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कंपनियों के चक्रव्यूह में फंसा भारत

कंपनियों के चक्रव्यूह में फंसा भारत

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कम्पनियों के मकड़जाल में भारत सही दुनिया के तमाम देश व इस लोकतंत्र की चक्रव्यूह में विश्व के सभी लोकतांत्रिक देश पिस रहे हैं पर उनके बनाए हुए इस चक्रव्यूह को भेदने करने का किसी के पास ताकत नहीं रह गई है विश्व भर में इनके बनाए हुए सारे सिस्टम पूरी दुनिया को रेगुलेट करने का एक साधन बन करके रह गया है कंपनियों के भरोसे मीडिया जो जनमानस को रेगुलेशंस करती है और मीडिया पर भरोसा करने के लिए ये education system उनको तैयार करता है मानसिक गुलामी के लिएभारत की कोई कंपनी विश्व की किसी बड़ी कंपनी को खरीदती है तो ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है। . आपको क्या लगता है ? गर्व करना चाहिए या नहीं ? . अब आपको याद होगा कि टाटा स्टील ने यूरोप की सब से बड़ी स्टील कंपनी कोरस खरीदी थी 14 बिलियन डॉलर में (14.2 अरब डॉलर)। तब ये सौदा विश्व के दस सबसे “अच्छे सौदों” में से एक था टाइम्स मैगजीन , फ़ोर्ब्स , मूडी ...
एनपीए का सच

एनपीए का सच

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अगर मुझे किसी भी बैंक का central statutory auditor बना दिया जाए तो 7 दिन में इतने npa निकाल दूँ कि सारे बैंक दिवालिया हो जाएं । एक बार मैंने एक बैंक की ब्रांच का statutory audit किया था उस बैंक ब्रांच को loss में ला कर खड़ा कर दिया था । अगले तीन वर्षों तक बैंक ने मुझे ऐसी ब्रांच allot की ,जिनमें जा तो कोई loan ही नही था ,या सर्विस ब्रांच थी ,या नई खुली ब्रांच थी । अगर बैंक्स का सही ऑडिट हो तो सारे बैंक्स की capital negative हैं । सारे बड़े loan बिना security के केवल share गिरवीं रखकर दिए जाते हैं ,consumer loan ,vehicle loan , सबमें बहुत npa है लेकिन बैंक के parmoter पागल थोड़ी हैं कि उनको पता नहीं की loan वापिस नही आएगा लेकिन बैंक में उनका पैसा ना मात्र का लगा होता है और जनता का पैसा बहुत अधिक । जैसे y bank में r kapoor का अधिक से अधिक 500 करोड़ लगा है और depositors की fd ,saving आदि में ...
महामंदी के दौर में भी चमक रहा है सोना

महामंदी के दौर में भी चमक रहा है सोना

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कोरोना काल के इस महामंदी के दौर में भी सोने की कीमतों में लगातार जबरदस्त बढ़ोतरी जारी है, हाल ही में भारत में सोने की कीमतें 50000 हज़ार रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर को भी पार कर गईं है, जब संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था संकुचित हो रही है तब सोने की कीमतों में बढ़ोतरी क्यों देखने को मिल रही है? कोरोना वायरस महामारी फैलने और दुनियाभर में लॉकडाउन के बीच जो एक चीज सबसे ज्यादा महंगी हुई है वो है सोना ऐसा क्यों हुआ है ? अंतरराष्ट्रीय कारोबार में नरमी और आर्थिक गतिविधियों के कमजोर पड़ने के बावजूद सोने के दामों में कोई कमी नहीं आई इसके पीछे क्या कारण है ?. इसके उलट पूरी दुनिया में इसके दाम बढ़ते जा रहें है. दुनिया में चीन के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता माना जाता है। इस वर्ष की पहली छमाही में सोने का भाव काफी ऊँचा रहा है और मार्च माह के अंत तक ...
संतुलित आर्थिक सोच पर मंथन जरूरी

संतुलित आर्थिक सोच पर मंथन जरूरी

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कोरोना के प्रकोप से जूझ रही दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा यह महामहारी नहीं होकर असंतुलित एवं भौतिकवादी आर्थिक मानसिकता है। हर किसी के मन में उछाल मार रही अमीरी की ललक है जिसमें हर कोई आर्थिक अपराध एवं पर्यावरण विनाश को नजरअंदाज कर रहा है। इसी से भ्रष्टाचार बढ़ा हैं, पर्यावरण का विनाश हो रहा है, महामारियां बढ़ रही हैं, इंसान का नैतिक एवं चारित्रिक पतन हो रहा है। जीवन पर प्रश्नचिन्ह टंक रहे हैं और अंधकारपूर्ण स्थितियां व्याप्त है। इन खतरों का कारण अमीरी बताया जा रहा है। मजेदार बात यह है कि संतुलित आर्थिक विकास को अपनाने का सुझाव और कोरोना जैसी व्याधि का कारण अमीरी को बताने का निष्कर्ष किसी आध्यात्मिक गुरु या साधु-संत का नहीं बल्कि दुनिया के कुछ जाने-माने वैज्ञानिकों का है। इससे भी बड़ी बात यह कि ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन के पर्यावरण वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा की गई यह स्टडी वल्र्...
Consumer Protection Act 2019 coming into force is incomplete without amending rules for packaged commodities and incorporating provisions for suggestions from consumers

Consumer Protection Act 2019 coming into force is incomplete without amending rules for packaged commodities and incorporating provisions for suggestions from consumers

