लिज ट्रस के मस्तिष्क पर कांटो का ताज*
ब्रिटेन, विश्व के सर्वाधिक खुशहाल देशों में से एक है। अतीत में एक छोटे से देश ब्रिटेन का झण्डा संसार के सभी स्थानों पर फहराया जाता था और सम्पूर्ण विश्व उसके आगे नतमस्तक था। ब्रिटिश शासक, अपने अधीन देशों से उनकी बहुमूल्य सम्पदा को लूटकर ब्रिटिश राजकोष में भरते थे। ब्रिटेन देश, जहाँ पर सम्पूर्ण विश्व से लूटे हुए धन का अर्जन किया जा रहा हो, उसका खुशहाल होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। परन्तु लूट के धन से प्राप्त की गई खुशहाली सदैव ही अस्थायी होती है एवं परिश्रम के फलस्वरूप प्राप्त की गई खुशहाली स्थायी होती है। ब्रिटिश राज्य आज इसी समस्या का सामना कर रहा है।
कंजर्वेटिव पार्टी के प्रधानमंत्री बोरिस जान्सन की त्रुटिपूर्ण नीतियों के कारण जनता का विरोध असहनीय हो गया था। अतः राष्ट्र को सुचारू रूप से चलाने हेतु पार्टी के लिए ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री चुनना आवश्यक हो गया। देश के भावी प्रधानमंत्री हेतु चार प्रत्याशियों को चुना गया, जिनमें से दो उम्मीदवार, लिज ट्रस एवं ऋषि सुनक के बीच अन्तिम समय तक कड़ा मुकाबला देखने को मिला और जिसके अन्तर्गत लिज ट्रस को पार्टी ने विजेता घोषित किया।
प्रधानमंत्री लिज ट्रस के समक्ष आज सबसे बड़ी चुनौती, पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जान्सन के कुशासन के कारण, सड़को पर आई हुई जनता को शांत करना एवं देश की आर्थिक स्थिति को सुदृण करना है। यदि वे देश की आशानुरूप अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो पाती हैं तो, उनका भी हश्र पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जान्सन के सदृश ही होगा।
जहाँ तक भारत और ब्रिटेन के संबंधो का प्रश्न है, उसमें लिज के विदेशमंत्री काल में दोनों देशों के परस्पर मधुर संबंध शीर्ष स्तर पर पहुँच चुके थे। आज सम्पूर्ण विश्व भारत को अत्यन्त सम्मान के साथ देखता है, अतः ब्रिटेन का कोई भी प्रधानमंत्री बने, भारत से मधुर संबंध रखना उसकी मजबूरी बन चुका है। अब ब्रिटेन में जिसको भी शासन करना है, उसको भारतीय मूल के व्यक्तियों का सहयोग लेना आवश्यक है। सम्पूर्ण विश्व के समान ब्रिटेन को भी भारत देश से व्यापार करना एक विवशता बन चुकी है। भारत देश द्वारा प्रगतिशील देशों के मध्य अपनी एक अलग पहचान बनाई जाने के कारण, ब्रिटेन को भारत के संसाधनों पर निर्भर रहना होगा। ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री लिज ट्रस अपने उद्देश्य में कितना सफल हो पाती हैं, यह तो भविष्य ही तय करेगा, परन्तु इतना अवश्य है कि उनके लिए प्रधानमंत्री पद का सफर आसान नहीं होगा।