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Author: dindiaadmin

<strong>बापू सेंट स्टीफंस कॉलेज से दलित बच्चों के साथ</strong>

बापू सेंट स्टीफंस कॉलेज से दलित बच्चों के साथ

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
आर.के. सिन्हा महात्मा गांधी हमारे स्वाधीनता आंदोलन के सिर्फ नायक या समाज सुधारक मात्र ही नहीं थे। वे नौजवानों और विद्यार्थियों से मिलना-जुलना भी बेहद पसंद करते थे। वे स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्लायों में लगातार जाया करते थे। वे पहली बार राजधानी दिल्ली 12 मार्च 1915 को आए तो सेंट स्टीफंस कॉलेज में ही ठहरे। वे वहां पर सेंट स्टीफंस कॉलेज और हिन्दू कॉलेज के छात्रों और फेक्ल्टी से भी मिले। उनके तमाम सवालों के उत्तर दिए। उनसे दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद से जुड़े बहुत सारे सवाल पूछे गए थे। उसके बाद वे 1918 में फिर दिल्ली आए तो पुनः सेंट स्टीफंस कॉलेज में ही ठहरे। उन्हें यहां पर ब्रजकृष्ण चांदीवाला नाम के एक छात्र मिले जो आगे चलकर उनके पुत्रवत से हो गए। जब गांधी जी की 30 जनवरी, 1948 को हत्या हुई तो ब्रज कृष्ण चांदीवाला बिड़ला हाउस में ही थे...
परीक्षा पे चर्चा’ निराशा को अवसरों में बदलने की खिड़की

परीक्षा पे चर्चा’ निराशा को अवसरों में बदलने की खिड़की

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
-ः ललित गर्ग:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान दिया उद्बोधन एवं गुरु मंत्र छात्रों के लिये ऐसा आलोक स्तंभ है जो भविष्य की अजानी राहों एवं परीक्षा के जटिल क्षणों में पांव रखते समय उस आलोक को साथ में रख लिया गया तो उनके मार्ग में कहीं भी अवरोध, तनाव एवं संकट नहीं आ सकेगा। क्योंकि मोदी के ये गुरुमंत्र उनकी समर्थता, सिद्धता, अनुभव एवं साधना से उपजे हैं जो छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों और अभिभावकों के लिये भी रामबाण औषधि की तरह है। बोर्ड परीक्षाओं को लेकर छात्रों के अंदर डर और तनाव दोनों होता है, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच्चों के भीतर से इस डर और तनाव को समाप्त करने के लिए हर साल ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम करते हैं। इस वर्ष भारत मंडपम, आईटीपीओ, नई दिल्ली में हुए इस अनूठे एवं प्रेरक कार्यक्रम में जहां तकरीबन 4,000 छात्रों ने हिस्सा लिया, वहीं लगभग 2...
प्रकृति एवं मानव का शांतिपूर्ण सहअस्तित्व ख़तरे में?

प्रकृति एवं मानव का शांतिपूर्ण सहअस्तित्व ख़तरे में?

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राकेश दुबे विश्व में युद्ध के कारण विभाजित होती वैश्विक शक्तियाँ और पर्यावरणीय बदलावों में तेजी-परिणाम ठीक नहीं हैं। अभूतपूर्व ग्रीष्म लहरें, बर्फानी तूफान, बाढ़,सूखा, ग्लेशियर पिघलना और ऊंची उठती समुद्र जल-सतह। हमने स्वयं ये संकट पैदा किए हैं। फिर भी राजनेता विज्ञान और तर्क की आवाज दबा रहे हैं। हमारे ग्रह के वजूद को खतरा मुंह बाए खड़ा है। लगता है आज के इंसान के एजेंडे में मनुष्य-मनुष्य के बीच और प्रकृति एवं मानव के मध्य शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए कोई जगह नहीं है। थोड़ा इतिहास - जब ब्रिटिश साम्राज्य का सूरज ढलने लगा और अमेरिकी-सोवियत साम्राज्य का उदय हुआ। एक ‘फौलादी दीवार’ ने यूरोप को दो हिस्सों में बांट डाला, पश्चिमी गठबंधन वाला पश्चिमी यूरोप और सोवियत संघ से जुड़ा पूर्वी यूरोप। साथ ही, दक्षिण अमेरिका मानो संयुक्त राष्ट्र अमेरिका का पिछला आंगन बन गया तो एशिया का मध्य हिस्सा स...
<strong>नरेन्द्र मोदी के राम एवं राष्ट्र को समझें</strong>

