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Author: dindiaadmin

आर्सेनिक की समस्‍या के बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत ; उमा भारती

आर्सेनिक की समस्‍या के बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत ; उमा भारती

जीवन शैली / फिल्में / टीवी
केन्‍द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा है कि गंगा बेसिन में आर्सेनिक की समस्‍या से करोडों लोग प्रभावित हो रहे हैं और इस समस्‍या के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एकसमग्र आंदोलन चलाए जाने की जरूरत है। आज नई दिल्‍ली में केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की ओर से ‘गंगा बेसिन के भूजल में आर्सेनिक की समस्या एवं निराकरण’ विषय पर आयोजित कार्याशाला का उदघाटन करते हुए उन्‍होंने कहा कि भूजल में आर्सेनिक की समस्‍या सेनिपटने के लिए इस कार्यशाला की रिपोर्ट आने के बाद मंत्रालय एक व्‍यापक कार्ययोजना तैयार करेगा जिसमें राज्‍य सरकारों एवं गैर सरकारी संगठनों का भी सहयोग लिया जायेगा। विकास में जनभागिदारी के महत्‍व पर जोरडालते हुए उन्‍होंने कहा कि भूजल में आर्सेनिक एवं अन्‍य प्रदूषण से निपटने के लिए भी जनआंदोलन खडा करना पडेगा। इसी प्रकार जल के सदुपयोग को भी जन आंदोलन ब...
देश के 91 प्रमुख जलाशयों के जलस्तर में तीन प्रतिशत की कमी आई

देश के 91 प्रमुख जलाशयों के जलस्तर में तीन प्रतिशत की कमी आई

जीवन शैली / फिल्में / टीवी
02 मार्च, 2017 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 64.55 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 44 प्रतिशत है। यह पिछले वर्ष की इसीअवधि के कुल संग्रहण का 132 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 102 प्रतिशत है।   इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैंजो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं।   क्षेत्रवार संग्रहण स्थिति   उत्तरी क्षेत्र उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं। इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरा...
रंगों का त्यौहार: जीवन का उल्लास

रंगों का त्यौहार: जीवन का उल्लास

Today News, सामाजिक
भारतवर्ष त्यौहारों का देश है। हर एक त्यौहार का अपना एक सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व होता है। इन सारे त्यौहारों में होली ही एक त्यौहार है जो पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक के साथ-साथ आमोद-प्रमोद के लिये मनाया जाने वाला खुशियों का त्यौहार है।। बुराई पर अच्छाई की विजय का, असत्य पर सत्य और शत्रुता पर मित्रता की स्थापना का यह पर्व विलक्षण एवं अद्भुत है। पुराने गिले-शिकवे भुला कर एक दूसरे के रंग में रंग जाने, हर्ष और उल्लास से एक दूसरे से मिलने और एक दूजे को आपसी सौहार्द एवं खुशियों के रंग लगाने के अनूठे दृश्य इस त्यौहार में मन को ही नहीं माहौल को भी खुशनुमा बनाते हंै। रंगों से ही नहीं, नृत्य गान, ढोलक-मंजीरा एवम अन्य संगीत वादक यंत्रों को बजा कर मनोरंजन करते हंै। पौराणिक मान्यताओं की रोशनी में होली के त्योहार का विराट् समायोजन बदलते परिवेश में विविधताओं का संगम बन गया है। इस अवसर पर...
मावफलांग के खासी

