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आखिर इस चुनाव से कांग्रेस को क्या हासिल होगा?

आखिर इस चुनाव से कांग्रेस को क्या हासिल होगा?

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19 अक्टूबर को मल्लिकार्जुन खडग़े का कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना तय है, क्योंकि 17 अक्टूबर को शशि थरूर के मुकाबले में खडग़े के पक्ष में एक तरफा वोटिंग हुई है। परिणाम आने से पहले ही खडग़े ने कह दिया है कि गांधी परिवार के बगैर कांग्रेस चल नहीं सकती है। खडग़े के इस कथन के बाद सवाल उठता है कि कांग्रेस अध्यक्ष के इस चुनाव से आखिर कांग्रेस को क्या हासिल होगा? जानकारों की माने तो ये चुनाव सिर्फ राहुल गांधी की जिद के कारण हो रहे हैं। राहुल गांधी यह नहीं चाहते थे कि कांग्रेस पर परिवार वादी पार्टी होने का आरोप लगे। इसलिए राहुल न तो स्वयं अध्यक्ष बने और न ही अपने परिवार के किसी सदस्य को अध्यक्ष बनने दिया। खडग़े को अध्यक्ष बना कर राहुल ने कांग्रेस को बचा लिया, लेकिन कांग्रेस की मजबूती का क्या होगा? लोकतंत्र में जो राजनीतिक दल चुनाव जीतता है वही सफल माना जाता है। राहुल गांधी खुद देख रहे हैं कि चुनावों में कांग्रेस को लगातार विफलता मिल रही है। 545 में मात्र 52 सांसद कांग्रेस के है तथा सिर्फ दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। अब जब हिमाचल और गुजरात में विधानसभा के चुनाव हो रहे तो राहुल गांधी कर्नाटक में पद यात्रा कर रहे हैं। हिमाचल और गुजरात में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल लगातार दौरे कर रहे हैं। केजरीवाल का दावा है कि गुजरात में उनका मुकाबला भाजपा से है। कांग्रेस को तीसरे नंबर पर माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गृह प्रदेश गुजरात में यदि कांग्रेस, भाजपा को हराना है तो राहुल गांधी को पद यात्रा भी नहीं करनी पड़ती। जब लोकतंत्र में सफलता चुनाव जीतना ही है तो किस बात के लिए पदयात्रा निकाली जा रही है? गुजरात में यदि लगातार छठी बार भाजपा जीतती है तो मोदी और शाह का देश की राजनीति में दबदबा और बढ़ेगा। यही वजह है कि गुजरात का चुनाव जीतने के लिए मोदी-शाह ने पूरी ताकत लगा रखी है। राहुल गांधी खुद विचार करें कि यदि गुजरात में कांग्रेस के मुकाबले केजरीवाल की पार्टी को ज्यादा सीटें मिली तो फिर उनकी पदयात्रा का क्या हश्र होगा? यह बात भी अपने आप में गंभीर है कि कांग्रेस ने उन अशोक गहलोत को गुजरात का सीनियर ऑर्ब्जवर बना रखा है जो राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी से चिपक कर कांग्रेस नेतृत्व को खुली चुनौती दे रहे हैं। गहलोत के कारण ही राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक तक नहीं हो रही है। क्या ऐसी स्थिति में गहलोत गुजरात में कांग्रेस को चुनाव जीतने का काम करेंगे? राहुल गांधी की पहचान कांग्रेस से ही है और जब कांग्रेस ही कमजोर हो जाएगी तो फिर राहुल गांधी किस दल का नेतृत्व करेंगे? पद यात्रा अपनी जगह है लेकिन कांग्रेस को मजबूत करना भी जरूरी है। मल्लिकार्जुन खडग़े ने सही कहा है कि गांधी परिवार यानी राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी के बगैर कांग्रेस नहीं चल सकती है। यदि कांग्रेस से गांधी परिवार अलग हो जाता है तो राजस्थान में भी गहलोत कांग्रेस बन जाएगी। राहुल गांधी को पहले कांग्रेस को संभालने की जरूरत है। परिवारवादी पार्टी होने के आरोप तो लगते रहेंगे। 

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