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कभी इन असली जंगलियों से भी मिलिए

कभी इन असली जंगलियों से भी मिलिए

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विश्व वानिकी दिवस हर वर्ष आता है। वह हर वर्ष जंगल बचाने और बढ़ाने का संदेश दे जाता है। इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सरकारी-गैरसरकारी स्तर पर पूरी दुनिया में सेमिनार, रैली तथा वृक्षारोपण के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। किंतु कुछ समुदाय और लोग ऐसे होते हैं, जो विश्व वानिकी दिवस की प्रतीक्षा किए बगैर साल के बारह महीने... हर दिन सिर्फ जंगल ही बचाने, बढ़ाने की चिंता, चिंतन और करतब में मगन रहते हैं। समुदाय के तौर पर जंगल बचाने में सबसे प्रथम हमारे आदिवासी समुदाय हैं, तो व्यक्ति के तौर पर एम एस यूनिवर्सिटी, वड़ोदरा के सहायक प्रोफेसर - ट्रीमैन बालकृष्ण शाह, गुड़गांव के ट्रीमैन दीपक गौड़, अलवर के ट्रीमैन प्रदीप, लखनऊ के ट्रीमैन तिवारी और एक करोड़ पेड़ लगाने वाले ट्रीमैन दरीपल्ली रमैया समेत कई भारतीय हैं, जिनमें हरेक काम को हमें जानना चाहिए। जोधपुर में खेजड़ी के दरख्तों की रक्षा की खातिर उनसे चिपककर अ...
Challenge to Unconstitutional Provisions of Anti-Rape Law

Challenge to Unconstitutional Provisions of Anti-Rape Law

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I reproduce below the full text of a writ petition I filed in public interest in the Delhi High Court along with two others on 17 March 2017. Kapil Sibal, among the most eminent lawyers of India, is arguing this case.  We invoked Article 226 of the Constitution of India  for challenging the validity of some of the provisions of the Criminal Law Amendment Act, 2013 which have made the anti-rape law draconian and easy-to-abuse. The High Court has issued notice to the Central Government and set July 5, 2017 as the next date of hearing. ​ Kapil​ has taken on this case pro bono because he saw merit in the arguments I put forth in the petition,  which I drafted personally in consultation with and with inputs from lawyer friends. ​ ​ Kapil is an old friend ​.​ We often ...
बड़े बदलावों की नई सुबह

बड़े बदलावों की नई सुबह

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विधानसभा चुनावों में आयी भगवा सूनामी ने नकारात्मक राजनीति के कचरे को बेतरह बहा दिया है और अब देश में सकारात्मक वातावरण में राष्ट्रवादी और भारतपरक राजनीति का उदय हो गया है। हालांकि यह उदय तो मई 2014 में मोदी सरकार आने पर ही हो गया था किंतु देश के सेकुलर-वामपंथी खेमे की कलुषित मानसिकता, स्वार्थ की राजनीति एवं सरकार के हर कदम व कार्य की अबाध आलोचना और खिल्ली उड़ाने की घटिया हरकतों व किसानों, जवानों व जातीय-धार्मिक समूहों को भड़काने की राजनीति से चारों ओर भ्रम व अविश्वास का घना कोहरा छा गया था। मात्र विरोध के लिए विरोध करने वाले दलों कांग्रेस पार्टी, सपा, बसपा और आआपा को जनता ने आत्मकेंद्रित राजनीति की बहुत बड़ी सजा दी है और एक प्रकार से सेकुलर राजनीति की जड़ें ही हिला दी। यह चुनाव देश की जनता के लिए अमृत वर्षा की तरह है, क्योंकि या तो सेकुलर खेमा समाप्त होता जायेगा अथवा उसको राष्ट्रवादी सांचे...
यकीऩ मानिए, आपके शब्द आपको महान बना देंगे

