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20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रसन्नता का मतलब है-खुशी, आनंद, हर्ष, प्रफुल्लता। आज जीवन में हर तरफ आदमी को तनाव, अवसाद ने घेर रखा है, मनुष्य का मनोबल अच्छा नहीं रहता। मनुष्य नकारात्मकता वातावरण के बीच आपाधापी और दौड़-धूप भरा जीवन जी रहा है। आज आदमी के पास हरेक चीज़ उपलब्ध है लेकिन खुशी नहीं है। खुशी है तो शांति है।एक कहावत है ‘सौ दवा एक हवा, सौ हवा एक मुस्कान’। जैसे मुस्कुराता फूल सबका मन मोह लेता है उसी प्रकार हंसता चेहरा सबका प्यारा होता है। इसलिए जीवन में व्यक्ति को हमेशा प्रसन्न रहने का प्रयास करना चाहिए। वास्तव में, हर संभव स्थिति में शांत व संयमित रहना ही खुशी और संतुष्टि की कुंजी है। कठिन परिस्थितियों में भी शांति, संयम व समझदारी से व विवेक से काम लेने पर आदमी को अवश्य ही सफलता मिलती है। हमें दूसरों के प्रति हमेशा अच्छा, दयालु व मददगार होना चाहिए, क्यों कि मदद से हमें आंतरिक खुशी मिलती है, प्रसन्नता मिलती है।और हमें जीवन में आत्मविश्वास व बेहतर महसूस होता है। प्रसन्नता आदमी में सकारात्मकता का निर्माण करती है, उसका आत्मविश्वास बढ़ाती है, जीवन में नयी राहें दिखाती है।प्रसन्न रहने वाले व्यक्ति का मनोबल हमेशा अच्छा रहता है। वह छोटी छोटी परेशानियों, कष्टों से कभी दुखी नहीं होता। प्रसन्नता से व्यक्ति में जिजिविषा की भावना में इजाफा होता है। प्रसन्नता कभी बनावटी नहीं हो सकती, वह दिल,आत्मा के अंदरूनी कोनों से स्वतः ही उठती है।हंसी बनावटी हो सकती लेकिन प्रसन्नता नहीं।वास्तव में, प्रसन्नता ईश्वरीय वरदान है। याद रखिए जिनके भी मुखमण्डल पर सदैव प्रसन्नता विराजमान रहती है, जो अपने जीवन में शान्त, सन्तुष्ट और प्रसन्नचित्त रहते हैं, वही जीवन को सही तरीके से जीते हैं। तभी शायद संस्कृत में बड़े ही सुंदर शब्दों में प्रसन्नता के बारे में यह कहा गया है कि-‘वदनम् प्रसाद सदनम्, सदयम् हृदयम् सुधमुचो वाचः।करणम् परोपकरणम्, ऐषां तेषानु ते वन्द्या।।’ सुख और दुख जीवन की छांव है। सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख आता रहता है, यह सृष्टि का क्रम है। इसलिए आदमी को यह चाहिए कि वह अपने जीवन में विषम परिस्थितियों के बीच भी प्रसन्नता से भरपूर रहने का प्रयास करे, क्योंकि कहते हैं कि जिन व्यक्तियों के मुख-मंडल पर मधुर-मुस्कान सदैव तैरती रहती है, ईश्वर भी उनका  हमेशा साथ देते हैं। मुस्कुराहट इस ब्रह्मांड में एक सकारात्मक ऊर्जा को घोलती है और वही ऊर्जा परिवर्तित होकर हमें ब्रह्मांड से पुनः मिलती है। वास्तव में वे लोग इस जहान में वन्दनीय, धन्य और पूज्यनीय हैं, जो विकट परिस्थितियों का सामना भी मुस्कुराकर करते हैं। वास्तव में प्रसन्नता कल्याण है। हमारे धर्म-शास्त्रों में बताया गया है कि हमें जीवों को चोट पहुँचाने से बचना चाहिए, दूसरों का धन हरण करने की इच्छा नहीं रखनी चाहिए, हमेशा सत्य बोलना चाहिए, समयानुसार श्रद्धा से दान करना चाहिए, पराई स्त्री की चर्चा करने और सुनाने से दूर रहना चाहिए, अपनी इच्छाओं को अपने वश में करना चाहिए, गुरुजनों का आदर-सत्कार करना चाहिए और सब जीवों पर दया करनी चाहिए, क्यों कि ये सब ही मनुष्य जीवन के कल्याण तथा उसकी प्रसन्नता के असली मार्ग हैं। संस्कृत में कहा गया है कि-‘प्राणाघातान्निवृत्तिः परधनहरणे संयमः सत्यवाक्यं,काले शक्त्या प्रदानं युवतिजनकथामूकभावः परेषाम् ।