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भारत में शुरू हुआ 15 से 18 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन

आज से 15 से 18 साल के किशोरों को कोरोना की वैक्सीन लगाई जाएगी. वैक्सीन लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है.

कैसे होगा रजिस्ट्रेशन?
Cowin ऐप पर. इस ऐप के जरिए वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. इसके लिए आधार कार्ड, 10वीं की मार्कशीट, स्कूल का आई कार्ड जैसे डॉक्यूमेंट की जरूरत होगी.
कौन करवा सकता है रजिस्ट्रेशन?
ऐसे सभी किशोर जो 2007 के पहले पैदा हुए हों. इसके लिए 1 जनवरी से रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए हैं. नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के अध्यक्ष डॉ. आरएस शर्मा ने बताया था कि बच्चे अपने माता-पिता के मोबाइल नंबर से रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. एक नंबर पर एक ही परिवार के 4 लोगों का रजिस्ट्रेशन हो सकता है.ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो क्या?
अगर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है तो ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी करवा सकते हैं. डॉ. आरएस शर्मा के मुताबिक, बच्चे अपने माता-पिता के साथ जाकर वैक्सीनेशन सेंटर पर ही रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. वहां भी आधार कार्ड, 10वीं की मार्कशीट या स्कूल की आईडी साथ ले जानी होगी.

कौन सी वैक्सीन लगाई जा रही है?
अभी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) ही लगाई जाएगी. इसकी दूसरी डोज 28 दिन बाद दी जाएगी. हालांकि, जायडस कैडिला की Zycov-D को भी सरकार से मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन वो अभी 15 से 18 साल के वैक्सीनेशन प्रोग्राम में नहीं लगाई जाएगी. बताया जा रहा है कि Zycov-D इस हफ्ते वैक्सीन की 1 करोड़ डोज दे सकती है. हालांकि, इसे अभी वयस्कों को ही लगाया जाएगा.

कहां से लगवा सकेंगे वैक्सीन?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को सलाह दी है कि वो इस एज ग्रुप के किशोरों का वैक्सीनेशन सेंटर वयस्कों से अलग रखें, ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था न हो. अगर अलग से वैक्सीनेशन सेंटर न बना सकें तो किशोरों के लिए लाइन अलग से हो. दिल्ली में 159, गुजरात में करीब 3,500, मुंबई में 9, राजस्थान में 3,456 वैक्सीनेशन सेंटर बनाए गए हैं.

वैक्सीन सेंटर पर क्या होगा?
वयस्कों के लिए जो प्रक्रिया थी, वही किशोरों के लिए भी होगी. वैक्सीन लगने के बाद आधे घंटे तक सेंटर पर ही रुकना होगा. अगर कोई परेशानी या दिक्कत होगी तो वहां मौजूद डॉक्टर या नर्स देखभाल कर सकेंगे. बच्चों की मॉनिटरिंग होगी. अगर आधे घंटे में कोई असर नहीं दिखता है तो घर जाया जा सकता है.

वैक्सीन के साइड इफेक्ट होंगे?
वैक्सीन लगने के बाद बुखार आना, सिरदर्द, बदन दर्द, इंजेक्शन लगने वाली जगह पर सूजन जैसे मामूली साइड इफेक्ट्स ही दिखाई देते हैं. अभी तक वैक्सीन के बाद कोई गंभीर साइड इफेक्ट नजर नहीं आया है.

वैक्सीन कितनी सेफ है?
वैक्सीन ही एकमात्र ऐसा उपाय है जिससे कोरोना से काफी हद तक बचा जा सकता है. भारत बायोटेक ने पिछले साल 2 से 18 साल के बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल किया था. ट्रायल में ये वैक्सीन असरदार साबित हुई है. कोविड टास्क फोर्स वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा ने बताया ट्रायल के दौरान पाया गया कि बच्चों को वयस्कों की तुलना में मांसपेशियों में दर्द कम हुआ. उन्हें सूजन की शिकायत भी कम हुई. उन्होंने ये भी बताया कि बच्चों में वयस्कों की तुलना में ज्यादा एंटीबॉडीज बनी.

बच्चों के लिए वैक्सीनेशन, क्या बच्चों को खतरा है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि ऐसा कोई डेटा नहीं है जिससे ये कहा जा सके कि 18 साल से कम उम्र के लोगों में कोरोना का कोई खतरा नहीं है. डॉ. एनके अरोड़ा ने बताया कि 15 से 18 साल के किशोरों में वैक्सीनेशन शुरू करने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि कोरोना से बच्चों की जितनी मौतें हुई हैं, उनमें से 75 फीसदी मौतें इसी एज ग्रुप में हुई है.

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