Shadow

Author: dindiaadmin

Central government should also take cognisance of Patanjali product banned by Army CSD: Company was earlier fined by Uttarakhand Court on charges of misbranding and misrepresentation

Central government should also take cognisance of Patanjali product banned by Army CSD: Company was earlier fined by Uttarakhand Court on charges of misbranding and misrepresentation

Today News
It refers to media-reports about the Defence Canteen Stores Department-CSD banning sale of Amla juice marketed by Patanjali Ayurved of Baba ramdev, after the product was found unfit by Kolkatta-based Central Food Laboratory. The Rs 5,000-crore company, Patanjali Ayurved was earlier pulled up by the Food Safety and Standards Authority of India-FSSAI for selling noodles and pasta without the requisite licenses even though Patanjali Atta Noodles packets display an FSSAI license number.   Patanjali Ayurved was earlier in news for being imposed a fine of rupees eleven lakhs by an Uttarakhand court for charges of misbranding and misrepresentation of its products. People in general always believed that all products marketed by Patanjali were manufactured in its own units. But it is ind...
Feasibility of merger of three civic bodies in Delhi

Feasibility of merger of three civic bodies in Delhi

Today News
BJP having emerged victorious in recently held elections to three municipal corporations of Delhi has always been in favour of a unified civic body. Undoubtedly trifurcation of one Municipal Corporation of Delhi in earlier Congress regime was not correct, because it unnecessarily increased overhead-burden on people of Delhi. But big question is feasibility of re-merger, because no one of the newly elected corporator will like to lose his or her seat because of reduced number of elected representatives in the unified civic body.   Best is to prepare an altogether fresh strategy for next round of elections. There may be just two civic bodies in Delhi, one for trans-Yamuna and other for rest of the city because needs and problems of trans-Yamuna area are certainly different. If one...
GST may make small cars dearer while big cars cheaper: GST should be rational and imposed according to value of cars

GST may make small cars dearer while big cars cheaper: GST should be rational and imposed according to value of cars

addtop, आर्थिक
Goods and Service Tax-GST after being implemented may make smaller cars with engine-capacity upto 1500 cc a bit dearer because of being coming under slab of 28-percent GST because presently these attract a total of 27.5-percent tax with excise-duty at 12.5-percent added by 15-percent VAT. However big cars with engine-capacity above 1500 cc may be bit cheaper from existing tax of 44.5-percent likely to be reduced to 43-percent inclusive of 15-percent cess over 28-percent GST.   Whole fixation of GST-rates is totally irrational at 5, 12, 18 and 28 percent with a provision of levy of cess on top of the peak tax rate on demerit and luxury goods like pan masala, tobacco and certain class of automobiles is totally irrational. GST rates should have been rational in multiples of 5 perce...
नहीं रहे मशहूर अभिनेता विनोद खन्ना

नहीं रहे मशहूर अभिनेता विनोद खन्ना

BREAKING NEWS
मशहूर अभिनेता विनोद खन्ना का मुम्बई में आज निधन हो गया। 70 वर्षीय विनोद खन्ना कैंसर से पीड़ित थे। हाल ही में उनकी एक तस्वीर भी वायरल हुई थी, जिसमें वे बेहद कमजोर नजर आ रहे थे। विनोद खन्ना अभिनय के साथ साथ राजनीति में सक्रिय थे और वे गुरदासपुर से सांसद रह चुके थे.  विनोद खन्ना ने मुंबई के रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में अंतिम सांस ली। विनोद खन्ना ने अपने फिल्मी जीवन में कई यादगार फिल्में दीं. उन्हें ‘मेरे अपने’, ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘इम्तिहान’, ‘इनकार’, ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘लहू के दो रंग’, ‘कुर्बानी’, ‘दयावान’ और ‘जुर्म’ जैसी फिल्मों में उनके अभिनय के लिए जाना जाता है।...
एमसीडी चुनावों में हार के बाद अब इस्तीफों का दौर

