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Author: Dialogue India

मोटा अनाज और खाद्य-प्रसंस्करण उद्योग

मोटा अनाज और खाद्य-प्रसंस्करण उद्योग

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
राकेश दुबे 1960 के दशक तक ज्वार, बाजरा और रागी का अंश भारतीयों के भोजन में लगभग एक-चौथाई हुआ करता था, लेकिन हरित क्रांति में धान और गेहूं  की फसल को मिली तरजीह के बाद इनका अंश कम होता चला गया। जब से मोटे अनाज का उत्पादन और खपत कम होनी शुरू हुई तब से अब तक हमारी भोजन और खुराक संबंधी आदतें पूरी तरह बदल चुकी हैं। पिछले कुछ दशकों से हम निर्णायक रूप से महीन, प्रसंस्करित, पैकेट बंद और रेडी-टू-कुक भोजन की ओर मुड़ गए हैं।अब केंद्र सरकार वापिस मोटे अनाज पर लौटने की बात कह रही है। तथ्य है कि सदियों से मोटा अनाज भारतीय भोजन का हिस्सा और खुराक रहे हैं।  अब संयुक्त राष्ट्र और भारत की केंद्रीय सरकार द्वारा साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किए जाने के बाद सरकारी एजेंसियों की पुरज़ोर कोशिश रशुरू हो गई है  कि भारत को मोटा अनाज उत्पादन और निर्यात की मुख्य धुरी  बनाय...
वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक का निधन डायलॉग इंडिया की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक का निधन डायलॉग इंडिया की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।

Today News
नई दिल्ली, 14 मार्च 2023: वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक का हृदय गति रूक जाने से सुबह निधन हो गया। उनकी आयु 79 वर्ष थी। कल 15 मार्च सुबह 9 बजे से 1 बजे तक उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थान गुड़गांव में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार लोधी  क्रेमेटोरियम, नई दिल्ली में बुधवार, शाम 4 बजे होगा।  डॉ. वेदप्रताप वैदिक की गणना उन राष्ट्रीय अग्रदूतों में होती है, जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया और भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलवाने के लिए सतत संघर्ष और त्याग किया। महर्षि दयानंद, महात्मा गांधी और डॉ. राममनोहर लोहिया की महान परंपरा को आगे बढ़ानेवाले योद्धाओं में वैदिकजी का नाम अग्रणी है। पत्रकारिता, राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति, हिंदी के लिए अपूर्व संघर्ष, विश्व यायावरी, प्रभावशाली वक्तृत्व, संगठन-कौशल आदि अनेक क्षेत्रों में एक साथ मू...
तपती धरती, संकट में अस्तित्व

तपती धरती, संकट में अस्तित्व

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
भारत में, 10 सबसे गर्म वर्षों में से नौ पिछले 10 वर्षों में दर्ज किए गए हैं, और सभी 2005 के बाद से दर्ज किए गए हैं। पिछला साल रिकॉर्ड पर पांचवां सबसे गर्म वर्ष था। गर्मी की लहरों के कारण प्रेरित तनाव श्वसन और मृत्यु दर को बढ़ाता है, प्रजनन क्षमता को कम करता है, पशु व्यवहार को संशोधित करता है, और प्रतिरक्षा और अंतःस्रावी तंत्र को दबा देता है, जिससे कुछ बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। 1992 के बाद से, भारत में लू से संबंधित 34,000 से अधिक मौतें हुई हैं। गर्मी की लहरें पशुओं को गर्मी के तनाव का अनुभव करने की संभावना भी बढ़ जाती हैं, खासकर जब रात के समय तापमान अधिक रहता है और जानवर ठंडा नहीं हो पाते हैं। गर्मी से तनावग्रस्त मवेशी दूध उत्पादन में गिरावट, धीमी वृद्धि और कम गर्भाधान दर का अनुभव कर सकते हैं। गर्मी की लहरें सूखे और जंगल की आग को बढ़ा सकती हैं, जिससे कृषि क्षेत्र पर नकारात्मक ...
संघ का मूल विचार स्पष्ट है, वह है हिन्दू राष्ट्र को समृद्ध करना

संघ का मूल विचार स्पष्ट है, वह है हिन्दू राष्ट्र को समृद्ध करना

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
प्रो. कुसुमलता केडिया  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हिन्दुत्व को सशक्त और समृद्ध बनाये रखने के लिये परमपूजनीय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने की थी। समस्त हिन्दू ज्ञान परंपरा, शौर्य परंपरा, समृद्धि परंपरा और शिल्प परंपरा की स्मृति को जीवंत रखते हुये उसकी धारावाहिकता सतत प्रशस्त रखना उसका लक्ष्य है और हिन्दू राष्ट्र ही उसका उपास्य और साध्य है।   आद्य सरसंघचालक और द्वितीय सरसंघचालक के ही चित्र संघ के सभी महत्वपूर्ण आयोजनों में सम्मुख रखे जाते हैं। इन दो के ही विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मूल विचार हैं। पूज्य आद्य सरसंघचालक ने कभी कोई पुस्तक नहीं लिखी और उनके जीवनकाल में उनके वक्तव्यों का भी प्रकाशन संकलित होकर सामने नहीं आया। अतः उनके विषय में श्री ना.ह.पालकर जी द्वारा लिखित जीवनी ही मूल प्रमाण है। परमपूजनीय गुरूजी के विचारों का संकलन ‘बंच ऑफ थॉट’ (विचार नवनीत)...
भारतीय विकसित देशों की नागरिकता क्यों ले रहे हैं

