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विमुद्रीकरण एवं डिजिटल लेन-देन : नायडू समिति की अहम सिफारिशें

 

बैंक से रुपये निकालने पर लग सकता है टैक्स

देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने एवं कैशलेस अर्थव्यवस्था विकसित करने के उद्देश्य से 50 हजार रुपये से अधिक की नकद निकासी पर बैंकिंग कैश ट्रांजेक्शन कर लगाने और प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन से भुगतान पर लगने वाले मर्चेंट डिकाउंट रेट (एमडीआर) को पूरी तरह से समाप्त करने की सिफारिश की गयी है।

नोटबंदी के मद्देनजर डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में बनी उप समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी, जिसमें ये सिफारिशें की गयी है।

नायडू ने रिपोर्ट सौंपने के बाद संवाददाताओं से कहा कि 50 हजार रुपये से अधिक की नकद निकासी पर कर लगाने का सुझाव दिया गया है। इसके साथ ही एमडीआर को पूरी तरह से समाप्त करने की सिफारिश की गयी है। सरकारी एजेंसियों में डिजिटल लेनदेन पर एमडीआर को शून्य करने या निचले स्तर पर लाने के लिए कहा गया है।

नायडू समिति की अहम सिफारिशें

  1. बड़े लेनदेन में नकदी की अधिकतम सीमा तय करने की सिफारिश की गयी है, हालांकि समिति ने वार्षिक आय में से निर्धारित राशि का डिजिटल लेनदेन के जरिये उपयोग करने पर कर में छूट देने पर भी गौर करने का आग्रह किया है।
  2. अतिरिक्त डिजिटल भुगतान स्वीकार करने वाले कारोबारियों से पिछले वर्षों के बारे में किसी तरह की पूछताछ नहीं किये जाने की भी सिफारिश की गयी है।
  3. शहरी और ग्रामीण सहकारी बैंकों को भी डिजिटल लेनदेन में तत्काल शामिल करने का सुझाव दिया गया है।
  4. यूपीआई ऐप के लिए क्यूआर कोड आधारित बनाने की बात कही गयी है तथा बैंकों से भी मर्चेंट स्तर पर क्यूआर कोड आधारित भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कहा गया है।
  5. महानगरों में बसों और ट्रेनों में यात्रा के दौरान किराये के भुगतान के लिए कांटेक्टलेस भुगतान को बढ़ावा देने की सिफारिश की गयी है।
  6. देश के सभी 1.54 लाख डाक घरों को आधार आधारित माइक्रो एटीएम लगाने, सभी भुगतान बैंकों और बिजनेस करसपोंडेटों को एईपीएस के जरिये इंटरपोटेर्बल करने, आयकर नहीं देने वाले छोटे दुकानों को डिजिटल भुगतान के लिए स्मार्टफोन खरीदने के लिए एक हजार रुपये की सब्सिडी देने और आधार आधारित भुगतान के लिए बॉयोमैट्रिक मशीन खरीदने के लिए दुकानदारों को 50 फीसदी सब्सिडी देने की सिफारिश की गयी है।
  7. समाज के सभी वर्गों को डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही वैश्विक मानकों पर आधारित अत्याधुनिक डिजिटल भुगतान तंत्र बनाने की सिफारिश की गयी है।
  8. लेसकैश अर्थव्यवस्था तथा डिजिटल लेनदेन के प्रति लोगों के नजरिये में बदलाव लाने की जरूरत है। इसके साथ ही इस तरह से भुगतान को स्वीकार करने के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने, कनेक्टिविटी और डाटा इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने, फिनटेक के साथ साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाने की आवश्यकता बतायी गयी है।

नोटबंदी के बाद सहकारी बैंकों के कैश रिकॉर्ड में हुई गड़बड़ी : आयकर विभाग

इनकम टैक्स  विभाग ने नोटबंदी के बाद सहकारी बैंकों के खातों में गंभीर गड़बड़ी होने का अंदेशा जताया है। विभाग ने भारतीय रिजर्व बैंक को पत्र लिखकर कई सहकारी बैंकों के खातों में करोड़ों रुपए के कथित अवैध लेन-देन के बारे में जानकारी दी है।

प्राप्त जानकारी मुताबिक, इनकम टैक्स विभाग द्वारा तैयार विश्लेषण रिपोर्ट में दो विशेष मामलों की जानकारी दी गई है। इसमें मुंबई और पुणे के दो मामलों का जिक्र किया गया है जिनमें दो बैंकों ने कालाधन सृजन को देखते हुए 500, 1000 के पुराने नोटों में 113 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि होने की जानकारी विनियामक को दी।

