प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कल 15 नवम्बर को देश भर में अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रमों, रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सामाजिक गतिविधियों के आयोजन के साथ-साथ भगवान बिरसा मुंडा के जन्म स्थान झारखंड के खूंटी के उलिहातु में अनेक कार्यक्रम आयोजित करके जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया। सरकार ने 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया है, जो बहादुर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति को समर्पित है ताकि आने वाली पीढ़ियां देश के लिए उनके बलिदानों के बारे में जान सकें। यह तारीख बिरसा मुंडा की जयंती है, जिन्हें देश भर के आदिवासी समुदायों द्वारा भगवान के रूप में सम्मानित किया जाता है।
प्रधानमंत्री ने सोमवार, 15 नवम्बर, 2021 को रांची में ‘‘भगवान बिरसा मुंडा मेमोरियल पार्क सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय’’ का उद्घाटन किया। प्रतिष्ठित आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की 146वीं जयंती के अवसर पर, प्रधानमंत्री ने देश भर में 15 से 22 नवम्बर, 2021 तक एक सप्ताह तक चलने वाले उत्सव का भी शुभारंभ किया।
प्रधानमंत्री ने संसद परिसर, नई दिल्ली में भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर भी पुष्पांजलि अर्पित की और विभिन्न राज्यों के आदिवासी प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
जनजातीय गौरव दिवस’ के अवसर पर, प्रधानमंत्री ने देश के लोगों से एक साथ होकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र निर्माण में आदिवासी समुदायों के योगदान को सलाम करने की अपील की। श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए बहादुर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के अमूल्य बलिदानों को लगातार उजागर किया है। अपने पिछले भाषणों में, उन्होंने बहादुर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति को समर्पित संग्रहालयों के निर्माण की परिकल्पना की थी, ताकि आने वाली पीढ़ियां देश के लिए उनके बलिदानों के बारे में जान सकें और इन आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत को आगे बढ़ाएं।
इस लक्ष्य के अनुसरण में, जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अब तक 10 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों के निर्माण को मंजूरी दी है। ये संग्रहालय भारत के विभिन्न राज्यों के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की यादों को संजोए रखेंगे।
बिरसा मुंडा एक प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और देश के श्रद्धेय आदिवासी नेता थे, जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार की शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपने जीवनकाल में एक महान व्यक्ति बन गए, जिन्हें अक्सर ‘भगवान’ कहा जाता है। उन्होंने आदिवासियों का ‘‘उलगुलान’’ (विद्रोह) के लिए आह्वान करते हुए आदिवासी आंदोलन का आयोजन और नेतृत्व किया। उन्होंने आदिवासियों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों को समझने और एकता का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया। भारत सरकार ने 15 नवम्बर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में घोषित किया है, जो भगवान बिरसा मुंडा की 146वीं जयंती के साथ भी मेल खाता है। झारखंड राज्य सरकार के सहयोग से रांची के पुराने सेंट्रल जेल के स्थान पर भगवान बिरसा मुंडा आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय बनाया गया है, जहां महान बिरसा मुंडा ने अपने जीवन का बलिदान दिया था।
राज्य जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) के सहयोग से जनजातीय कार्य मंत्रालय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मना रहा है और देश भर में सभी 27 टीआरआई द्वारा विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। ये समारोह नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्यमिता, रोजगार और आदिवासियों के लिए आजीविका तथा आदिवासी संस्कृति, कला और समृद्ध आदिवासी विरासत के संरक्षण के क्षेत्र में योगदान करने के लिए प्रेरित करेंगे।
भगवान बिरसा मुंडा की 146वीं जयंती पर रांची में भगवान बिरसा मुंडा मेमोरियल पार्क सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का वर्चुअल उद्घाटन करते हुए, प्रधानमंत्री ने ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के समारोहों के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘रांची में भगवान बिरसा मुंडा आदिवासी संग्रहालय का शुभारंभ करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। झारखंड स्थापना दिवस के अवसर पर, यह पहल राष्ट्र के लिए आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों और आदिवासी समुदायों के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।’’
उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने अपना जीवन भारत के स्वतंत्रता संग्राम, विरासत और संस्कृति को समर्पित कर दिया। ‘‘उनकी जयंती उन्हें याद करने और अच्छे नागरिक बनने के लिए उनके नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रेरित करने का एक और अवसर है। हमारे आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों ने ‘अस्मिता और आत्मनिर्भरता’ के स्तंभों पर आधारित एक प्रगतिशील भारत की कल्पना की थी। मैं आप सभी से भारतीय गौरव और विरासत को बढ़ाते रहने का आग्रह करता हूं। जनजातीय संस्कृति और इतिहास को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में यह संग्रहालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।’’
