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मोदी जी का राष्ट्र के नाम सन्देश और 7 अनुत्तरित प्रश्न

विमुद्रीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने राष्ट्र के नाम संदेश दिया तो लगा वो भ्रष्टाचार, कालाधन, आतंकवाद और नकली मुद्रा के खिलाफ छेड़े गए इस महाभियान के जो परिणाम और उपलब्धियां सरकार ने प्राप्त की उनको देश की जनता के सामने रखेंगे और साथ ही कालेधन के खिलाफ आगे की लड़ाई की कार्ययोजना देश के सामने रखेंगे। किंतु ऐसा कुछ भी न कर उन्होंने मात्र कुछ रेबडिय़ा सी जनता को बांटी वो भी आधी अधूरी सी।

हालांकि यह तो समझ आता है कि मोदी जी की नीयत अच्छी है और मोदी सरकार का सारा उपक्रम देश में आगे से कालाधन पैदा होने से रोकने और उसको खपाने के चोर रास्ते बंद करने पर है, यह प्रशंसनीय भी है। अगर सारे उपाय ठीक से लागू कर लिए जाए और वस्तु एवं सेवा कर लागू हो जाए तो अगले वित्त वर्ष से देश की 70 से 80 प्रतिशत तक अर्थव्यवस्था सफ़ेद हो जायेगी जो वर्तमान में मात्र 20 प्रतिशत ही है। लेकिन इसके बीच मेरे कुछ प्रश्न हैं जिनके उत्तर की अपेक्षा प्रधानमंत्री जी से है।