रिपोर्ट के मुताबिक, पुणे के बैंक ने रिजर्व बैंक को 242 करोड़ रुपए के नोट होने की जानकारी दी जबकि उसके पास वास्तव में 141 करोड़ रुपए ही थे। यानी इस सहकारी बैंक ने 23 दिसंबर 2016 को अपने पास 101.70 करोड़ रुपए के अतिरिक्त पुराने नोट होने की जानकारी दी। मुंबई में इसी तरह के एक मामले में बैंक ने 11.89 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि होने की जानकारी दी। इनकम टैक्स विभाग ने पिछले साल नोटबंदी के बाद इन दोनों बैंकों का सर्वे किया। सर्वे दौरान उसे पुराने चलन से बाहर किये गये नोटों की इन बैंकों में उपलब्धता और आरबीआई को दी गई जानकारी में गंभीर अंतर नजर आया। आयकर विभाग ने इससे पहले भी कई सहकारी बैंकों के कामकाज को लेकर गंभीर चिंता जताई है।

अधिकारियों ने बताया कि, उन्होंने इस बारे में आरबीआई को जानकारी दी है और इस बारे में लगातार ताजा जानकारी दी जाती रही है। पुराने नोटों की उपलब्धता से अधिक जानकारी देने पर पुराने नोटों को 30 दिसंबर 2016 के बाद भी नए नोटों में बदलने की गंभीर संभावना बनी रहती है। आपको बता दें कि 500, 1,000 रुपए के पुराने नोटों को नये नोटों से बदलने की अंतिम तिथि 30 दिसंबर रखी गई थी।

आधार से जुड़ेंगे बैंक खाते, बायोमैट्रिक होगा भुगतान

कैशलेस भुगतान की दिशा में सरकार एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। जल्द ही भुगतान के लिए आधार नंबर आधारित प्रणाली को लांच किया जा रहा है। इस माह के अंत तक या अगले माह के आरंभ में आधार आधारित प्रणाली शुरू हो जाएगी।

इस काम को अंजाम देने के लिए निजी व सार्वजनिक दोनों ही क्षेत्रों के बैंकों से बात की जा रही है और कई बैंकों के साथ इस मामले में सहमति भी बन गई है। इलेक्ट्रॉनिकी व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के चार बड़े बैंक इस प्रणाली के तहत होने वाले भुगतान को लेकर अपनी सेवा देने के लिए तैयार हो गए हैं।

डिजिटल भुगतान में तेजी लाने के लिए हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत इंटरफेस फॉर मनी (भीम) ऐप लांच किया था। भीम ऐप के जरिए भुगतान करने के लिए मोबाइल फोन का होना जरूरी है।

आधार नंबर आधारित प्रणाली के तहत भुगतान के लिए किसी मोबाइल फोन की जरूरत नहीं है। भुगतान बायोमेट्रिक तरीके से होगा और उस प्रणाली पर उंगली रखते ही वह प्रणाली आपके बैंक खाते से जुड़ जाएगी और तय रकम डालकर भुगतान पूरा हो जाएगा। लेकिन इस प्रणाली के तहत वही व्यक्ति भुगतान कर पाएगा जिनका बैंक खाता आधार नंबर से जुड़ा होगा।

बैंकों को मंत्रालय का आदेश सभी खातों को आधार से जोड़ें

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक सभी बैंकों को यह कहा गया है कि सभी खातों को आधार नंबर से जोड़ा जाए। इसलिए बैंक अपने ग्राहकों से संपर्क कर उन्हें बैंकों में अपने आधार नंबर जमा करवाने के लिए कह रहे हैं।

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक आधार नंबर आधारित प्रणाली के तहत जिन बैंकों के साथ भुगतान शुरू करने की बात पक्की हो गई है, वहां इस भुगतान की सुरक्षा की जांच चल रही है ताकि भुगतान शुरू होने से पहले यह प्रक्रिया पूरी तरह से फूलप्रूफ हो।

जल्द ही सभी बैंकों के इस स्कीम से जुडऩे की संभावना है। मंत्रालय के मुताबिक आधार आधारित भुगतान प्रणाली के आरंभ होने पर देश के वे लोग भी डिजिटल भुगतान कर पाएंगे जिनके पास मोबाइल फोन नहीं है।

आईटी मंत्रालय के मुताबिक देश में लगभग 30 लाख लोगों के पास मोबाइल फोन नहीं है, लेकिन उनके बैंक खातों के आधार से जुड़ जाने पर उन्हें डिजिटल भुगतान में कोई दिक्कत नहीं आएगी। हाल ही में लांच भीम ऐप की मदद से फीचर फोन रखने वाले उपभोक्ता भी डिजिटल भुगतान कर रहे हैं। भीम ऐप 1.2 करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है।

 

अनुज अग्रवाल

 

 

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