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Author: Dialogue India

देश के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी कहलाते हैं-मंगलपांडे ।

देश के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी कहलाते हैं-मंगलपांडे ।

साहित्य संवाद
भारतीय इतिहास की दृष्टि से 8 अप्रैल का दिन बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्यों कि यह दिन वह दिन है जिस दिन भारत ने अपने एक वीर स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे को खो दिया था। आठ अप्रैल का दिन शहीद मंगल पांडे की पुण्यतिथि है। मंगल पांडे वह शख्सियत थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मंगलपांडे भारत के प्रथम क्रांतिकारी के रूप में विख्यात हैं। सच तो यह है कि वे देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्रामी कहलाते है। उनके द्वारा शुरू किया अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह, समूचे देश में दावानल (जंगल की आग) की तरफ फ़ैल गया था। इस भयंकर दावानल को अंग्रेजों ने बुझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन देश के बच्चे-बच्चे के अंदर ये आग भड़क चुकी थी, और इसी की बदौलत सन् 1947 में हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई। हम खुली हवा में सांस ले सके हैं। मंगल पाण्डेय (34वीं बंगाल इंफेन्ट्री) ...
देश का सर्वसम्मत इतिहास पाठ्यक्रम का अंग बने

देश का सर्वसम्मत इतिहास पाठ्यक्रम का अंग बने

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देश में बहस जारी है,मुद्दा पाठ्यक्रम में घटाना -जोड़ना है।कमोबेशमुगलों के इतिहास से जुड़े ‘द मुगल कोर्ट’ और ‘किंग्स एंड क्रॉनिकल्स’ नामक दो पाठ हटाये गये हैं। वहीं राजनीति शास्त्र की किताब से आजादी के बाद एक दल के प्रभुत्व वाले पाठ को हटाया गया है। ग्यारहवीं की किताब से ‘सेंट्रल इस्लामिक लैंड’ और ‘कान्फ्रन्टेशन ऑफ कल्चर्स’ पाठ हटाये गये हैं। वहीं ‘जन आंदोलन का उदय’ और ‘एक दल के प्रभुत्व का दौर’ पाठ भी हटाया गया है।भारत में यह परिपाटी बनती जा रही है कि सत्ताधीशों द्वारा अपनी सुविधा के हिसाब से इतिहास की व्याख्या की जाए । वैसे देश-दुनिया में हर राजनीतिक दल द्वारा कोशिश की जाती रही है कि इतिहास के पन्नों में उसका राजनीतिक विमर्श प्रभावी हो। जबकि यह भी एक हकीकत है कि ऐसी कोशिशें तात्कालिक लाभ भले ही दे जाएं, लेकिन ऐसे प्रयास न दीर्घकालिक होते हैं और न उन्हें सर्व-स्वीकार्यता ही मिलती है। क्या...
विनाशपर्व जालियांवाला बाग

विनाशपर्व जालियांवाला बाग

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१३ अप्रैल १९१९.* आज ही के दिन, जालियांवाला बाग, अमृतसर मे अंग्रेजोंने सैंकडों निरीह, निरपराध, निर्दोष भारतीयोंको किडे-मकौडों जैसा मारा... विनाशपर्व- प्रशांत पोळ १९१९ की १३ अप्रैल को बैसाखी थी. रविवार का दिन था. रौलेट एक्ट के विरोध में सारे देश में प्रदर्शन हो रहे थे. उसी शृंखला मे, जालियांवाला बाग में एक सभा आयोजित की गई थी. बैसाखी और छुट्टी के कारण, अमृतसर के आजू-बाजू के लोग भी जालियांवाला बाग पहुंच रहे थे. धीरे – धीरे यह संख्या पांच हजार तक पहुंच गई. मैदान में भाषण चल रहे थे, और लोग शांति से बैठ कर उन्हे सुन रहे थे. लोगों में बच्चे, बूढ़े, महिलाएं... सभी थे. वातावरण में कही कोई उत्तेजना या असंतोष नहीं था. तभी अचानक ब्रिटिश सेना का एक अधिकारी, ब्रिगेडियर जनरल एडवर्ड डायर (मूलतः वह कर्नल था. किन्तु अस्थायी रूप से उसे ब्रिगेडियर का पद दिया गया था), हथियारों से सुसज्जित अपनी फौज ले...
बेमौसम बारिश से फसलों का खराबा !

