Shadow

सावधानी हटी दुर्घटना घटी

सावधानी हटी दुर्घटना घटी
*रजनीश कपूर
मशहूर उद्यमी और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का बीते रविवार मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर एक
सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। दुर्घटना का कारण तेज रफ़्तार को बताया जा रहा है। खबरों के अनुसार मिस्त्री
जिस मर्सिडीज कार में सवार थे, दुर्घटना के समय उसकी स्पीड करीब 130 किलोमीटर प्रति घंटा थी। दुर्घटना के
कई और कारण भी सामने आए हैं। जैसे कि जिस जगह पर यह हादसा हुआ उसकी चौड़ाई कम थी जिस कारण
गाड़ियों के निकलने में दिक्कत आती है। इसके साथ ही गाड़ी में पीछे की सीट पर सवार दोनों लोगों ने सीट बेल्ट
नहीं पहनी थी। असल कारण तो पूरी जाँच के बाद ही सामने आएगा। पर यह स्पष्ट है कि सड़क सुरक्षा के नियम का
पालन न करने से अक्सर ऐसी दुर्घटनाएँ होती हैं जो जानलेवा साबित होती हैं। इसलिए सभी को ज़िम्मेदारी से
गाड़ी चलानी चाहिए या उसमें सफ़र करना चाहिये।
दरअसल वाहन को गति सीमा में चलाने की बात हो या गाड़ी चलाते हुए सीट बेल्ट पहनने की बात हो, प्रायः ऐसा
देखा गया है कि इन नियमों का पालन केवल चालान से बचने के लिए ही होता है। विदेशों के मुक़ाबले हमारे देश में
पीछे की सीट पर सवार लोग ज़िम्मेदारी से सीट बेल्ट पहने ऐसा चलन अभी देखने में नहीं आया है।ऐसा केवल कुछ
चुनिंदा लोग ही करते हैं। जबकि कार में पीछे बैठी सवारियों को भी अपनी सुरक्षा के लिए सीट बेल्ट पहननी
चाहिए। आपात स्थिति में ब्रेक लगने पर पीछे बैठी सवारी को ज़्यादा चोट लगने की संभावना होती है। भारत में
केंद्रीय मोटर वाहन नियम की धारा 381 (1) के तहत, गाड़ी चलते वक्‍त आगे और पीछे की सीटों पर बैठे हुए
यात्रियों का सीट बेल्‍ट लगाना अनिवार्य है। यह नियम अक्‍टूबर 2002 में लागू हुआ था। इसी क़ानून की धारा 125
(1A) के तहत सभी चार पहिया वाहन निर्माताओं के लिए फ्रंट और रियर सीट्स पर बेल्‍ट देना भी अनिवार्य किया
गया है। साइरस मिस्त्री की मृत्यु के बाद सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने मीडिया से बातचीत
करते हुए कहा कि उन्होंने एक आदेश जारी किया है जिसके तहत अब से कार में पीछे बैठने वाले अगर सीट बेल्ट
नहीं लगाएँगे तो उनका भी चालान होगा। ये एक अच्छी पहल होगी। परंतु जब तक नियमों को सख़्ती से लागू नहीं
किया जाएगा तब तक ऐसे नियमों का असर नहीं दिखेगा।
गाड़ी की गति सीमा के उलंघन के मामलों में भी कुछ ऐसा ही देखा गया है। आज देश में कई जगह गाड़ी की गति
सीमा के उलंघन को पकड़ने के लिए ट्राफ़िक पुलिस ने स्पीड कैमरे लगा रखे हैं। जिन लोगों को इन कैमरों के लगे
होने की जानकारी होती है, वे लोग चालान से बचने को कैमरे की रेंज में आने से पहले ही अपनी गाड़ी की स्पीड
कम कर लेते हैं। ऐसा करने से वे न सिर्फ़ चालान से बच जाते हैं बल्कि कुछ क्षण के लिए सुरक्षित भी हो जाते हैं। पर
फिर तेज स्पीड पकड़ लेते हैं। अपने गंतव्य पर जल्दी पहुँचने की होड़ में लोग यह भी भूल जाते हैं कि तेज गति से
चलने पर न सिर्फ़ ईंधन की खपत अधिक होती है बल्कि वाहन की घिसाई भी अधिक होती है। इससे दुर्घटना होने
की संभावना भी बढ़ जाती है। तेज रफ़्तार से गाड़ी चलाने पर अक्सर जब ओवरटेक किया जाता है तो चालक की
जजमेंट भी ग़लत हो जाती है जो दुर्घटना को अंजाम देती है। ऐसा ही कुछ मिस्त्री की गाड़ी चला रही अनायता
पंडोले से भी हुआ।
साइरस मिस्त्री का हादसा हो या 25 वर्ष पूर्व 1997 में हुई ब्रिटेन की राजकुमारी डायना स्पेन्सर की कार दुर्घटना
में मौत का मामला हो, इन दोनों में यही समानता है कि पीछे बैठी सवारियों ने सीट बेल्ट नहीं लगाई थी। जिस
कारण इनकी मौत हो गई।
जानकारों के अनुसार जब भी कभी तेज गति से चल रही गाड़ी में टक्कर होती है या अचानक ब्रेक लगाई जाती है तो
आगे बैठी सवारियों को सीट बेल्ट रोक लेती है। ऐसे में आगे बैठी सवारियों को कम चोट आती है। वहीं यदि पीछे
बैठी सवारियों ने सीट बेल्ट नहीं लगाई होती है तो ब्रेक लगने की स्थिति में वे तेज गति से आगे की ओर टकराते हैं,