नरेन्द्र मोदी के राम एवं राष्ट्र को समझें

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-ः ललित गर्ग:-केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अयोध्याधाम में प्रभु श्रीराम मंदिर के सफल प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना की और एक धन्यवाद प्रस्ताव में कहा कि लोगों द्वारा उनके प्रति दिखाए गए प्यार और स्नेह ने उन्हें ‘जननायक’ के रूप में स्थापित किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा पढ़े गए इस प्रस्ताव में मोदी को एक नए युग का अग्रदूत बताया गया। क्योंकि उन्हीं की अगुवाई में सोमवार को अयोध्या में संपन्न कार्यक्रम में नवनिर्मित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई। प्रस्ताव में यह भी कहा गया, हम कह सकते हैं कि 1947 में इस देश का शरीर स्वतंत्र हुआ था और अब इसमें आत्मा की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है। निश्चित ही मोदी अब इस नए युग के प्रवर्तन के बाद, नवयुग प्रवर्तक के रूप में भी सामने आए हैं। श्रीरामलला के नूतन विग्रह में...
प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण के बाद उत्तर प्रदेश में विकास का एक नया दौर शुरू होने जा रहा है

प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण के बाद उत्तर प्रदेश में विकास का एक नया दौर शुरू होने जा रहा है

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अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हो गई है और अब अयोध्या विश्व के अति महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों के पटल पर आ गया है। इसका अब भारत की आर्थिक प्रगति पर भी बहुत बड़ा असर होने जा रहा है। स्थानीय स्तर पर तो अब भारत के नए भविष्य की एक नई शुरुआत होने जा रही है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी अपने उदबोधन में कहा है कि  प्रभु श्रीराम सभी के है अतः यह भारत के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत होने जा रही है। प्रत्येक भारतीय रामायण पढ़ता है एवं अयोध्या के महत्व को भी समझता है। यह प्रभु श्रीराम का जन्म स्थल है और यह प्रभु श्रीराम की 500 वर्षों के बाद एक तरह से घर वापसी ही मानी जानी चाहिए। प्रभु श्रीराम भारत के कण कण में बसते हैं अतः अब ऐसी आशा की जानी चाहिए कि भारत में निवासरत विभिन्न मत पंथ मानने वाले नागरिक एक होकर भारत के व...
<strong>आनन्दरामायण में स्पष्ट बताया गया हैं कि</strong> <strong>समस्त दस अवतारों में श्रीरामावतार ही श्रेष्ठ क्यों?</strong>

आनन्दरामायण में स्पष्ट बताया गया हैं कि समस्त दस अवतारों में श्रीरामावतार ही श्रेष्ठ क्यों?

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एक दिन भाईयों, पुत्रों, सीताजी तथा गुरु के साथ श्रीरामचन्द्रजी बैठे थे। प्रसंगवश हर्षित होकर श्रीराम कहने लगे, समस्त ऋषिगण, मेरे सब भाई, दोनों पुत्र, सीता, समस्त मन्त्री और माताएँ सब मेरी बात सुनें।यथा यथाऽवतारेऽस्मिन सुखं भुक्तं हि सीतया।न तथाऽन्येषु सर्वेषु ह्यवतारेषु वै कदा।।आनन्दरामायण राज्यकाण्डम् (उत्तरार्द्धम्) सर्ग २०-२१मैंने इस अवतार में सीता के साथ जितना सुख भोगा है, उतना किसी भी अवतार में नहीं भोगा। श्रीराम ने कहा कि उन्होंने अनेक कारणों से समय-समय पर अवतार लिए हैं, किन्तु उनकी कोई संख्या नहीं है। इतना होने के बाद भी उनके सात अवतार मुख्य हैं। श्रीराम ने अपने अवतारों को इस प्रकार बताया- आज से बहुत दिनों पूर्व महोदधि (समुद्र) में शंखासुर नामक दैत्य हुआ था जो सत्यलोक से चारों वेदों को चुरा ले गया था। उसके लिए उन्होंने मत्स्यरूप धारण किया और उसका वध करके विष्णु रूपधारी बन ग...
तभी अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण सार्थक होगा…..

तभी अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण सार्थक होगा…..

