दुनियाभर में सौर ऊर्जा को अपनाने की दिशा में तेजी लाने के क्रम में, अमेरिका भी एक सदस्य देश के रूप में बुधवार को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) में शामिल हो गया। यूएनएफसीसीसी सीओपी26 जलवायु सम्मेलन में आज अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी ने यह घोषणा की। सौर ऊर्जा वाले अप्रोच के जरिए वैश्विक ऊर्जा संक्रमण में तेजी लाने के लिए आईएसए की रूपरेखा वाले समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला अमेरिका 101वां देश बन गया है।
आईएसए के 101वें सदस्य के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका का स्वागत करते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि यह कदम आईएसए को मजबूत करेगा और दुनिया को ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत प्रदान करने को लेकर भविष्य की कार्रवाई को आगे बढ़ाएगा।
आईएसए के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर ने कहा, ‘आईएसए के ढांचे और दृष्टिकोण को अमेरिका का समर्थन एक उत्साहजनक सुखद घटनाक्रम है, विशेष रूप से 101वें सदस्य देश के तौर पर यह खास है। यह दर्शाता है कि दुनियाभर के देश सौर ऊर्जा के आर्थिक और जलवायु परिवर्तन के हिसाब से इस ऊर्जा स्रोत की क्षमता को समझ रहे हैं। यह वैश्विक ऊर्जा संक्रमण के लिए उत्प्रेरक की भूमिका निभा सकता है।’
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के शुभारंभ की घोषणा भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति माननीय श्री फ्रंकोइस ओलांद ने फ्रांस के पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी-21) के 21वें सत्र में 30 नवंबर 2015 को की थी। संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की-मून ने लगभग 120 देशों के प्रमुखों के साथ लॉन्च में हिस्सा लिया था, जिन्होंने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के प्रयासों में अपनी भागीदारी की प्रतिबद्धता जताई थी।
इस फ्रेमवर्क को पहली बार 2016 में देशों के समर्थन के लिए बढ़ाया गया। यह फ्रेमवर्क सभी देशों के सहयोग से स्थानीय लाभ प्रदान करने पर जोर देता है। आईएसए की प्रमुख भूमिकाओं में बाजारों में सौर प्रौद्योगिकियों के प्रचार और उसे उपलब्ध कराना सुविधाजनक बनाने के लिए नए वित्तपोषण साधन और जोखिम को न्यूनतम करना एवं अन्य गतिविधियां शामिल हैं।
फ्रेमवर्क में बताए गए दृष्टिकोण और विधियों ने पहले ही अच्छे परिणाम दिए हैं, आईएसए लगभग 5 गीगावॉट स्थापित क्षमता की सौर परियोजना पर काम कर रहा है। इस फ्रेमवर्क में विस्तृत दृष्टिकोण एक दूसरे से जुड़े वैश्विक ग्रिड का विजन तैयार करेगा, जिसे औपचारिक रूप से 2 नवंबर 2021 को ग्लासगो में सीओपी26में दुनिया के नेताओं के सम्मेलन के दौरान सीओपी26 की यूके प्रेसीडेंसी और अंतरराष्ट्रीय सौर ऊर्जा गठबंधन (आईएसए) की इंडिया प्रेसीडेंसी द्वारा ‘ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव- एक सूर्य एक विश्व एक ग्रिड’ (जीजीआई-ओएसओडब्लूओजी) के रूप में शुरू किया गया।
इससे पहले सीओपी26 में, संयुक्त राज्य अमेरिका भी जीजीआई-ओएसओडब्लूओजी की संचालन समिति में शामिल हुआ, जिसमें पांच सदस्य शामिल हैं- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, यूके व भारत – और 80 देशों के समर्थन के साथ ‘एक सूर्य’ घोषणा पत्र भी जारी किया गया। अमेरिका के ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रानहोम ने कहा था, ‘ग्रिड और सूर्य के कॉम्बिनेशन से हमारे ग्रह की रक्षा की जा सकती है। जीजीआई-ओएसओडब्लूओजी महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। अमेरिकी ऊर्जा विभाग जीजीआई-ओएसओडब्लूओजी में सहभागी बनकर खुश है।’
आईएसए फ्रेमवर्क को अमेरिका के समर्थन से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति के दूत जॉन केरी ने अक्टूबर 2021 में आईएसए की चौथी आम सभा को संबोधित किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि आईएसए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है और दुनिया के सबसे तेज धूप वाले सदस्य देशों के साथ सौर विकास को बढ़ावा दे सकता है। सौर ऊर्जा जलवायु को लेकर तत्काल कार्रवाई का सबसे अहम हिस्सा है, यह कहते हुए श्री केरी ने देशों से तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित करने और शताब्दी के मध्य तक शून्य उत्सर्जन लक्ष्यों को पहुंच के भीतर रखने के लिए प्रभावी कार्रवाई करने का आग्रह कियाथा।
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के बारे में
आईएसए संधि-आधारित एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका प्राथमिक कार्य वित्तपोषण एवं प्रौद्योगिकी की लागत को कम करके दुनियाभर में सौर विकास को उत्प्रेरित करना है। आईएसए सौर ऊर्जा को एक साझा समाधान के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है जो एक साथ सभी भौगोलिक क्षेत्रों में जलवायु, ऊर्जा और आर्थिक प्राथमकिताओं पर गौर करते हुए वैश्विक स्तर पर ऊर्जा संक्रमण की सुविधा, राष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा और स्थानीय स्तर पर ऊर्जा पहुंच सुनिश्चित करता है। आईएसए बड़े देशों की वैश्विक प्रतिबद्धताओं में मदद कर रहा है, जिससे कार्बन उत्सर्जन घटाकर ग्रह को सुरक्षित बनाया जा सके। इसके साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर देशों की मदद करते हुए एक आत्मनिर्भर ऊर्जा विकल्प स्थापित करने में मदद करता है, जो व्यापार निर्भरता को कम करता है और रोजगार सृजन को बढ़ावा देता है। सामाजिक-आर्थिक स्तर से परे सार्वभौमिक, सस्ती और भरोसेमंद बिजली कनेक्टिविटी आर्थिक विकास और पर्यावरणीय प्रभाव को सुविधाजनक बनाने की दिशा में इन संयुक्त प्रयासों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ और लक्षित, ठोस परिणाम है।