मावफलांग के खासी

Today News, राष्ट्रीय
भारत का पहला रेड पायलट समुदाय मेघालय राज्य की राजधानी शिलांग से करीब 38 किलोमीटर दूर स्थित है ज़िला-ईस्ट खासी हिल्स। यहां की जयंतिया पहाड़ियों के बीच सिमटी है घाटी – मावफलांग। समुद्र से 5,000 फीट की ऊंचाई पर बसे मावफलांग के पवित्र जंगलों की दास्तानें काफी पुरानी व दिलचस्प है। दैवशक्ति लबासा की निगाह में पवित्र जंगल का बुरा करना अथवा जंगल के भीतर बुरा सोचना-बोलना किसी बड़े अपराध से कम नहीं। इसकी सजा अत्यंत घातक होती है। इसी विश्वास और जंगल पर सामुदायिक हकदारी ने लंबे अरसे तक मावफलांग के जंगल बचाये रखे। जंगलों पर हकदारी और जवाबदारी दोनो ही हिमाओं के हाथ में है। हिमा यानी खासी आदिवासी सामुदायिक सत्ता; संवैधानिक शब्दो में हिमा को कई ग्राम समूहों की अपनी सरकार कह सकते हैं। मावफलांग के जंगलों के बीच खडे़ विशाल पत्थर इस सत्य के मूक गवाह हैं कि हिमाओं ने जंगलों को उस ब्रितानी हुकूमत के दौर में भी ...
सच्चर रिपोर्ट के दस साल:- क्या खाक मेहरबान होंगें

सच्चर रिपोर्ट के दस साल:- क्या खाक मेहरबान होंगें

addtop, Today News, विश्लेषण
आजादी के बाद पिछले करीब सात दशकों के दौरान देश का विकास तो काफी हुआ है लेकिन इसमें सभी तबकों, समूहों की समुचित भागीदारी नही हो सकी है. देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूह मुसलिम समुदाय की दोहरी त्रासदी यह रही कि वह एक तरफ तो विकास की प्रक्रिया में हाशिये पर पहुँचता गया तो दूसरी तरफ असुरक्षा, भेदभाव, संदेह और तुष्टीकरण के आरोपों का भी शिकार रहा. आजादी के करीब 60 सालों बाद मुसलिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिणक स्थिति की पड़ताल करने के लिए जस्टिस राजेन्द्र सच्चर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया. सच्चर समिति ने अपनी रिर्पोट के जरिये मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन सम्बंधी उन सच्चाइयों को आकंड़ों के ठोस बुनियाद पर रेखाकिंत करते हुए उन्हें औपचारिक स्वीकृती दिलाई है जिन पर पहले ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था, साथ ही साथ इस रिर्पोट ने बहुत सारे ऐसे मिथकों, भ्रामक दुष्प्रचारों व तुष्टीकरणी के आरो...
डिजिटल भुगतान की अनिवार्यता के सबब

डिजिटल भुगतान की अनिवार्यता के सबब

TOP STORIES, आर्थिक
विमुद्रीकरण के बाद डिजिटल भुगतान प्रणाली और कैशलेस अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का लोगों ने स्वागत किया है। लेकिन डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए महीने में चार बार से अधिक नकदी लेन-देन पर शुल्क की व्यवस्था जनता की परेशानियां बढ़ायेगा, उन पर अतिरिक्त बोझ पडे़गा। इस व्यवस्था के अन्तर्गत बैंकों ने अपने-अपने ढंग से शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है। जिसके विरोध में विभिन्न स्तरों पर स्वर भी उठने लगे हैं। डिजिटल भुगतान की अनिवार्यता लागू करने से पहले अबाध डिजिटल गेटवे को सुनिश्चित करना ज्यादा जरूरी है। अन्यथा नकदी पर नकेल कसने की जबरन थोपी गयी यह व्यवस्था ज्यादती ही कही जायेगी। इससे न केवल आम जनता की बल्कि व्यापारियों की समस्याएं बढ़ेगी। कहीं ऐसा तो नहीं कि नोटबंदी की नाकामी को ढं़कने के लिये डिजिटल भुगतान की अनिवार्यता का सहारा लिया जा रहा है, यह सरकार की...
देह के बाद अनुपम

