कांग्रेस ने हार से क्या सीखा? या कांग्रेस की हार के क्या कारण रहे पर बहस जारी है। जो सामान्य बात निकलकर आई है वो यह है – “भ्रष्टाचार के कारण देशभर में हुई बदनामी से सत्ता गंवाने के बावजूद कांग्रेस ने सबक नहीं सीखा है।“ कांग्रेस के केंद्र और ज्यादातर राज्यों से सत्ता बाहर होने के कारणो एक प्रमुख कारण भ्रष्टाचार रहा है। कर्नाटक कांग्रेस की सरकार के जमीनों में बंदरबांट इसका नया उदाहरण है। इसके चलते मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष मारी गौड़ा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उल्लेखनीय है कि उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी बीएन पार्वती और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ चल रहे भूमि घोटाले की जांच राज्य और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की जा रही है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर लोकायुक्त और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच की जा रही है। सिद्धारमैया और उनकी पत्नी बीएन पार्वती पर मैसूरु के विजयनगर क्षेत्र में 14 प्लॉट आवंटित किए गए प्लॉट को लेकर सवाल उठे थे। सिद्धारमैया की पत्नी ने प्लॉट लौटाने की पेशकश की थी जिसे वापस लेने पर प्राधिकरण ने सहमति जताई।
मुख्यमंत्री के जमीन आबंटन में हेराफेरी की जांच के बीच मल्लिकार्जुन खडग़े ने कर्नाटक द्वारा आबंटित जमीन लौटा दी। यह विवाद मार्च 2024 में शुरू हुआ, जब कर्नाटक कांग्रेस सरकार ने राहुल खडग़े की अध्यक्षता वाले सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को जमीन दी। विचाराधीन भूमि मल्लिकार्जुन खडग़े के बेटे राहुल एम. खडग़े को कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) द्वारा बगलूर में हाईटेक डिफेंस एंड एयरोस्पेस पार्क के हार्डवेयर क्षेत्र में आबंटित की गई थी। कांग्रेस का शायद ही ऐसा कोई वरिष्ठ नेता होगा जिस पर भ्रष्टाचार के आरोप और मामले दर्ज नहीं किए गए हैं।
सर्व विदित है कांग्रेस पार्टी के कनिष्ठ से लेकर शीर्ष तक के नेताओं के खिलाफ गंभीर मामले चल रहे हैं। यहां तक कि पार्टी चलाने वाली पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी भी जमानत पर चल रहे हैं। भ्रष्टाचार के मामलों को देखें तो दिल्ली से लेकर हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से लेकर महाराष्ट्र तक के बड़े कांग्रेस नेता सीबीआई, इनकम टैक्स और ईडी जैसी एजेंसियों के निशाने पर हैं। हालांकि कांग्रेस अपने नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार करती रही है। पार्टी का कहना है कि बीजेपी की मोदी सरकार राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है।
करोड़ों की एंबुलेंस खरीद में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदम्बरम, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एए खान, श्वेता मंगल, शफी माथेर और निदेशक एनआरएचएम के विरुद्ध 2013 तक एनआरएचएम के तहत एंबुलेंस खरीदने में हुई धांधली का मामला दर्ज किया गया था। एंबुलेंस खरीदने के लिए जो टेंडर जारी किया गया, उसमें गड़बड़ी की गई थी। इस मामले में 31 जुलाई 2014 को जयपुर के अशोक नगर थाना पुलिस ने जयपुर नगर निगम के पूर्व मेयर पंकज जोशी की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था।
कर्नाटक में कांग्रेस के दिग्गज नेता डीके शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति दर्ज करने का मामला चल रहा है। 2017 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने डीके शिवकुमार के 64 ठिकानों पर जबरदस्त छापेमारी की थी। टैक्स चोरी की शिकायतों पर यह कार्रवाई हुई थी। उस दौरान डीके शिवकुमार व अन्य कांग्रेस नेताओं ने राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाया था। इसी तरह हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह के खिलाफ भी केंद्रीय एजेंसियों ने जांच की। सितंबर 2015 में उनकी बेटी की शादी के दिन सीबीआई ने छापेमारी कर खलबली मचा दी थी।
एक मामला अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से 36 अरब रुपए के 12 वीआईपी हेलिकॉप्टर खरीदने से जुड़ा है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले को पिछली मोदी सरकार में उठाया था, जिसके बाद घमासान मचा था। नेशनल हेराल्ड केस-2011 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेता फंसे हैं। आरोप है कि कांग्रेस के पैसे से 1938 में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नाम की कंपनी खड़ी की गई, जो नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज नामक तीन अखबारों का संचालन करती थी। एक अप्रैल 2008 को सभी अखबार बंद हो गए। इसके बाद कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ रुपए की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था। मतलब पार्टी ने इसे 90 करोड़ का लोन दे दिया। इसके बाद 5 लाख रुपए से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 प्रतिशत हिस्सेदारी है। बाद में घालमेल कर यंग इंडियन के कब्जे में एजेएल कंपनी को कर दिया गया। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया यानी यंग इंडियन को एक प्रकार से मुफ्त में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नाम की कंपनी का मालिकाना हक मिल गया।
आश्चर्य की बात यह है कि लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने कभी भी भ्रष्टाचार को जड़ से उखाडऩे का वादा नहीं किया। यही वजह रही कि कांग्रेस इस मुद्दे पर भाजपा के निशाने पर रही है। प्रधानमंत्री मोदी भी कई भाषणों में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के जमानत पर बाहर होने पर चुटकी लेते रहे हैं। संसद के बीते बजट सत्र के दौरान जब कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने कहा था कि भ्रष्टाचार के मामले हैं तो गिरफ्तार क्यों नहीं करते, तब पीएम मोदी ने हंसते हुए कहा था- जमानत पर हैं तो एन्जॉय करिए। जब तक कांग्रेस भ्रष्टाचार के मामलों में कठोरता की नीति नहीं अपनाएगी, तब तक देश पर राज करने का उसका ख्वाब पूरा नहीं होगा।