समझें,संभले समाज में फैलते ‘सेक्सटॉर्शन’ से*
भारत में विशेषकर नगरों में बसे भारत में हर आदमी की कोशिश होती है कि समाज में उसकी इज्जत बनी रहे |व्यक्ति बच्चों व परिजनों की नजरों में न गिरे। सूचना विस्फोट के युग में जन्मे अपराध ‘सेक्सटॉर्शन’के मामले दिनोदिन बढ़ते जा रहे हैं | मध्यप्रदेश में यह मामले लगातार सुने जा रहे हैं | कुछ राज्यों में इनकी संख्या सैकड़ों में दर्ज है | हकीकत में जहां मोबाइल व इंटरनेट सुविधाओं के वाहक बने हैं, वहीं समाज में अपराधों के विस्तार की कड़ी भी बने हैं।
सेक्सटॉर्शन ऑनलाइन धोखाधड़ी व ठगी का सम्मिलित रूप है | चंद सेकेंडों में लोगों की जीवन-भर की पूंजी चली जाती है। ऐसा ही एक और अपराध है अमेरिका व कनाडा से नजदीक के रिश्तेदारों के पुलिस की गिरफ्त में होने की झूठी खबर देकर पैसा वसूली की खबर साइबर क्राइम विभाग में लगातार दर्ज हो रही हैं। इसी कड़ी में साइबर अपराध ‘सेक्सटॉर्शन’ है। यानी छल से अश्लील वीडियो बनाकर उसे परिजनों व मित्रों में वायरल करने की धमकी देकर पैसे की वसूली।
आशंका है कि लोकलाज के भय से तमाम लोग लाखों रुपये अपराधियों को दे चुके हैं। दरअसल, हर आदमी की कोशिश होती है कि कम सेकम परिवार में उसकी इज्जत बनी रहे । वह बच्चों व परिजनों की नजरों में न गिरे। इस अपराध की प्रवृत्ति कुछ ऐसी है कि हर आम व सफेदपोश इस मामले के उजागर होने से भयभीत होता है। एक ओर जहां उसका परिवार बिखरने के कगार पर जा पहुंचता है, वहीं सामाजिक प्रतिष्ठा भी धूल-धूसरित होने की आशंका बलवती होने लगती है। इन्हीं आशंकाओं के बीच वह भयादोहन के चलते मोटी रकम देने को बाध्य होता है। प्रदेश के एक व्यवसायी से जब कई चरणों में लाखों की वसूली होने के बाद वसूली का सिलसिला नहीं थमा तो अंतत: वह पुलिस की शरण में गया और फिर अपराधियों को पुलिस ने बेनकाब किया। दरअसल, सेक्सटॉर्शन का शिकार होने वालों में युवा ही नहीं, पुरानी पीढ़ी के राजनेता, सेवानिवृत्त अधिकारी, कारोबारी व डॉक्टर आदि भी शामिल हैं। अपराध का दायर इतना विस्तृत है कि देश के कई राज्यों से ऐसे अश्लील वीडियो बनाने वाले गिरोहों का संचालन हो रहा है।
स्कूल में विज्ञान वरदान या अभिशाप जैसे निबन्ध पढ़कर आये लोगों में आज यह बहस का विषय है कि सोशल मीडिया क्या वाकई सोशल रह गया है? फेसबुक व व्हाट्सएप के जरिये दोस्ती गांठ कर शातिर महिलाएं संपन्न व प्रभावशाली व्यक्ति के साथ नजदीकी हासिल कर लेती हैं। फिर एक दिन एक अनजान नंबर से वीडियो काल आती है और अश्लील हरकत करती शातिरा व्यक्ति को उसमें शामिल करके वीडियो रिकॉर्ड कर लेती है। जिसको सम्पादित करके फिर रंगदारी का खेल खेला जाने लगता है।
जहाँ इंटरनेट का इंद्रजाल जहां हमारे जीवन को सुविधाजनक बना रहा है, वहीं हमारे समाज व व्यक्तियों के जीवन में जहर भी घोल रहा है। दरअसल, खुलेपन की जो आंधी दुनिया में सोशल मीडिया में नजर आती है, वह कितनी घातक साबित हो सकती है, उसकी बानगी सेक्सटॉर्शन के चक्रव्यूह में नजर आती है। बहुत संभव है कई लोग सामाजिक प्रतिष्ठा गंवाने के भय से आत्मघाती कदम भी उठा लेते हों, जिसकी सच्चाई शायद ही कभी लोगों के सामने आये।
इस गंदे खेल का जाल इतना खतरनाक है कि कोई आम व्यक्ति भी इसकी चपेट में आ सकता है। हो सकता कई परिवारों के बच्चे इसकी चपेट में आकर गलत कदम उठा चुके हों, लेकिन परिवार के भय व सामाजिक प्रतिष्ठा के क्षरण के भय से किसी से कुछ न कह पाते हों। इस मुद्दे पर व्यापक विमर्श व काउंसलिंग की जरूरत है। बच्चोंके साथ बड़ों को भी समझाने की जरूरत है कि यदि वे किसी साजिश का शिकार होते हैं तो परिवार को विश्वास में लेकर समाधान निकालें। वहीं विडंबना यह भी कि हमारे समाज में यौन इच्छाओं का विस्फोट विद्यमान हो रहा है। तमाम सोशल साइट्स पर इतनी अश्लील सामग्री मौजूद है कि बच्चे समय से पहले बड़े होने लगे हैं। मां-बाप उन्हें ज्यादा मोबाइल का प्रयोग करने से रोकते हैं तो वे ऑनलाइन पढ़ाई की दुहाई देकर निरुत्तर कर देते हैं। तमाम विदेशी हमलों ने भारतीय संस्कृति को उतनी क्षति नहीं पहुंचाई होगी, जितनी इंटरनेट पर मौजूद अश्लीलता ने पहुंचाई है। कई अमानुषिक यौन अपराधों से पूर्व अपराधियों ने इंटरनेट पर अश्लील सामग्री देखने की बात स्वीकारी है। विज्ञान का यह अविष्कार समाज के लिए किसी बड़े अभिशाप में बदले सजगता और समझदारी जरूरी है |