एमसीडी चुनावों में हार के बाद अब इस्तीफों का दौर

BREAKING NEWS
एमसीडी चुनावों में करारी हार के बाद अब आम आदमी पार्टी में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है। कहा यह भी जा सकता है कि यह पार्टी में बढ़ते असंतोष को थामने की कवायद है. पंजाब चुनावों के दौरान भी संजय सिंह और दुर्गेश पाठक पर पैसे लेकर टिकट देने के आरोप लगे थे और इन नेताओं को लेकर बहुत ही गुस्सा कार्यकर्ताओं में था. बुधवार शाम को पार्टी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष रहे  दिलीप पांडे ने इस्तीफा दे दिया था और अब गुरुवार सुबह सुबह ही कई अन्य नेताओं ने भी अपने इस्तीफे सौंप दिए। संजय सिंह और दुर्गेश पाठक दोनों को ही अरविन्द केजरीवाल का नज़दीकी माना जाता है और आज इन दोनों ने भी अपने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है । उनके पास पंजाब चुनावों की जिम्मेदारी थी।  इन नेताओं के अलावा दिल्ली प्रदेश के प्रभारी आशीष तलवार ने भी एमसीडी चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया है।...
कश्मीर के कुपवाड़ा में सेना पर आतंकी हमला

कश्मीर के कुपवाड़ा में सेना पर आतंकी हमला

addtop, BREAKING NEWS
कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आज सुबह  आतंकियों ने सेना के कैंप पर  हमला बोला। भारी हथियारों से लैस आतंकियों के निशाने पर इस बार सेना का आर्टिलरी बेस रहा इस हमले में कैप्टन समेत सेना के तीन जवान शहीद हुए हैं।तो  वहीं पांच जवानों के घायल होने की खबर है। मुठभेड़ में दो आतंकी भी मारे गए हैं। कश्मीर में सेना पर हुए हमले के बाद गृह मंत्रालय ने बैठक बुलाई है। इसमें घाटी में पत्थरबाजी की बढ़ती घटनाओं पर भी चर्चाहोने की उम्मीद है।...
महिला-माओवादियों द्वारा सुरक्षाकर्मियों की हत्या के बाद गुप्तांगों का काटा जाना (पोस्ट केवल बस्तर के संदर्भ में) :

महिला-माओवादियों द्वारा सुरक्षाकर्मियों की हत्या के बाद गुप्तांगों का काटा जाना (पोस्ट केवल बस्तर के संदर्भ में) :

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
जिन गतिविधियों को आप क्रांति के प्रति अपनी रूमानियत के तहत, आदिवासियों की प्रतिक्रिया समझते हुए माओवादियों के समर्थक बनते हैं वह माओवादियों के लिए विशुद्ध रूप से युद्ध की रणनीति होती है। --- मेरी व आपकी असहमति - आप मानते हैं कि महिला माओवादियों ने बदले की कार्यवाही के लिए सिपाहियों के गुप्तांग काटे। मैं कहता हूं कि यह माओवादियों की युद्ध रणनीति है, जनदबाव विकसित करने की। गुप्तांग जानबूझकर काटे गए ताकि आप यह गुणा-गणित लगाते रहें कि यह बदले की कार्यवाही है। आपकी सहानुभूति प्राप्त हो, साथ ही आपके दिलोदिमाग में यह बैठ जाए कि सुरक्षा बल आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार करते हैं। जिसने कई दशक तक भ्रष्टाचार करते हुए ग्रांट पाते हुए NGO चलाई हो, आदिवासी क्षेत्रों में विकास के नाम पर वर्षों तक करोड़ों रुपए की ग्राँट पाई हो। आप उसे आदिवासी मुद्दों को समझने के लिए अपनी समझ व तथ्यों का स्रोत मानते...
आईने में अक्स देखने का वक्त

