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पावन चिंतन धारा आश्रम के युवा प्रकल्प

पावन चिंतन धारा आश्रम के युवा प्रकल्प

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES
पावन चिंतन धारा आश्रम के युवा प्रकल्प, यूथ अवेकनिंग मिशन द्वारा कॉन्स्टिट्यूशन क्लब, दिल्ली में स्वराज सभा का आयोजन किया गया। जिसका विषय था ‘कल्चरल कॉन्फ्लिक्टस एंड कॉन्स्टिट्यूशन’।  कार्यक्रम की कैंपेनिंग के समय विद्यार्थियों में सभा के विषयों तथा वक्ताओं को लेकर जो उत्सुकता और उत्साह अनुभव हुआ था वह दर्शकों के रूप में परिलक्षित भी हुआ। विधार्थी दिल्ली विश्वविद्यालय, गलगोटिया विश्वविद्यालय, एमिटी, एशियन लॉ कॉलेज, लॉयड एवम इंद्रप्रस्थ विश्विद्यालय से एकत्रित हुए तथा कही राज्यों से लॉ तथा राजनैतिक विज्ञान से जुड़े शोधकर्ता और अधिवक्ता भी स्वराज सभा में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम के प्रारंभ में परमपूज्य प्रोफेसर पवन सिन्हा 'गुरुजी' द्वारा विषय प्रस्तुति रखी गई जिसमें उन्होंने कहा समाज में सांस्कृतिक परिपेक्ष्य में बहुत से गंभीर मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिये, जो अब नही होती। समाज मे व...
मणिपुर त्रासदी

मणिपुर त्रासदी

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
                     वैसे तो इस घटना पर सभी चैनलों द्वारा व्यापक विमर्श रखा जा रहा है, वही दूसरी ओर राष्ट्रवादी विद्वानों में समूचे नार्थ-ईस्ट में एकमात्र असम के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी अगर छोड़ दी जाए तो सभी अन्य छः स्टेट के भौगोलिक, राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक सहित धार्मिक ज्ञान से शून्य ही देखा जाता है।  भारतीय संघीय ढाँचे में मणिपुर आजादी के दो वर्ष पश्चात ही एक रियासत के रूप में शामिल हुआ था। परन्तु इसे पूर्ण राज्य का दर्जा एक विशेष राज्य अधिनियम के तहत 1972 में किया गया था। कुछ लोग इसी कारण को मणिपुर या कहें, नॉर्थ-ईस्ट त्रासदी का कारण बताते हैं। जबकि जहाँ तक मेरा अध्ययन रहा है इस नॉर्थ ईस्ट के बारे में, "आजादी के साथ से यहाँ तेहरा शाशन प्रणाली" लागू रहा है। अभी तक इतिहास में एकमात्र बंगाल क्षेत्र में ही दोहरा शाशन प्रणाली का उल्लेख मिलता है, परन्तु हमारे भारत का यह ...
अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरें अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित कर सकती है

अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरें अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित कर सकती है

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दिनांक 3 मई 2023 को अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने यूएस फेड दर में 25 आधार बिंदुओं की वृद्धि करते हुए इसे 5.25 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है। मार्च 2022 के बाद से यूएस फेड दर में यह लगातार 10वीं बार वृद्धि की गई है एवं वर्ष 2007 के बाद से यूएस फेड दर अपने उच्चत्तम स्तर पर पहुंच गई है। हालांकि, अमेरिका में मुद्रा स्फीति को नियंत्रण में लाने के उद्देश्य से अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा यूएस फेड दर में वृद्धि की जा रही है परंतु अब उच्च ब्याज दरों का विपरीत प्रभाव अमेरिकी अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। हाल ही में दो अमेरिकी बैंकें, सिलिकोन वैली बैंक एवं सिग्नेचर बैंक असफल हो चुकी हैं एवं तीसरी बैंक फर्स्ट रिपब्लिक भी असफल होने की स्थिति में पहुंच गई थी, परंतु उसे समय रहते जेपी मोर्गन कम्पनी को बेच दिया गया। पेसिफिक वेस्टर्न बैक एवं वेस्टर्न अलाइन्स बैंक में भी तरलता की सम...
सामान्य जीवन का अंतिम दशक -अनुज अग्रवाल

