Shadow

Author: Dialogue India

दूध की बढ़ती कीमतें नहीं, हमारी चिंता शेयर बाजार है

दूध की बढ़ती कीमतें नहीं, हमारी चिंता शेयर बाजार है

आर्थिक
मनोज कुमारदूध की बढ़ती कीमतें अब हमें नहीं डराती हैं। इस बढ़ोत्तरी पर हम कोई विमर्श नहीं करते हैं। हमारा सारा विमर्श का केन्द्र शेयर बाजार है। कौन सा पूंजीपति डूब रहा है, इस पर हम चिंता में घुले जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि शेयर मार्केट की चिंता नहीं करना चाहिए लेकिन पहले तय तो हो कि जीवन के लिए दूध जरूरी है कि शेयर? क्या हम मान लें कि एक साथ तीन रुपये दूध की कीमत में बढ़ोत्तरी कोई माथे पर सलवटें नहीं डालती हैं? क्या हम मान लें कि रोजमर्रा की महंगाई से दो-चार होने को हमने स्वीकार कर लिया है? क्या हम मान लें कि दूध से ज्यादा जरूरी है कि शेयर मार्केट उठ रहा है या गिर रहा है? शायद इस समय का सच यही है कि हमने दूध, सब्जी, किराना और इसी तरह की दिनचर्या की जरूरी चीजों की महंगाई को महंगाई नहीं मान रहे हैं। बढ़ती महंगाई के लिए सत्ता और शासन को हम दोषी बताकर किनारा कर लेते हैं लेकिन जिन्हें शायद कल स...
समाज विरोधी नैरेटिव

समाज विरोधी नैरेटिव

TOP STORIES, सामाजिक
मीडिया और राजनेता कैसे समाज विरोधी नैरेटिव सेट करते हैं इसे Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) के परम पूजनीय सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवतजी के हालिया बयान और उसकी व्याख्या से समझा जा सकता है। “सत्य यह है कि मैं सब प्राणियों में हूँ इसलिए रूप नाम कुछ भी हो लेकिन योग्यता एक है, मान सम्मान एक है, सबके बारे में अपनापन हैं। कोई भी ऊँचा नीचा नहीं है। शास्त्रों का आधार लेकर पंडित (विद्वान) लोग जो (जाति आधारित ऊँच-नीच की बात) कहते हैं वह झूठ है- डॉ. मोहन भागवतजी” अब इसकी व्याख्या ऐसे कि कई मानो सरसंघचालक ब्राह्मण विरोधी हों। इसी संदर्भ में पंडित और विद्वान की जो व्याख्या है उसे प्रस्तुत कर रहा हूँ ताकि सनद रहे कि जो कहा उसे विकृत करके समाज में कैसे विभेद डालने का प्रयास किया जा रहा है। “पंडित” नाम का अर्थ विद्वता होता है। किसी विशेष ज्ञान में पारंगत होने वाले को ही पंडित कहते हैं। पंडित क...
कोरोना काल मे, संवेदनशील भारत की गाथा

कोरोना काल मे, संवेदनशील भारत की गाथा

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
लगभग दो महीनों के बाद, कोरोना को तीन वर्ष पूर्ण होंगे. कोरोना यह सारे विश्व के लिए एक भयानक त्रासदी थी. अनेक देशों के आर्थिक गणित, कोरोना ने बिगाड़ दिए. दुनिया के लगभग सभी देश कोरोना की मार अभी तक सहन कर रहे हैं. अपवाद हैं भारत ! *हमने कोरोना का न केवल बेहतरीन तरीके से सामना किया, वरन विश्व के अनेक देशों को हमने मदद पहुंचाई. आर्थिक क्षेत्र मे हम विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गए. इस कठीन समय मे हमने अपने आप को शक्तिशाली बनाया. आत्मनिर्भर बनाया. एक सौ तीस करोड़ का यह देश, कोरोना जैसी महाभयंकर विपत्ति मे भी बलशाली होकर सामने आया.* यह संभव हो सका, इस देश की मिट्टी से जुड़े नागरिकों के कारण. *जागरूक नागरिक और संवेदनशील सरकार* यह हमारी सफलता का कारण बने. कोरोना के इस काल में, जिसे हम हिन्दू परंपरा कहते हैं, चिरविजयी सनातन संस्कृति कहते हैं, उसके अनेक उदाहरण सामने ...
गांधी और गोड़से विचार युद्ध फिल्म देखने का शुभ अवसर

