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Author: Dialogue India

Sanitation on Ganga Bank gets Big Push as Uma Bharati holds back to back People’s Convention

जीवन शैली / फिल्में / टीवी
Union Minister for Drinking Water and Sanitation Uma Bharati  today held the fourth Ganga Gram Swachhta Sammelan within the last two weeks to strengthen Sanitation based all round development in the villages on the bank of Ganga. Addressing the  Sammelan at Bithoor, Kanpur, in Uttar Pradesh, she said its the responsibility of the community to take forward the ODF status achieved in Ganga villages and add Solild and Liquid Management initiatives to it. Praising the unprecedented number progress made by Uttar Pradesh in last one year, she said that within one year sanitation coverage in the state has reached about 99% from a meager 50%. She also informed that India's sanitation coverage has gone up from 39 to 96 percent in just 4 years with construction of 8.8 crore toilets. She said th...

कीटनाशकों के नियंत्रित उपयोग में मददगार हो सकते हैं सेल्यूलोज नैनो फाइबर

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फसलों में रसायनों के सही मात्रा में उपयोग और उनकी बर्बादी को रोकने के लिए छिड़काव की नियंत्रित विधियों की जरूरत होती है। भारतीय शोधकर्ताओं ने अब एक ऐसा ईको-फ्रेंडली फॉर्मूला तैयार किया है, जिसकी मदद से खेतों में रसायनों का छिड़काव नियंत्रित तरीके से किया जा सकता है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की पुणे स्थित नेशनल केमिकल लैबोरेटरी (एनसीएल) के शोधकर्ताओं ने गन्ने की पेराई के बाद बचे अपशिष्ट, मक्का स्टार्च और यूरिया फॉर्मेल्डहाइड को मिलाकर खास नैनो-कम्पोजिट दाने (ग्रैन्यूल्स) बनाए हैं। ग्रेन्यूल्स के भीतर एक कीट प्रतिरोधी रसायन डिमेथिल फाथेलेट (डीएमपी) और परजीवी रोधी दवा एक्टो-पैरासिटाइडिस को समाहित किया गया है। इस नये नियंत्रित रिलीज फॉर्मूलेशन सिस्टम की मदद से वांछित समय में कीटनाशकों को रिलीज किया जा सकता है और उन्हें जरूरत के अनुसार सही जगह तक पहुंचाया जा सकता ...

India’s Action Plan on antibiotic resistance (AMR) has made limited progress, says CSE assessment

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As the world observes the ‘World Antibiotic Awareness Week’ from November 12-18, aimed at increasing global awareness of antibiotic resistance (AMR), Centre for Science and Environment (CSE) has done an assessment of India’s National Action Plan on Antimicrobial Resistance (2017-21) – the assessment finds limited progress on only a few critical activities to contain AMR from animal and environmental sources. “Even after a year and a half after India’s National Action Plan on Antimicrobial Resistance (2017-21) came into being, there is at best limited progress on only a few critical activities to contain AMR from animal and environmental sources. Many of these were planned to be completed within a year. India is going to be heavily impacted by the AMR crisis and we cannot afford such del...
गांधी बनाम गोडसे

गांधी बनाम गोडसे

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नाथूराम गोडसे के नाम और उनके एक काम के अतिरिक्त लोग उन के बारे में कुछ नहीं जानते। एक लोकतांत्रिक देश में यह कुछ रहस्यमय बात है। रहस्य का आरंभ 8 नवंबर 1948 को ही हो गया था, जब गाँधीजी की हत्या के लिए चले मुकदमे में गोडसे द्वारा दिए गए बयान को प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। गोडसे का बयान लोग जानें, इस पर प्रतिबंध क्यों लगा? इस का कुछ अनुमान जस्टिस जी.डी. खोसला, जो गोडसे मुकदमे की सुनवाई के एक जज थे, की टिप्पणी से मिल सकता है। अदालत में गोडसे ने अपनी बात पाँच घंटे लंबे वक्तव्य के रूप में रखी थी, जो 90 पृष्ठों का था। जब गोडसे ने बोलना समाप्त किया तब का दृश्य जस्टिस खोसला के शब्दों में... “सुनने वाले स्तब्ध और विचलित थे। एक गहरा सन्नाटा था, जब उसने बोलना बंद किया। महिलाओं की आँखों में आँसू थे और पुरुष भी खाँसते हुए रुमाल ढूँढ रहे थे।… मुझे कोई संदेह नहीं है, कि यदि उस द...
छात्रों की किसे चिन्ता है ?