बेमौसम बारिश से फसलों का खराबा !

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
पिछले कुछ समय से बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं ने कई राज्यों में किसानों के समक्ष बहुत बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है। आंकड़़ें बताते हैं कि बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि व तेज हवाओं से क्रमशः मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 5.23 लाख हेक्टेयर से अधिक गेहूं की फसल को प्रभावित किया है। इससे उपज का नुकसान तो हुआ ही है साथ ही साथ किसानों के समक्ष कटाई व फसलों के भंडारण की समस्या भी पैदा हो गई है। इस समय बेमौसम बारिश की मार से आधा भारत बेहाल है और रह-रहकर हो रही बारिश से फसलों का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। ओलों व बर्फबारी से किसानों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इस बार मौसम किसानों का साथ नहीं दे रहा है। फसलों के खराबे से करोड़ों का नुकसान हुआ है। गेहूँ की पकी फसलें तो अधिक बारिश से जमीन पर गिर गई और गेहूँ का दाना बारिश से काला पड़ गया। सरसों की फसलों को भी बहुत नुकसान हुआ ...
जाति पर आत्यंतिक आग्रहों का अर्थ

जाति पर आत्यंतिक आग्रहों का अर्थ

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रामेश्वर मिश्र पंकज जाति की ही पहचान का अत्यंत आग्रह और अत्यंत निषेध,  दोनों के पीछे प्रयोजन एक ही  होता है।अन्य पहचानों को छिपाना।प्रत्येक संस्कारी और परंपरा से जुड़ा हुआ व्यक्ति जानता है कि प्रत्येक व्यक्ति की विशेषकर मनुष्य रूप में जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति की पहचान के अनेक स्तर हैं और अनेक आयाम हैं तथा उन पहचानों यानी उपाधियों के अनेक नाम भी हैं।व्यक्ति ब्रह्मांडीय इकाई है। वह मात्र सामाजिक इकाई नहीं है।समाज उसकी एक सामाजिक पहचान है। मूल रूप में आत्म सत्ता विराट है। परंतु परिवार के सदस्य के रूप में या किसी भी सामाजिक संस्था के रूप में वह आधारभूत सामाजिक इकाई भी हैं ।पर मात्र वही नहीं है।उससे परे भी वह है।तभी तो कहा है कि "आत्मार्थे पृथ्वीं त्यजेत।"इसी प्रकार राज्य के नागरिक के रूप में वह राजनीतिक इकाई भी है ।।जाति को हिंदुओं की एकमात्र पहचान मानने का आग्रह करने वाले...
अंतिम सत्य है मृत्यु , जीवन में कर्म प्रधान है !

अंतिम सत्य है मृत्यु , जीवन में कर्म प्रधान है !

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अभी दो दिन पहले ही फेसबुक पर एक पोस्ट पढ़ने को मिली। पोस्ट लता मंगेश्कर जी, भारत की स्वर कोकिला के बारे में थी। पोस्ट पढ़कर दिल भर आया। पास बैठी मां को पोस्ट पढ़कर सुनाने लगा तो यकायक गला रूंध आया। नहीं जानता पोस्ट में लिखे शब्द स्वयं लता मंगेशकर जी के हैं भी या नहीं, लेकिन फेसबुक पर यह पोस्ट देखकर ऐसा महसूस हुआ कि शायद ये लता मंगेशकर जी के शब्द रहे हों,जब वह बीमार थीं और अस्पताल में थी। पोस्ट हमें गंभीर चिंतन कराती है। आप भी इसे एकबार जरूर पढ़िए, पोस्ट कुछ इस प्रकार से थी- 'इस दुनिया में मौत से बढ़कर कुछ भी सच नहीं है। दुनिया की सबसे महंगी ब्रांडेड कार मेरे गैराज में खड़ी है। लेकिन मुझे व्हील चेयर पर बिठा दिया गया। मेरे पास इस दुनिया में हर तरह के डिजाइन और रंग हैं, महंगे कपड़े, महंगे जूते, महंगे सामान। लेकिन मैं उस छोटे गाउन में हूं जो अस्पताल ने मुझे दिया था ! मेरे बँक खाते में बहुत पै...
अर्थव्यवस्था को सेंध लगाते ऑनलाइन सट्टेबाजी, बेटिंग गेम्स