देह के बाद अनुपम

TOP STORIES, विश्लेषण
जब देह थी, तब अनुपम नहीं; अब देह नहीं, पर अनुपम हैं। आप इसे मेरा निकटदृष्टि दोष कहें या दूरदृष्टि दोष; जब तक अनुपम जी की देह थी, तब तक मैं उनमें अन्य कुछ अनुपम न देख सका, सिवाय नये मुहावरे गढ़ने वाली उनकी शब्दावली, गूढ से गूढ़ विषय को कहानी की तरह पेश करने की उनकी महारत और चीजों को सहेजकर सुरुचिपूर्ण ढंग से रखने की उनकी कला के। डाक के लिफाफों से निकाली बेकार गांधी टिकटों को एक साथ चिपकाकर कलाकृति का आकार देने की उनकी कला ने उनके जीते-जी ही मुझसे आकर्षित किया। दूसरों को असहज बना दे, ऐसे अति विनम्र अनुपम व्यवहार को भी मैने उनकी देह में ही देखा। कुर्सियां खाली हों, तो भी गांधी शांति प्रतिष्ठान के अपने कार्यक्रमों में हाथ बांधे एक कोने खडे़ रहना; कुर्सी पर बैठे हों, तो आगन्तुक को देखते ही कुर्सी खाली कर देना। किसी के साथ खडे़-खड़े ही लंबी बात कर लेना और फुर्सत में हांे, तो भी किसी के मुंह से ब...
‘मानवीय जज्बे में बहुत कुछ अच्छा होता है’’

‘मानवीय जज्बे में बहुत कुछ अच्छा होता है’’

सामाजिक
शिक्षा के लिए समर्पित लखनऊ विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग के पूर्व हेड डाॅ. जगमोहन सिंह वर्मा (72) की देह अब मेडिकल स्टूडंेट्स के काम आएगी। प्रो. जगमोहन सिंह का निधन 30 जनवरी 2017 को सुबह हो गया। पत्नी श्रीमती कुसुम लता सिंह ने बताया कि डाॅ. जगमोहन सिंह ने 31 अगस्त 2016 को देहदान के लिए पंजीकरण कराया था। उनकी आखिरी इच्छा थी कि जो शरीर जिंदगी भर घर परिवार और बच्चों को शिक्षित करने के काम आया, वो प्राण त्यागने के बाद मेडिकल छात्रों के काम आ सके, ताकि वे कुछ नया सीख सकें। डाॅ. जगमोहन सिंह के इस मानवीय जज्बे को लाखों सलाम। हमारा विचार है कि जीते जी रक्त दान। मरणोपरान्त नेत्र दान तथा देह दान का हमारा संकल्प होना चाहिए। किसी के काम जो आये उसे इंसान कहते हैं, पराया दर्द अपनाये उसे इंसान कहते हैं। डाॅ. शिवशंकर प्रसाद के अनुसार वह पिछले करीब 30 सालों से गरीब और जरूरतमंद लोगों का केवल दस रूप...
Rajiv Gandhi Trust land grab ghotala — Shalini Singh wonders why NDA…

Rajiv Gandhi Trust land grab ghotala — Shalini Singh wonders why NDA…

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If Congress vice-president Rahul Gandhi is guilty of crying wolf over instances of alleged "personal corruption" by Prime Minister Narendra Modi and dilly-dallying over producing "concrete evidence", the latter is perhaps guilty of the reverse: sitting on substantial ammunition already available against the Gandhi family. A case in point is the allotment of prime panchayat land to the Rajiv Gandhi Charitable Trust (RGCT) in Haryana during the chief ministership of Congressman Bhupinder Singh Hooda. The five-acre prime property on the Gurgaon-Faridabad highway – a real estate gold mine – was allotted to the trust for constructing an eye hospital for the poor. The RGCT is headed by Congress president Sonia Gandhi. Manoj Muttu is the trustee/administrator, while the other trustees inclu...
Government plans on electric vehicles are non-starters: CSE

Government plans on electric vehicles are non-starters: CSE

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Centre for Science and Environment presents its latest analysis here today at a stakeholders’ round table meeting. Almost 60 per cent of the FAME incentives have gone to mild diesel hybrid cars that already enjoy substantial excise cuts. Electric and strong hybrids have remained neglected. 95 per cent of all four-wheeled vehicles sold under this programme have been mild diesel hybrid versions; a mere 3 per cent have been strong hybrids and 2 per cent, electric cars. Defeats the original purpose of promoting electric vehicles. Undercuts the fuel efficiency and emissions-saving benefits of the programme. Has not worked for public transport at all. Blurs the power ministry’s vision of 100 per cent electric vehicles by 2030.    No course correction done to ensure that the pr...