यकीऩ मानिए, आपके शब्द आपको महान बना देंगे

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यह कोई नई बात नही है कि शब्दों में अथाह ऊर्जा होती है. गर हम गौर करें तो पाएगें कि हमारा सम्पूर्ण जीवन ही उस तरफ प्रवाहित होता है, जिस तरफ की अधिक ऊर्जा हमारे अन्दर सन्चित होती है. हाँ यह जरूर है कि वह सकारात्मक ऊर्जा भी हो सकती है और नकारात्मक ऊर्जा भी. यदि हमारे अन्दर सकारात्मक ऊर्जा अधिक है तो हम स्वतः हर रोज कुछ न कुछ नया सीखते समझते हुए आगे बढ़ते जाते हैं और इसके विपरीत यदि हमारे अन्दर नकारात्मक ऊर्जा अधिक है तो हम दिन प्रतिदिन वक्त की उठा-पटक से परेशान होकर अवनति की ओर बढ़ते जाते हैं. वास्तविकता तो यह है कि हम अधिकतर लोग इस मनोवैज्ञानिक सच को भलीभाँति समझ ही नही पातें हैं और सिर्फ अपनी किस्मत को कोसते हुए जिन्दगी को जैसे तैसे व्यतीत करते रहते हैं. अच्छा, व्यवहारिक तौर पर जरा विचारिए. यह शब्द ही है जो जोड़ भी सकता है और तोड़ भी, अपना भी बना सकता है और अपनों को दूर भी कर सकता है, बह...
कांग्रेसविहीन भारत बनाते राहुल गांधी

कांग्रेसविहीन भारत बनाते राहुल गांधी

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बहुत सी दुर्बलताओं के उपरांत भी कांग्रेस का गौरवपूर्ण इतिहास है। इसके गौरवपूर्ण पक्ष पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लालबहादुर शास्त्री और इन जैसी अनेकों प्रतिभाएं अपना डेरा डाले बैठी हैं, जिनको पढ़े बिना कांग्रेस का इतिहास किसी भी जिज्ञासु विद्यार्थी की समझ आ नहीं सकता। जिन लोगों ने कांग्रेस को केवल एक परिवार की जागीर के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया, राष्ट्र के साथ छल तो किया ही स्वयं इस सबसे पुराने राजनीतिक संगठन के साथ भी छल किया। उस छल का ही परिणाम है कि हर कांग्रेसी अपने आप में ठगा सा बैठा है। वह चाहता है कुछ बोला जाए, पर बोल नहीं पा रहा है। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को एक ही परिवार की चाटुकारिता करते रहने वाले लोग कैसे समाप्त कर देते हैं या उसका हनन कर लेते हैं, कांग्रेसियों की यह चुप्पी इसी बात की प्रमाण है। जिन कांग्रेसियों ने सोनिया गांधी के हाथों सीत...
बॉडी के 7 चक्र बनाते हैं चमकदार, आप भी कर सकते हैं उन्हें सक्रिय

बॉडी के 7 चक्र बनाते हैं चमकदार, आप भी कर सकते हैं उन्हें सक्रिय

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1. मूलाधार चक्र :  यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच 4 पंखुरियों वाला यह 'आधार चक्र' है। 99.9% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है। मंत्र : लं  चक्र जगाने की विधि : मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है- यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना। प्रभाव :  इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है। 2. स्वाधिष्ठान चक्...
HAS STRIKE BECOME A HABIT FOR GOVERNMENT EMPLOYEES IN INDIA ?

HAS STRIKE BECOME A HABIT FOR GOVERNMENT EMPLOYEES IN INDIA ?

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On 16th March,2017, employees belonging to government of India including  postal department  went on All India strike, with public losing counts as to how many times the government employees have gone on strike on various pretext in the last few years. In any case, when the government employees went on strike on 16th March, most segment of Indian population who face the brunt of the problems caused due to the strike,  do not know as to what is the purpose of this latest strike. While strike by government employees  no more make news in India as it has become too routine, in the case of the strike on 16th March, most segment of the public were shocked , since the government of India  revised the salaries and perks of the government employees steeply only recently , by accepti...
जीवन की राहः शांति की चाह