छात्रों की किसे चिन्ता है ?

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पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्र संघ के चुनाव भारी विवादों के बीच संम्पन्न हुए है। छात्र समुदाय दो खेमों में बटा हुआ था। एक तरफ भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और दूसरी तरफ वामपंथी, कांग्रेस और बाकी के दल थे। टक्कर कांटे की थी। वातावरण उत्तेजना से भरा हुआ था और मतगणना को लेकर दोनो जगह काफी विवाद हुआ। विश्वविद्यालय के चुनाव आयोग पर आरोप-प्रत्यारोपों का दौर चला। छात्र राजनीति में उत्तेजना,हिंसा और हुडदंग कोई नई बात नहीं है। पर चिन्ता की बात यह है कि राष्ट्रीय राजनैतिक दलों ने जबसे विश्वविद्यालयों की राजनीति में खुलकर दखल देना शुरू किया है तब से धनबल और सत्ताबल का खुलकर प्रयोग छात्र संघ के चुनावों में होने लगा है, जिससे छात्रों के बीच अनावश्यक उत्तेजना और विद्वेष फैलता है। अगर समर्थन देने वाले राष्ट्रीय राजनैतिक दल इन छात्रों के भविष्...
राहुल गांधी की मानसरोवर यात्रा का पूरा सच?

राहुल गांधी की मानसरोवर यात्रा का पूरा सच?

Today News, विश्लेषण
ये वाकई शर्म की बात है कि एक शख्स जो 48 साल का है उसे इस बात को साबित करना पड़ रहा है कि वो किस धर्म का है. समस्या है कि वो गुजरात में मंदिर मंदिर में जाकर सिर झुकाता है.. पूजा करता है. कर्णाटक में हिंदू धार्मिक पोशाकों में आरती और वंदना करता है. वो हर ऐसी जगह जाता है जिससे उसके हिंदू का सबूत माना जा सकता है. इतना ही नहीं, उसके प्रवक्ता उसे कभी जेनऊधारी बताते हैं. कभी शिवभक्त घोषित करते हैं तो कभी 'शुद्ध बाह्मण' डीएनए का वाहक बताते हैं. इतना ही नहीं, 48 साल के इस शख्स को खुद को हिंदू साबित करने के लिए कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाना पड़ता है. और तो और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि वो जहां जाते हैं वहां मीडिया का कैमरा साथ ले जाते हैं. फोटो और वीडियो शेयर टीवी अखबार और सोशल मीडिया पर शेयर किया जाता है. पैसे पर प्रचार प्रसार करने वाले इसे हर फोन तक पहुंचाते हैं लेकिन दुर्भाग्य देखिए.... इतना ...
 हिमशिला की नोक? सिर्फ़ स्वास्थ्य ही नहीं, सतत विकास को भी कुंठित करता है तम्बाकू

 हिमशिला की नोक? सिर्फ़ स्वास्थ्य ही नहीं, सतत विकास को भी कुंठित करता है तम्बाकू

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
प्रति वर्ष 70 लाख से अधिक लोग तम्बाकू के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं. ज़रा ध्यान से सोचें: हर तम्बाकू जनित रोग से बचा जा सकता है और हर तम्बाकू जनित असामयिक मृत्यु को टाला जा सकता है। तम्बाकू उद्योग ने यह जानते हुए भी कि उनका उत्पाद जानलेवा है, न केवल अपने बाज़ार को बढ़ाया बल्कि विश्वभर में पर्वतनुमा तम्बाकू महामारी को भी अंजाम दिया। विश्व में 70% मौतें ग़ैर संक्रामक रोगों के कारण होती हैं। और तम्बाकू ग़ैर संक्रामक रोगों- जैसे कि हृदय रोग, पक्षाघात, कैंसर, डायबिटीज या मधुमेह, अस्थमा या दमा, श्वास सम्बंधित दीर्घकालिक रोग, आदि- का ख़तरा अनेक गुणा बढ़ाता है । स्वास्थ्य सुरक्षा का सपना सिर्फ़ तम्बाकू रहित दुनिया में ही पूरा हो सकता है, कहना है वरिष्ठ सर्जन प्रोफ़ेसर डॉ रमा कांत का। तम्बाकू से सिर्फ़ स्वास्थ्य ही कुप्रभावित नहीं होता तम्बाकू से सिर्फ़ स्वास्थ्य ही क...
Growing Muslim population in Bhaarat and in non-Muslim countries

