
एक ज़रूरी बचाव, साइबर सतर्कता या शोरगुल?
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एक ज़रूरी बचाव, लेकिन क्या लोग ऊब गए हैं?1930 की चेतावनी और पकते कान: साइबर सतर्कता या शोरगुल?
साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 और ऑनलाइन ठगी से बचाव की चेतावनियाँ इतनी बार सुनाई देने लगी हैं कि लोग अब इनसे ऊबने लगे हैं। बैंक, फोन कंपनियाँ, न्यूज़ चैनल्स, और सोशल मीडिया हर जगह साइबर फ्रॉड के अलर्ट्स छाए हुए हैं, जिससे लोग ठगी से कम और चेतावनी से ज़्यादा परेशान हैं। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि असली कॉल्स और स्कैम्स में फर्क करना भी मुश्किल हो रहा है—हर मैसेज पर शक, हर कॉल पर संदेह! लोग इतने सतर्क हो गए हैं कि जरूरत पड़ने पर भी मदद माँगने वालों से पहले आधार कार्ड और पैन नंबर मांगने लगते हैं।
कभी-कभी ऐसा लगता है कि अगर किसी को गुप्त एजेंसी के लिए जासूसी करनी हो, तो उन्हें "साइबर क्राइम से बचें" जैसे संदेशों को बैकग्राउंड म्यूजिक बना देना चाहिए। जितनी बार हम अपने फोन, टीवी, बैंक मैसेज, या ...