राज्यपाल श्री रमेश बैस, मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन, केन्द्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा और श्री जी. किशन रेड्डी अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ झारखंड के रांची में आयोजित उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे। शुभारंभ के बाद केन्द्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा और श्री जी. किशन रेड्डी ने झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा के जन्म स्थान को जाकर देखा।
प्रधानमंत्री ने झारखंड के स्थापना दिवस पर राज्य के लोगों को बधाई भी दी।
बाद में दिन में, प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित जंबोरी मैदान में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस महा सम्मेलन में भाग लिया।
प्रधानमंत्री का स्वागत करने के लिए राज्यों के आदिवासी कलाकारों ने मध्य प्रदेश की समृद्ध आदिवासी संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले लोक नृत्य प्रस्तुत किए। प्रधानमंत्री ने स्वयं सहायता समूहों और आदिवासी उत्पादों के विभिन्न प्रदर्शों को भी जारी किया और विभिन्न आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की फोटो प्रदर्शनी को भी देखा। प्रधानमंत्री ने भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस महासम्मेलन में आदिवासी समुदाय के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की।
प्रधानमंत्री ने देश भर में 50 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की आधारशिला भी रखी। आदिवासियों की विशिष्ट जनजातीय संस्कृति और भाषा को महत्व देते हुए, श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “आजादी का अमृत महोत्सव (इंडिया@ 75) के तहत आदिवासी छात्रों की शिक्षा पर जोर देने के लिए लगभग 750 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय स्थापित करने का संकल्प लिया गया है। इनमें से बड़ी संख्या में स्कूल पहले से ही काम कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा वहन किए जाने वाले प्रति छात्र व्यय में को लगभग प्रति छात्र 40,000 रुपये से बढ़ाकर 1,00,000 रुपये से अधिक कर दिया गया है और यह निश्चित रूप से आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसरों तक पहुंचने में सक्षम बनाएगा।
प्रधानमंत्री द्वारा बिरसा मुंडा मेमोरियल पार्क सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के शुभारंभ के लिए आयोजित कार्यक्रम में केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा और केन्द्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने रांची से भाग लिया।
बाद में, उन्होंने झारखंड के रांची में बिरसा चौक पर बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
उसके बाद, श्री अर्जुन मुंडा और श्री जी. किशन रेड्डी ने झारखंड के खूंटी जिले के उलिहातु में बिरसा मुंडा के जन्मस्थान को जाकर देखा। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली में उनकी प्रतिमा और बिरसा मुंडा परिसर में स्थापित प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
इस अवसर को यादगार बनाने के लिए कई राज्यों ने विशेष कार्यक्रम आयोजित किए। आंध्र प्रदेश की ओर से विशाखापत्तनम में पांच दिवसीय राज्य स्तरीय आदिवासी शिल्प मेला (प्रदर्शनी सह बिक्री) आयोजित किया जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश ईएमआरएस में एक कार्यक्रम- ‘बिरसा मुंडा की स्मृति’ का आयोजन कर रहा है। असम ने इस अवसर पर एक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया है। छत्तीसगढ़ ने जनजातीय शिल्प मेला का आयोजन किया है। गुजरात ने एक पारंपरिक जनजातीय कला और शिल्प मेला, जनजातीय हर्बल और आहार मेला आयोजित किया। उन्होंने पारंपरिक आदिवासी नृत्य कार्यक्रम भी आयोजित किया। झारखंड ने रक्तदान शिविर का आयोजन किया, 45 पुस्तकों का विमोचन किया, माल्टो, भूमिज, असुर और बिरहोर पर प्राइमर तथा व्याकरण की पुस्तकों के साथ-साथ मल पहाड़िया, बंजारा, कोंध, करमाली, कर्मा और सोरहाई पर एक वृत्तचित्र का विमोचन किया। केरल ने वन अधिकार अधिनियम पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। मेघालय ने कोंगथोंग में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। मिजोरम ने भगवान बिरसा मुंडा के चित्र पर स्पॉट पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया। नगालैंड ने कैटापल्ट टारगेट हिटिंग पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। ओडिशा ने भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष में भगवान बिरसा मुंडा के योगदान पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। राजस्थान ने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। सिक्किम ने रक्तदान शिविर का आयोजन किया। तमिलनाडु ने आदिवासी युवाओं के लिए औषधीय पौधों और ड्राइंग प्रतियोगिता पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।