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कर्नाटक पराजय: एक समीक्षा

कर्नाटक पराजय: एक समीक्षा

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आपको याद होगा कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता प्रवीण नेतारू की हत्या पर कर्नाटक में कितनी जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई थी। आशंका रही है कि हत्या के षड़यंत्र में प्रतिबंधित पीएफआई संगठन का हाथ था। कर्नाटक सरकार के सेकुलरी रवैये से भाजपा से त्यागपत्रों की झड़ी लग गयी थी। संभवतः एक किसी बजरंग दल के कार्यकर्ता की भी हत्या हुई थी। यदि ऐसी ही घटना यूपी में हुई होती तो योगी जी की पुलिस हत्यारे संगठन को मिट्टी में मिला चुकी होती। लेकिन राज्य कर्नाटक था जहां टीपू सुल्तान के भक्तों का राज रहा था। वहां हिंदुत्व अभी जमीन पकड़ रहा था और भाजपा की राज्य सरकार कभी हिंदुत्व व कभी सेकुलरवाद के झूले में झूल रही थी। नेतारू की हत्या ने यह असलियत उजागर कर दी। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर सरकार की लीपापोती ने कर्नाटक में हिंदुत्व की उठ रही संभावनाओं पर पानी डाल दिया। कर्नाटक में सांस्कृतिक शक्तियों के अभियान ...
ईश्वर जो करता है, अच्छा ही करता है -कर्नाटक के आज चुनाव के परिणाम

ईश्वर जो करता है, अच्छा ही करता है -कर्नाटक के आज चुनाव के परिणाम

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ईश्वर जो करता है, अच्छा ही करता है -कर्नाटक के आज चुनाव के परिणामभविष्य में कुछ और ख़ुशी दे सकते हैं - यह सत्य है कर्नाटक चुनाव में भाजपा हार गई और कांग्रेस को अच्छी जीत मिली है - लेकिन हार जीत जीवन का हिस्सा है, अलबत्ता यह निश्चित है कि कांग्रेस ने जो रूप दिखाया था चुनाव से पहले, उससे जनता को भयंकर परिणाम भुगतना पड़ेगा - आज EVM को विपक्ष ने चरित्र प्रमाणपत्र दे दिया अन्यथा तो आज एक बार फिर उसका “बलात्कार” हो जाता - सीट भले ही भाजपा की 64 रह गई परंतु पिछले चुनाव में मिले वोट प्रतिशत 36.2% से केवल 0.4% कम होकर 35.8% हुआ है लेकिन JDS का वोट 5% गिरा जो कांग्रेस को मिला और उसका वोट 5% बढ़ कर 43.1% हुआ और इसी 5% ने सारा खेल बदल दिया - पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में 52% वोट मिले थे यानी विधानसभा से 16% ज्यादा और कांग्रेस के वोट 38% से घटकर 32% रह गए थे जि...
<em>मजहब न पूछो अपराधी का</em>

मजहब न पूछो अपराधी का

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-बलबीर पुंज समाज का एक वर्ग, फिल्म 'द केरल स्टोरी' का अंधाधुंध विरोध कर रहा है। तमिलमाडु में जहां सत्तारुढ़ दल द्रमुक के दवाब में प्रादेशिक सिनेमाघरों ने इस फिल्म का बहिष्कार किया, तो प.बंगाल में ममता सरकार द्वारा इसपर प्रतिबंध लगाने के बाद फिल्म देख रहे दर्शकों को सिनेमाघरों से पुलिस घसीटते हुए बाहर निकाल दिया। विरोधियों की मुख्य तीन आपत्तियां है। पहली— यह 'काल्पनिक' लव-जिहाद को स्थापित करने का प्रयास है। दूसरी—केरल में मतांतरित मुस्लिम महिलाओं के आतंकी संगठनों से जुड़ने का आंकड़ा, अतिरंजित है। तीसरा— यह फिल्म इस्लाम/मुस्लिम विरोधी है। 'लव-जिहाद' शब्दावली विरोधाभासी है। इसमें 'जिहाद' का अर्थ 'मजहब हेतु युद्ध' है, तो 'लव' निश्छल-निस्वार्थ भावना। वास्तव में, यह षड्यंत्र प्रेम के खिलाफ ही जिहाद है, क्योंकि इसके माध्यम से स्वयं को इस्लाम से प्रेरित कहने वाले समूह, छल-बल से गैर-मुस्लिम ...
बदलते मौसम के अनुसार नई नीति ज़रूरी