गांधी और गोड़से विचार युद्ध फिल्म देखने का शुभ अवसर

TOP STORIES, जीवन शैली / फिल्में / टीवी
गांधी और गोड़से विचार युद्ध फिल्म देखने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ। इस फिल्म को राजकुमार संतोषी ने निर्देशन किया है तथा असगर वजाहत के नाटक पर यह फिल्म आधारित है। इसका संवाद भी असगर वजाहत एवं राजकुमार संतोषी ने लिखा है। विचार की दृष्टि से यह फिल्म विचारोत्तेजक है। इसमें गोडसे और गांधी के विचार संतुलित ढंग से प्रस्तुत किए गए हैं। फिल्म बनाते समय यह ध्यान रखा गया है कि दोनों के विचार प्रमुखता से आएं। गोडसे के अपने तर्क थे और उन तर्कों के माध्यम से वह देश के हिंदुओं की दशा और दुर्दशा को देखकर व्यथित नजर आते हैं और उन्हें लगता है कि कहीं न कहीं गांधीजी हिंदुओं की समस्याओं, तकलीफों, वेदनाओं एवं कष्टों को समझने की चेष्टा नहीं करते। हर जगह उन्हें अपनी छवि की चिंता रहती है। वही गांधी के अपने तर्क हैं वह हर समस्याओं का निदान अहिंसा के माध्यम से देखना चाहते हैं। गांधी अपने विचारों से गोडसे को प्रभावित...
प्रभु जी तुम दीपक हम बाती, जाकी ज्योति बरै दिन-राती’ का वास्तविक अर्थ!

प्रभु जी तुम दीपक हम बाती, जाकी ज्योति बरै दिन-राती’ का वास्तविक अर्थ!

धर्म, संस्कृति और अध्यात्म
कमलेश कमलकबीर के समकालीन ही बनारस में एक ऐसे समदर्शी संत हुए, जिनके भक्तिपरक अवदान पर तो कार्य हुआ है, परंतु बौद्धिक-चिंतन और समतामूलक समाज के स्थापन हेतु प्रयासों पर अपेक्षाकृत कम काम हुआ है। ऊँच-नीच की भावना और ईश्वर-भक्ति के नाम पर विवाद आदि का अपने तरीके से जैसा सौम्य विरोध रैदास ने किया; वह न केवल प्रणम्य है, अपितु अनुकरणीय भी है। निश्चय ही, भारतीय समाज के ताने-बाने को अक्षुण्ण रखने हेतु आज भी ऐसे प्रयासों की महती आवश्यकता है। “प्रभु जी तुम दीपक हम बाती, जाकी ज्योति बरै दिन-राती।” अब इस पंक्ति को अनन्य-भक्ति और समर्पण के चश्मे से तो खूब देखा गया है, लेकिन क्या हमने यह देखने की कोशिश की है कि अपने युग से कहीं आगे रविदास इसमें कितने तार्किक और आधुनिक चिंतन से संपृक्त हैं? प्रभु अगर दीपक हैं; तो हम बाती हैं। हम प्रभु से असंपृक्त नहीं हैं, वरन् अन्योन्याश्रित हैं। हम उनपर निर...
6 फरवरी 1915 : कवि प्रदीप का जन्म

6 फरवरी 1915 : कवि प्रदीप का जन्म

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय
गीतों की शब्द शक्ति से राष्ट्रभक्ति और स्वाभिमान जागरण की यात्रा --रमेश शर्मा भारतीय स्वाधीनता संग्राम में करोड़ो प्राणों के बलिदान हुये । ये बलिदान साधारण नहीं थे । पर इन बलिदानों केलिये आव्हान करने वाले शब्द साधकों की भी एक धारा रही है जिन्होंने अपने शब्दों की शैली और गीतों के माध्यम से राष्ट्र जागरण का अभियान छेड़ा। ऐसे कालजयी रचनाकार हैं कवि प्रदीप। जिन्होंने अपने ओजस्वी गीतों से पूरे राष्ट्र में स्वत्व और स्वाभिमान की अलख जगाई। स्वतन्त्रता के पूर्व यदि उनके गीतों में संघर्ष केलिये आव्हान था तो स्वाधीनता के बाद राष्ट्र निर्माण की उत्प्रेरणा ।स्वाधीनता के पूर्व --"दूर हटो ये दुनियाँ वालो ये हिन्दुस्तान हमारा है ।" और स्वतंत्रता के बाद- "ऐ मेरे वतन के लोगो जरा आँख में भर लो पानी" जैसे अमर गीत के रचयिता कवि प्रदीप दुनियाँ के उन विरले गीतकारों में से हैं जिनका हर गीत लोकप्रि...
विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में बजा भारत का डंका

विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में बजा भारत का डंका

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, राष्ट्रीय
स्विजरलैंड के दावोस नामक स्थान पर दिनांक 16 जनवरी से 20 जनवरी 2023 तक विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम) की 43वीं वार्षिक बैठक का आयोजन किया गया था। विश्व आर्थिक मंच एक गैरलाभकारी अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्र संस्था है जो निजी एवं सरकारी संस्थानों के बीच सहयोग स्थापित करने के उद्देश्य से काम करती है। विश्व आर्थिक मंच की प्रतिवर्ष होने वाली बैठक में विश्व के तमाम बड़े राजनेता, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, संस्कृति और समाज के क्षेत्र में कार्य करने वाले विशिष्ट व्यक्ति भाग लेते हैं। इस बैठक में वैश्विक एवं क्षेत्रीय स्तर पर आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, पर्यावरण, राजनैतिक, औद्योगिक, आदि क्षेत्रों से सम्बंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की जाती है एवं इन समस्याओं का हल निकालने का प्रयास किया जाता है। विश्व आर्थिक मंच को लगभग 1000 सदस्य कम्पनियों, विशेष रूप से ...
शालिग्राम शिला तराशी नहीं जाती

