
गुमनाम गांव से संसद तक तक सफर – फावजिया कूफी, मानव अधिकार कार्यकर्ता
फावजिया का जन्म अफगानिस्तान के एक सियासी परिवार में हुआ। उनके पिता की सात पत्नियां थी। परिवार में पहले से 18 बच्चे थे। मगर पिता संतुष्ट नहीं थे। वह चाहते थे कि घर में एक और बेटा पैदा हो। इस बीच फावजिया का जन्म हुआ। वह 19वीं संतान थीं। मां को जब पता चला कि उन्होंने बेटी को जन्म दिया है, तो वह डर गई। उन्हें लगा कि उनके शौहर को यह पसंद नहीं आएगा। इसलिए नवजात बच्ची को घर के बाहर चिलचिलाती धूप में मरने के लिए छोड़ दिया। मगर अल्लाह को कुछ और मंजूर था। कुछ घंटों के बाद देखा गया, तो बच्ची जिंदा थी। मां का दिल पिघल गया। उसे गले लगाते हुए तय किया कि चाहे जो हो जाए, वह बच्ची को पालेंगीं।
उनका परिवार बदख्शां प्रांत के एक छोटे से गांव में रहता था। पिता सांसद थे। इलाके में उनका खास रूतबा था। अक्सर सियासत के कामकाज के लिए गांव से बाहर जाना होता था। नन्ही फावजिया को कभी पिता के करीब जाने या उनके बात करन...