बदलते मौसम के अनुसार नई नीति ज़रूरी

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मौसम के मिजाज में आये अप्रत्याशित बदलाव ने नागरिकों के साथ मौसम विज्ञानियों को चौंकाया है। सामान्य लोग भले ही कहते रहे हैं कि मई में फरवरी-मार्च का अहसास हुआ है, क्या मई में गर्मी आयेगी?और गर्मी आ गई। यह सामान्य बात नहीं है। इस परिवर्तन के गहरे निहितार्थ हैं और हमारे मौसम चक्र के लिये यह शुभ संकेत कदापि नहीं है। मौसम के बदलावों से हमारी वनस्पति, फसलों व फलों के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और उनका स्वाभाविक विकास भी बाधक होता है। यह असामान्य मौसम आज के दौर का नया सामान्य है। पिछले मार्च में अचानक गर्मी का बढ़ जाना और मई में तापमान का सामान्य से कम हो जाना अच्छा संकेत नहीं है मार्च में गेहूं की फसल के पकने के समय बढ़ी गर्मी से इसके उत्पादन में कमी आने की बात सामने आई थी। चौंकाने वाली बात यह भी है कि मई माह में हिमालय पर्वत शृंखलाओं की ऊंची चोटियों पर हिमपात हुआ। इस मौसम में ज...
भाजपा का पराजय: कर्नाटक

भाजपा का पराजय: कर्नाटक

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कर्नाटक भाजपा के 5 साल के शासनकाल में चार चार मुख्य मंत्रियों ने शपथ ली। लेकिन जब चुनावी लड़ाई की बात आई तो पूरी की पूरी जिम्मेवारी नरेंद्र मोदी ने अपने माथे उठा ली। कर्नाटक भाजपा की चुनावी लड़ाई में नरेंद्र मोदी भाजपा परिवार के एक ऐसे अभिभावक की भूमिका में आते हैं, जो हारी हुई लड़ाई को न केवल अपनी पूरी हिस्सेदारी से लड़ता है, बल्कि अपने सभी आश्रितों के हिस्से से भी अंतिम सांस तक लड़ता है, ठीक भीष्म पितामह की तरह। नरेंद्र मोदी वाली भाजपा कभी भी उस तरह की सरकार चलाने में विश्वास नहीं रखती, जैसा कि कर्नाटक में पिछले 5 बरस हुआ। '14 के बाद वाली भाजपा स्थाई, स्थिर और मजबूत सरकार के लिए जानी जाती है। 2018 के असेंबली चुनाव में केवल बहुमत से 9 सीट कम होने व क्षत्रिय फैक्टर आदि के कारण, कर्नाटक भाजपा ने सीएम के चार-चार दावेदारों को ढोया। 2023 की चुनावी तैयारी भाजपा ने उस हिसाब से की थी, जिस...
सही साबित हुआ डायलॉग इंडिया का आँकलन – हिमाचल के बाद कर्नाटक से क्यों सिमटी भाजपा ?-अनुज अग्रवाल

सही साबित हुआ डायलॉग इंडिया का आँकलन – हिमाचल के बाद कर्नाटक से क्यों सिमटी भाजपा ?-अनुज अग्रवाल

