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राहुल गांधी जैसे विधर्मियों, ईसाईयो व कसाइयों को मठ-मंदिरों में प्रवेश से वंचित करो

राष्ट्र-चिंतन* 

 *आचार्य श्री विष्णुगुप्त* 

राहुल गांधी अभी-अभी उज्जैन के महाकाल मंदिर में घुसा और दर्शन के नाम पर भरपूर मनोरंजन किया। राहुल गांधी के इस मनोरंजन खेल को न तो मूर्ख हिन्दू समझेंगे और न ही सेक्युलर हिन्दू समझेंगे, महाकाल जैसे मंदिरों के पुजारियों और मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य भी नहीं समझेंगे। उपर्युक्त टिप्पनियां सोशल मीडिया पर खूब चली, इस तरह की टिप्पणियों के सहचर लोगों का गुस्सा यह है कि राहुल गांधी जैसे विधर्मियों और गैर हिन्दुओं का प्रवेश मंदिरों और मठों में क्यों होना चाहिए? विधर्मियों और गैर हिन्दुओं का मठ-मंदिरों में प्रवेश उसी तरह से निषेध होना चाहिए जिस तरह से मक्का मदीना में गैर मुसलमानों का प्रवेश निषेध है। यानी कि अब स्वाभिमानी हिन्दू अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए मक्का-मदीना जैसा विकल्प चाहते हैं।

           ईसाई और मुस्लिम दुनिया के लोग जो साजिश रच कर चल रहे हैं, जिनके निशाने पर हिन्दुत्व की अस्मिता है उनके साथ मूर्ख हिन्दू, सेक्युलर हिन्दू और मंदिर के पुजारी व मंदिर की प्रबंधन समिति सहचर बन गये हैं। खास कर महाकाल मंदिर के पुजारियों और महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति से यह पूछा जाना चाहिए कि जब मक्का-मदीन में कोई हिन्दू जा नहीं सकता तब राहुल गांधी जैसे विधर्मी और हिन्दू विरोधी कैसे मंदिरों में दर्शन करने के नाम मनोरंजन करने पहुंच जाते हैं? राहुल गांधी जैसे लोग सीधे तौर पर हिन्दुत्व के विध्वंस का न केवल सपना देखते हैं बल्कि हिन्दुत्व को दफन करने के हथकंडे भी अपनाते रहें हैं। जिस तरह से पूरी के मंदिर में गैर हिन्दुओं यानी मुसलमान-ईसाईयों का प्रवेश वर्जित उसी तरह से देश के हर विख्यात और अविख्यात मंदिरों में भी ईसाईयों और मुसलमानों का प्रवेश बंद होना चाहिए। अगर हम अपने मंदिरों में राहुल गांधी जैसे विधर्मियों का प्रवेश वर्जित नहीं करेंगे तो फिर हिन्दुत्व वर्तमान की तरह को कुचला जाता रहेगा और अपमानित होता रहेगा, बहुुत जल्द ही देश का इस्लामीकरण भी हो जायेगा। इस तरह का विश्वास हिन्दुओं के अंदर में राज कर रहा है।

           राहुल गांधी कैसा हिन्दू है? इसका भी परीक्षण क्यों नहीं होना चाहिए। इसका भी एक प्रमाण देख लीजिये। इनके पिता हिन्दू नहीं थे। इनके दादा मुसलमान थे। राहुल गांधी के दादा का नाम फिरोज खान था। फिरोज खान का बेटा राजीव गांधी भी मुसलमान ही था, क्योंकि उसके पिता फिरोज खान का मजहब इस्लाम था। राजीव गांधी को लेकर एक बहुत बड़ी घटना राजनीतिक चर्चा में रही है जो उनके हिन्दू नहीं होने का प्रमाण देती है। जम्मू-कश्मीर में एक सभा में फारूख अब्दुला ने राजीव गांधी के बारे संबोधन दिया था कि ये हिन्दू नेता हैं। राजीव गांधी ने तब फारूख अब्दुला के मंच से यह कहकर तहलका मचा दिया और लोगों को आश्चर्य में डाल दिया था कि वे किसी प्रकार से हिन्दू नही हैं। राजीव गांधी के नाना जवाहरलाल नेहरू कहते थे कि वे हिन्दू नही बल्कि मुसलमानों के ज्यादा नजदीक हैं और उन्हें इस्लाम सर्वश्रेष्ठ धर्म लगता है। जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू के भी हिन्दू नहीं होने और उनके मुसलमान होने की चर्चा होती है, कहानिया राजनीति में तैरती रही है। नेहरू खानदान पर सिख गुरूओं की हत्या कराने और मुगलों की गुलामी करने के भी आरोप से संबंधित अनेक पंजाबी लोकउक्तियों में कहानियां हैं।

