जातियों में बंटा हिन्दू समाज कभी एकजुट भी हो सकता है। वोट बैंक माना जाने वाला मुस्लिम वर्ग तुष्टीकरण की राजनीति से बाहर भी आ सकता है। पर ऐसा संभव हुआ। पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में हुआ। इसके बाद कई अन्य प्रदेशों में होते हुये 2017 में उत्तर प्रदेश के चुनावों में संभव हुआ। जाति आधारित वोट बैंक टूट गया। जाति की राजनीति करने वाले नेताओं की मनमानी खत्म हुयी। लोगों ने प्रत्याशियों को नहीं, कमल और मोदी को वोट दिया। क्षेत्रीय दलों की निर्भरता सिमट कर रह गयी। केंद्र मजबूत होता चला गया। और यह तो गणित का नियम भी है कि अगर केंद्र बिन्दु मजबूत होता है तो वृत्त(विकास का पहिया) का निर्माण तेज़ होता है। वर्तम...
Consumer Affairs Department should make systematic changes in Consumer protection Act

Consumer Affairs Department should make systematic changes in Consumer protection Act

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Department of Consumers should take immediate steps to make appropriate changes in Packaged Commodities Act to make it compulsory to pack all packaged commodities only in packs of 1, 2, 5, 10, 20, 50, 100, 500 gms or kgs or millilitres or litres. Goods packed by numbers should likewise be only in packs of 1, 2, 5, 10, 20, 50, 100, 200, 500, 1000 and similar multiples of 1000 abolishing packing by dozens etc. There is no sense in allow packing at gaps of just 5 gms like even in 95 gms. Systematic packing formula in metric units allows packing-units with next unit being almost double the previous unit with metric-system requiring units like 1, 2, 5, 10......and so on. Amul once reduced pouch-price of cow-milk to rupees twenty but at the same time also reducing contents to 400-mililit...
हिंदी वाले आईएएस बनने का सपना अब छोड़ ही दें!

हिंदी वाले आईएएस बनने का सपना अब छोड़ ही दें!

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सफलता के हज़ार साथी होते हैं, किन्तु असफलता एकान्त में विलाप करती है। यूँ तो सफलता या असफलता का कोई निश्चित गणितीय सूत्र नहीं होता, किन्तु जब पता चले कि आपकी असफलता कहीं न कहीं पूर्व नियोजित है, तो वह स्थिति निश्चित रूप से चिंताजनक है। देश की सबसे बड़ी मानी जाने वाली आईएएस की परीक्षा को आयोजित करने वाली संस्था 'संघ लोक सेवा आयोग' आज घोर अपारदर्शिता और विभेदपूर्ण व्यवहार में लिप्त है। हिंदी माध्यम के सिविल सेवा अभ्यर्थियों का विशेषतः 2011 के बाद से, गिरता हुआ चयन अनुपात सारी कहानी बयान करता है। सम्पूर्ण रिक्तियों का लगभग 3 या 4% ही केवल हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के हिस्से में आ पा रहा है। हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के चयन की गिरती दर का कारण क्या उनकी अयोग्यता/अक्षमता को ठहराया जा सकता है? नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है, इसके पीछे कोई तार्किक आधार नहीं है। यह सर्वविदित है इस परीक्षा के ल...
क्रिकेट में बेटियों का दमदार प्रदर्शन, बदलेगी खेलों की दुनिया