जिससे उनको ज़्यादा चोट लगती है। राजमार्गों और एक्सप्रेसवे जैसी सड़कों पर चलते समय यदि पीछे बैठी
सवारियाँ भी सीट बेल्ट पहन कर यात्रा करें तो दुर्घटना के समय निश्चित रूप से चोट की संभावना कम होगी।
आजकल की नई गाड़ियों में यदि आगे बैठी सवारियों ने सीट बेल्ट न पहनी हो तो गाड़ी में एक बीप की आवाज़
बजने लगती है। यह बीप तब तक बजती रहती है जब तक सवारी सीट बेल्ट न लगा ले। भारत जैसे देश में लोग
चालान और बीप की आवाज़ से छुटकारा पाने के लिए मजबूरन सीट बेल्ट लगा ही लेते हैं। लेकिन पीछे की
सवारियों के लिए अभी ऐसा कुछ भी नहीं है इसलिए लोग सीट बेल्ट पहन कर यात्रा करने से कतराते हैं। जबकि
इन सीटों को भी बीप से जोड़ना चाहिये।
आजकल की गाड़ियों में सवारियों की सुरक्षा के लिए एयरबैग भी लगे होते हैं। मर्सडीज़ जैसी महंगी गाड़ियों में तो
कई एयरबैग होते हैं। यह एयरबैग समय पर तभी खुलते हैं जब यात्री सीट बेल्ट पहने हुए होते हैं। यदि किसी
सवारी ने सीट बेल्ट नहीं लगा रखी तो एयरबैग देरी से खुलते हैं। ऐसे में गंभीर चोट लगने का ख़तरा काफ़ी बढ़
जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ था साइरस मिस्त्री के साथ। तेज गति से चल रही उनकी गाड़ी अनियंत्रित हुई और पुल
की दीवार से जा भिड़ी। ऐसे में तेज़ गति, ग़लत जजमेंट, तंग सड़क और सीट बेल्ट का न पहनना ही कारण नहीं
बल्कि गाड़ी चलाते हुए सावधानी न बरतना सबसे अहम कारण है। शायद इसीलिए कहा गया है कि ‘सावधानी
हटी दुर्घटना घटी।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *