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कर्नाटक में कांग्रेस की नई कथा शुरू

कर्नाटक में कांग्रेस की नई कथा शुरू

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राज्य
आख़िर कड़ी मशक़्क़त के बाद कांग्रेस कर्नाटक में सत्तारूढ़ हो गई। भारी बहुमत से जीत के बावजूद मुख्यमंत्री तय करने को लेकर जो गतिरोध कांग्रेस पार्टी में चल रहा था, आखिरकार उसका पटाक्षेप आर हो ही गया। राजयोग सिद्धारमैया के हिस्से में आया डी के शिवकुमार के हिस्से में तपस्या। जहां कुर्सी काँटों का ताज़ा होती है तो तपस्या फ़ौरन फलीभूत होने के उद्देश्य से की जाती है। औपचारिकताओं के निर्वहन के बाद ताजपोशी हो गई। कांग्रेस के नेता कहते रहे हैं कि लोकतांत्रिक पार्टी होने के कारण सहमति पर मंथन जारी रहा ,लेकिन आम विमर्श में यह मुद्दा हावी रहा कि विधानसभा चुनाव में 135 सीटें जीतने के बावजूद दल का नेता चुनने में इतनी देरी क्यों हुई? सब कुछ ठीक नहीं है। कर्नाटक में पार्टी की जीत का नेतृत्व करने वाले डीके शिवकुमार कहते रहे हैं कि ‘उन्होंने पांच साल पार्टी के लिये संघर्ष किया, जेल भी गये। वे वफादार ...
<strong>क्यों भारत को चाहिएं कई सुधा मूर्ति</strong>

क्यों भारत को चाहिएं कई सुधा मूर्ति

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
क्या पैसे वाले मनुष्यता में नहीं करते यकीन या क्यों भारत को चाहिएं कई सुधा मूर्ति आर.के. सिन्हा श्रीमती सुधा   नारायणमूर्ति की शख्सियत से कोई बिना प्रभावित हुये नहीं रह सकता। उन्होंने अपने पति एन. नारायणमूर्ति को अपनी कंपनी खोलने के लिए अपने प्रिय गहने तक बेच डाले थे। उन्होंने पति को पैसे देकर उन्हें प्रेरित किया कि वे अपने हिस्से के आकाश को छू लें। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सास सुधा मूर्ति जब कोई बात कहती हैं तो उसके पीछे उनके जीवन भर का अनुभव और दर्शन छिपा होता। उन्होंने कुछ दिन पहले एक टीवी के कार्यक्रम में उन लोगों को प्यार-प्यार में कसा जिनके लिए जीवन में  पैसा ही सब कुछ होता है। इस तरह के लोग पैसे के आगे शेष सभी चीजों को गौण ही मानते हैं। ये उन स्त्रियों को भी दोयम दर्जे का ही मानते हैं जो साड़ी या सवार-कमीज पहनती हैं। सुधा जी ने इस बाबत अपने साथ घटी एक सच्...
आतंकवाद के अंधेरे को मिटाना होगा ! (21 मई एंटी टेरेरिज्म-डे विशेष)

आतंकवाद के अंधेरे को मिटाना होगा ! (21 मई एंटी टेरेरिज्म-डे विशेष)

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
किसी ने क्या खूब लिखा है- 'आतंकवाद से धरा दूषित हैं, इसे शुद्ध हो जाने दो। हाथ खोल दो वीरो के अब महायुद्ध हो जाने दो।' आतंकवाद नासूर है, यह एक दंश है, जिसमें जहर ही जहर भरा है, इसे आज समूल नाश करने की आवश्यकता है, क्यों कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है।आज के समय में आतंकवाद का खतरा गंभीर और वास्तविक है और आज के समय में भारत ढ़ेर सारी चुनौतियों का सामना कर रहा है जैसे गरीबी, जनसंख्या वृद्धि, निरक्षरता, असमानता आदि लेकिन आतंकवाद इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक है जो आज पूरी मानव जाति को प्रभावित कर रहा है। वास्तव में, अपने कुछ राजनीतिक, धार्मिक या व्यक्तिगत लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये आतंकवाद द्वारा हिंसात्मक तरीकों का प्रयोग ही आतंकवाद है। आतंकवाद के बारे में भयानक बात ये है कि अंततः ये उन्हें नष्ट कर देता है जो इसका अभ्यास करते हैं। आतंकवाद किसी भी देश के राष्ट्रीय सद्भाव...
<em>आखिर क्यों बंद होने जा रहे हैं दो हजार रूपये के नोट ?</em>

आखिर क्यों बंद होने जा रहे हैं दो हजार रूपये के नोट ?