क्रिकेट में बेटियों का दमदार प्रदर्शन, बदलेगी खेलों की दुनिया

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आर.के.सिन्हा सारा देश भारतीय महिला क्रिकेट टीम की आईसीसी विश्व कप में शानदार प्रदर्शन से गर्व महसूस कर रहा है। अब विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर, महेन्द्र सिंह धोनी के साथ मिताली राज, हरमनप्रीत कौर, झूलन गोस्वामी, स्मृति मंधाना वगैरह के नाम भी देश के कोने-कोने में लिया जाने लगेगा। इन खिलाड़ियों के नामों से भी देशवासी अब परिचित हो गए हैं।इस प्रदर्शन से भारत की महिला क्रिकेट का चेहरा भी हमेशा-हमेशा के लिए बदल जाएगा। अब देशभर के स्कूलों-कालेजों में पढ़ने वाली हजारों-लाखों लड़कियां क्रिकेट में करियर तलाशने लगेंगी। अभी से ही सारे भारत में महिला क्रिकेट के प्रति उत्सुकता बढ़ गई है। जरा याद कीजिए कि किस तरह से 1983 में कपिलदेव की कप्तानी वाली टीम ने वेस्ट इंडीज को मात दी थी, विश्व कप के फाइनल में। उस जीत के बाद देश में क्रिकेट ने धर्म का रूप ले लिया। क्रिकेट सारे देश को जोड़ने लगी। क्रिकेट देश का ...
कोविंदजी! अब देश आश्वस्त होना चाहता

कोविंदजी! अब देश आश्वस्त होना चाहता

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ललित गर्ग:- श्री रामनाथ कोविन्द देश के चैहदवें नए राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। वह एक दलित के बेटे हैं जो सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने की दूसरी घटना है, जिससे भारत के लोकतंत्र नयी ताकत मिलेगी, दुनिया के साथ-साथ भारत भी तेजी से बदल रहा है। सर्वव्यापी उथल-पुथल में नयी राजनीतिक दृष्टि, नया राजनीतिक परिवेश आकार ले रहा है, इस दौर में श्री कोविन्द के राष्ट्रपति बनने से न केवल इस सर्वोच्च संवैधानिक पद की गरिमा को नया कीर्तिमान प्राप्त होगा, बल्कि राष्ट्रीय अस्तित्व एवं अस्मिता भी मजबूत होगी। क्योंकि उनकी छवि एक सुलझे हुए कानूनविद, लोकतांत्रिक परंपराओं के जानकार और मृदुभाषी राजनेता की रही है। उम्मीद है कि देश के संवैधानिक प्रमुख के रूप में उनकी मौजूदगी हर भारतवासी को उसके शांत और सुरक्षित जीवन के लिए आश्वस्त करेगी। दलित का दर्द दलित ही महसूस कर सकता है- यानी भोग हुए यथार्थ का दर्द। मेरी दृष्टि...
Our Qualities are like Ice

Our Qualities are like Ice

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God has amazing principles of abundance. Any normal human being can get exposed to such principles by exerting positive efforts with pure intention into the right perspective. Extensive scholarly studies conclude that the root level principle of abundance and spirituality is to love and serve the creatures of God. His creatures are not limited to Humans only. A bird in your window, the cat in your house, the stray dogs and every single breathing thing, including trees is creature of God. God multiplies His blessings when someone loves His creatures. Spirituality is usually taken as a complex, not-easy-to-understand thing whereas in my opinion you are already a spiritual person: 1- when you do things purely for the sake of God, without any greed. 2- when you serve His creatures with...
मोदी की एतिहासिक इस्राइल-यात्रा

मोदी की एतिहासिक इस्राइल-यात्रा

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह इस्राइल-यात्रा एतिहासिक है। एतिहासिक इसलिए कि जिस देश के साथ पिछले 70 साल से हमारे खुले और गोपनीय संबंध रहे हैं, वहां जाने की हिम्मत पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने की है तो वह मोदी ने की है। मोदी के पहले पी.वी. नरसिंहराव ने भी इस्राइल-यात्रा का विचार किया था लेकिन 25 साल पहले के भारत और दक्षिण एशियाई राजनीति का चरित्र कुछ ऐसा था कि राव साहब इस्राइल न जा सके लेकिन उन्होंने इस्राइल को राजनयिक मान्यता देकर भारतीय विदेश नीति के इतिहास में नया अध्याय लिखा। मोदी के इस साहस की सराहना करनी होगी कि उन्होंने सारी झिझक छोड़कर इस्राइल-यात्रा का निर्णय किया। मोदी का यह कदम नरसिंहरावजी की नीतियों को तो शिखर पर पहुंचा ही रहा है, उसके साथ-साथ संघ और जनसंघ की इस्राइल-नीति को भी अमली जामा पहना रहा है। इस्राइल से संकोच करने के पीछे दो तर्क काम कर रहे थे। ए...
राष्ट्रपति चुनाव: भाजपा के दांव से सब चित्त