भारतीय विकसित देशों की नागरिकता क्यों ले रहे हैं

BREAKING NEWS, Current Affaires, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
केंद्र सरकार ने दिनांक 9 दिसम्बर 2022 को भारतीय संसद को सूचित किया कि वर्ष 2011 से 31 अक्टोबर 2022 तक 16 लाख भारतीयों ने अन्य देशों, विशेष रूप से विकसित देशों, की नागरिकता प्राप्त कर ली है। वर्ष 2022 में 225,000 भारतीयों द्वारा अन्य देशों की नागरिकता ली गई है। इसी प्रकार, मोर्गन स्टैन्ली द्वारा वर्ष 2018 में इकोनोमिक टाइम्ज में प्रकाशित एक प्रतिवेदन में बताया है कि वर्ष 2014 से वर्ष 2018 के बीच भारत से डॉलर मिलिनायर की श्रेणी के 23,000 भारतीयों ने अन्य देशों में नागरिकता प्राप्त की।  डॉलर मिलिनायर उस व्यक्ति को कहा जाता है जिसकी सम्पत्ति 10 लाख अमेरिकी डॉलर से अधिक रहती है। साथ ही, ग्लोबल वेल्थ मायग्रेशन रिव्यू आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में डॉलर मिलिनायर की श्रेणी के 7,000 भारतीयों ने अन्य देशों की नागरिकता प्राप्त की है।  उक्त संख्या भारत में डॉलर मिलिनायर की कुल संख्या का 2.1 प्रतिशत ...
डॉ. वेदप्रताप वैदिकः हिन्दी का लहराया था परचम

डॉ. वेदप्रताप वैदिकः हिन्दी का लहराया था परचम

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
-ललित गर्ग- पत्रकारिता के एक महान् पुरोधा पुरुष, मजबूत कलम एवं निर्भीक वैचारिक क्रांति के सूत्रधार, उत्कृष्ट राष्ट्रवादी, हिन्दीसेवी, ‘भाषा’ के मुख्य सम्पादक, नवभारत टाइम्स के सम्पादक, डॉ. वेदप्रताप वैदिक अब हमारे बीच नहीं रहे। मंगलवार सुबह उनका निधन 78 वर्ष की उम्र में बाथरूम में गिरने की वजह से हो गया। एक संभावनाओं भरा हिन्दी पत्रकारिता का सफर ठहर गया, उनका निधन न केवल पत्रकारिता एवं हिन्दी के लिये बल्कि भारत की राष्ट्रवादी सोच के लिये एक गहरा आघात है, अपूरणीय क्षति है। वैदिक का जीवन सफर आदर्शों एवं मूल्यों की पत्रकारिता की ऊंची मीनार है। उनका निधन एक युग की समाप्ति है। वे चित्रता में मित्रता के प्रतीक थे तो गहन मानवीय चेतना के चितेरे जुझारु, निडर, साहसिक एवं प्रखर व्यक्तित्व थे। वे एक ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व थे, जिन्हें पत्रकारिता एवं हिन्दी का यशस्वी योद्धा माना जाता है। उनके परिवा...
क्या आगामी लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी से बेहतर विकल्प है ?

क्या आगामी लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी से बेहतर विकल्प है ?

Today News, राज्य
डॉ. अजय कुमार मिश्रादेश की राजनैतिक स्थिति अब ऐसी हो गयी है की जहाँ विकास और आम आदमी की जमीनी जरूरतों पर खुली बहस करने के बजाय, नरेन्द्र मोदी को हराने के लिए विपक्ष के कई दल एक साथ एकजुट होना चाह रहें है | सभी के पास राजनैतिक अनुभव और अपने दांव है जिसके लिए एक पार्टी दुसरें से एक जुट होने की अपील कर रही है | अधिकांश राजनैतिक पार्टियों की यह पहली प्राथमिकता है की नरेन्द्र मोदी को हराना है | पर क्या किसी पार्टी के पास नरेन्द्र मोदी की कार्य प्रणाली से बेहतर नीतियाँ और कार्य विधि है ? कोई भी सीधा और सटीक जबाब नहीं देगा | जिन्होंने दशकों देश पर शासन किया और वो पार्टियाँ जो राज्य स्तर पर शासन करके जनता के मंसूबो पर फेल हो चुकी है उन्हें भी नरेन्द्र मोदी को हराना है | भारत ही नहीं बल्किवैश्विक राजनैतिक इतिहास को टटोलने पर आपको चुनिन्दा लोग ही मिलेगे जिनका प्रभाव पार्टी से बड़ा और लोकप्रिय, स...
आज डिजिटल तकनीक का युग है।