BREAKING NEWS, Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
डॉ. अजय कुमार मिश्राभारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने एक आदेश के तहत दो हजार के नोटों को वापस लेने का फैसला लिया है | वर्ष 2016 में जब नोटबंदी हुई थी तब उस समय की आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए इन्हें बाजार में लाया गया था | नोटों को वापस लेने के पीछे आर.बी.आई. का कहना है की 89% दो हजार के नोट मार्च 2017 के पहले जारी किये थे और ये नोट अपनी अवधि पूरी कर चुके है | प्रचलन में इन बैंक नोटों का कुल मूल्य, 31 मार्च, 2018 को अपने चरम पर ₹6.73 लाख करोड़ से घटकर ₹3.62 लाख करोड़ हो गया है | 31 मार्च, 2023 तक, प्रचलन में कुल नोटों का केवल 10.8% ही दो हजार के नोट थे | आर.बी.आई. का यह भी कहना है की दो हजार के नोट साधारणतया प्रयोग में नहीं है | ऐसे में दो हजार की नोट को लेकर आम आदमी के जेहन में कई बातें है जिसकी जानकारी से ही उद्देश्यों की पूर्ति हो पायेगी | आइये जानते है की आखिर क्यों बंद होने जा रहें ह...
अब चुनाव तो बस, आर्थिक सरोकार का लेन-देन है

अब चुनाव तो बस, आर्थिक सरोकार का लेन-देन है

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
आगामी विधानसभाओँ और लोकसभा चुनाव के पहले ही यह प्रश्न उपस्थित हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ‘अजेय’ हैं? भाजपा जिस मोदी नाम केवलम के सहारे चुनावी वैतरणी पार कर दिल्ली के सिंहासन पर निष्कंटक राज्य का दिवास्वप्न देख रही थी उसे यह समझ आ जाना चाहिए कि उसके नेतृत्व के धुआंधार प्रचार के बावजूद भाजपा को चुनावी पराजय दी जा सकती है। जो कर्नाटक के जनादेश से साबित हो गया है। यह तर्क ऐसा भी नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी के नौ साल के अनवरत कार्यकाल के कारण उनकी छवि में ठहराव आया है अथवा उनके प्रति मोहभंग होने लगा है। कर्नाटक में भाजपा के पक्ष में 36 प्रतिशत से अधिक वोट आए हैं। उसका साफ अर्थ है कि न तो भाजपा के खिलाफ प्रचंड सत्ता-विरोधी लहर थी और न ही मतदाता उसके प्रति उदासीन हुआ है। बीते चुनाव 2018 में वोट प्रतिशत इससे कम ही था और कांग्रेस को 38.4 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन सीटों के मामले मे...
ये क्या कर रहे हैं, हम बच्चों के साथ ?

ये क्या कर रहे हैं, हम बच्चों के साथ ?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES
दुनिया में चोटी के वैज्ञानिकों का मानना है कि छोटी उम्र में बच्चों को मोबाइल फोन दिये जाने से उनके वयस्क होने पर मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर ज्यादा बढ़ने की आशंकासे इनकार नहीं किया जा सकता । पालकों को अब सजग हो जाना चाहिए कि बच्चों का मन बहलाने के लिये झुनझुने की तरह मोबाइल थमाने का जो फैशन शुरू हुआ है वो हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन में इन आशंकाओं की पुष्टि ही हुई है। ताज़ा आई रिपोर्ट में कहा गया है कि कम उम्र के बच्चों को स्मार्टफोन दिये जाने से उनके युवा अवस्था में पहुंचने पर कई तरह के मानसिक विकार उभर रहे हैं। वैश्विक स्तर पर हुए इस सर्वेक्षण के निष्कर्ष गत सोमवार को सार्वजनिक हुए हैं। सर्वेक्षण के निष्कर्षों में मोबाइल फोन तथा टैब के उपयोग के दुष्प्रभावों का जिक्र किया गया है। दुखद बात यह भी है कि छोटी उम्र में मोबाइल फोन के अधिक उपयोग से ऐसे बच्चों में वयस्क होने पर आत्महत्...
उत्तर प्रदेश में नाकाम हुई मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति

उत्तर प्रदेश में नाकाम हुई मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, सामाजिक
मृत्युंजय दीक्षितउत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव- 2023 मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले सभी छद्म धर्मनिरपेक्ष दलों की राजनीति के लिए बड़ा झटका हैं। इन चुनावों में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी सहित लगभग सभी दलों ने दलित और मुस्लिम समाज के मतों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पूरी ताकत व संसाधन झोंक दिये थे और समीकरण भी बिठाने के प्रयास किये थे लेकिन परिणाम दिखाते हैं कि उनकी ये रणनीति बेबस रही ।उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में समाजवादी पार्टी के बहुत सारे कद्दावर नेता, उनके परिवार के सदस्य व समर्थकों ने चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा का दामन थाम लिया था जिसका असर चुनाव परिणामों में दिखाई पड़ा है।समाजवादी पार्टी के लिए सबसे बड़ी हार चाचा शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव के गढ़ में तो हुई ही है साथ ही रामपुर की स्वार विधानसभा उपचुनाव सीट पर सपा नेता आजम खां अपने बेटे अब्दुल्ला आजम का किला भी न...
ज्ञानवापी मामले का गांधीवादी समाधान

ज्ञानवापी मामले का गांधीवादी समाधान

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, धर्म
-बलबीर पुंज काशी स्थित ज्ञानवापी मामले ने महत्वपूर्ण मोड़ ले लिया है। तीन हिंदू पक्षों ने वाराणसी स्थित जिला अदालत में विवादित परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराने हेतु याचिका दी है, जिसे स्वीकार कर लिया गया और 22 मई को इसपर सुनवाई होगी। हिंदू पक्षाकारों की मांग है कि खसरा संख्या 9130 (ज्ञानवापी परिसर) के जीपीआर सर्वे के साथ कलाकृतियों-खंबों की आयु निर्धारण आदि की वैज्ञानिक तकनीक से विस्तृत जांच की जाए। इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 12 मई को एएसआई को परिसर में मिले शिवलिंग की 'कार्बन डेटिंग' अर्थात्— वैज्ञानिक जांच का निर्देश दिया था। गत वर्ष 16 मई को ज्ञानवापी परिसर के अदालत निर्देशित सर्वे में हिंदू पक्ष की ओर से वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था। यह विडंबना है कि जहां 1919-47 के बीच तत्कालीन भारतीय मुस्लिमों के एक बड़े हिस्से को हिंसक मजहबी ...
छोटी छोटी बचतों से अर्थव्यवस्था को मिलता है बल

छोटी छोटी बचतों से अर्थव्यवस्था को मिलता है बल

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
यह सनातनी संस्कार ही हैं जो भारत के नागरिकों को छोटी छोटी बचतें करना सिखाते हैं। भारतीय परम्पराओं के अनुसार हमारे बुजुर्ग हममें बचत की प्रवृत्ति बचपन में ही यह कहकर विकसित करते हैं कि भविष्य में आड़े अथवा बुरे वक्त के दौर में, पुराने समय में की गई बचत का बहुत बड़ा सहारा मिलता है। भारतीय परिवारों में तो गृहणियां घर खर्च के लिए उन्हें प्रदान की गई राशि में से भी बहुत छोटी राशि की बचतें करने का गणित जानती हैं एवं वक्त आने पर अपने परिवार के सदस्यों को उक्त बचत की राशि सौंप कर संतोष का भाव जागृत करती हैं। आजकल के आर्थिक दौर में केवल धन का अर्जन करना ही काफी नहीं है बल्कि अर्जित किए गए इस धन का कुछ भाग, बचत के रूप में सही स्थान पर सुरक्षित निवेश करना भी जरूरी है। यदि कमाए गए धन को बचत के रूप में निवेश नहीं किया जाता है तो उस राशि का बाजार में मूल्य, मुद्रा स्फीति के चलते, कम होते होते भव...
बागेश्वर बाबा का जादू

बागेश्वर बाबा का जादू

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
एक पच्चीस वर्ष का युवा कथावाचक बिहार जैसे राज्य में आता है और दूसरे ही दिन आठ से दस लाख की भीड़ उमड़ पड़ती है, तो यह सिद्ध होता कि अब भी इस देश की सबसे बड़ी शक्ति उसका धर्म है। मैं यह इसलिए भी कह रहा हूँ कि इसी बिहारभूमि पर किसी बड़े राजनेता की रैली में 50 हजार की भीड़ जुटाने के लिए द्वार द्वार पर गाड़ी भेजते और पैसे बांटते हम सब ने देखा है। वैसे समय में कहीं दूर से आये किसी युवक को देखने के लिए पूरा राज्य दौड़ पड़े, तो आश्चर्य होता है। मेरे लिए यही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का सबसे बड़ा चमत्कार है।वह दस लाख की भीड़ किसी एक जाति की भीड़ नहीं है, उसमें सभी हैं। बाभन-भुइंहार हैं, तो कोइरी कुर्मी भी... राजपूत हैं तो बनिया भी, यादव भी, हरिजन भी... यह वही बिहार है जहां हर वस्तु को जाति के चश्मे से देखने की ही परम्परा सी बन गयी है। उस टूटे हुए बिहार को एक युवक पहली बार में इतना बांध देता है, ...