Shadow

Author: Dialogue India

पराली निपटान – एक विकराल समस्या

पराली निपटान – एक विकराल समस्या

राज्य
लोहड़ी नजदीक है, परन्तु दिल्ली को आबोहवा नहीं  सुधरी है | दिल्ली में कार्यरत मित्र रोज वायु प्रदूषण झेल रहे हैं  | दिल्ली से सटे  राज्यों में पराली निरंतर जल रही है | पिछले साल विज्ञापनों में ऐसे घोल की चर्चा थी, जिसके डालते ही पराली गायब हो जाती है, उसे जलाना नहीं पड़ता है, पर जैसे ही मौसम का मिजाज ठंडा हुआ, दिल्ली-एनसीआर का  पचास हजार  वर्ग किलोमीटर का  क्षेत्र स्मॉग  की चपेट में है |  दिल्ली से सटे राज्य हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश, की सरकारें आंकड़ों के जरिये यह जताने का प्रयास कर रही है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार पराली कम जली| इसके विपरीत सच्चाई यह है कि इस बार दिल्ली नवंबर के पहले सप्ताह में ही ग्रेप-4 की चपेट में थी| जब रेवाड़ी से गाजियाबाद के मुरादनगर तक वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 से अधिक था, तो मामला शीर्ष न्यायालय गया, सारा...
राजनीति में अपराधीकरण – कोई भी दल गंभीर नहीं 

राजनीति में अपराधीकरण – कोई भी दल गंभीर नहीं 

राष्ट्रीय
हाल ही में सम्पन्न विधान सभा और दिल्ली नगर निगम चुनाव के बाद एक बार फिर यह साफ हुआ है कि राजनीति में अपराधीकरण खत्म करने को लेकर कोई भी राजनीतिक  पार्टी गंभीर नहीं है।गुजरात में चुनाव पूर्व पकड़ी गई नकदी और नशीले पदार्थों की खेप और चुनाव पश्चात् छन-छन कर आ रही खबरें यही प्रमाणित कर रही है कि “अपराध और चुनाव के बीच गंभीर रिश्ता है और उसके निवारण में न तो  बड़े राजनीतिक दल सोच रहे हैं और न    वैकल्पिक राजनीति देने की बात करने वाले नये दल ही |” सार्वजनिक रूप से राजनीतिक दल  और उनके नेता चाहे कितने भी दावे करें कि वे राजनीति को स्वच्छ बनाने के लिए काम करेंगे, लेकिन मौका मिलते ही वे भी इस बात का वे खयाल रखना भी जरूरी नहीं समझते कि अपराध के आरोपी या आपराधिक पृष्ठभूमि वाले किसी व्यक्ति को उम्मीदवार बनाने से कौन-सी परंपरा मजबूत होगी? बाकी खबरे भी जल्दी सामने आयेंगी अभी तो दिल्ली नगर नि...
बहुत किया जाना शेष है, हवाई यातायात में  

बहुत किया जाना शेष है, हवाई यातायात में  

विश्लेषण
देश में हर वर्ष करीब से 6 प्रतिशत् की दर से हवाई यात्रियों की संख्या में वृद्धि दर्ज हुई है । भारतीय हवाईअड्डों पर भीड़भाड़ बढ़ रही है। अधिकतर बड़े हवाईअड्डे अपनी हैंडलिंग क्षमता से 85प्रतिशत  से 120 प्रतिशत  पर काम कर रहे हैं।  अब देश में चालू हवाई अड्डों की संख्या 140 हो गयी है| वर्ष 2014 में, ऐसे हवाई अड्डों की संख्या 74 थी. केंद्र सरकार ने आगामी पांच वर्षों में 220 हवाई अड्डों के विकास और संचालन का लक्ष्य निर्धारित किया है| ऐसे में बहुत कुछ होना शेष है | सरकारी आंकड़ो के अनुसार देश के  प्रमुख हवाईड्डों में लगभग 83 प्रतिशत  कुल यात्री यातायात है। ये हवाईअड्डे अपनी सैचुरेशन लिमिट के बहुत करीब हैं और इसलिए मंत्रालय का कहना है कि टियर-II और टियर-III शहरों को अधिक संख्या में एविएशन नेटवर्क से जोड़ने की जरूरत है। क्षेत्रीय हवाई कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और आ...
FIFA World Cup Final: मेसी ने अर्जेंटीना को बनाया चैम्पियन

