भारत में जीएम सरसों के फ़ील्ड ट्रायल को स्वीकृति”
यह समाचार सुनकर आज बड़े बड़े Hospitals, Doctors और Medical Industry खुशी से नाच रहे होंगे ।
अब शुरू होगा असली खेल ।
दवाईयों का कारोबार बढ़ेगा , Hospitals के भविष्य का इंतेजाम हो गया , Doctors ने अभी अपनी पत्नी बच्चों के लिए Yorkshire में Luxury घर बुक कर दिया होगा ।
इसी वर्णसंकरता के चलते आज कोई भी वनस्पति औषधि सब्जी फल अपने मूल रूप में नहीं बचे हैं ।
पहले धनिया बस घर में आ जाता था तो पूरा घर महकता था । बस एक पत्ती डल जाए किसी भी भोजन में तो पता लग जाता था , आज हम धनिया की जगह घास खाते हैं ।
पहले चने की पत्ती खा लो तो इतनी स्वादिष्ट और खट्टी और आज ऐसे लगता है जैसे घास खा रहे हैं ।
पहले एक टमाटर भोजन में डाल दो तो स्वाद आ जाता था , आज टमाटर ऐसे ही खा लो या 10 टमाटर भी भोजन में डाल दो वह स्वाद नहीं दे पाता ।
पहले मूली , पालक , चौलाई , चावल , गेहूँ , बाजरा , हल्दी , मसालों में वह स्वाद रहता था कि मनुष्य तृप्त हो जाता था , अरे लोग चटनी से ही रोटियाँ खा लेते थे । आज हज़ारों व्यंजन होने के बावजूद भी तृप्ति नहीं मिलती ।
पहले एक रोटी खा लो तो लगता था दीवार फोड़ देंगे , आज दस दस रोटी खाने के बावजूद भी शरीर में वह ऊर्जा नहीं ।
यह वर्णसंकरता कलियुग की विशेषता है ।
शास्त्रों में कलियुग के वर्णन में यही लिखा है कि मनुष्य तो वर्णसंकरता को प्राप्त होंगे ही होंगे लेकिन सभी जीव वनस्पति और औषधियों में भी यही वर्ण संकरता आ जायेगी जिसके कारण वह अपना गुण विशेष्य खो देंगे ।
इन्हीं वर्णसंकर अन्न का भक्षण करके मनुष्य के तन और मन दोनों का ह्रास होगा । बुद्धि विवेक सब नष्ट होगा और मनुष्य की आयु दिन प्रतिदिन कम होती जाएगी ।
रोगों से ग्रसित मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता न्यूनतम होते होते अंततः खत्म हो जाएगी ।
और इसीलिए कलियुग में मनुष्यों की आयु घटते घटते 16 वर्ष तक आ जायेगी ।
लड़कियों को 6 से 7 वर्ष की अवस्था में ही मासिक धर्म आना शुरू हो जाएगा और लड़के इसी उम्र में संतानोत्पत्ति करने लगेंगे ।
इसीलिए उदाहरण देते हुए यह समझाया गया है कि कालांतर में मनुष्य की ऊंचाई इतनी कम हो जाएगी कि वह लग्गी ( डंडे ) से बैगन तोड़ेंगे ।
कृपया जिनमें अभी विवेक जागृत है , वह अभी से मूल देसी बीजों को संरक्षित करना शुरू कर दें और इन विषमयी GMO से बचें , वर्णसंकर हर जीव चाहे वह मनुष्य हो या वनस्पति हो या कुत्ता बिल्ली , गाय या जो कुछ भी हो उससे बचे रहें ,तभी आपका जीवन सुखमय हो पायेगा ।
मुझे पता है अब वर्णसंकर लोग आकर मेरा विरोध करना शुरू करेंगे ।
लेकिन करो , जिसको बात पहुंचानी थी , उस तक पहुँच ही जाएगी ।
कोई तो अवश्य होगा जिसकी चैतन्यता अभी नष्ट नहीं हुई होगी ।
- Shwetabh Pathak ( श्वेताभ पाठक )