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Author: dindiaadmin

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद का बीसीसीआई

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद का बीसीसीआई

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आईपीएल के दसवें संस्करण से ठीक पहले बीसीसीआई के आला पदाधिकारियों के रहने की जरूरत का न तो अहसास हो रहा है न ये लग रहा है कि अगर वो होते कुछ अनूठा कर बैठते। हां, ये जरूर है कि 20 फरवरी को जब आईपीएल के लिए खिलाडिय़ों की नीलामी हुई तो न ज्यादा ग्लैमर था और न ही क्रिकेट बोर्ड अधिकारियों की फोटो खिंचवाती हुई पलटन। लेकिन ये सबकुछ बहुत ही सुव्यवस्थित तरीके से हो गया। बीसीसीआई के वो सूरमा, जो लगातार खबरों में रहते थे, अपने पॉवर पर इतराते थे। वो सभी अपने घरों में बैठे हुए हैं। वो पदाधिकारी, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दावे किए थे कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें बीसीसीआई के लिए अहितकारक होंगी, अब खुद देख रहे होंगे कि बीसीसीआई को उनके नहीं रहने से कोई झटका नहीं लगा है और न ही उसका काम उनके नहीं होने से प्रभावित हुआ है। ज्यों ज्यों सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासक क्रिकेट बोर्ड की प्रणाली और संरचना को ...
रेल मंत्री प्रभु जी की ‘स्पेशल ट्रेन’ का पहिया जाम

रेल मंत्री प्रभु जी की ‘स्पेशल ट्रेन’ का पहिया जाम

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मैं घनश्याम लाल शर्मा 27/11/2016 को दैनिक हिंदुस्तान, हिंदी संस्करण, गाजिय़ाबाद का (अख़बार) पढ़ रहा था तो मेरी नजर प्रथम पेज की एक खबर पर टिकी कि माननीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु जी किसी कार्यक्रम के लिए दादरी आये थे और वापसी स्पेशल ट्रेन से दिल्ली जा रहे थे कि अचानक गाजिय़ाबाद से पहले ट्रेन के पहिये से धुंआ निकला और ट्रेन एक्सीडेंट होने से बची, अख़बार के मुताबिक खराबी ठीक कर 20 मिनेट में ट्रेन दिल्ली को रवाना हुई। मुझे एकदम याद आया कि वर्ष 1978 में मैं और मेरे मित्र देवेंद्र जी कानपुर से बांदा शहर ट्रेन से एक बड़े पुलिस अफसर का फ्रिज ठीक करने के लिए जा रहे थे, बांदा शहर से पहले कबरई स्टेशन से ट्रेन चली और अचानक रुक गई। हम दोनों आपस में बात कर रहे थे कि पता नहीं क्या हो गया, इसी सोच विचार करने में जब लगभग 1 घण्टे बाद नीचे उतर कर देखा तो सभी यात्री इंजन कि तरफ जा रहे थे। हम दोनों भी इंजन के प...
बजट और मेरा दृष्टिकोण

बजट और मेरा दृष्टिकोण

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    मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं, मैं जब अपने मां के गर्भ में था यदि उस समय मेरी मां को दूध, मक्खन, घी, मछली मांस, अंडा, ड्राई फ्रूट, फल, सब्जी भरपेट खाने को मिला होता तो शायद आज मेरा रंग रूप दूसरा हुआ होता। मैं उस मां के पेट से जन्म लेकर आया हूं जिसको भरपेट भोजन नहीं मिला, वह आधे पेट खाकर सोती थी, कभी-कभी मां के पेट में भी मुझे भूखा रहना पड़ता था। आपने कभी इस पर सोचा, आपके दिल में कभी दर्द हुआ, हम जेल में जाते थे तो गाते थे, धनवानों के राजमहल हम गरीब को फांसीघर चलो बसाएं नया नगर। मैं भी नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देना चाहता हूं, उन्होंने उस मां के दर्द को समझा और गर्भवती महिलाओं को छह हजार रूपये भोजन के लिए दिए। हिन्दी भाषी इलाके के लोग जो पिछड़े हैं, दलित हैं, गरीब हैं, मजदूर हैं, किसान हैं और गांव की झोपड़ी में रहने वाले हों, अपनी-अपनी माताओं तक यह संदेश पहुंचा...
विरोध से और मजबूत होंगे ट्रंप!

विरोध से और मजबूत होंगे ट्रंप!