तृष्णास्रोतोविभङ्गो गुरुषु च विनयः सर्वभूतानुकम्पा, सामान्यः सर्वशास्त्रेष्वनुपहतविधिः श्रेयसामेष पन्थाः ॥’ बहरहाल, जानकारी देना चाहूंगा कि अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2013 से मनाना शुरु किया गया था, और प्रस्ताव 12 जुलाई 2012 को पारित किया गया था। संकल्प की शुरुआत भूटान ने की थी जिसने राष्ट्रीय खुशी के महत्व पर प्रकाश डाला।वास्तव में, भूटान को 66वीं महासभा में सकल राष्ट्रीय उत्पाद(जीडीपी)पर सकल राष्ट्रीय खुशी के लक्ष्य को अपनाने के लिए जाना जाता है। यहाँ बताता चलूँ कि इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे ईयर-2022 की थीम -‘शांत रहो, समझदार रहो और दयालु रहो’ रखी गई थी। प्रसन्नता तो मनुष्य जीवन के लिए संजीवनी है जो हमारे जीवन को सुखमय व अच्छा, सुंदर बनाती है। इसलिए हम जीवन में जो भी काम करें,उसमें हमेशा प्रसन्नता या खुशी ढ़ूढ़ने का प्रयास करें। प्रसन्न लोग कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कभी डगमगाते नहीं हैं हैं और वे देर-सबेर अपने लक्ष्य अवश्य पा लेते हैं। प्रसन्नता दुनिया का सर्वश्रेष्ठ रसायन है, जो व्यक्ति को स्फूर्ति, ताजगी, उल्लास की सकारात्मकता से सरोबार कर देता है। जो व्यक्ति इस सकारात्मक रसायन का निरंतर सेवन करता है, वह जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं,समस्याओं, कष्टों को सहज ही पार कर लेता है। प्रसन्नता आशावाद का संचार करती है। प्रसन्नता हमें रोगों से मुक्ति दिलाती है। प्रसन्नता से हमारे शरीर में नई शक्ति,नई ऊर्जा का संचार होता है। प्रसन्नचिज व्यक्ति हमेशा तरोताजा व जोश व उत्साह, उमंग से परिपूर्ण रहता है। हंसने से आयु बढ़ती है, व्यक्ति की कार्यशक्ति बढ़ती है। हंसना या प्रसन्न रहना परमात्मा प्रदत रामबाण औषधि है जो सभी रोगों,परेशानियों का पुख्ता इलाज है। एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है कि ‘ईश्वर उनकी सहायता करते हैं जो स्वयं अपनी सहायता करते हैं,’ अतः लक्ष्य-प्राप्ति के मार्ग में आयी असफलताओं, कष्टों, परेशानियों, झंझावातों से भयभीत होकर हम कभी भी अपना प्रयास करना न छोड़ें। प्रसन्नता से अपने प्रयासों, कोशिशों में अवश्य लगे रहें। सीढ़ी के ऊंचे वाले पायदान को तभी पाया जा सकता है जब हम सीढ़ी के निचले हिस्से से एक एक पायदान को चढ़ना शुरू करें। ध्यान रखिए कि छोटे-छोटे कदम रखकर ही एक लंबी यात्रा की जा सकती है। धीरे-धीरे प्रयास करते हुए साधारण मानव भी विशाल पर्वतों के शिखर पर आसानी और सहजता से पहुंच जाते हैं। हर रात के बाद सवेरा आता ही है और यह भी सत्य है कि रात जितनी काली और भयावह होगी, सुबह उतनी ही प्रकाशमान तथा सुहानी होगी। हमें काली रात में भी प्रसन्न रहना सीखना है और सुहानी सुबह में भी। कठिनतम स्थितियों में संतुलित रहना ही तो जीवन है। सोचने के दो पहलू हैं-सकारात्मक और नकारात्मक। सोच में सकारात्मकता जितनी अधिक एवं गहरी होगी, उपलब्धियां एवं सफलताओं को प्राप्त करना उतना ही आसान होगा। नकारात्मकता असफलता व अप्रसन्नता को ही जन्म देती है। जीवन में खुश रहने के लिए हमें सुनना ज्यादा तथा बोलना कम चाहिए। हम अपने समय का हमेशा सदुपयोग करें, समय का सम्मान करें। समय को खजाना मानें। हम भूत व भविष्य की चिंताएं न करें, बल्कि अपने वर्तमान का ध्यान रखें, वर्तमान में जीएं। हर परिस्थिति में संतुष्ट