आईने में अक्स देखने का वक्त

राष्ट्रीय, सामाजिक
      लेखक : अरुण तिवारी  अपने नये पंचायती राज की उम्र 24 साल हो गई है। आगे की दिशा निश्चित करने के लिए जरूरी है कि पंचायती राज के अभिभावक, आकलन करें। बतौर मानक, तीन कहानियां हमारे सामने हैं: केरल के सरपंच इलिंगों की कहानी, अलगू चैधरी व जुम्मन मियां की कहानी तथा राजस्थान के जिला अलवर में बनी अरवरी नदी के 70 गांवों की संसद की कहानी। ये तीन कहानियां, हमारे सामने क्रमशः तीन आईने रखती हैं: पहला, 73वां संविधान संशोधन का आईना और दूसरा, भारत की पारम्परिक पंच-परमेश्वरी अवधारणा का आइना और तीसरा, महात्मा गांधी से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी तक दिए बयानों का आईना। श्रेष्ठ केरल: श्रेष्ठ बंगाल यदि 73वें संशोधन द्वारा प्रदत पंचायती राज प्रावधानों को सामने रखें, तो केरल और पश्चिम बंगाल के पंचायतीराज अधिनियमों को क्रमशः एक व दो स्थान पर रखा जा सकता है। इन्होने, 1996 में सेन समिति द्वारा...
एक अनूठा त्यौहार है अक्षय तृतीया

एक अनूठा त्यौहार है अक्षय तृतीया

धर्म, संस्कृति और अध्यात्म
गणि राजेन्द्र विजय - अक्षय तृतीया भारतीय संस्कृृति एवं परम्परा का एक अनूठा एवं इन्द्रधनुषी त्यौहार है। न केवल जैन परम्परा में बल्कि सनातन परम्परा में यह एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, इस त्यौहार के साथ-साथ एक अबूझा मांगलिक एवं शुभ दिन भी है, जब बिना किसी मुहूर्त के विवाह एवं मांगलिक कार्य किये जा सकते हैं। विभिन्न सांस्कृतिक ढांचांे में ढली अक्षय तृतीया परम्पराओं के गुलाल से सराबोर है। रास्ते चाहे कितने ही भिन्न हों पर इस पर्व त्यौहार के प्रति सभी जाति, वर्ग, वर्ण, सम्प्रदाय और धर्मों का आदर-भाव अभिन्नता में एकता प्रिय संदेश दे रहा है। अक्षय तृतीया तप, त्याग और संयम का प्रतीक पर्व है। इसका सम्बन्ध आदि तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव के युग और उनके कठोर तप से जुड़ा हुआ है। जैन इतिहास और परम्परा में चली आ रही वर्षीतप की साधना और प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभनाथ का पारणा निस्संदेह ढेर सारे तथ्यों को उद्घाटित...
सुकमा की शहादत का मुंहतोड़ जबाव हो

सुकमा की शहादत का मुंहतोड़ जबाव हो

BREAKING NEWS, विश्लेषण
  - ललित गर्ग - छत्तीसगढ़ के सुकमा क्षेत्र में नक्सलवादियों ने 26 सीआरपीएफ जवानों की नृशंस हत्या करके करोड़ों देशवासियों को आहत किया है। इस प्रकार की अमानवीय एवं नृशंस हत्या ने हर बार की तरह अनेक सवाल पैदा किये हैं। मुख्य सवाल तो यही है कि क्या हमारे सुरक्षाकर्मियों की जान इतनी सस्ती है कि उन्हें इस तरह बार-बार नक्सलियों से जूझना पड़ता है? क्यों अपनी जान देनी पड़ती है? बार-बार सरकार का यह कहना कि शहीदों की शहादत व्यर्थ नहीं जायेगी, तो फिर हम कब इस शहादत का मुंह तोड़ जबाव देंगे? पुरानी घटना के घाव सूखते नहीं कि एक और वीभत्स एवं नृश्ंास कांड सामने आ जाता है। आखिर कब नक्सलियों की इन चुनौतियों का जबाव देने में हम सक्षम होंगे? क्या हो गया है हमारे देश को? कभी कश्मीर में आतंकवाद, पूर्वोत्तर में सशस्त्र विद्रोह और मध्य भारत में नक्सलवाद। लहूलुहान हो चुके इस देश के लोगों के दिल और दिमाग में बार-बार क...