शालिग्राम शिला तराशी नहीं जाती

BREAKING NEWS, TOP STORIES, धर्म
शालिग्राम शिला तराशी नहीं जाती*विनीत नारायणअगर आस्था और श्रद्धा के बिना सत्ता पाने के उद्देश्य से व वोट बटोरने के लिए धर्म में राजनीति का प्रवेश हो तो येकितना घातक हो सकता है इसके उदाहरण पिछले कुछ वर्षों से निरंतर देखने को मिल रहे हैं। जिससे संत और भक्तसमाज बहुत व्यथित हैं। पर सत्ता के अहंकार में सत्ताधीश किसी की भावना और आस्था की कोई परवाह नहींकरते। फिर वो चाहे किसी भी धर्म के झंडाबरदार होने का दावा क्यों न करें।ताज़ा विवाद अयोध्या के श्री राम मंदिर के लिए प्रभु श्री राम और सीता माता की मूर्ति निर्माण के लिए नेपाल सेलाई गयीं विशाल शिलाओं के कारण पैदा हुआ है। वैदिक शास्त्रों को न मानने वाले राष्ट्रीय स्वयं संघ व भाजपा कानेतृत्व हिंदू भावनाओं का नक़दीकरण करने के लिये अपने मनोधर्म से नई-नई नौटंकियाँ करते रहते हैं। जिनशिलाओं को इतने ताम-झाम, ढोल-ताशे और मीडिया प्रचार के साथ नेपाल से अयोध्या ...
पर्वतों के विकास पर हो पुनः विचार

पर्वतों के विकास पर हो पुनः विचार

BREAKING NEWS, TOP STORIES, धर्म, राष्ट्रीय, संस्कृति और अध्यात्म
भारत देश के पर्वत अन्य देशों के पर्वतों की भांति साधारण नहीं है, वरन् इन पर्वतों पर विभिन्न देवी-देवताओं का वास है। उनमें भगवान शिव, भगवान विष्णु एवं माँ दुर्गा आदि अन्य देवी-देवता अनेकों रूपों में विराजमान हैं। अतीतकाल में अंग्रेजों ने इन्हीं पर्वत श्रृंखला के सौन्दर्य से परिपूर्ण शहरों यथा - शिमला, मसूरी, नैनीताल, दार्जीलिंग, रानीखेत आदि को अपनी मौज-मस्ती हेतु विकसित किया। उनकों विकसित करने में उनका यह प्रमुख उद्देशय था कि वे अपनी मित्र मंडली के साथ भारतीय महिलाओं पर अत्याचार व दुराचार कर सकें। अंग्रेजो ने भारत छोड़ने से पूर्व अपने समस्त बंगलें अपने चापलूसों और दासों को कम धनराशि में बेच दिए थे। वे देशद्रोही बंगले के मालिक इन भारतीय धरोहरों का संरक्षण करने में असमर्थ थे, अतः उन्होंने उनका विक्रय करना प्रारम्भ कर दिया और कुछ समय पश्चात ही वे बंगले होटलों में परिवर्तित होने लगे और वहा...
“पर्सनल लॉ” की 15 परेशानियाँ

“पर्सनल लॉ” की 15 परेशानियाँ

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
*1. मुस्लिम पर्सनल लॉ में बहु-विवाह करने की छूट है लेकिन अन्य धर्मो में 'एक पति-एक पत्नी' का नियम बहुत कड़ाई से लागू है। बाझपन या नपुंसकता जैसा उचित और व्यावहारिक कारण होने पर भी हिंदू ईसाई पारसी के लिए दूसरा विवाह करना एक गंभीर अपराध है और भारतीय दंड संहिता की धारा 494 में बहुविवाह के लिए 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है इसीलिए कई लोग दूसरा विवाह करने के लिए मुस्लिम धर्म अपना लेते हैं. भारत जैसे सेक्युलर देश में मौज मस्ती के लिए भी चार निकाह जायज है जबकि इस्लामिक देश पाकिस्तान में पहली बीवी की इजाजत के बिना शौहर दूसरा निकाह नहीं कर सकता हैं. मानव इतिहास में 'एक पति - एक पत्नी' का नियम सर्वप्रथम भगवान श्रीराम ने लागू किया था और यह किसी भी प्रकार से धार्मिक या मजहबी विषय नहीं बल्कि "सिविल राइट, ह्यूमन राइट, जेंडर जस्टिस, जेंडर इक्वालिटी और राइट टू डिग्निटी" का मामला है इसलिए यह जेंडर न्यूट...