FIFA World Cup Final: मेसी ने अर्जेंटीना को बनाया चैम्पियन

Today News
अर्जेंटीना ने फीफा वर्ल्ड कप 2022 के फाइनल मैच में फ्रांस को पेनल्टी शूटआउट में 4-2 से हराकर ट्रॉफी अपने नाम कर ली. करीब एक महीने तक चले फीफा वर्ल्ड कप का यह फाइनल अबतक का सबसे रोमांचक फाइनल माना जा रहा है. जहां आखिरी पल तक विजेता कौन होगा यह तय ही होता नहीं दिख रहा था, लेकिन जब पेनल्टी शूटआउटमें मुकाबला पहुंचा तो अर्जेंटीना ने बाजी मार ली और लियोनेल मेसी ने अपना सपना पूरा कर लिया.दोस्तों आज हम आपको फीफा विश्व कप विजेताओं (FIFA World Cup Winners list) के बारे में बताने वाले हैं हम आपको 1930 से 2022 तक के सभी फीफा विश्व कप विजेताओं (FIFA World Cup Winners) के बारे में बताने वाले हैं। पहला फीफा विश्व कप उरुग्वे (Uruguay) ने 1930 में अर्जेंटीना (Argentina) को हरा कर जीता था। Fifa World Cup पूरी दुनिया भर में सबसे ज्यादा जाना जाने वाला स्पोर्ट्स टूर्नामेंट है। आज हम आपको दुनिया भर म...
मन ही सब कुछ है। आपको क्या लगता है आप क्या बनेंगे?

मन ही सब कुछ है। आपको क्या लगता है आप क्या बनेंगे?

सामाजिक, साहित्य संवाद
बुद्ध ने कहा कि - 'सभी समस्याओं का कारण उत्साह है' अर्थात इच्छा की अधिकता और इच्छा मन से आती है। इसलिए मन को नियंत्रित और संतुलित करना आवश्यक है। भारतीय संस्कृति और शास्त्र हमें अपने मन को नियंत्रित करने के तरीके सिखाते हैं। संतुलित मन के लिए प्राचीन संत वर्षों से योग किया करते थे। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की भारत सरकार की पहल इस दिशा में एक और कदम है। यह मुहावरा - "मन ही सब कुछ है, जो आप सोचते हैं आप बन जाते हैं" सभी पहलुओं में सही है। इसलिए केवल एक स्वस्थ शरीर ही नहीं बल्कि एक स्वस्थ और प्रसन्न मन और आत्मा भी महत्वपूर्ण है। -डॉ सत्यवान सौरभ  हमारा दिमाग हमारे शरीर में सबसे शक्तिशाली तत्व है, हालांकि सबसे संवेदनशील भी है। हमारा शरीर जो भी कार्य करता है वह मन द्वारा निर्देशित होता है- हमारी गति, हमारी भावनाएं, भावनाएं और सबसे महत्वपूर्ण सोच और तर्क। मन की उपस्थिति के कारण ...
पठान फ़िल्म और वैचारिक युद्ध

पठान फ़िल्म और वैचारिक युद्ध

TOP STORIES, जीवन शैली / फिल्में / टीवी
बीते चौबीस घंटों में कुछ बातें पूरी तरह स्पष्ट हो गई है। कभी किसी विवादित विषय पर न बोलने वाले अभिनेता अमिताभ बच्चन ‘पठान’ के विवाद पर बोल पड़े हैं। ये भी स्पष्ट हुआ कि अट्ठाईसवाँ कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का मंच उन डरे हुए लोगों का मंच बन गया, जो इन दिनों अपने विचार अभिव्यक्त नहीं कर पा रहे थे। जिनको सदी का महानायक कहा जाता है, उनकी चुप्पी टूटी भी तो पठान के एक अधनंगे गीत पर। आम तौर पर देश में वैचारिक युद्ध की स्थिति बनी ही रहती है लेकिन इस प्रकरण से कई अदृश्य निशाने भी साधे जा रहे हैं। कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के मंच से शाहरुख़ खान और महेश भट्ट के बाद अमिताभ ने भी अपने विचार प्रकट किये। अमिताभ ने पहला प्रहार ही दक्षिण भारतीय सिनेमा पर कर दिया। उन्होंने कहा ‘ऐतिहासिक विषयों पर बनने वाली मौजूदा दौर की फिल्में काल्पनिक अंधराष्ट्रवाद में जकड़ी हुई हैं। उनका इशारा ‘आरआर...
आखिर क्यों हम जीवन के सर्वोत्तम को देख ही नहीं रहे?

आखिर क्यों हम जीवन के सर्वोत्तम को देख ही नहीं रहे?