Growing Muslim population in Bhaarat and in non-Muslim countries

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
WE are facing our Country's greatest problem of Population explosion  ever since 1947, when after Partition of Our country , we were just about 30 Crores including about 3 crores Muslims which has now swelled to about 22 crores or around EIGHT  TIMES GROWTH & Catholic Christian Population to about Eight to TEN Crores under the Patronage of BISHOPS CONFERENCE OF INDIA AT DELHI & VATICAN HQS, both defeating all our progress & creating Problems for the SECURITY OF our country, like NAXALITE MOVEMENT of CHATISGARH & ENTIRE RED CORRIDOR FROM NORTH TO SOUTH & TERRORISTS ALL OVER  INDIA .  Both Muslims & Catholic Christians produce Six to Eight Children, considering it to be: "ALLAH -ki- DANE" or JESUS CHRIST'S GIFT, Specially In POOR OR BACKWARD & ILLITERATE CLASSE...
क्या गूगल पर लगाम लगा पाएंगे ट्रम्प?

क्या गूगल पर लगाम लगा पाएंगे ट्रम्प?

Today News, विश्लेषण
क्या यह संभव है कि दुनिया की नजर में विश्व का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति भी कभी बेबस और लाचार हो सकता है? क्या हम कभी अपनी कल्पना में भी ऐसा सोच सकते हैं कि एक व्यक्ति जो विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के सर्वोच्च पद पर आसीन है, उसके साथ उस देश का सम्पूर्ण सरकारी तंत्र है और विश्व की आधुनिकतम तकनीक से युक्त फौज है, उस व्यक्ति के खिलाफ भी कभी कुछ गलत प्रचारित किया जा सकता है? शायद नहीं? या फिर शायद हाँ? आज जब अमेरिका के राष्ट्रपति गूगल फेसबुक और ट्विटर पर अपने अपने प्लैटफोर्म से जनता के सामने अपने खिलाफ लगातार और बार बार फेक न्यूज़ परोसने का इल्जाम लगाते हैं, आज जब "डोनाल्ड ट्रंप" जैसी शख़सियत कहती  है कि गूगल पर  "ट्रंप न्यूज़" सर्च करने पर उनके खिलाफ सिर्फ बुरी और नकारात्मक खबरें ही पढ़ने को मिलती हैं, आज जब इंटरनेट पर  "इडियट"  सर्च करने पर  ट्रँप,चाय वाला,फेंकू, सर्च करने पर नरेन्द्र मोदी औ...
कब हम कायदे से भरना सीखेंगे अपनी आयकर रिटर्न

कब हम कायदे से भरना सीखेंगे अपनी आयकर रिटर्न

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पिछली 31 अगस्त को साल 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न भरने की बढ़ी हुई समय सीमा समाप्त हो गई। सरकार ने इस समय सीमा को एक माह के लिए बढ़ाया था। शुरूआती जानकारी से साफ है कि आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 70 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई है। इस बार 5.42 करोड़ लोगों ने 31 अगस्त तक अपनी आयकर रिटर्न भरी। यह देश की विकास यात्रा के लिए एक सुखद समाचार है। वैसे सबसे अधिक आयकर रिटर्न भरने वालों में नौकरीपेशा लोग ही हैं। आयकर रिटर्न भरने के अंतिम दिन सुनामी सी आ गई। उस दिन लगभग 35 लाख लोगों ने अपना आयकर रिटर्न भरा। यह भी कोई सही स्थिति तो नहीं मानी जा सकती। देखा जाए तो जिम्मेदार नागरिकों को आयकर रिटर्न भरने में इतना वक्त नहीं लगाना चाहिए। उन्हें यह काम वक्त रहते ही कर लेना चाहिए।आपको अपने आसपास अनेक लोग मिलेंगे जो आयकर भरने के स्तर पर बेहद आलसी और गैर-जिम्मेदराना रवैया अपनात...