सामान्य जीवन का अंतिम दशक -अनुज अग्रवाल

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बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि अपना काम करके जा चुकी है और किसान व फल- सब्ज़ी उत्पादक बस चुपचाप बर्बादी की दास्ताँ देख रहा है। हर तीन महीने में बदलने वाले मौसम ने पिछले तीन वर्षों में इतनी करवटे ली हैं जिसका कोई पैटर्न ही नहीं नज़र आ रहा। मौसम के बदलाव अब हर सप्ताह हो जाते हैं। लोग जाड़ा, गर्मी और बरसात सब एक साथ झेल रहे हैं। जीवाश्म ईंधनों के बढ़ते अतिशय प्रयोग व पेट्रोलियम व रासायनिक पदार्थों से बने उत्पाद (प्लास्टिक, कपड़े, रासायनिक खाद, कीटनाशक आदि) से निकली मीथेन व कार्बन डाईऑक्साइड आदि गैसों ने धरती के हजारो साल से बने बनाए संतुलन को बिगड़ दिया है और पृथ्वी का तापमान 1.5 डिग्री बढ़ने के क़रीब है। तीस हज़ार बर्षों से मानव एक स्थिर वायुमंडल में जी रहा था जिसको पिछले तीन दशकों के विकास ने पूरी तरह बिखेर दिया है। शायद यह आख़िरी दशक हो जिसको हम जैसे तैसे ठीक से जी भी पाएँ। हालाँकि इसक...
खिलाड़ी ही हों खेल महासंघों के अध्यक्ष

खिलाड़ी ही हों खेल महासंघों के अध्यक्ष

TOP STORIES, विश्लेषण
विनीत नारायणजब भी कभी किसी खेल महासंघ में कोई विवाद उठता है तो उसके पीछे ज़्यादातर मामलों में दोषी ग़ैर खिलाड़ीवर्ग से आए हुए व्यक्ति ही होते हैं। खेल और खिलाड़ियों के प्रति असंवेदनशील व्यक्ति अक्सर ऐसी गलती कर बैठतेहैं जिसका ख़ामियाज़ा उस खेल और उस खेल से जुड़े खिलाड़ियों को उठाना पड़ता है। यदि ऐसे खेल महासंघों केमहत्वपूर्ण पदों पर राजनेताओं या ग़ैर खिलाड़ी वर्ग के व्यक्तियों को बिठाया जाएगा तो उनकी संवेदनाएँ खेल औरखिलाड़ियों के प्रति नहीं बल्कि उस पद से होने वाली कमाई व शोहरत के प्रति ही होगी। ऐसा दोहरा चरित्र निभानेवाले व्यक्ति जब बेनक़ाब होते हैं तो न सिर्फ़ खेल की बदनामी होती है बल्कि देश का नाम भी ख़राब होता है।पिछले कई दिनों से देश का नाम रोशन करने वाली देश कि बेटियाँ दिल्ली के जंतर-मन्तर पर धरना दे रही हैं। इन्हेंआंशिक सफलता तब मिली जब देश की सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली पुलिस को ...
1 मई, मजदूर दिवस विशेष

1 मई, मजदूर दिवस विशेष

TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
दिहाड़ीदार मजदूरों की दुर्दशा के लिए जिम्मेवार कौन ?* (सामाजिक सुरक्षा कोष में तेजी लाने की आवश्यकता है ताकि देश के सबसे गरीब और कमजोर तबके को यह वित्तीय सुरक्षा की भावना प्रदान कर सके। एक मजदूर देश के निर्माण में बहुमूल्य भूमिका निभाता है। किसी भी समाज, देश संस्था और उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों की अहमियत किसी से भी कम नहीं आंकी जा सकती। इनके श्रम के बिना औद्योगिक ढांचे के खड़े होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती।) --- डॉo प्रियंका सौरभ, बदलते दौर में विभिन्न आपदाओ के कारण सबसे बड़ा संकट दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए हुआ है। जिनके बारे देश के अंदर बहुत ही कम चर्चा हुई और इनकी आर्थिक सहायता के लिए देश की सरकार ने कुछ नहीं सोचा। कोई संदेह नहीं कि देश का मजदूर वर्ग सबसे ज्यादा शोषण का शिकार है। दिहाड़ीदार मजदूर के लिए भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है। शहरों में रोजी-रोटी की तलाश...
जहरीले भाषणों की दिन-प्रतिदिन गंभीर होती समस्या

