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Implementation rules for India’s first fuel consumption norms for cars is full of holes, says CSE

Implementation rules for India’s first fuel consumption norms for cars is full of holes, says CSE

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Centre for Science and Environment (CSE) has found serious loopholes in the recently released draft rules for measuring and monitoring compliance with the new fuel consumption standards for passenger cars to be enforced for the first time in India this year. India, so far, is the only major vehicle producing region in the world that has not implemented fuel efficiency norms for vehicles. While these norms were notified way back in 2015, rules for compliance with the norms have just been proposed by the Union Ministry of Road Transport and Highways for implementation this year. Says Anumita Roychowdhury, executive director-research and advocacy, CSE: “The proposed compliance rules have allowed number of concessions for the car industry to score extra points for certain technologies for c...
जंग-ए-आज़ादी का दूसरा सबसे बड़ा बलिदान था तारापुर गोलीकांड

जंग-ए-आज़ादी का दूसरा सबसे बड़ा बलिदान था तारापुर गोलीकांड

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    भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की चर्चा आते ही हमें याद आता है ‘बलिदान’ | मूछों पर ताव देते पंडित चंद्रशेखर आज़ाद, पगड़ी पहने सरदार भगत सिंह, जलियांवाला बाग में अंग्रेजों की गोलियों से गिरते लोग ये सभी दृश्य कौंधने लगते हैं मन में | एक ऐसा ही रोमांचित कर देने वाला घटनाक्रम आज आपसे साझा करना चाहता हूँ | इतिहास की स्मृति में धुंधला से गए कुछ पन्नों का पुनर्पाठ करना चाहता हूँ ताकि भारत की आन-बान-शान के लिए कुर्बान हो गए उन वीरों का ऋण चूकाने की कोशिश कर सकें | यह कहानी है बिहार के मुंगेर जिला अंतर्गत “ तारापुर थाना “ की, जहाँ 15 फरवरी 1932 की दोपहर सैकड़ों आजादी के दीवाने तिरंगा लहराने निकल पड़े | ब्रिटिश साम्राज्य के  यूनियन जैक की जगह राष्ट्रीय ध्वज “तिरंगा “ फहराने के उन्माद में तारापुर के अमर सेनानियों का दल हाथों में झंडा और होठों पर वंदे मातरम की गूंज लिए आगे बढ़ रहा थ...
पर्यावरण एवं विस्थापन राजनैतिक पार्टियों का मुद्दो से गायब है!

पर्यावरण एवं विस्थापन राजनैतिक पार्टियों का मुद्दो से गायब है!

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उत्तराखंड के लोग अपना पांचवा राज्य विधानसभा चुनने जा रहे है। हमने पाया कि बांध व अन्य बड़ी परियोजनायें, खदान, शराब, बेरोजगारी, पर्यटन, इत्यादि के कारण हो रहा विस्थापन का वास्तविक मुद्दे है। ये सब राजनैतिक पार्टियों के एजेंडा में शामिल नहीं है। जून 2013 की त्रासदी से प्रभावित लोग अभी भी ठीक तरीके से ना बसाये गये है ना ही सभी को क्षतिपूर्ति मिली है। इन सब  मुद्दों के अलावा, वे उन मुद्दों को उठा रहे है जो की अस्तित्व में ही नहीं है और न ही उत्तराखंड के लोगों एवं हरे-भरे वातावरण संबघी रोजाना की समस्याओं को हल कर सकेंगें। उत्तराखंड एक हरा-भरा, नदियों खासतौर से राष्ट्रीय नदी गंगा और पांचधाम (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, और हेमकुंड साहिब) वाला हिमालयी राज्य है। कोई भी राजनैतिक पार्टी, यहाँ के स्रोतों से बड़े लोगों को छोड़कर, स्थानीय लोगो का भला करने वाले, विकास के रोडमैप के साथ नहीं ...
चुनावी अनुष्ठान में अनिवार्य मतदान जरूरी क्यों?

चुनावी अनुष्ठान में अनिवार्य मतदान जरूरी क्यों?