              राहुल गांधी ने एक बार कहा था कि वे ब्राम्हण है और उसका गोत्र दत्तात्रय है। एक मुसलमान फिरोज खान का पोता ब्राम्हण कैसे हो सकता है, उसका गोत्र दत्तात्रय कैसे हो सकता है? कभी आपने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भाई-बहन का त्यौहार रक्षाबंधन मनाते हुए देखा है? कभी आपने राहुल गांधी को अपने घर पर दीवाली का त्यौहार मनाते हुए देखा है, क्या राहुल गांधी को कभी नवरात्रा के दौरान फलहार का आयोजन करते हुए देखा है, क्या राहुल गांधी को कभी श्रावण मास में शिव जलयात्रा करते हुए देखा है? इसके विपरीत आप इनकी मुस्लिम-इस्लामिक निकटता देखिये। ये हर साल मुस्लिम रोजा का आयोजन करते थे , जिसमें जिहादी संस्कृति के लोग शामिल होते हैं और कश्मीरी आतंकवादियों के हितैषी भी शामिल होते रहे हैं। इसके अलावा इन्होंने मुस्लिम कट्टरपंथी बुद्धिजीवियों के साथ गिरोहबंदी भी खूब जमकर की है। उर्दू अखबारों की एक मीटिंग में राहुल गांधी ने अपने आप को मुस्लिम हितैषी और कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी बताया था। उर्दू अखबारों में इस तरह की खबर जमकर छपी थी।

             राहुल गांधी के हिन्दू विरोधी होने का कोई एक नहीं बल्कि अनेक प्रमाण है। पहला प्रमाण यह है कि राहुल गांधी ने अमेरिकी प्रतिनिधि से कहा था कि भारत को मुस्लिम आतंकवादियों से नहीं बल्कि हिन्दू धर्म के लोगों से खतरा है, अमेरिकी प्रतिनिध ने अपनी पुस्तक में इस सच्चाई को बतायी थी। दूसरा प्रमाण यह है कि इन्होंने रामसेतु को तोड़ने के लिए अपनी सरकार की नीति का अप्रत्यक्ष समर्थन किया था। जानना यह है कि यूपीए की सरकार के दौरान तत्कालीन मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा देकर कहा था कि रामसेतु मानव निर्मित है, इसका कोई प्रमाण नहीं है और राम भगवान थे, इसका भी कोई प्रमाण नहीं है। राहुल गांधी ने कभी भी मुस्लिम आतंकवाद का नाम लिया पर हमेशा हिन्दू आतंकवाद का अफवाह उड़ाता रहा है। राममंदिर पर फैसले न आये, इसके लिए कपिल सिब्बल सहित कई वकीलों को खड़ा किया था। यह भी जान लीजिये कि उन्होंने हिन्दुओं की एकता तोड़ने और हिन्दुओं को कमजोर करने के अनेक हथकंडे अपनाये हैं। अभी-अभी अपनी कथित भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हिन्दुओं को खंडित करने की एक योजना का श्रीगणेश इन्होंने किया है। राहुल गांधी को आदिवासियों को जनजाति कहने पर आपत्ति है। यानी की आदिवासी हिन्दू नहीं है। जानना यह भी जरूरी है कि ईसाई मिशनरी, आदिवासी हिन्दू नहीं हैं का अभियान चलाते हैं। इसके अलावा कर्नाटक में एक महत्वपूर्ण वर्ग और जाति को भी हिन्दुत्व से अलग करने की इन्होंने कोशिश की थी। हालांकि कर्नाटक की सजग हिन्दुओं इनकी कोशिश पर जनादेश का बुलडोजर चला दिया था। गुजरात दगे को लेकर इन्होंने हिन्दुओं को अपमानित करने की कोई कोशिश नहीं छोड़ी थी, हिन्दुओं को बर्बर, हिन्दुओं को हिंसक कहने की बार-बार नीति अपनायी। इनकी माता सोनिया गांधी संहारक शब्द का प्रयोग बार-बार करती थी और संहारक शब्द प्रयोग कर गुजरात के हिन्दुओं को अपमानित करती थी।