राष्ट्रपति चुनाव: भाजपा के दांव से सब चित्त

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भारत के राष्ट्रपति का चुनाव हिंदुस्तान के भविष्य की रूपरेखा का खाका खींच रहा है। जातियों और वर्णो में बंटे हिन्दू समाज को एकजुट करने की ओर क्या यह अगला कदम है ? एनडीए ने रामनाथ कोविन्द को मैदान में उतारा है तो विपक्ष ने मीरा कुमार को। दोनों ही दलित है। दोनों ही एक बड़े समय से सक्रिय राजनीति में कार्यरत रहे हैं। वोटों के हिसाब से एनडीए उम्मीदवार का जीतना तय है। तो क्या मीरा कुमार को उम्मीदवार बनाकर विपक्ष ने एक बड़ी भूल की है या यह 2019 की तैयारी के लिए 17 राजनैतिक दलों के विपक्ष के द्वारा दिखाई गयी एकजुटता है। राष्ट्रपति चुनावों की राजनीति का विश्लेषण करता अमित त्यागी का एक आलेख। रतीय गणतन्त्र के गौरव का प्रतीक है 'राष्ट्रपतिÓ। ब्रिटेन की संवैधानिक व्यवस्था में जो पद राजपरिवार का है, वही भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में राष्ट्रपति का है। वह राज्य का प्रधान है किन्तु शासन का प्रधान नहीं है। व...
In Association with IIT Delhi, Third Dialogue India Conclave became hub of new ideas in higher education

In Association with IIT Delhi, Third Dialogue India Conclave became hub of new ideas in higher education

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In Association with IIT Delhi, Dialogue India Magazine organized the third Dialogue India Conclave on June 24, 2017, in collaboration with IIT Delhi at IIT Delhi. AICTE was also a partner in this event. An exhibition was also organized to promote technological innovation in higher education in the program, in which many educational institutions from across the country displayed their technological innovation. These institutions have displayed their original and new technically ideas as models. The institutes participating in this exhibition were IIT Delhi, Riviera Mobile, Era Lucknow Medical College and Hospital, Lucknow, SCMS School of Engineering and Technology, Krishna Engineering College, RC Patel Institute of Technology, KCG College of Technology, Dronacharya College of Engineer...
आईआईटी दिल्ली के सहयोग से   डायलॉग इंडिया तृतीय कानक्लेव में हुआ शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न विचारों पर मंथन और तकनीकी शिक्षा में अभिनवता पर प्रोजेक्ट्स का प्रदर्शन

आईआईटी दिल्ली के सहयोग से डायलॉग इंडिया तृतीय कानक्लेव में हुआ शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न विचारों पर मंथन और तकनीकी शिक्षा में अभिनवता पर प्रोजेक्ट्स का प्रदर्शन

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डायलॉग इंडिया पत्रिका द्वारा तीसरे डायलॉग इंडिया कॉन्क्लेव का आयोजन 24 जून 2017 को आईआईटी दिल्ली के सहयोग आईआईटी दिल्ली में किया गया। इस आयोजन में एआईसीटीई भी सहयोगी थी। कार्यक्रम में उच्च शिक्षा में तकनीकी अभिनवता को बढ़ावा देने के लिए एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था, जिसमे देश भर से आए कई शैक्षणिक संस्थानों ने अपनी तकनीकी अभिनवता को प्रदर्शित किया। इन संस्थानों ने तकनीकी रूप से अपने मौलिक और नए विचारों को मॉडल के रूप प्रदर्शित किया। इस प्रदर्शनी में भाग लेने वाले संसथान थे आईआईटी दिल्ली , रिवेरा मोबाइल, एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, लखनऊ, एससीएमएस स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी, कृष्णा इंजीनियरिंग कॉलेज, आरसी पटेल इंस्टीट्युट ऑफ टेक्नोलोजी, केसीजी कॉलेज ऑफ टेक्नोलोजी, द्रोणाचार्य कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, जीएलए यूनिवर्सिटी मथुरा, मेहर चंद पोलिटेक्निक, ईस्टैंडइन। इन सभी संस्थान...