
सिंदूर की सौगंध: एक था पाकिस्तान: इतिहास के पन्नों में सिमटता सच
एक था पाकिस्तान: इतिहास के पन्नों में सिमटता सच
सिंदूर की सौगंध: 'एक था पाकिस्तान' की गूंज
"एक था पाकिस्तान" – ये केवल तीन शब्द नहीं, बल्कि इतिहास की एक गहरी दास्तां है। यह उस विभाजन का प्रतीक है, जिसने दिलों को तोड़ा और घरों को उजाड़ा। लेकिन क्या हमें हमेशा इस नफरत के जाल में फंसे रहना चाहिए? हमें न केवल बाहरी दुश्मनों से, बल्कि अपने भीतर की नफरत से भी लड़ना होगा। तभी एक दिन हम गर्व से कह सकेंगे – हाँ, 'एक था पाकिस्तान', और हम थे, हैं, और रहेंगे – एक, अखंड, अविनाशी भारत।
'एक था पाकिस्तान' - यह केवल तीन शब्द नहीं हैं, बल्कि यह उन अनगिनत कुर्बानियों, टूटे सपनों और संघर्षों की कहानी है, जो भारतीय सभ्यता के दिल में गहरे तक समाई हुई हैं। जब हम यह वाक्य सुनते हैं, तो न केवल एक भूगोल का जिक्र होता है, बल्कि एक पूरी जड़ें, एक परिवार, एक संस्कृति, और एक सपना जो कभी हमारे अपने हिस्से ...