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Author: Dialogue India

विश्व स्वास्थ्य दिवस और भारत की भूमिका

विश्व स्वास्थ्य दिवस और भारत की भूमिका

BREAKING NEWS, TOP STORIES, समाचार, सामाजिक
मृत्युंजय दीक्षितविश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ), के स्थापना दिवस 7 अप्रैल को ही विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है जो विश्व के देशों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर वैश्विक सहयोग तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी विविध एवं मानक विकसित और स्थापित करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 193 सदस्य देश तथा दो संबद्ध सदस्य देश हैं इसकी स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गयी थी जबकि विश्व स्वास्थ्य दिवस वर्ष 1950 से मनाया जा रहा है।इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी 75 वर्षगाँठ मना रहा है इसलिए इस बार का विश्व स्वास्थ्य दिवस विशेष उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य दिवस लोगों के स्वास्थ्य स्तर में सुधार करने हेतु उनमें स्वास्थ्य सम्बन्धी विषयों पर जागरुकता लाने के लिए मनाया जाता है। भारत भी विश्व स्वास्थ्‍य संगठन का एक सदस...
बिहार से बंगाल तक हिंसा – हिंदू विरोधी टूलकिट का अभियान

बिहार से बंगाल तक हिंसा – हिंदू विरोधी टूलकिट का अभियान

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
बिहार से बंगाल तक हिंसा - हिंदू विरोधी टूलकिट का अभियानबिहार से बंगाल तक रामनवमी को फिर बनाया गया निशानातथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों की विकृत राजनीति का दौर प्रारम्भमृत्युंजय दीक्षितजिस समय देश उल्लास और उत्साह के साथ रामभक्ति के रंग में डूबकर रामनवमी का पर्व मना रहा था उस समय कुछ शरारती तत्व अपने राजनैतिक आकाओं के बल पर हिंसा का तांडव रच रहे थे। रामनवमी के पावन अवसर पर बंगाल से बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र तक जिस प्रकार से चुन चुन कर रामनवमी झांकियों, यात्राओं और भक्तों पर पथराव तथा हिंसा की गई वह निंदनीय नहीं घृणित है और उससे भी अधिक घृणित है उस हिंसा को सही ठहराने वाले छद्म धर्मनिरपेक्ष लोगों का व्यवहार फिर वो चाहे कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री ही क्यों न हों।रामनवमी को हिन्दुओं पर हमले के रूप में प्रारम्भ हुयी हिंसा महाराष्ट्र के संभाजीनगर से बंगाल के हावड़ा से होती हुई बिहार के पांच जिलों औ...
Unleashing the Power Within: How to Boost Your Self-Confidence and Conquer Your Goals

Unleashing the Power Within: How to Boost Your Self-Confidence and Conquer Your Goals

जीवन शैली / फिल्में / टीवी, विश्लेषण
Dr Vaishali Sharma - a renowned life coachSelf-confidence is an essential aspect of a person's life. It shapes our personality, affects our decision-making skills, and influences how we look at ourselves and the world. Believing in oneself and one's abilities allows us to achieve tremendous success and personal growth. Many people suffer from a lack of self-confidence, which can severely impact their lives. Lack of confidence can lead to self-doubt, fear, and anxiety, preventing individuals from pursuing their dreams and goals. It can also affect their personal relationships and social life, making them feel invisible and insignificant. Understanding why self-confidence is vital for personal growth and development is essential. A person with self-confidence is more likely to tak...
सवेदनाओं का सूचक है आरिफ और सारस की प्रेम कहानी

सवेदनाओं का सूचक है आरिफ और सारस की प्रेम कहानी

सामाजिक
डॉ. शंकर सुवन सिंहसंवेदना एक ऐसी अनुभूति है, जो दूसरों के दर्द को अपना बना देती है। दर्द दूसरों को होता है, पर प्राण अपने छटपटाते हैं। ऐसी ही अनुभूति आरिफ को सारस पक्षी के प्रति हुई थी। घायल सारस होता है पर प्राण आरिफ के छटपटाते हैं। यही संवेदना आरिफ को औरों से अलग करती है। संवेदनाओं के मूल में मानवीय गुण छुपे होते हैं। आरिफ और सारस की कहानी इस समय चर्चा का विषय बानी हुई है। आरिफ ने सारस को घायल अवस्था से उठाकर उसको जीवन दिया। उसका उपचार किया। नतीजतन सारस ने जंगल और अपनी जमात छोड़कर आरिफ के साथ रहने लगा। ऐसा कभी आपने नहीं सुना होगा कि सारस पक्षी किसी व्यक्ति के साथ इस कदर रहता हो। आरिफ चाहता तो सारस की दोस्ती की आड़ में बाबा/ मौलवीय बन लोगो से ठगी कर सकता था। आरिफ की जगह कोई पाखंडी होता तो सारस की आड़ में पाखंडी बाबा बन गया होता। जैसा आज कल सुनने में आता है कि फलां बाबा के पास ऐसी शक्ति है क...
बेहद प्रेरक है “शिक्षा के गाँधी” की उपलब्धियां

