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भारत का वैभवशाली विवाह संस्कार

स्वतंत्रता प्राप्ति के समय जहाँ भारत की गणना एक निर्धन राष्ट्र के रूप में होती थी, वहीं इन 75 वर्षों में भारत ने सभी क्षेत्रों में अत्यधिक प्रगति की है। आज भारत को गर्व है कि हमारे देश में एक ऐसे विवाह का आयोजन हो रहा है, जो सम्पूर्ण विश्व को अचम्भित करने वाला है। यदि इतिहास के पृष्ठों पर दृष्टिपात किया जाए तो, हमें किसी भी विवाह समारोह में इतने वैभवपूर्ण संस्कार की कोई सूचना नहीं मिलती है। विवाह पूर्व आयोजित अम्बानी परिवार में होने इस संस्कार समारोह के आधार पर यदि विवाह के मुख्य आयोजन की वैभवता का अनुमान लगाया जाए तो सम्भवतया इसकी वैभवता सर्वोच्च स्तर की होगी। इस विवाह के जानकारों का अनुमान है कि केवल एक दिन के संस्कार में जहाँ विश्व के अधिकांश धनी व्यक्ति अपना आशीर्वाद देने हेतु उपस्थित हुए, उन्होंने पानी के जहाज, टापू, गाड़ियाँ, दुर्लभ हीरों की अंगुठियाँ आदि करोड़ों के उपहार स्वरूव भावी वर-वधू को भेंट की, मेहमानों के मनोरंजन हेतु केवल एक कलाकार को 2 घंटे के आयोजन में 80 करोड़ से अधिक रूपये दिए गए। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के अनुमान के अनुसार एक दिन के संस्कार समारोह में 1000-1500 करोड़ रूपये व्यय हुए और अनुमान है कि मुख्य विवाह समारोह में 4-5 हजार करोड़ तक व्यय किया जा सकता है। इस विवाह की एक और विशेषता यह भी थी कि जहाँ बाहर के मेहमान तो बहुत दिखाई दिए, परन्तु घर-परिवार के मेहमानों की उपस्थिति नगण्य रही। समारोह की सम्पूर्ण भव्यता इवेन्ट कम्पनियों के हाथों में थी।
इतने वृहद स्तर का आयोजन होना, वर्तमान में भारत की सम्पन्नता की पहचान है। भारत को गर्व है कि जिस भारत को अंग्रेेजो ने रात-दिन लूटा और एक निर्धन देश बनाकर चले गए, आज उस देश का एक परिवार अपने लाडले के विवाह में हजारों करोड़ रूपये व्यय कर पूरे विश्व को दर्पण दिखा रहा है। भारत को गर्व है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्षों के पश्चात यहाँ अम्बानी जैसे धन और ऐश्वर्य से परिपूर्ण अनेको परिवार हैं, यथा- अडानी, शिव नादर, सावित्री जिन्दल, दिलीप सांघवी, राधाकृष्ण दमानी, साईरस पूनावालिया, टाटा, बिरला, गोदरेज, अजीम प्रेमजी, उदय कोटक, शपूर मिस्त्री आदि ऐसे अनेकों परिवार हैं जोकि विश्व में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाकर रखे हुए हैं।
इसके इतर भारत की एक दूसरी तस्वीर भी प्रकट होती है, जिसके अन्तर्गत भारत की लगभग 85 करोड़ जनता के पास 2 वक्त की रोटी भी उपलब्ध नहीं है, जिनका भरण-पोषण हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी कि कृर्पा से हो रहा है। जब हमें इस प्रकार के समाचार सुनने को मिलते हैं तो मन अत्यधिक विचलित होता है।
उपरोक्त दोनों तथ्यों का आंकलन कर यही प्रमाणित होता है कि सम्भवतया भारत की सम्पन्नता मात्र कुछ हाथों में ही सिमट कर रह गई है और देश की अधिकांश जनता केवल अपने अश्रुपूर्ण नेत्रों से इस सम्पन्नता और भारत के गौरव को निहारने के लिए विवश है। हम आशा करते हैं कि आने वाले समय में हमारा देश भारत, संतुलित विकास करेगा, जिससे रामराज्य की संकल्पना साकार हो सकेगी।

*योगश मोहन*

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