जहरीले भाषणों की दिन-प्रतिदिन गंभीर होती समस्या

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
  ललित गर्ग  कर्नाटक में चुनावों को लेकर नफरती सोच एवं हेट स्पीच का बाजार बहुत गर्म है। राजनीति की सोच ही दूषित एवं घृणित हो गयी है। नियंत्रण और अनुशासन के बिना राजनीतिक शुचिता एवं आदर्श राजनीतिक मूल्यों की कल्पना नहीं की जा सकती। नीतिगत नियंत्रण या अनुशासन लाने के लिए आवश्यक है सर्वोपरि राजनीतिक स्तर पर आदर्श स्थिति हो, तो नियंत्रण सभी स्तर पर स्वयं रहेगा और इसी से देश एक आदर्श लोकतंत्र को स्थापित करने में सक्षम हो सकेगा। अक्सर चुनावों के दौर में राजनीति में बिगड़े बोल एवं नफरत की राजनीति कोई नई बात नहीं है। चर्चा में बने रहने के लिए ही सही, राजनेताओं के विवादित बयान गाहे-बगाहे सामने आ ही जाते हैं, लेकिन ऐसे बयान एक ऐसा परिवेश निर्मित करते हैं जिससे राजनेताओं एवं राजनीति के लिये घृणा पनपती है। यह सही है कि शब्द आवाज नहीं करते, पर इनके घाव बहुत गहरे होते हैं और इनका असर भी दूर तक पहु...
नक्सल समस्या : निगरानी में चूक

नक्सल समस्या : निगरानी में चूक

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण, सामाजिक
कभी मध्यप्रदेश का हिस्सा रहे छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में पिछले दिनो एक बार फिर हुए नक्सली हमले के निष्कर्ष साफ हैं कि सरकारों के दावों के बावजूद नक्सलियों की ताकत पूरी तरह कम नहीं हुई है, इस लिहाज़ से मध्यप्रदेश में मुस्तैदी की ज़रूरत है । बार-बार बड़ी संख्या में जवानों को खोने के बावजूद अतीत की घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखे गए हैं। दुर्भगाय, संचार क्रांति के दौर में मुकाबले के लिये उपलब्ध संसाधनों व हथियारों के बावजूद सरकार यदि उनके हमलों का आकलन नहीं कर पा रही हैं तो यह राज्यों के खुफिया तंत्र की विफलता का ही परिचायक है। सफल ऑपरेशन करके लौट रहे रिजर्व बल के जवानों का बारूदी सुरंग की चपेट में आना बताता है कि यह नक्सलियों की हताशा से उपजा हमला तो था ही, आगे की चुनौती और बड़ी है । इसमें कोई संदेह नहीं है कि हाल के दिनों में देश के कई इलाकों में सुरक्षाबलों के साझे अभियानों में नक्सलियों...
सम्राट चार्ल्स का राज्याभिषेक

सम्राट चार्ल्स का राज्याभिषेक

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
आर.के. सिन्हा भारत के मित्र और ब्रिटेन के नए बनने जा रहे  सम्राट चार्ल्स-तृतीय के आगामी 6 मई को होने वाले राज्याभिषेक में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी उपस्थित रहेंगे। सम्राट चार्ल्स का राज्याभिषेक उस वक्त हो रहा है जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भारत मूल के श्रषि सुनक हैं। सुनक की पत्नी भारत के प्रख्यात उद्योगपति एन. नारायणमूर्ति की सुपुत्री अक्षता हैं। यह भी मानना होगा कि दोनों देशों के आपसी संबंधों को मज़बूत रखने में ब्रिटेन में बसे हुए 15-16 लाख प्रवासी भारतीयों की अहम भूमिका तो रही ही है। इनमें अफ्रीकी और कैरिबियाई  देशों से आकर बसे भारतीय मूल के लोग भी हैं। ये सब ब्रिटेन और भारत के बीच एक पुल का काम कर रहे हैं। प्रवासी भारतीय ब्रिटेन में हर क्षेत्र में मौजूद हैं। अब चाहे वो व्यापार, राजनीति, खेल का क्षेत्र हो या कोई और, इन्होंने सबम...
पहलवानों और WFI का विवाद (व्याख्या)

पहलवानों और WFI का विवाद (व्याख्या)

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
पहलवानों और WFI का विवाद (व्याख्या) इस पूरे विवाद में, 4 पक्ष हैं: बृज भूषण सिंह - भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष कुछ प्रमुख विरोध करने वाले पहलवान - बजरंग पुनिया, विनेश फोगट, साक्षी मलिक दीपेंद्र हुडा4 गिद्ध 2011 में, रेसलिंग फेड ऑफ इंडिया (WFI) के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुए - जम्मू-कश्मीर के पहलवान दुष्यंत शर्मा जीत गए और अध्यक्ष बने - हरियाणा कुश्ती फेड ने इस चुनाव को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी और केस जीता कोर्ट ने फिर से चुनाव कराने को कहा कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा WFI का अध्यक्ष बनना चाहते थे -BBS सिंह ने भी चुनाव लड़ने का फैसला किया, उस समय वह समाजवादी पार्टी में थे -उन्होंने मुलायम सिंह से मदद मांगी, मुलायम ने अहमद पटेल से बात की।उस समय कांग्रेस सपा के समर्थन से सत्ता में थी-अहमद पटेल ने दीपेंद्र हुदा को पीछे हटने के लिए कहा उन्होंने भारी मन से नामांकन ...