आज डिजिटल तकनीक का युग है।

राष्ट्रीय, समाचार
आज डिजिटल तकनीक का युग है। इंटरनेट, सोशल नेटवर्किंग साइट्स फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम का युग है। यही कारण है कि आज हम पत्रों से संवाद करना लगभग लगभग भूल चुके हैं। आज की युवा पीढ़ी डाकघर में मिलने वाले अंतर्देशीय पत्र, पोस्टकार्ड आदि के बारे में जानती ही नहीं होगी। आज सब टेक्स्ट मैसेज लिखते हैं, व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम का जमकर प्रयोग करते हैं लेकिन पत्र लिखने में जो भावनाएं मौजूद थीं, जिस भाषा का हम पत्रों में इस्तेमाल करते थे, आज वह भाषा, भावनाएं दोनों ही नदारद हो गई हैं। आज पत्र-पत्रिकाओं के संपादकों को कोई विरले ही चिट्ठी लिखता होगा।वैसे भी आज के इंटरनेट, आधुनिक युग में किसी संपादक के पास इतना समय नहीं होता है कि वह पाठकों, लेखकों की एक एक चिट्ठियाँ खोलकर पढ़ें और बाद में उन्हें अपने अखबार में प्रकाशित करें। पहले संपादकों द्वारा पाठकों, लेखकों की चिट्ठियों को ...
आर्थिक प्रगति में शुचितापूर्ण नीतियों का अपनाया जाना जरूरी

आर्थिक प्रगति में शुचितापूर्ण नीतियों का अपनाया जाना जरूरी

आर्थिक, राष्ट्रीय
हाल ही के समय में भारत के आर्थिक विकास की दर में बहुत तेजी आती दिखाई दे रही है एवं आगे आने वाले समय में आर्थिक प्रगति की गति और अधिक तेज होने की उम्मीद की जा रही है। किसी भी क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ने के अपने लाभ भी हैं और नुक्सान भी। आर्थिक क्षेत्र में प्रगति करते समय इसका ध्यान रखा जाना बहुत जरूरी है कि इस संदर्भ में प्रगति के लिए जो नीतियां अपनायी जा रही हैं वे जनता की अपेक्षाओं को पूरा करती हैं। साथ ही, देश में आर्थिक विकास को गति देने के लिए गल्त आर्थिक नीतियों को लागू नहीं किया जाय क्योंकि गल्त आर्थिक नीतियों को अपनाते हुए आर्थिक स्त्रोतों को बढ़ाना देश एवं जनता के हित में नहीं होता है। आर्थिक प्रगति के इस खंडकाल में इस बात पर भी विशेष ध्यान देना जरूरी है कि भारत की आर्थिक प्रगति में शुचितापूर्ण नीतियों का पालन किया जा रहा है। आर्थिक प्रगति किसी भी कीमत पर हो एवं चाहे इस...
बुढ़ापे में स्मृतिलोप का अंधेरा परिव्याप्त होने की आशंका

बुढ़ापे में स्मृतिलोप का अंधेरा परिव्याप्त होने की आशंका

विश्लेषण, सामाजिक, साहित्य संवाद
-ललित गर्ग- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान सहित दुनिया भर के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की ओर से किए गए शोध में यह बताया गया है कि आने वाले वक्त में भारत में साठ साल या उससे ज्यादा उम्र के एक करोड़ से भी अधिक लोगों के डिमेंशिया यानी स्मृतिलोप की चपेट में आने की आशंका है। घोर उपेक्षा एवं व्यवस्थित देखभाल के अभाव में बुजुर्गों में यह बीमारी तेजी से पनप रही है। भारत का बुढ़ापा एवं उम्रदराज लोगों का जीवन किस कदर परेशानियों एवं बीमारियों से घिरता जा रहा है, उससे ऐसा प्रतीत होने लगा है कि उम्र का यह पड़ाव अभिशाप से कम नहीं है। एक आदर्श एवं संतुलित समाज व्यवस्था के लिये अपेक्षित है कि वृद्धों के प्रति स्वस्थ व सकारात्मक भाव व दृष्टिकोण रखे और उन्हें वेदना, कष्ट व संताप से सुरक्षित रखने हेतु सार्थक पहल करे ताकि वे स्मृतिलोप या मतिभ्रम का भी शिकार न हो जाएं। वास्तव में भारतीय संस्कृति तो ब...