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*जब हम "रामराज्य" के मूल आदर्शों को संरक्षित करें, अपने भीतर श्री राम को जागृत करें।* "रामराज्य" की अवधारणा हमेशा भारत के आम लोगों के साथ गूंजती रही है। "रामराज्य" को आम तौर पर भगवान राम का शासन माना जाता है और अक्सर इसे प्रशासन का सबसे अचूक रूप माना जाता है। स्वतंत्रता के समय, यही अवधारणा महात्मा गांधी द्वारा गढ़ी गई थी जब वह भारतीयों द्वारा शासित भविष्य के भारत की कल्पना कर रहे थे। वह लोकतांत्रिक व्यवस्था के बारे में बात कर रहे थे जहां शासक लोगों की खुशी के लिए शासन करेंगे। ऐसी व्यवस्था जहां सभी के लिए समान अधिकार होंगे, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो, और हिंसा न्याय प्राप्त करने का माध्यम नहीं हो सकती। आज देश-दुनिया में शत्रुतापूर्ण ताकतों के अशुभ जमावड़े को देखते हुए इसके लिए जबरदस्त प्रयास की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन यह हमारा सच्चा लक्ष्य है जिसे हमें कभी नहीं भूलना चाहिए। यदि ह...
अयोध्या में प्रभुश्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद भारत की आर्थिक विकास दर जा सकतीहै 10 प्रतिशत के पार

अयोध्या में प्रभुश्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद भारत की आर्थिक विकास दर जा सकतीहै 10 प्रतिशत के पार

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किसी भी देश में आर्थिक विकास को अतुलनीय गति देने में केवल 10 वर्ष का समय बहुत कम माना जाता है। इतिहास गवाह है कि कई देशों को आर्थिक विकास की रफ्तार को गति देने में दशकों लग जाते हैं। चीन ने वर्ष 1980 का आसपास अपने देश में आर्थिक सुधार कार्यक्रम लागू किए थे परंतु इनका परिणाम दशकों बाद दिखाई दिया था, लगभग यही स्थिति अन्य देशों की भी रही है। परंतु, भारत ने पिछले केवल 10 वर्षों के दौरान अर्थ के कई क्षेत्रों में पूरे विश्व को राह दिखाई है। भारत में आधारभूत ढांचे को विकसित करने पर विशेष ध्यान दिया जा गया है क्योंकि किसी भी देश के आर्थिक विकास को गति देने में आधारभूत ढांचे का विकसित अवस्था में होना अति आवश्यक माना जाता है। भारत में वर्ष 2013 में केवल 4,100 किलोमीटर रेल्वे लाइन का विद्युतीकरण किया जा सका था जो वर्ष 2023 में बढ़कर 28,100 किलोमीटर का हो गया है। राष्ट्रीय हाईवे भी वर्ष 2014 क...
राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से समस्त भारत हुआ राममय

राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से समस्त भारत हुआ राममय

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अयोध्या से आर.के. सिन्हा अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भब्य रूप से सम्पन्न हो गई। संत समाज के अलावा पूरे विश्व से मात्र लगभग ढाई - तीन हज़ार चुनिंदा लोगों को आमंत्रित किया गया था जिसमें सौभाग्य से मैं सपत्नीक आमंत्रित था ।यह सबों के लिये जीवन के एक दुर्लभ क्षण के रूप में याद रखा जाएगा। यह कल्पना से परे अविस्मरणीय दृश्य रहा। अयोध्या के राम मंदिर में अभिजीत मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूरे विधि - विधान के साथ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। इसके साथ ही सारा देश सारा देश राममय हो गया।पूरे देश क्या विश्व भर के राम भक्तों के मन में भावनाओं की अनंत आनंद के हिलोरें हैं। भावनाओं की अभिव्यक्ति में शब्द सक्षम या पर्याप्त नहीं हैं। कश्मीर में बर्फ से ढकी ऊंची चोटियों से लेकर कन्याकुमारी में धूप से सराबोर समुद्र तटों तक,राम नाम की गूंज ने पूरे भारत में भक्ति का माहौल बना द...
भारत में सांस्कृतिक धरोहरों को दिलाया जा रहा है उचित स्थान

भारत में सांस्कृतिक धरोहरों को दिलाया जा रहा है उचित स्थान

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22 जनवरी 2024 को प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में सम्पन्न होने जा रही है। पिछले लगभग 500 वर्षों के लम्बे संघर्ष के पश्चात श्रीराम लला टेंट से निकलकर एतिहासिक भव्य श्रीराम मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं। पूरे देश का वातावरण राममय हो गया है। न केवल भारत के नागरिकों में बल्कि अन्य कई देशों में भी सनातन धर्म में आस्था रखने वाले नागरिकों में जबरदस्त उत्साह दिखाई दे रहा है। अमेरिका के कई बड़े शहरों में प्रभु श्रीराम के बहुत बड़े आकार के होर्डिंग लगाए गए हैं। पूरे विश्व में ही एक तरह से नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। आज सनातनी हिंदुओं के लिए यह एक एतिहासिक एवं गर्व करने का पल है क्योंकि प्रभु श्रीराम का मंदिर भारतीयों के लिए सदियों से एक सांस्कृतिक धरोहर रहा है और अब पुनः प्रभु श्रीराम के मंदिर को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में उचित स्थान दिलाया जा रहा है, इसके लिए प...