TOP STORIES, साहित्य संवाद
हमारे जीवन का अन्य नि:शुल्क रत्न हमारे चारों ओर प्रकृति है। हमारे पास सूरज है जो हर दिन एक नया सवेरा लाता है; उस सुबह को सुखद बनाने के लिए हमारे पास हरी-भरी चरागाहें हैं, हमें जगाने के लिए पक्षियों की चहचहाहट, जीवन की सुंदरता को देखने के लिए खिलते फूल और हमारी आंखों को सुकून देने के लिए बहता पानी। प्रकृति की यह प्राकृतिक सुंदरता पुरुषों के लिए सबसे प्यारी और सबसे प्यारी उपस्थिति है जो प्रशंसा करने के लिए एक उत्सुक पर्यवेक्षक के अलावा कुछ नहीं मांगती है। और सबसे खास बात यह है कि हमने अभी तक धरती पर इस स्वर्ग का आनंद लेने के लिए कुछ भी भुगतान नहीं किया है। लेकिन अब मूल्य बदल रहे हैं और पुरुष भी। पुरुष धन की ओर बढ़ रहे हैं और भौतिकवादी हो गए हैं। प्रेम, स्नेह, करुणा, सह-अस्तित्व और शांति की भावनाएँ अपना आधार खोती जा रही हैं। -प्रियंका सौरभ  ऐसा कहा जाता है कि जीवन वह है जो आप इसे ...
Communist China’s Imperial Ambitions

Communist China’s Imperial Ambitions

EXCLUSIVE NEWS
By Balbir Punj The hand-to-hand confrontation between Indian army and Chinese troops on the line of actual control (LAC) in the eastern Tawang sector on December 9, has left most of the Indians befuddled. While there is generally a sense of satisfaction over Indian army contesting the intruders in a “firm and resolute” manner, many still are confused about China’s motives in repeatedly undertaking such hostilities against India. However, Chinese aggressive postures aren’t random outbursts. There is indeed a method and continuity in China’s madness. In June 2020, China had tried a similar stratagem in Galwan valley which had left dozens of soldiers dead and injured on both sides. The December 9 fistfight in Tawang has once more underlined China’s double-speak. On November 30, just...
महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी में बाधाएं 

महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी में बाधाएं 

BREAKING NEWS, सामाजिक
मौजूदा पितृसत्तात्मक मानदंड सार्वजनिक या बाजार सेवाओं को लेने में एक महत्वपूर्ण बाधा उत्पन्न करते हैं। चाइल्डकैअर और लचीले काम के मुद्दे को संबोधित करने से सकारात्मक सामाजिक मानदंडों को शुरू करने में मदद मिल सकती है जो अवैतनिक देखभाल और घरेलू काम के बोझ के पुनर्वितरण को प्रोत्साहित करते हैं। महिलाओं के कुशल लेकिन अवैतनिक कार्यों का एक बड़ा स्पेक्ट्रम अर्थव्यवस्था में सीधे योगदान देता है। फिर भी, 'काम' के लिए जिम्मेदार नहीं होने के कारण इसका अवमूल्यन महिलाओं की स्थिति को कमजोर करता है, जिससे उनकी भेद्यता बढ़ जाती है। सार्वजनिक सेवाओं में अवसर की समानता सुनिश्चित करके लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका है। हालाँकि, इन समाधानों का एक सीमित प्रभाव होगा जब तक कि प्रत्येक व्यक्ति के व्यवहार परिवर्तन को लक्षित न किया जाए। -प्रियंका सौरभ  जबकि शिक्षा और पोष...
हमारी फौज और गुलामी के प्रतीक

हमारी फौज और गुलामी के प्रतीक

विश्लेषण
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* भारतीय फौज से गुलामी के प्रतीकों को हटाने के अभियान का तहे-दिल से स्वागत किया जाना चाहिए। दो सौ साल का अंग्रेजी राज तो 1947 में खत्म हो गया लेकिन उसका सांस्कृतिक, भाषिक और शैक्षणिक राज आज भी भारत में काफी हद तक बरकरार है। जो पार्टी याने कांग्रेस दावा करती रही भारत को आजादी दिलाने का, उसने अंग्रेज की दी हुई राजनीतिक आजादी को तो स्वीकार कर लिया, लेकिन उसे जो खुद करना था याने देश के हर क्षेत्र से गुलामी को दूर करना, उसमें उसका योगदान बहुत ही शिथिल रहा। यह काम अब भाजपा सरकार भी कुछ हद तक जरूर कर रही है। उसके नेताओं को यदि उस गुलामी की पूरी समझ हो तो वे इस अमृत महोत्सव वर्ष में ही संपूर्ण पराधीनता मुक्त अभियान की शुरुआत कर सकते हैं। फिलहाल हमारी फौज में पराधीनता के एक प्रतीक को हटाया गया उस समय, जब विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को समुद्र में छोड़ा गया। उस जहाज पर लगे ह...