रहें, अपने से बड़ों को नहीं अपने से छोटों(हैसियत, रूतबे) को देखकर जीएं। जो कुछ भी हमारे पास है, उसके लिए हम ईश्वर को शुक्रिया कहें,क्यों कि दुनिया में जो कुछ हमारे पास है, वह भी दुनिया के बहुत से लोगों के पास नहीं है। हम अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान दें,परिवार और मित्रों,समाज, देश को महत्व दें। परमात्मा से दोस्ती और उसकी कृपा को हम हमेशा अनुभव करें। सरल,सादा जीवन जीएं, उच्च विचार रखें। किसी का भी बुरा न चाहें और न ही सोचें। आपसी सहयोग, तालमेल, बंधुत्व की भावना रखें।इस समय पूरी दुनिया में रूस और यूक्रेन के बीच में हो रहे युद्ध के कारण दुनिया चिंता में,अवसाद में है कि आगे क्या होगा और क्या नहीं लेकिन हमें हमेशा पॉजिटिव(सकारात्मक) सोचना चाहिए और इस दुनिया की तरक्की के लिए आगे आना चाहिए और युद्ध की निंदा की जानी चाहिए, क्योंकि युद्ध कभी भी किसी समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो सकता है। युद्ध तो करूणा का अंत है। आज आदमी भौतिकता के चक्कर में, पाश्चात्य संस्कृति के चक्कर में फंसकर धन/अर्थ को ही अधिक महत्व दे रहा है। लेकिन आज के जीवन में आनंद और प्रसन्नता ही मनुष्य के लिए जीवन की असली उपलब्धि है। धन-दौलत से कभी आदमी को खुशी नहीं मिलती। वास्तव में, इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे इसीलिए मनाया जाता है कि हम अपनी खुशियों को जाहिर कर सके और एक इंसान होने के नाते जीवन में हमेशा खुश रहना, प्रसन्न रहना सीखें। गरीबी, शोषण-अत्याचार के विरुद्ध हमारी आवाज उठनी चाहिए और सभी की खुशियों, प्रसन्नता और सुख का ख्याल हमें रखना चाहिए। आज विश्व में युद्ध, आर्थिक गिरावट, महामारी का दौर है। यहाँ जानकारी देना चाहूंगा कि विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट-2022 जो कि यूएन सस्टेनेबल सॉल्यूशन नेटवर्क द्वारा जारी की गई है, उसमें भारत का स्थान 136 वां है और फीनलैंड विश्व का सर्वाधिक प्रसन्न तथा अफगानिस्तान विश्व का सर्वाधिक अप्रसन्न देश है। विश्व प्रसन्नता सूचकांक में फीनलैंड ने लगातार पांचवीं बार प्रथम स्थान प्राप्त किया है।यहाँ बताता चलूं कि इस रिपोर्ट के आंकलन के छह मानकों में क्रमशः आय, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा, उदारता, स्वतंत्रता, विश्वास तथा मुसीबत के समय किसी का सहारा होना को शामिल किया गया है। विश्व के सर्वाधिक प्रसन्न देशों में क्रमशःफिनलैंड,डेनमार्क,आइसलैंड,स्विजरलैंड,नीदरलैंड,लक्जमबर्ग, स्वीडन, नार्वे, इजराइल और न्यूजीलैंड को शामिल किया गया है। बहरहाल, यहाँ यह कहना चाहूंगा कि हमें हमेशा स्वयं की खुशी के बारे में ही नहीं सोचना चाहिए, बल्कि दूसरों को भी खुशी देने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि इस दुनिया में सबसे ज्यादा सफल एवं सुखी वहीं इंसान है, जो ही अपनी खुशी से ज्यादा दूसरों की खुशी को बढ़ावा देता है। किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि जीवन में आप कितने खुश हैं यह महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि आपकी वजह से कितने लोग खुश हैं, यह मायने रखता है। तो आइए हम हर पल,हर क्षण में खुशियों, प्रसन्नता को ढ़ूढ़ें, हम स्वयं भी खुश,प्रसन्न रहें और दूसरों को भी हमेशा प्रसन्नचित व खुश रखें।

सुनील कुमार महला,

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