बेहद प्रेरक है “शिक्षा के गाँधी” की उपलब्धियां

राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
डॉ. अजय कुमार मिश्राजीवन का मूल उद्देश्य कही न कही जनहित के कार्यो को करना होता है | ऐतिहासिक रूप से देखेगे तो यह पता चलता है की अविस्मरणीय वही रहे है जो दूसरों के लिए जीवन व्यतीत कर देते है | एक ऐसी सख्सियत जिन्होंने अपने बूते शिक्षा के क्षेत्र में न केवल अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कार्य किया बल्कि उत्तर प्रदेश की राजधानी से ऐसे अनेकों होनहार बच्चो को निखार करके देश - विदेश के हर क्षेत्र में परचम लहराया है |उम्र और जज्बे में गजब का तारतम्य है, जहाँ उम्र 86 वर्ष है वही कार्य और सेवा के प्रति जज्बा और जुनून किसी भी नव युवक से हजारों गुना अधिक है | महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर उन्होंने अपने नाम में गाँधी महज 11 वर्ष की उम्र में जोड़ लिया | आज दुनियांभर में लोग उन्हें डॉ. जगदीश गाँधी के नाम से जानते है | शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने पहला कदम आज से लगभग 6 दशक पूर्व रखा, आज सिटी मो...
काश, अजय बांगा-गुनीत मोंगा से प्रेरित होते खालिस्तान समर्थक

काश, अजय बांगा-गुनीत मोंगा से प्रेरित होते खालिस्तान समर्थक

राष्ट्रीय
आर.के. सिन्हा आजकल ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका में कुछ भटके हुए सिख नवयुवक न जाने किस भ्रम में काल्पनिक खालिस्तान की मांग करते हुए दिखाई देने लगे हैं। इन पर गुस्से से ज्यादा तरस ही आता है। अपने महान गुरुओं की धरती पंजाब और भारत को लेकर ये जिस तरह से अनाप-शनाप बकवास कर रहे होते हैं, वह बेहद अशोभनीय होती है। वे यह समझ लें कि अब भारत कभी भी विभाजित नहीं होगा। भारत के बंटवारे का ख्वाब देखने वालों को निराशा ही होगा। इस बिन्दु पर 140 करोड़ भारतीय एक हैं। कहीं कोई विवाद नहीं है। अब वह जमाना गया जब अपनी-अपनी नेतागिरी चमकाने और प्रधानमंत्री बनने के लिए नेहरू और जिन्ना ने हिंदुस्तान-पाकिस्तान बाँट लिया I अब वैसा होने से रहा I  काश, खालिस्तान के पक्ष में नारेबाजी करने वाले अजय बांगा और गुनीत मोंगा  से कुछ प्रेरणा ले लेत...
विलुप्ति के कग़ार पर पुरातन अन्न भंडारण पद्धति-कोठ्यार !

विलुप्ति के कग़ार पर पुरातन अन्न भंडारण पद्धति-कोठ्यार !

आर्थिक, राज्य
भारत एक कृषि प्रधान और अनाज के मामले में आत्मनिर्भर देश है। अनाज भंडारण आज भी हमारे देश में एक विकट समस्या ही है और भंडारण की समुचित व्यवस्था न होने के कारण बहुत सा अनाज खराब हो जाता है। अन्न को वैसे भी भारतीय संस्कृति में ब्रह्म का दर्जा दिया गया है। आइए हम जानते हैं कि प्राचीन समय में हमारे यहाँ के किसान किस प्रकार से बुआई-कटाई से ले कर अनाज के भण्डारण तक की समुचित व्यवस्था करते थे, जिसे आज भी अपनाये जाने की आवश्यकता है, ताकि अनाज को खराब या बर्बाद होने से बचाया जा सके।प्राचीन समय से ही हमारी कृषि, पशुपालन के साथ ही हमारे देश की अनाज भंडारण व्यवस्था बहुत ही विकसित और उन्नत थी।सिंधु घाटी सभ्यता में अन्न भंडार हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के शहरों में पाए गए थे। वास्तव में, सच तो यह है कि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई से पता चला कि साढ़े चार हजार साल पहले सिंधु घाटी की सभ्यता में गेहूं की खे...
राजनीति की दुर्दशा और दिशाहीनता – अनुज अग्रवाल

