कर्नाटक पराजय: एक समीक्षा
आपको याद होगा कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता प्रवीण नेतारू की हत्या पर कर्नाटक में कितनी जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई थी। आशंका रही है कि हत्या के षड़यंत्र में प्रतिबंधित पीएफआई संगठन का हाथ था। कर्नाटक सरकार के सेकुलरी रवैये से भाजपा से त्यागपत्रों की झड़ी लग गयी थी। संभवतः एक किसी बजरंग दल के कार्यकर्ता की भी हत्या हुई थी।
यदि ऐसी ही घटना यूपी में हुई होती तो योगी जी की पुलिस हत्यारे संगठन को मिट्टी में मिला चुकी होती। लेकिन राज्य कर्नाटक था जहां टीपू सुल्तान के भक्तों का राज रहा था। वहां हिंदुत्व अभी जमीन पकड़ रहा था और भाजपा की राज्य सरकार कभी हिंदुत्व व कभी सेकुलरवाद के झूले में झूल रही थी। नेतारू की हत्या ने यह असलियत उजागर कर दी। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर सरकार की लीपापोती ने कर्नाटक में हिंदुत्व की उठ रही संभावनाओं पर पानी डाल दिया। कर्नाटक में सांस्कृतिक शक्तियों के अभियान ...