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अशोक गहलोत की जादूगरी में फंस गया गांधी परिवार।

अशोक गहलोत की जादूगरी में फंस गया गांधी परिवार।

अपनी सरकार की कामयाबी के लिए गहलोत अब मोदी सरकार के गृहमंत्री अमित शाह से भी सहयोग लेने को तैयार।
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8 अक्टूबर को कांग्रेस की भारत जोड़ों यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि राजस्थान में यदि उद्योगपति गौतम अडानी का फेवर किया गया तो वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ भी खड़े हो जाएंगे। वहीं 8 अक्टूबर को ही जयपुर में गहलोत ने कहा कि विकास के लिए उनकी सरकार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पुत्र जयंत शाह की मदद भी लेने को तैयार हैं। राहुल और गहलोत के बयान से जाहिर है कि अब कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार और अशोक गहलोत के बीच दरार बढ़ गई है। सब जानते हैं कि अडानी और अंबानी को लेकर राहुल गांधी मोदी सरकार पर हमलावर रहते हैं। लेकिन वहीं कांग्रेस शासित राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत अडानी-अंबानी को राजस्थान के विकास में सहायक मानते हैं। असल में अब गांधी परिवार सीएम गहलोत की जादूगरी में फंस गया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के चयन के दौरान गहलोत की जो भूमिका सामने आई उससे राहुल गांधी बेहद खफा हैं। इसके बाद 25 सितंबर को जब जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं हो सकी तब गांधी परिवार और गहलोत के बीच और दूरी बढ़ गई। अशोक गहलोत खुद मानते हैं कि गांधी परिवार ने उन्हें कभी भी बिना पद के नहीं रखा है। लेकिन अब वही अशोक गहलोत गांधी परिवार की सख्ती को लगातार चुनौती दे रहे हैं। राजस्थान में इनवेस्ट समिट में जिस प्रकार सरकार ने उद्योगपति अडानी के लिए रेड कारपेट बिछाया उससे राहुल गांधी भी असहज नजर आ रहे हैं। हालांकि राहुल गांधी ने भी यह कहा है कि राजस्थान में अडानी को सरकार का फेवर नहीं है। राजस्थान में अडानी जो निवेश कर रहे हैं वह नियमानुसार है। सवाल उठता है कि गौतम अडानी जब केंद्र सरकार के माध्यम से कोई निवेश करते हैं तो राहुल गांधी यह मानते हैं कि यह निवेश अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है। सवाल उठता है कि एक व्यक्ति पर दोहरा मापदंड कैसे हो सकता है? यदि अडानी मोदी सरकार से नाजायज फायदा ले रहे हैं तो फिर राजस्थान में भी उसी प्रवृत्ति के साथ काम करेंगे। राहुल गांधी माने या नहीं लेकिन अब सरकारी कामकाज पारदर्शिता के साथ होता है। अडानी समूह ने मोदी सरकार से हवाई अड्डे, बंदरगाह आदि जो लीज पर लिए हैं, उनके अंतर्राष्ट्रीय टेंडर हुए हैं। इसी प्रकार अडानी ने राजस्थान में सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में जो निवेश किया है उसमें भी टेंडर की प्रक्रिया अपनाई गई है। सीएम अशोक गहलोत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि गौतम अडानी जैसे उद्योगपति पूरी ईमानदारी के साथ कारोबार करते हैं। अडानी पर बेईमानी करने के जो आरोप लगाए जा रहे हैं वे सही नहीं है। इसमें कोई दो राय नहीं कि गहलोत ने राजस्थान में गौतम अडानी और मुकेश अंबानी से निवेश कराकर राहुल गांधी के आरोपों का जवाब दे दिया है। राहुल गांधी ने अडानी-अंबानी को लेकर पीएम मोदी पर जो आरोप लगाए उसका जवाब मोदी ने आज तक नहीं दिया है। इसे मोदी की राजनीतिक कुशलता ही कहा जाएगा कि राहुल गांधी के आरोपों का जवाब कांग्रेस शासित राजस्थान के मुख्यमंत्री की ओर से ही दिलवाया जा रहा है। राहुल गांधी जिन अडानी को लुटेरा बताते हैं, उन्हीं अडानी को अशोक गहलोत अपना भाई बता रहे हैं। अब जब अपनी सरकार की सफलता के लिए गहलोत केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पुत्र जयंत शाह से भी सहयोग लेने को तैयार है, तो फिर राहुल गांधी के मोदी सरकार पर आरोप कोई मायने नहीं रखते हैं। ऐसा नहीं हो सकता कि एक व्यक्ति दिल्ली में बेईमानी करे और वहीं व्यक्ति जयपुर में ईमानदारी से काम करे। यदि बेईमानी दिल्ली में हो रही है तो फिर जयपुर में भी होगी। सब जानते हैं कि गहलोत ने गांधी परिवार के सामने सियासी संकट भी खड़ा कर रखा है। गांधी परिवार चाहता था कि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री का पद छोड़कर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। लेकिन गहलोत ने अध्यक्ष बनने से इंकार कर दिया और मुख्यमंत्री बने रहने में ही अपनी रुचि दिखाई। अब तो समर्थक विधायक खुलेआम कह रहे हैं कि राजस्थान में अशोक गहलोत के अलावा कोई अन्य मुख्यमंत्री स्वीकार नहीं होगा। देखना होगा कि गहलोत की जादूगरी से गांधी परिवार किस प्रकार बाहर निकलता है। अलबत्ता कांग्रेस के अनेक विधायकों ने कहा है कि गहलोत के पास अब कांग्रेस विधायकों का बहुमत नहीं है, क्योंकि अधिकांश कांग्रेस हाईकमान के साथ है।

S.P.MITTAL

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