  1. मोदी जी 31 दिसम्बर को ही राष्ट्र को संबोधित करना और बार बार नव वर्ष की बधाई देना मेरी समझ से परे रहा। आप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं और संघ की ही राजनीतिक शाखा भाजपा के संसदीय दल के नेता के नाते प्रधानमन्त्री हैं। संघ विक्रमी संवत के अनुरूप पंचांग गणना को लागू करना चाहता है जो भारतीय संस्कृति के अनुरूप भी है और पूर्णत: वैज्ञानिक भी। ऐसे में समझ से बाहर है कि पश्चिमी देशों के कलेंडर को जिसे कांग्रेस पार्टी ने देश पर थोपा था, उसे आपकी सरकार क्यों ढो रही है। अगर आप विक्रमी संवत को नहीं मानते तो स्पष्ट करें, बिना बात संघ परिवार देश को मुगालते में न रखे, ऐसा उसे निर्देश दे। आपका विकास का मॉडल अमेरिका से अधिक प्रेरित है और कारपोरेट वर्ग के अनुकूल, आपसे अनुरोध है इसे भारतीय आयाम दे। आम भारतीयों को रेबड़ी बांटने के साथ ही उनकी परंपरागत जीवन शैली को भी सम्मान दे तो अच्छा लगेगा।
  2. आपने अपने संबोधन में स्पष्ट ही नहीं किया कि कितनी करेंसी जनता द्वारा बैंकों में जमा की गयी। 10 दिसंबर तक के रिजर्व बैंक के आंकड़े 10.5 लाख करोड़ के थे और उसके बाद आंकड़े जारी नहीं किये गए। क्यों? अगर आगे भी इसी अनुपात में धन जमा हुआ है तो आंकड़ा 17 लाख करोड़ के आस पास होगा यानि रिजर्व बैंक द्वारा जारी बड़ी मुद्रा से 2 से 3 लाख करोड़ रूपये अधिक। अगर हमारा अनुमान सही है तो यह रकम कहां से आयी? यह जाली मुद्रा है तो बैंकों ने स्वीकार कैसे की और अनौपचारिक रूप से रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने छापी है तो दोषी लोगों के खिलाफ क्या कार्यवाही की जा रही है?
  3. माननीय प्रधानमंत्री जी, देश के चुनिंदा बड़े लोगों विशेषकर राजनेताओं और बड़े उद्योगपतियों के पास अभी भी पुराने बड़े नोटों के ढेर पड़े हैं और यह बात जग जाहिर है। ऐसे में खुफिया एजेंसियों ने भी आप तक यह सूचनाएं पहुंचायी होंगी। इन लोगों पर कोई छापा नहीं पड़ा, न ही कोई क़ानूनी कार्यवाही हुई और न ही सरकार यह स्पष्ट कर रही है कि इनके पास यह अपार करेंसी कहां से आयी, क्यों?
  4. महोदय, पिछले पचास दिनों में देशभर में रिजर्व बैंक की शाखाओं और सभी अन्य बैंकों से नई करेंसी की खुली लूट हुई। यह दो लाख करोड़ तक का घोटाला है। इस घोटाले में रिजर्व बैंक, सार्वजनिक और निजी बैंक के अधिकारियों की कई मुख्यमन्त्रियों, केंद्र और राज्यों के मंत्रियों, अन्य राजनेताओं और न्यायपालिका से जुड़े लोगों और सरकारी अमले की खुली भागीदारी है। इनके खिलाफ किसी बड़ी कार्यवाही पर आप अपने संबोधन में क्यों चुप रहे?
  5. चुनाव सुधार पर आपकी टिप्पणी बहुत सतही लगी। देश में किसी भी प्रकार से दिए जाने वाले चंदे को चाहे वो सामाजिक या धार्मिक संस्था को मिले या राजनीतिक दल को, किसी भी हालात में नकद में दिए जाने पर प्रतिबंध की घोषणा तो आपके अधिकार क्षेत्र में है और राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने की अधिसूचना जारी करना भी। फिर इस मुद्दे पर अमल की घोषणा न करना संदेह के बादलों को जन्म देती है।
  6. आपने देश के किसानों, महिलाओं, बुजुर्गों, गरीबों, निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग के लिए अनेक घोषणा कल की। अधिकांश में अधिक मात्रा में ऋण बांटने और ब्याज दर कम करने जैसी बातें हैं, ऋण माफ़ी या अनुदान जैसा कुछ नहीं। क्योंकि आप नकारा और हरामखोर पीढ़ी का निर्माण नहीं चाहते। यह स्वागत योग्य बात है, किंतु पिछले कुछ महीनों में आपकी सरकार ने बड़े लोगों के नौ लाख करोड़ रूपयों के कर्ज एनपीए में डाल दिए यानि अपरोक्ष रूप से माफ़ कर दिए और किसी के भी खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की, क्यों? आपकी पार्टी ने हाल ही में आरोप लगाया कि यूपीए की सरकार ने अपने कार्यकाल में बड़े लोगों के 36.5 लाख करोड़ के ऋण माफ़ कर दिए थे। तो ऐसे में सारे आदर्श, अपेक्षाएं और बोझ देश की आम जनता पर ही क्यों डाला जा रहा है?
  7. 12 घण्टे रोज काम करने वाली देश की जनता रोज पुलिस और सरकारी तंत्र के शोषण और बाज़ार की लूट से दो चार होती है। देश का सरकारी शिक्षा, स्वास्थ्य और न्याय तंत्र कबाड़ है और अधिकांश सरकारी कर्मचारी निकम्मे और भ्रष्ट। उसी प्रकार देश के राजनीतिक दल और धनी लोग हैं जो नित नए हथकंडों से जनता को बेवकूफ बनाते रहते हैं या लूटते रहते हैं। अपने संबोधन में आपने इन लोगों को रास्ते पर लाने और दोषियों के खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही की घोषणा न कर एक प्रकार से इस वर्ग के आगे घुटने ही टेक दिए जो विमुद्रीकरण के आपके क्रांतिकारी कदम के बाद स्वीकार्य नहीं लगा। कृपया बताए आपकी क्या मजबूरियां थी?

कालाधन : चुनावी माहौल और बजट के बीच तीसरी सर्जिकल स्ट्राइक शीघ्र

पीओके में आतंकी शिविरों पर हमले और विमुद्रीकरण के बाद पांच राज़्यों में चुनावों की घोषणा के बाद 1 फरवरी को बजट के साथ ही मोदी सरकार कालेधन के खिलाफ बड़ी और अंतिम लड़ाई लडऩे जा रही है, उम्मीद है यह कार्यवाही मोदी सरकार और भाजपा के लिए बड़े राजनीतिक फायदे का सौदा भी साबित होगी। वर्तमान में विमुद्रीकरण के कारण देश में जुए, सट्टे, शराब, ड्रग्स, हवाला, लॉटरी, आतंक, नकली नोट, नक्सल, स्मगलिंग आदि के रैकेट तबाह हो चुके हैं। लाखों करोड़ छुपा धन बैंकों में जमा हो चुका है और लोग तेजी से सफ़ेद कारोबार अपनाते जा रहे हैं।

देश में वर्तमान में देश में पंजीकृत कुल 10.26 लाख कंपनियों में से लगभग 1.33 लाख फर्जी यानि शैल कम्पनियां हैं। ये कंपनियां कागजों पर मोटा लेनदेन करती हैं, समय से आयकर रिटर्न फाइल करती हैं किंतु धरातल पर कहीं हैं नहीं।

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