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नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार की जड़ें ऊपर से शुरू होकर नीचे तक फैली

नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार की जड़ें ऊपर से शुरू होकर नीचे तक फैली
सरकार किसी की हो अफसरों पर नहीं पड़ता कोई फर्क
गौतम बुध नगर हापुड़ और बागपत जिले केवल अफसरों की सुविधाओं के लिए बनाये गए
नोएडा में भ्रष्टाचार से बनी इमारत भले ही गिरा दी गई हो। लेकिन भ्रष्ट अफसरशाही से भ्रष्टाचार रूपी इमारत का ध्वस्त होना अभी बाकी है। दरअसल नोएडा में भ्रष्टाचार की जड़े ऊपर से शुरू होकर निचे तक फैली हुई है। जो तू ना डालें भ्रष्टाचार की शुरुआत नोएडा के गठन के 10 साल बाद से ही हो गई थी। लेकिन इसका फैलाव माया और मुलायम के शासनकाल में अप्रत्याशित तरीके से हुआ। 2006 से पहले तक नोएडा में केवल औद्योगिक भूखंडों के आवंटन और उनके नाम पर आवासीय आवंटन में छोटी मोटी हेरा फेरी हुआ करती थी। लेकिन 2006 के नोएडा प्लॉट आवंटन घोटाला उजागर होने के बाद जनपद गौतम नगर के तीनों औद्योगिक विकास प्राधिकरण यानी नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है। फोटो के विकास पर बनाए गए इन तीनों विकास प्राधिकरण में औद्योगिक के नाम पर शायद ही कुछ बचा हो। अफसरशाही और बिल्डरों की मिलीभगत से यहां जमकर आवासीय बिल्डर प्लॉट तैयार किए गए और उनका आवंटन किया गया। 2006 के प्लॉट आवंटन घोटाले में सामान्य श्रेणी के 625 भूखंडों के ड्रा में भारी हेराफेरी उजागर हुई थी। इसके उजागर होने के बाद से ही नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण से जुड़े अफसरशाही और शासन स्तर पर भ्रष्टाचार के स्वरूप बदलने पर विवश कर दिया। इसी का परिणाम है की अफसरशाही ने औद्योगिक विकास के नाम पर अधिग्रहित भूमि को आवासीय ने बदलकर बिल्डरों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर आवंटित करना शुरू कर दिया। इस तरह की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बहन कुमारी मायावती की रही। मायावती और उनसे जुड़े कई नेताओं और पारिवारिक सदस्यों ने भूमि आवंटन के नाम पर जमकर चांदी काटी। 2006 से पहले नोएडा या ग्रेटर नोएडा इलाके में केवल औद्योगिक प्लॉट आवंटन कराने को लेकर जोड़-तोड़ चलती थी। लेकिन 2006 के बाद यह जोड़-तोड़ प्रत्यक्ष रूप से धन के आवागमन और उगाही में परिवर्तित हो गई। इसी का परिणाम है कि वर्ष 2010 कॉमन वेल्थ गेम से पूर्व नोएडा और ग्रेटर नोएडा में होटल आमंत्रण को लेकर एक नीति बढ़ाई गई जिसके तहत होटल को औद्योगिक श्रेणी में डाल कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम किया गया। इसका श्रेय उसमें की सरकार और उसके मुखिया मुलायम सिंह यादव को जाता है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वेबसाइट जमीन के आवंटन की दर उसमें आसमान छू रही थी लेकिन अफसरशाही ने राजनीतिक लोगों के हित साधने के लिए औद्योगिक श्रेणी में डालकर 7700 का आवंटन दर निर्धारित किया जबकि नोएडा ग्रेटर नोएडा समेत आसपास के इलाकों में यह दर बहुत ऊंची थी। यहां तक कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने व्यवसायिक आवंटन की दर 25000 से ऊपर निर्धारित की गई थी। होटल के आवंटनो में भ्रष्टाचार की शिकायतें होने के बाद मामला हाईकोर्ट से शुरू होकर सुप्रीम कोर्ट तक गया जिसके परिणाम स्वरूप सभी होटलों के आवंटन निरस्त कर दिए गए। यह प्रचार का ही परिणाम था कि कॉमनवेल्थ गेम शुरू होने और खत्म होने तक नोएडा में मात्र इक्का दुक्का होटल ही बन पाए थे। नोएडा ग्रेटर नोएडा के भ्रष्टाचार की कहानी अंतविहीन है। यदि इस भ्रष्टाचार की कहानी एक बार शुरू की जाए तो खत्म करना आसान नही है। हालांकि वर्तमान सरकार भ्रष्टाचार को मिटाने का हरसंभव दम भरती है लेकिन भ्रष्टाचार रूपी दानव इतना विशाल है कि सरकार के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। बेलगाम अफसरशाही भ्रष्टाचार पर किए जा रहे किसी भी वार पर भारी पड़ती है। यहां तलाक अफसर है 2 साल दर साल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जब रहते हैं सरकार किसी और किसी नेता की भी हो। अगर पिछले दो दशकों के दस्तावेजों को खंगाला जाए तो नोएडा ग्रेटर नोएडा गाजियाबाद मैं ऐसे बहुत से अफसर मिल जाएंगे जो साल दर साल यहीं जमे रहते हैं।
या यूं कहें कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में 3 जनपदों गौतम बुध नगर, हापुड़ और बागपत का सृजन केवल अफसरशाही को लाभ पहुंचाने की मंशा से ही किया गया है। अफसर ट्रांसफर के नाम पर केवल जिला बदलवाने का काम करते हैं। जनपद गाजियाबाद से गौतम बुध नगर, गौतम बुध नगर से हापुड़, हापुर से बुलंदशहर और अंत में बागपत। में दिखाई देते हैं जो आज गौतम बुध नगर में है। वर्तमान में इसका सीधा उदाहरण नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ऋतु महेश्वरी और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉक्टर अरुण सिंह के रूप में देखा जा सकता है। इसके अलावा ऐसे अफसरों की फेहरिस्त बहुत लंबी है जो लंबे समय से इन जनपदों में जमे हुए हैं।
वर्ष 2019-20 में गौतम बुध नगर में तैनात एक मुख्य चिकित्सा अधिकारी के ट्रांसफर का मामला बेहद सुर्खियों में रहा। मुख्य मंत्री के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी का तबादला किया गया। लेकिन तबादले के साथ ही उन्हें जनपद गाजियाबाद के एमएमजी जिला चिकित्सालय में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर तैनाती दी गई। इसके अलावा पुलिस महफिल में ऐसे बहुत से लोग हैं जो जनपद गाजियाबाद में उप निरीक्षक के रूप में ट्रेनिंग के दौरान आए थे लेकिन यहां रहते हुए क्षेत्राधिकारी तक पदोन्नति मिलने के बाद भी लंबे समय तक यहीं जमे रहे। इसमे एक नाम नोएडा प्राधिकरण में लंबे समय तक तैनात रहे प्रभारी हर्षवर्धन भदौरिया कर लिया जा सकता है। श्री भदौरिया नोएडा प्राधिकरण में रहते हुए हैं क्षेत्राधिकारी के पद पर पदोन्नत हुए और यहीं से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर चले गए।
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