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सही साबित हुआ डायलॉग इंडिया का आँकलन -हिमाचल के बाद कर्नाटक से क्यों सिमटी भाजपा ? - अनुज अग्रवाल1) अपनों (येदियुरप्पा एवं जगदीश शेट्टियार) को दरकिनार कर पराये (बासवराव बोम्मई) को मुख्यमंत्री बनाने का संदेश पार्टी व वोटरो में बहुत ख़राब गया। पार्टी कार्यकर्ता भी हाशिए पर आते गए और नवआगंतुकों का पार्टी पर कब्जा हो गया।2) बासवराव बोम्मई कभी भी येदियुरप्पा के साए से बाहर नहीं निकल पाए और अपनी बड़ी व अच्छी छवि नहीं बना पाए। साथ में येदियुरप्पा की समानांतर सरकार चलती रही। मोदी - शाह का राज्यो में मैनेजर बैठाकर अपनी छवि के भरोसे चुनाव जीतने की रणनीति इस बार बिखर गयी।3) अटल आडवाणी युग के नेताओ को किनारे करने व भक्तों और लाभार्थी जाति के भरोसे बैठे मोदी शाह की जोड़ी ने जब जगदीश शेट्टियार को भी पार्टी छोड़ने पर मजबूर कर दिया तो पार्टी के परंपरागत समर्थकों व संघ के स्वयंसेवकों का मनोबल टूट ...
गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में विश्व को राह दिखाता भारत

गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में विश्व को राह दिखाता भारत

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भारत में विशेष रूप से कोरोना महामारी के बीच एवं इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा गरीब वर्ग के लाभार्थ चलाए गए विभिन्न कार्यक्रमों के परिणाम अब सामने आने लगे हैं। विशेष रूप से प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना के अंतर्गत देश के 80 करोड़ नागरिकों को मुफ्त अनाज की जो सुविधा प्रदान की गई है एवं इसे कोरोना महामारी के बाद भी जारी रखा गया है, इसके परिणामस्वरूप देश में गरीब वर्ग को बहुत लाभ हुआ है। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत में गरीबी के अनुमान पर एक वर्किंग पेपर जारी किया है। इस वर्किंग पेपर में अलग अलग मान्यताओं के आधार पर भारत में गरीबी को लेकर अनुमान व्यक्त किए गए हैं। इस वर्किंग पेपर के अनुसार, हाल ही के समय में भारत में 1.2 करोड़ नागरिक अतिगरीबी रेखा के ऊपर आ गए हैं। वर्ष 2022 में विश्व बैंक द्वारा जारी किए गए एक अन्य प्रतिवेदन के अनुसार, वर्ष 2011 में भारत में ...
द केरल स्टोरी: “अल्लाह सब ठीक करेगा’

द केरल स्टोरी: “अल्लाह सब ठीक करेगा’

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--------- #विजयमनोहरतिवारी यह भारत के दुर्भाग्य की कथाएँ हैं। अंतहीन दुर्भाग्य की रुला देने वाली आपबीतियाँ। यह किसी मिशनरी या मजहब की बात ही नहीं है। यह भारत को तिल-तिलकर नष्ट करने के प्रयासों की एक सामान्य सी झलक है, जो केरल की पृष्ठभूमि से सिनेमा के परदे पर प्रस्तुत हुई है। मैं "द केरल स्टोरी' की बात कर रहा हूँ। एक फिल्म, जो इन दिनों सर्वाधिक चर्चा में हर कहीं हाऊस फुल है। होनी भी चाहिए। मैंने इसे रिलीज होने के बाद चौथे दिन देखा। यह किसी कोण से किसी भी धर्म विशेष को अपमानित नहीं करती। धर्मांतरण भारत के लिए नया विषय नहीं है। छल और बल से यह होता ही रहा है। अखंड भारत के तीन टुकड़ों में जनसांख्यिकी का विस्तार सदियों के उसी फैलाव का फल है। यह फिल्म केरल में जारी धर्मांतरण के सर्वाधिक भयावह पक्ष को संसार के सामने लाती है। किसी पारसी, सिख, ईसाई या हिंदू कन्या से किसी मुस्लिम का...