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  अमेरिकी प्रेजिडेंट डॉनल्ड ट्रंप अति-पूर्वाग्रह का शिकार हो रहे हैं? ट्रंप पर उनके विरोधी और लिबरल ताकतें जानबूझकर लगातार हमले कर रहे हैं? वाकई ट्रंप ऐसा कदम उठाएंगे जो अमेरिका के लिए आत्मघाती होगी? क्या ट्रंप ने 20 जनवरी को प्रेजिडेंट पद संभालने के बाद वास्तव में ऐसा कर दिया कि पूरी दुनिया को उनसे खतरा हो गया या ऐसा माहौल बनाने की कोशिश हो रही है? ट्रंप से जुड़े तमाम विवादों के बीच अब ये काउंटर क्वेश्चन भी सामने आ रहे हैं। ट्रंप के सपोर्टर अब उनके पक्ष में आ रहे हैं और बता रहे हैं कि किस तरह तिल का ताड़ बनाया जा रहा है और नए प्रेजिडेंट को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। वहीं जानकार मानते हैं कि अगर ट्रंप पर एकतरफा हमले जारी रहे तो इससे उन्हें राजनीतिक नुकसान से अधिक फायदा ही होगा और अंत में लिबरल ताकतों को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है। एनबीटी ने जब ट्रंप से जुड़े विवादों के दू...
सत्ता विरोध बन सकता है बदलाव का आधार

सत्ता विरोध बन सकता है बदलाव का आधार

राज्य
लगातार 15 साल तक शासन करने से सत्ता के स्वाभाविक विरोध झेलने वाले मुख्यमंत्री एवं लगभग इतने ही सालों तक अनशन पर रहीं इरोम शर्मिला के बीच अब लड़ाई एक रोचक राजनैतिक मोड़ पर पहुंच गयी है। अपनी पार्टी बनाकर शर्मिला ने इरादे साफ कर दिये हैं तो भाजपा ने किसी भी कीमत पर कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दे रखा है। केजरीवाल द्वारा इरोम शर्मिला को समर्थन देने से मणिपुर के राजनैतिक समीकरण इस बार कुछ नया गुल खिलाने जा रहे हैं। विशेष संवाददाता अमित त्यागी की एक रिपोर्ट। पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर के चुनाव में इस बार इरोम शर्मिला का उतरना एक नए सियासी समीकरण का उदय है। इरोम शर्मिला ने अफस्पा हटाने को लेकर लगभग 15 साल तक अनशन किया और वर्तमान मुख्यमंत्री इबोबी की नाक में नकेल डाली रहीं। हालांकि, इरोम शर्मिला ने सुर्खियां तो बहुत पायीं किन्तु केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उनके त्याग और बलिदान पर कुछ ठोस नती...
कांग्रेस होगी या आप ? भाजपा-अकाली साफ

कांग्रेस होगी या आप ? भाजपा-अकाली साफ

राज्य
पंजाब में चुनाव के बाद जैसा रुझान दिख रहा है उसके अनुसार भाजपा और अकाली दल से जनता बेहद नाराज़ है। वह इन दोनों दलों के गठबंधन को दूसरा कार्यकाल देने के पक्ष में नजऱ नहीं आ रही है। अब इस गठबंधन का विकल्प कांग्रेस होगी या आप, इस पर भी पंजाब का मतदाता विभाजित है। त्रिशंकु सरकार होने की स्थिति में कुछ गठजोड़ भी संभव हैं और राष्ट्रपति शासन का विकल्प भी। पंजाब का चुनाव बाद आंकलन कर रहे हैं विशेष संवाददाता अमित त्यागी। शायद बदलाव की इतनी तगड़ी बयार और कहीं दिखाई नहीं दे रही है जितनी कि पंजाब में है। यहां अकाली-भाजपा सरकार से जनता बेहद नाराज़ दिख रही है। वह किसी भी कीमत पर इस सरकार को दूसरा कार्यकाल देने के पक्ष में नहीं है। अब अगर इन दोनों दलों के गठबंधन के विकल्प की बात करें तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी विकल्प बनती दिखती हैं। पहले बात करते हैं आम आदमी पार्टी की। लोकसभा चुनाव 2014 में जब पूरे...
उत्तराखंड की कीचड़ में कमल खिलने का योग

उत्तराखंड की कीचड़ में कमल खिलने का योग

राज्य
उत्तराखंड में मतदान के बाद की स्थितियों से भाजपा की वापसी तय तो लग रही है किन्तु जितनी विराट सफलता की अपेक्षा भाजपा को थी शायद उससे कम सीटें भाजपा को मिल पाएंगी। भाजपा को 50-55 सीटें जीतने की आशा थी किन्तु मैदानी इलाकों में मायावती ने सेंध लगाकर यह आंकड़ा 40-45 तक सीमित कर दिया है। आधी कांग्रेस को अपने में समेटी भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनना तय मान रहे हैं विशेष संवाददाता अमित त्यागी जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं उनमें से सिर्फ उत्तराखंड ही ऐसा राज्य है जहां भाजपा की पूर्ण बहुमत सरकार का बनना स्पष्ट दिख रहा है। इस बात में किसी को कोई शक नहीं है कि उत्तराखंड से कांग्रेस साफ होने जा रही है। मतदान के दिनों में जिस तरह का रुझान यहां के मतदाताओं ने दिखाया है उसके अनुसार यहां की जनता कांग्रेस के पांच साल के जर्जर कार्यकाल और बदलते मुख्यमंत्रियों से आजिज़ आ चुकी दिखी है। इस बार कांग्...
भाजपा का कांग्रेसमुक्त पूर्वोत्तर अभियान : तेरी गठरी में लागी भाजपा, कांग्रेस जाग जरा

