राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सकारात्मक पहल*
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत जी अपने क्रान्तिकारी निर्णयों के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने ही संघ वेशभूषा में परिवर्तन करके कार्यकर्ताओं की निक्कर वाली छवि को बदलकर पेंट पहनने की सुविधा प्रदान की। अब उनका स्वप्न तथा आगामी लक्ष्य संघ के सिद्धान्तों को वर्ष 2025 तक भारत के प्रत्येक नगर तथा गांव-गांव में पहुँचाने का है। इसी उद्देश्य की प्राप्ति हेतु उन्होंने संघ को मुस्लिम जनता के हृदय में स्थान प्राप्त करने हेतु आगे बढ़ाया है वो वास्तव में देशहित में अत्यधिक प्रशंसनीय कार्य है, जिसकी देश का प्रत्येक बुद्धिजीवी मुक्तकंठ से प्रशंसा कर रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता श्री इन्द्रेश जी विगत कई वर्षों से मुस्लिम जनसंख्या को संघ से जोड़ने के कार्य में लगे हुए हैं। इसी के अन्तर्गत उन्होंने कई मुस्लिम बेटियों की शादी हिन्दु परिवारों में कराई जो आज अपना जीवन सुखपूर्वक व्यतीत कर रहीं हैं।
संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत जी ने भी अब मुस्लिमों के हृदय में प्रवेश करने का निश्चय किया है। इसी लक्ष्य की पूर्ति हेतु उन्होंने मुस्लिम बुद्धिजीवी वर्ग जैसे – सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जमीरूद्दीन शाह, पूर्व चुनाव आयुक्त एस0वाई0 कुरैशी, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व सांसद और पत्रकार शाहिद सिद्दीकी और उद्योगपति सईद शेरवानी से मिलकर उनके साथ कई बैठकें आयोजित की एवं उनके मन से संघ के प्रति पूर्व दुर्भावनाओं को समाप्त करने का प्रयास किया, तत्पश्चात अखिल भारतीय इवाम संघठन के अध्यक्ष श्री ईलयासी जी के साथ 1 घंटे बैठक कर उन्हें इतना प्रभावित कर दिया कि ईलयासी ने भेंट कुछ समय पश्चात ही उनको राष्ट्रपिता अथवा राष्ट्रनायक के नाम से सम्बोधित करना प्रारम्भ कर दिया। यह संघ प्रमुख मोहन भागवत जी के व्यक्तित्व का ही प्रथाव था कि ईलयासी जैसे व्यक्ति एक छोटी भेंट में ही उनसे अत्यन्त प्रभावित हो गए।
श्री मोहन भागवत जी का यह प्रयास यदि सफल हो जाता है तो निःसन्देह भारत में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की एक मिसाल अतिशीघ्र ही लिखी जाएगी और सम्पूर्ण देश पुनः स्वतंत्रता से पूर्व वाली हिन्दु-मुस्लिम एकता के इतिहास को दोहराएगा। यदि सम्पूर्ण देशवासी जाति-पाति के बंधन तोड़कर देशप्रेंम हेतु एक-दूसरे के साथी बनेंगे तो भारत को विश्वगुरू बनने से कोई नहीं रोक पाएगा, जिसका स्वप्न आज सभी देशवासी देख रहें हैं।
*योगेश मोहन*