
बंगला कृत्तिवास रामायण में हनुमानजी द्वारा रावण का गुप्त मृत्युबाण हरण
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंगबंगला कृत्तिवास रामायण में हनुमानजी द्वारा रावण का गुप्त मृत्युबाण हरण
श्रीराम, लक्ष्मण, सुग्रीव और धार्मिक गुणों से सम्पन्न विभीषण, चारों बैठ कर परामर्श करने लगे कि रावण कहाँ है? रावण का कोई पता नहीं चला पा रहे हैं। इधर रावण सोचने लगा कि राम युद्ध नहीं कर पा रहे हैं। सम्भवत: सीता को छोड़कर पलायन भी कर जाएं। ऐसा सोचकर रावण अपने को समझा रहा था। अब भी सीता मिल जाएं तो दु:ख के बाद सुख प्राप्त होगा। इन्द्रजीत (मेघनाद) और महीरावण दोनों की मृत्यु हो गई है फिर भी यदि सीता मिल जाए तो सारे दु:खों का अन्त हो जाएगा।विभीषण ने श्रीराम से कहा- हे प्रभु एक पुरानी बात याद आ गई। जब हम तीनों भाईयों ने मिलकर तपस्या की और जब पद्मयोनि (ब्रह्माजी) हम लोगों को वर देने के लिए आए तो राजा दशानन ने अमर होने का वर माँगा। ब्रह्माजी ने कहा कि हे निशाचर सुनो, अमरता का वर मत माँगो...