जीवन की राहः शांति की चाह

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आज हर व्यक्ति शांति और खुशी को तलाश रहा है। कुछ लोग भौतिक चीजों में शांति और खुशी ढूंढ़ते हैं तो कुछ नाम एवं प्रसिद्धि में । कई लोग मनोरंजन को इसका माध्यम मानते हैं तो कुछ खेलकूद, सिनेमा एवं पर्यटन में इसका अनुभव करतेे हैं। अधिकांश लोग अपनी इच्छा एवं मनोकामनाओं की पूर्ति को ही शांति मानते हैं। जिन्दगीभर एक के बाद एक इच्छाओं की पूर्ति में लगे रहते हैं और सोचते हैं कि इनकी पूर्ति ही वास्तविक शांति और खुशी हैं। क्या वास्तविक शांति इसे ही कहते हैं? वास्तविक शांति क्या हैं, इसके लिये मुड़कर एक बार अतीत को देखना जरूरी है। क्या खोया, क्या पाया, इस गणित के सवाल में वास्तविक शांति का स्वरूप् निहित है। आने वाले कल की रचनात्मक तस्वीर के रेखांकन का प्रेरक क्षण है शांति। क्या बनना, क्या मिटाना, इस अन्वेषणा में संकल्पों की सुरक्षा पंक्तियों का निर्माण है शांति। ‘आज’, ‘अभी’, ‘इसी क्षण’ को पूर्णता के साथ ज...
महावीर बनने की तैयारी करें

महावीर बनने की तैयारी करें

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महावीर जयंती 9 अप्रैल, 2017 पर विशेष जैन धर्म के चैबीस तीर्थंकरों में भगवान महावीर का स्थान सर्वोत्कृष्ट है। वे अंतिम तीर्थंकर थे, उन्होंने ‘अहिंसा परमो धर्म’ का शंखनाद कर आत्मवत् सर्वभूतेषु की भावना को देश और दुनिया में जागृत किया। ‘जियो और जीने दो’ अर्थात् सह-अस्तित्व, अहिंसा एवं अनेकान्त का नारा देने वाले महावीर के सिद्धान्त विश्व की अशांति दूर कर शांति कायम करने में समर्थ है। प्रत्येक वर्ष भगवान महावीर की जन्म-जयन्ती हम मनाते हैं। समस्त विश्व में जैन समाज और अन्य अहिंसा प्रेमी व्यक्तियों द्वारा बड़े हर्ष और उल्लास के साथ उनकी जयंती मनाई जाती है। उस दिन भगवान महावीर की शिक्षाओं पर गोष्ठियां होती हैं, भाषण होते हैं और कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। भगवान महावीर की शिक्षाओं का हमारे जीवन और विशेषकर व्यावहारिक जीवन में किस प्रकार समावेश हो और कैसे हम अपने जीवन को उनकी शिक्ष...
दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानक से 16 गुना अधिक

दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानक से 16 गुना अधिक

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पर्यावरण व ऊर्जा विकास के क्षेत्र में काम करनेवाली संस्था सेंटर फाॅर एन्वाॅयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा जारी रिपोर्ट ‘एम्बिएन्ट एयर क्वालिटी फाॅर दिल्ली’ के अनुसार बीते सर्दी के मौसम में राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर पाया गया, जिसका साफ मतलब है कि यहां की हवा सांस लेने योग्य नहीं रही। रिपोर्ट के अनुसार जाड़े के चार महीनों के मौसम में ऐसा कोई इकलौता दिन नहीं रहा, जब वायु की गुणवत्ता की केटेगरी ‘अच्छी’ रही हो, बल्कि 89 प्रतिशत दिनों में यह ‘खराब’ या ‘बहुत खराब’ वायु गुणवत्ता के अंतर्गत रही। 6 प्रतिशत दिनों में यह ‘गंभीर’ दर्जे की मानी गयी। वायु प्रदूषण की यह दशा हमारी राजधानी के जीवन स्तर और रहन-सहन पर गंभीर खतरे पेश करती है। बवाना इंडस्ट्रीयल एरिया के समीप दिल्ली टेक्नोलाॅजिकल युनिवर्सिटी में स्थापित माॅनिटरिंग स्टेशन से प्राप्त प्रदूषित कण यानी पर्टिकुल...