                राहुल गांधी हिन्दुओं के लिए रंगा सियार ही नहीं बल्कि एक हिंसक और बर्बर शिकारी है। हर शिकारी बर्बर ही होता है, हिंसक ही होता है, हथकंडे अपनाने वाला होता है, साजिश करने वाला होता है। साजिश नहीं करेगा, हथकंडे नहीं अपनायेगा तो फिर शिकार कैसे फंसेगा? इसीलिए शिकारी पहले जाल बिछाता है, दाना डालता है, इसके बाद दाने के चक्कर में पंक्षी या जानवार खुद फंस जाता है। इसी कहावत की तरह राहुल गांधी के शिकारी जाल में मूर्ख, सेक्युलर और जातिवादी हिन्दू फंस जाते हैं। जैसे राहुल गांधी जब जनेउ दिखाता है और अपने आप को दतात्रय गोत्र वाला ब्राम्हण कहता है तो कुछ ब्राम्हण भ्रम के शिकार हो जाते हैं, कुछ गर्व से भर जाते हैं, कुछ बाम्हण चमत्कृत भी हो जाते हैं। मूर्ख हिन्दू कांग्रेस और इनके खानदान से चमत्कृत होकर राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल आदि राज्यों में सरकार बनवा देते हैं। जब राहुल गांधी अपने माथे पर चन्दन लगाता है, मनोरंजन करने मंदिर जाता है, तब कुछ हिन्दू राहुल गांधी को हिन्दुत्व का हितैषी मान बैठते हैं।

             हिन्दुत्व के पुनर्जागरण ने राहुल गांधी की मुस्लिम-ईसाई खानदान ही नहीं बल्कि बडे-बडे सेक्युलर और कसाई गिद्धों के होश भी ठिकाने लगा दिये हैं, जो बड़े-बडे मठाधीश टीवी चैनलों पर बैठ कर ईसाई और कसाई की अस्मिता के बात करते थे की भी दुकानदारी बंद करा दिया और उनके मुंह पर जाल लगा दिया है। कांग्रेस की लूटिया ही डूब चुकी है। अब ईसाई और कसाई की इच्छा है कि हिन्दुत्व को उसके ही हथियार से मारा जाये, यानी कि हिन्दुओं की एकता को तोड़ना और हिन्दुओं को आपस मे लडाना और हिन्दुओं को जातियों में बांटना, इसके साथ ही साथ कांग्रेस और फिरोज खान के परिवार को हिन्दुत्व की हितैषी बनाने का भ्रम फैलाना। अगर कुछ प्रतिशत हिन्दू राहुल गांधी से चमत्कृत हो गये तो फिर भारत में आठ सौ साल के बाद स्थापित हिन्दू समर्थक सत्ता विध्वंस को प्राप्त कर सकती है, मिट्टी में मिल सकती है।

             राहुल गांधी जैसे विधर्मियों को मठ-मंदिरों में प्रवेश वर्जित करने पर कैसा परिणाम निकलेगा, क्या इससे हिन्दुत्व संरक्षित होगा, क्या इससे भारत को कसाई और ईसाई देश में तब्दील होने से रोका जा सकता है? अगर ऐसा हुआ तो निश्चित तौर पर विधर्मी फिर हिन्दू धर्म के खिलाफ बोलना और प्रत्यक्ष हथकंडे अपनाना बंद कर देंगे, उन्हें हिन्दुओं की एकता का डर भी होगा। क्या आपने मुस्लिम एकता के सामने लालू, अखिलेश और सोनिया गांधी के साथ ही साथ मृत इन्दिरा गांधी, मुलायम सिंह यादव, रामबिलास पासवान, करूणाकरण, करूणानिधि आदि को मुसलमानों के खिलाफ बोलने, मुसलमानों को आतंकवाद के प्रतीक बताने आदि का साहस करते हुए देखा था ? क्या हिन्दू आतंकवाद का अफवाह उड़ाने वाली सोनिया, भाई-बहन प्रियंका और राहुल गांधी को मुस्लिम आतंकवाद शब्द का प्रयोग करने का साहस करते हुए सुना है?

         राहुल गांधी जैसे विधर्मियों को न केवल हिन्दू मठ-मंदिरों में जान से वंचित किया जाये बल्कि इनकी मृत्यु के बाद भी इन्हें हिन्दू संस्कार से वंचित किया जाये। इसके लिए मठ मंदिरों के पुजारियों और प्रबंधन समितियों के साथ ही साथ हिन्दुओं की एकता का भी प्रदर्शन अनिवार्य है।

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