अर्थव्यवस्था को सेंध लगाते ऑनलाइन सट्टेबाजी, बेटिंग गेम्स

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
हाल ही में सट्टेबाजी और बेटिंग वाले विभिन्न ऑनलाइन गेम्स पर सरकार ने नये नियम जारी करते हुए इन पर अपनी तलवार चला दी है, जो बहुत ही काबिलेतारीफ कदम कहा जा सकता है। अब नये नियमों के तहत ऑनलाइन गेम को मंजूरी देने का फैसला इस बात को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा कि उस गेम में किसी तरह से दांव या बाजी लगाने की प्रवृत्ति तो शामिल नहीं है। अगर एसआरओ(स्व नियामक संगठनों) को यह पता चलता है कि किसी ऑनलाइन गेम में दांव लगाया जाता है तो वह उसे मंजूरी नहीं देगा। दूसरे शब्दों में, यह बात कही जा सकती है कि सरकार ने सट्टेबाजी और बेटिंग से जुड़े विभिन्न एप्स को हाल ही में प्रतिबंधित करने की बात कही है और साथ ही सट्टेबाजी और जुए से जुड़े विज्ञापनों से बचने की भी चेतावनी या यूं कहें कि एडवायजरी जारी की गई है। वास्तव में, न ई एडवायजरी या इन संशोधनों को जारी करने के पीछे मकसद इंटरनेट को खुला, सुरक्षित और वि...
Privatisation: Decline in the societal contract

Privatisation: Decline in the societal contract

राष्ट्रीय
The act of selling something, which you have not created and nor it has been capex-ed by your good self can be termed as divestiture. Wealth created by ancestors (not limited to father) and sold by one person for whatever the reason is the social meaning of divestiture.But, full divestiture, also known as, privatization, occurs when all or substantially all the interests of a government in a utility asset or a sector are transferred to the private sector. In my view - Privatization is more efficient and effective when you are in distress for not affording comfort, but not an intelligent act at all. Comfort can not be fulfilled by divestiture or privatization.A divested or privatized utility or public service is distinct from a private commercial enterprise in that the government gener...
उद्यमी देश के नायक या खलनायक

उद्यमी देश के नायक या खलनायक

Uncategorized, राष्ट्रीय
उद्यमी देश के नायक या खलनायक अथवा कैसा हो देश के धनी असरदार लोगों का लाइफ स्टाइल आर.के. सिन्हा इंफोसिस के फाउंडर एन.नारायण मूर्ति जब भी बोलते हैं तो उसे सबको सुनना ही पड़ता है। वे अपनी बात बेखौफ अंदाज में रखते हैं। उन्होंने पिछले दिनों इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद (आईआईएम-ए) के 58वां वार्षिक दीक्षांत समारोह में कहा कि कॉरपोरेट लीडर्स को अपनी सैलरी लेते हुए संयम बरतना चाहिए। उनका लाइफ स्टाइल भी बहुत खर्चीला नहीं होना चाहिए। उनका कहना था कि जिस देश में अब भी खासी गरीबी है , वहां पर उद्योगपतियों को एक तरह से अपने व्यवहार से उदाहरण पेश करना चाहिए। नारायणमूर्ति जी की बात पर गौर तो किया ही जाना चाहिए।  मुझे याद है कि भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में जब मैं मानव संसाधन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सलाहकार था, नाराय...
WINTER AIR POLLUTION TRENDS: WEST INDIA

WINTER AIR POLLUTION TRENDS: WEST INDIA

प्रेस विज्ञप्ति
(MAHARASHTRA AND GUJARAT) In 2022-23, Maharashtra and Gujarat faced the highest winter air pollution levels in the last four years: CSE’s new analysis Indicates growing local pollution and regional influence despite the advantage of natural ventilation of the coastal climate Peak pollution growing faster in Gujarat, but is a problem in Maharashtra as well Regional influence of pollution is sharply evident in synchronised spread of winter pollution across the cities of the two states Most polluted locations are in the Greater Mumbai region Region is beginning to face multi-pollutant problem with NO2 levels rising in Ahmedabad, Kalyan, Nagpur and Nandesari This demands urgent and upscaled action to cut emissions from vehicles, industry, open burning, landfill f...