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उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, मणिपुर के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर मतदाता को अपने भाग्य का फैसला करने का अधिकार मिला है। यदि मतदाता सशक्त  और स्वस्थ लोकतंत्र चाहता है तो उसे कम-से-कम मतदान में उत्साह का प्रदर्शन करना होगा और अधिकतम मतदान को संभव बनाना होगा। मतदान के प्रति मतदाता की उदासीनता ने ही लोकतंत्र को कमजोर बनाया है। अनेक मोर्चाें पर अधिकतम मतदान के लिये प्रयास किये जा रहे हैं, विशेषतः युवापीढ़ी इसके लिये जागरूक हुई है यह एक शुभ संकेत है। यही कारण है कि विधानसभा चुनावों के पहले चरण में पंजाब और गोवा में क्रमशः 78.6 और 83 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके लिए चुनाव आयोग और ‘आओ मतदान करे’-अभियान से जुडे़ विभिन्न पक्ष बधाई के पात्र है। चुनाव आयोग को तो इसके लिये व्यापक प्रयत्न करने ही होंगे, जैसाकि इस बार उसने गोवा में पहली बार मतदान करने वाली लड़कियों को टैडी बियर और लड़कों को पेन बां...
इंदौर की पांच वालिकाएं बनीं ‘स्वस्थ वालिका स्वस्थ समाज’ की गुडविल एम्बेसडर

इंदौर की पांच वालिकाएं बनीं ‘स्वस्थ वालिका स्वस्थ समाज’ की गुडविल एम्बेसडर

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स्वस्थ भारत यात्रा के इंदौर पहुंचने पर इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित समारोह में ईवा ऑर्गनाइजेशन की ओर से स्वागत किया गया। आयोजित समारोह में स्वस्थ भारत यात्रा के प्रकल्पक आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि बालिकाओं के सेहत के सवाल की लगातार अनदेखी हो रही है। लोगों की संवेदना को झकझोरने और सामाजिक नजरिया बदलने के मकसद से यह यात्रा भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में की जा रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से अंग्रेजों को भगाने के लिए भारत छोड़ों आंदोलन की शुरूआत की थी उसी तरह हमारे साथियों ने देश से बीमारी को भगाने के लिए एवं बालिकाओं के स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज की परिकल्पना की है। उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य के सवाल पर लोगों का जागरूक होना जरूरी है। इस परिप्रेक्ष्य में ‘अपनी दवा को जाने’ और जेनरिक मेडिसिन को लेकर चलाये जा रहे मुहिम की विस्तार से जा...
स्वस्थ भारत के यात्रियों ने दिया स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज का संदेश

स्वस्थ भारत के यात्रियों ने दिया स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज का संदेश

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बालिकाओं की प्रबंधकीय क्षमता बेहतर होती है। एक समय था जब पत्रकारिता में बालिकाओं की संख्या कम थी लेकिन आज बढ़ी है। बदलाव हो रहा है लेकिन शायद समाज उतना नहीं बदला है जितना उसे बदलने की जरूरत है। नहीं तो स्वस्थ भारत यात्रा की जरूरत नहीं पड़ती। यह कहना था प्रो. बीके कुठियाला का। वे आज शहर में स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज एक परिसंवाद में अपनी बात रख रहे थे. उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वर्ष को याद करते हुए निकली स्वस्थ भारत की टीम एक बहुत ही ज्वलंत मुद्दे को समाज के सामने रखने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर बेटियों को पहले जैसा सम्मान मिल जाए तो शायद आशुतोष कुमार सिंह और उनकी टीम को सड़क पर भटक कर इस तरह के संदेश देने की जरूरत न पड़े। भोपाल की चार बालिकाएं बनी स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज की गुडविल एम्बेसडर मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आयोजित स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज...
काश! पंच महाभूत भी होते वोटर

काश! पंच महाभूत भी होते वोटर

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पंजाब, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, गोवा और मणिपुर - पांच राज्य, एक से सात चरणों में चुनाव। 04 फरवरी से 08 मार्च के बीच मतदान; 11 मार्च को वोटों की गिनती और 15 मार्च तक चुनाव प्रक्रिया संपन्न। मीडिया कह रहा है - बिगुल बज चुका है। दल से लेकर उम्मीदवार तक वार पर वार कर रहे हैं। रिश्ते, नाते, नैतिकता, आदर्श.. सब ताक पर हैं। कहीं चोर-चैर मौसरे भाई हो गये हैं, तो कोई दुश्मन का दुश्मन का दोस्त वाली कहावत चरितार्थ करने में लगे हैं। कौन जीतेगा ? कौन हारेगा ? रार-तकरार इस पर भी कम नहीं। गोया जनप्रतिनिधियों का चुनाव न होकर युद्ध हो। सारी लड़ाई, सारे वार-तकरार.. षडयंत्र, वोट के लिए है। किंतु वोटर के लिए यह युद्ध नहीं, शादी है। तरह-तरह के वोटर है। जातियां भी वोटर हैं, उपजातियां भी। संप्रदाय, इलाका, गरीबी, अमीरी, जवानी, बुढ़ापा, भ्रष्टाचार.. सभी वोटर की लिस्ट मंे है। पांच साल बाद वोटर का एक बार फिर नंबर आय...
क्यों नहीं नपें माल्या, दाऊद, नदीम

क्यों नहीं नपें माल्या, दाऊद, नदीम

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एक बात सबकी समझ में अब आ ही जाना चाहिए कि अब देश में हजारों करोड़ के घोटाले करने के बाद या गंभीर अपराधों को अंजाम देकर विदेशों में जाकर शरण लेने वाले अब जरूर नपेंगे। उनकी संपत्ति होगी जब्त। यानी शराब कारोबारी विजय माल्या से लेकर, आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी और दाऊद इब्राहिम से लेकर नदीम तक, कोई अपराधी बचेंगा नहीं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में स्पस्ट किया कि देश छोड़कर भागने वाले भगोड़ों पर नकेल कसने के लिए सरकार सख्त और नए कानून लाने पर विचार कर रही है। माल्या से दाऊद हालांकि उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन साफ है कि उनका इशारा माल्या, ललित मोदी और दाउद जैसों पर ही था। पैसे और राजनीतिक रसूख के बल पर कुछ धनपशुओं को लगने लगा था कि उन्हें कोई छेड़ ही नहीं सकता। बैंकों का करीब 9 हजार करोड़ रुपये माल्या के पास बकाया है। देर से ही भले, परन्तु सरकार का ऐसे लोगों के...
नेताओं की फौज के साथ होगी  मोदी मैजिक की परीक्षा

नेताओं की फौज के साथ होगी  मोदी मैजिक की परीक्षा

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उत्तराखंड इस समय बदलाव के लिए तैयार दिख रहा है। अपने गठन के बाद से उत्तराखंड में राजनैतिक उथल पुथल चलती रही है। यहां कांग्रेस और भाजपा मवार सरकार का गठन करते रहे हैं। उत्तराखंड के गठन के प्रारम्भिक दौर में जब उत्तर प्रदेश में मायावती मजबूत थीं तब बसपा भी अपना यहां प्रभाव रखती थी। इसके बाद धीरे धीरे बसपा यहां कमजोर होती चली गयी। कांग्रेस के बड़े नेता एक एक कर अब भाजपा में शामिल हो गये हैं। वर्तमान सरकार के कई मंत्री एवं इसी कार्यकाल के भूतपूर्व मुख्यमंत्री भी अब भाजपाई हैं। कांग्रेस अब बिना नेताओं के सिर्फ पारंपरिक जनाधार के भरोसे उत्तराखंड में उतर रही है। उसके पास न तो काडर बनाने के लिये समय बचा है और न ही अपनी बात कहने के लिये कद्दावरों की फौज। ऐसे में उत्तराखंड की लड़ाई अब युवा कांग्रेसियों के जुनून एवं भाजपा के बढ़ते जनाधार के बीच आकर ठहर गयी है। उत्तराखंड पर विशेष संवाददाता अमित त्यागी...
पर्रिकर का विकल्प न ढूंढ पाना भारी पड़ रहा भाजपा को

पर्रिकर का विकल्प न ढूंढ पाना भारी पड़ रहा भाजपा को

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कभी कभी कोई व्यक्ति इतना बड़ा बन जाता है कि उसका विकल्प न ढूंढ पाना भी सत्ता वापसी में रोड़े लगा देता है। ऐसा ही कुछ है रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के साथ। वह गोवा छोड़कर केंद्र की राजनीति में क्या गये, गोवा की भाजपा अनाथ हो गयी। एक अच्छी ख़ासी चल रही सरकार, जो सत्ता में पुनर्वापसी कर सकती थी। आज ऐसी स्थिति में है जहां उसकी दोबारा वापसी तो दूर सबसे बड़ी पार्टी बनने के भी लाले पड़े हुये हैं। गोवा की राजनीति पर विशेष संवाददाता अमित त्यागी का एक आलेख गोवा एक कम क्षेत्रफल वाला राज्य है। कई सालों से यहां कांग्रेस बनाम भाजपा की ज़ंग रही है। इन दोनों दलों के बीच ही सत्ता का हस्तांतरण होता रहा है। इस समय वहां भाजपा की सरकार है। गोवा में कांग्रेस कमजोर है इसलिए आम आदमी पार्टी वहां एक विकल्प के तौर पर उभर चुकी है। जबसे मनोहर पर्रिकर केंद्र में रक्षामंत्री बने हैं तबसे गोवा में किसी बड़े चेहरे के लि...