राजनीति की दुर्दशा और दिशाहीनता – अनुज अग्रवाल

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय
वो भारत जो पिछले वर्ष ही तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध अब तक के सबसे लंबे किसान आंदोलन से गुजरा था और जिसकी गूंज पूरी दुनिया में गूंजी थी और भारत सरकार को झुकना पड़ा था व प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों और देश से माफ़ी तक माँगी थी उसी भारत की राजनीति व किसान आंदोलन आज “ जलवायु परिवर्तन” के कारण हो रहे कम उत्पादन, फसलों के नष्ट होने व महंगाई से परेशान किसानों के दुःख - दर्द की पीड़ा पर ख़ामोश हैं। देश व दुनिया एक भयानक खाद्य व जल संकट से दो चार है और यह आगे बहुत ज्यादा बढ़ने वाला है, ऐसे में यह राजनीतिक मसला न हो हमारे अस्तित्व का मसला है , किंतु राजनीतिक दल इस मुद्दे पर लगभग ख़ामोश हैं। हाँ विपक्षी दल ताल ठोक रहे हैं संसद में उद्योगपति अदाणी को भारत सरकार व प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लगातार बड़ा फायदा पहुंचाने के हिंडनबर्ग रिपोर्ट द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति द्व...
भगवान् महावीर अवतरणपर्व –वि.सं.२०८०

भगवान् महावीर अवतरणपर्व –वि.सं.२०८०

TOP STORIES, संस्कृति और अध्यात्म
वे राजकुल में जन्मे थे, पर राज्य नहीं किया। कोई युद्ध उन्होंने नहीं जीते। न सेना बनाई। न पराक्रम दिखाया। न शक्ति प्रदर्शन किया। कोई चींटी तक उन्होंने नहीं मारी फिर भी "महावीर" कहलाए। है न अद्भुत बात!वस्तुत: बाहरी शत्रुओं को परास्त करने से अधिक कठिन है भीतरी शत्रुओं को परास्त करना। क्रांति के लिए बाहरी व्यवस्थाओं से पहले खुद की व्यवस्था को बदलना पड़ता है। पहली क्रांति स्वयं में घटित करनी होती है तब जाकर समाज जीवन में क्रान्ति घटित होती है। स्वयं के आचरण, व्यवहार और शील में परिवर्तन लाए बिना समाज में परिवर्तन करने का स्वप्न देखना–दिखाना छल और पाखण्ड है। दुश्मनों को बाहर ही बाहर ढूँढने के चक्कर में हम भीतर छुपे बैठे दुश्मनों को देखना भूल जाते हैं। उनका ख्याल ही नहीं आता। हमारे "अरि" बाहर ही नहीं होते। हमारे भीतर रहकर भी उपद्रव मचाते हैं। काम, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या, अभिमान ...और भी न जाने कौन–क...
समस्याओं से जूझती भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली

समस्याओं से जूझती भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली

TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
प्रियंका 'सौरभ भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली न केवल संस्थानों के संवैधानिक ताने-बाने में बल्कि पदाधिकारियों के मानस में भी समस्याओं से घिरी हुई प्रतीत होती है। जैसे हमने महामारी के साथ जीना सीख लिया है, वैसे ही हमने ऐसी समस्याओं के साथ जीना सीख लिया है। जैसा कि प्रोफेसर एंड्रयू एशवर्थ ने कहा, "एक न्यायसंगत और सुसंगत आपराधिक न्याय प्रणाली लोगों की एक अवास्तविक अपेक्षा है"। आपराधिक न्याय प्रणाली में एजेंसियों पर बार-बार कानून लागू करने, अपराध का निर्णय लेने और आपराधिक आचरण में सुधार करने का आरोप लगाया जाता है। आपराधिक न्याय प्रणाली सुधारों में मोटे तौर पर न्यायिक सुधार, जेल सुधार और नीतिगत सुधार शामिल हैं। यह अनिवार्य रूप से सामाजिक नियंत्रण का एक साधन है। भारत में आपराधिक कानूनों को ब्रिटिश शासन के दौरान संहिताबद्ध किया गया था, जो 21वीं सदी में कमोबेश वैसे ही बने हुए हैं। लॉर्ड थॉ...