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Consumer Protection Act 2019 has come into force from 20.07.2020 with several added features to safeguard interests of consumers. But big question is why some basic root-level changes are not incorporated either in the Act itself or by simultaneous modifications in existing system. National Anti-Profiteering Authority (NAPP) presently working under Department of Revenue should be shifted to Department of Consumer Affairs. Unfortunately there is no provision of entertaining feedback and suggestions coming from experts either by NAPP or by so many bodies constituted under Consumer Protection Act 2019. There must be some body which may have power to study and implement suggestions (if feasible) so that problems may not arise at root-level required to be tackled by NAPP or other bodies cons...
पूंजीवादी बैंकिंग सिस्टम में आप के पैसे से कैसे खेला जाता हैं उसको आज समझने का प्रयास करते हैं

पूंजीवादी बैंकिंग सिस्टम में आप के पैसे से कैसे खेला जाता हैं उसको आज समझने का प्रयास करते हैं

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अगर आप बैंक से 10 लाख रूपए का HOUSING लोन लेने जाते हो | तो बैंक कम से कम 20 लाख की जमीन गिरवीं रखेगा | पांच लाख आपको अपने पास से भी लगाने के लिए कहेगा | इस तरह बैंक के पास 35 लाख के प्रॉपर्टी गिरवीं रखने पर आपको बैंक 10 लाख रूपए का लोन देगा | हाउसिंग लोन के केस में बैंक आपकी तीन साल की RETURN , VALUATION REPORT , NON ENCUMBRANCE CERTIFICATE ,Legal Opinion , Map passed By MC आदि DOCUMENTS मांगेगा | हो सकता है इनता सब कुछ देने के बाद बैंक फिर भी हाउसिंग लोन देने से इनकार कर दे | अब आप उसी बैंक में ,उसी मेनेजर के पास जाईये और उसी से 10 लाख का कार लोन मांगे | तो वह फटाफट 10 लाख रूपए का लोन आपको दे देगा वह भी बहुत थोड़े डॉक्युमेंट्स पर । कार लोन आपको बिना किसी जमीन आदि गिरवी रखने के आसानी से एक दो दिन मेहो जाता है । यदपि 10 लाख के कार की कीमत शो रूम से निकलते ही 8 लाख की रह जाती है ।क्योकि हा...
फ़ाइनेंस कम्पनियों का खेल

फ़ाइनेंस कम्पनियों का खेल

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2015 में एक बडी फाइनेंस कम्पनी ने बैंकों से 18000 करोड़ रूपए कर्ज़ लिया था । B फाइनेंस कम्पनी में प्रमोटर्स का अपना पैसा केवल 50 करोड़ लगा हुआ था । 2019 में बैंकों से B फाइनेंस कम्पनी ने 86000 करोड़ रूपए लोन लिया था और प्रमोटर्स का अपना पैसा लगा हुआ था केवल 115 करोड़ रुपये | यानि कि आप बैंकों की मदद से 115 करोड़ खर्च कर 86000 करोड़ के मालिक बन बैठे । अब हर गली नुक्कड़ और ऑनलाइन पोर्टल्स पर जो इलेक्ट्रॉनिक गुड्स का फाइनेंस यहकम्पनी कर रही है ,वह पैसा क्या प्रमोटर्स के घर से आ रहा है। तो उसका उत्तर है नहीं,यह तो आपका ही पैसा है ,जो बैंकों में सेविंग एफडी आदि में आम आदमी ने निवेश किया हुआ है । यह लोन बैंक फाइनेंस कंपनी को शेयर गिरवीं रख कर दे देतें हैं ।जिससे बड़ी-बड़ी कंपनियों की सेल को बढ़ावा दिया जा रहा है । अगर blue star कोई कूलर बनाती है तो उसको यह कंपनी फाइनेंस कर देगी । अगर कोई छोटी फै...

WHY RELIANCE INDUSTRIES SHIFTING FOCUS AWAY FROM INDIAN PETROCHEMICAL SECTOR ?

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Reliance Industries Ltd. (R I L) , a large Indian company ,  has expanded  and grown in a spectacular manner   during the last few  decades, like of which no industrial group in India has performed  before. RIL is now involved in multi various activities relating to  petroleum refineries, petrochemicals, oil and gas exploration,  coal bed methane, life sciences,  retail business, communication network,  ( Jio platform)  media/entertainment  etc. While these activities may look unrelated for an observer,  Mukesh Ambani , the chief architect of RIL seems to  view them as related activities, as all of them have money making potentials. Recently, Mukesh Ambani has gone for diversification projects in consumer sector . RIL’s  performance in refinery, petrochemical and oil & gas explora...
मनरेगा योजना बनी रोजी-रोटी का सहारा

मनरेगा योजना बनी रोजी-रोटी का सहारा

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कोरोना के चलते पूरे भारत में ग्रामीण संकट गहरा रहा है काम की मांग बढ़ती जा रही है, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मांग को पूरा करने के लिए आगामी बजट में जोर-शोर से देखी जा रही हैं। ग्रामीण गरीबी से लड़ने के लिए सरकार के शस्त्रागार में यह एकमात्र गोला-बारूद हो सकता है। हालांकि, योजना को कर्कश, बेकार और अप्रभावी रूप हमने भूतकाल में देखे हैं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत ग्रामीण नौकरियों की मासिक मांग 20 मई तक 3.95 करोड़ पर एक नई ऊंचाई को छू गई थी, और महीने के अंत तक 4 करोड़ को पार कर गई। इस साल मई में चारों ओर बड़े पैमाने पर नौकरी के नुकसान का संकेत आया, विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र में, जहां लाखों कर्मचारी अचानक तालाबंदी के कारण बेरोजगार हो गए हैं। मनरेगा के तहत काम मांगने वालों की अधिक संख्या हताशा के कारण है। शहरी श्रमिकों में से अधि...