भाजपा का कांग्रेसमुक्त पूर्वोत्तर अभियान : तेरी गठरी में लागी भाजपा, कांग्रेस जाग जरा

राज्य
श्री नरेन्द्र मोदी के बारे में मशहूर है कि वह एक साथ 100 से अधिक एजेण्डों पर काम कर रहे हैं। कहा यह भी जाता है कि लक्ष्य हासिल करने के लिए वह 'येन-केन-प्रकारेण’ पर विश्वास करते हैं। यही बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में भी कही जाती रही है। इन एजेण्डों में पूर्वोत्तर भारत को कांग्रेस शासन से मुक्त कराना और भाजपा को स्थापित करना एक एजेण्डा है। राहुल गांधी यूपी में उद्धार से ही बेड़ा पार होने की उम्मीद लगाये बैठे हैं और नरेन्द्र मोदी पूर्वोत्तर में कांग्रेस को सत्ताविहीन करने की दिशा में काफी आगे बढ़ चुके हैं। औजार के तौर पर केन्द्र का धन, हिंदुत्व का एजेण्डा, जनजातीय तथा दलबदल के लिए तैयार सभी पार्टिंयों में मौजूद राजनैतिक महत्वाकांक्षी व्यक्तियों को इस्तेमाल किया जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस समिति द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर लगाया आरोप और उसका जवाब इसका एक संकेत है। ...
सभ्यता, संस्कृति एवं संरक्षण : सांस्कृतिक संध्या एवं परिचर्चा

सभ्यता, संस्कृति एवं संरक्षण : सांस्कृतिक संध्या एवं परिचर्चा

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सभ्यता और संस्कृति पर मंडरा रहे विदेशी हस्तक्षेप और बाज़ार के हस्तक्षेप के खतरों पर एक सफल कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली में मैथिली भाषा और संस्कृति के लिए संघर्षरत गैरसरकारी संगठन दीपक फाउंडेशन के द्वारा दिनांक 19 फरवरी 2017 को नई दिल्ली के कॉन्स्टीट्युशनल क्लब के मावलंकर हॉल में किया गया। इस कार्यक्रम में डायलॉग इंडिया और ओपन कोर्ट सहित कई अन्य संस्थान भी सम्मिलित थे। कार्यक्रम का शीर्षक था सभ्यता, संस्कृति एवं संरक्षण। कार्यक्रम की शुरुआत कार्यक्रम के शीर्षक के अनुसार ही हुई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों के आगमन तक दर्शकों के सम्मुख नृत्यांगना अनु सिन्हा के नृत्य समूह ने गणेश वन्दना एवं शिव वंदना प्रस्तुत की। इस वंदना ने कार्यक्रम में जहां एक तरफ दर्शकों को मुख्य अतिथि के आने तक बांधे रखा वहीं उन्होंने अपनी संस्कृति के सबसे प्राचीन रूप के भी दर्शन कराए। जब नन्हे नन्हे कदम इस तरह सधे और आ...
किसने यूपी के दलित नौजवानों को नहीं बनने दिया उद्यमी

किसने यूपी के दलित नौजवानों को नहीं बनने दिया उद्यमी

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मायावती और अखिलेश एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के दलितों को छलने के लिए तैयार खड़े हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव के तीन चरण पूरे हो चुके हैं चार बाकी हैं। इन दोनों मुस्लिमपरस्त नेताओं ने फिर से दलितों और मुसलमानों को अपने हक में वोट देने के लिए लुभावानी कसरतें करनी शुरू कर दी है। पर अब उनसे कुछ सवाल पूछने का मन कर रहा है। यह अहम सवाल उनसे उत्तर प्रदेश की जनता  तो जगह-जगह पूछ रही है। उनसे पूछा जा रहा है कि उन्होंने दलितों को आरक्षण का मोहताज क्यों बना दिया? उन्होंने दलित नवजवानों के स्वरोजगार और उद्यम के लिए क्या ठोस पहल की? और उनसे ये भी पूछा जा रहा है कि उन्होंने पसमांदा मुसलमानों को अंधेरे में क्यों रखा? कायदे से देखा जाए तो दलितों, पिछड़ों या समाज के किसी भी अन्य उपेक्षित वर्ग के हितों में बोलना कतई गलत नहीं है। उनके सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक उत्थान की मांग तो आज के समय की मांग है। ...