Shadow

धर्म

बल, बुद्धि और सिद्धि के सागर हैं हनुमान

बल, बुद्धि और सिद्धि के सागर हैं हनुमान

BREAKING NEWS, TOP STORIES, धर्म, राष्ट्रीय
हनुमान जयन्ती- 6 अप्रैल 2023 पर विशेष- ललित गर्ग - आधुनिक समय के सबसे जागृत, सिद्ध, चमत्कार घटित करने वाले एवं अपने भक्तों के दुःखों को हरने वाले भगवान हनुमान हैं, उनका चरित्र अतुलित पराक्रम, ज्ञान और शक्ति के बाद भी अहंकार से विहीन था। यही आदर्श आज हमारे लिये प्रकाश स्तंभ हैं, जो विषमताओं से भरे हुए संसार सागर में हमारा मार्गदर्शन करते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि असंभव लगने वाले कार्यों में भी जब हनुमानजी ने विजय प्राप्त की तब भी उन्होंने प्रत्येक सफलता का श्रेय ‘सो सब तव प्रताप रघुराई’ कहकर अपने स्वामी को समर्पित कर दिया। पूरी मेहनत करना पर श्रेय प्राप्ति की इच्छा न रखना सेवक का देव दुर्लभ गुण होता है, जो उसे अन्य सभी सद्गुणों का उपहार दे देता है। यहीं हनुमानजी के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता है। वे शौर्य, साहस और नेतृत्व के भी प्रतीक हैं। समर्पण एवं भक्ति उनका सर्वाधिक लोकप्रिय ग...
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

धर्म
परशुरामजी माता-पिता से उऋण हो गए किन्तु अपने गुरु से उऋण क्यों नहीं हो सके? श्रीरामचरितमानस का श्रवण, पारायण और सुनाने के बारे में गोस्वामी तुलसीदासजी ने अत्यन्त गम्भीर बात बालकाण्ड में स्पष्ट कर दी है। श्रीरामचरितमानस के प्रसंग स्वयं कथा करने वाले को अच्छी तरह समझकर कहना चाहिए। श्रीरामकथा श्रवण करने वाले को श्रद्धा भक्ति एवं रुचि से समझना चाहिए? यदि कथा सुनाने वाले और श्रवणकर्ता भक्तों में तालमेल नहीं है तो इस पवित्र कथा का फल (लाभ) प्राप्त कभी भी नहीं होता है यथा-भनिति मोरि सिव कृपाँ बिभाती। ससि समाज मिलि मनहुँ सुराती।।जे एहि कथहि सनेह समेता। कहिहहिं सुनहिं समुझि सचेता।।होइहहिं राम चरन अनुरागी। कलिमल रहित सुमंगल भागी।।श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड १५-५-६तुलसीदासजी कहते हैं कि उनकी कविता श्रीशिवजी की कृपा से ऐसी सुशोभित होगी जैसी तारागणों के सहित चन्द्रमा के साथ रात्रि शोभित होती है। जो इस...
हनुमान जी – साहस, शौर्य और समर्पण के प्रतीक

हनुमान जी – साहस, शौर्य और समर्पण के प्रतीक

BREAKING NEWS, TOP STORIES, धर्म, राष्ट्रीय
हनुमान, जिन्होंने सीता देवी को दिखाने के लिए अपना हृदय खोल दिया कि भगवान राम और वह उनके हृदय में निवास करते हैं और उन्हें उनसे उपहार के रूप में मोतियों के हार की आवश्यकता नहीं है, ऐसे अद्भुत समर्पण और बलिदान की आज कल्पना भी नहीं की जा सकती . लेकिन भगवान अपने अनुयायियों की भक्ति के लिए ही पीछे हटते हैं। हनुमान की पूजा सभी लोग विशेष रूप से करते हैं जो खेल और कठिन योगाभ्यास में लगे हुए हैं। हनुमान की तरह, हमें अपने मन, बुद्धि को अपनी आत्मा के नियंत्रण में लाकर, अपने स्वामी (हमारे सच्चे स्व, आत्मान) की सेवा करने का प्रयास करना चाहिए। -प्रियंका सौरभ हनुमान सबसे लोकप्रिय हिंदू देवताओं में से एक हैं। वह सेवा (सेवा), भक्ति (भक्ति) और समर्पण (समर्पण, अहंकारहीनता) का अवतार है। वह शिव के अवतार हैं। उन्हें अंजनी देवी के पुत्र पवन-देवता (मरुता) का पुत्र भी माना जाता है। उनकी ठुड्डी ऊंची है (इसलि...
भारत के अंदर- बाहर सभी जगह राम का नाम

भारत के अंदर- बाहर सभी जगह राम का नाम

BREAKING NEWS, TOP STORIES, धर्म, सामाजिक
आर.के. सिन्हा भारत के कण-कण में राम बसे हैं। भारत की राम के बिना कल्पना करना ही असंभव है। सारा भारत राम को अपना आराध्य और पूजनीय मानता है। डॉ राम मनोहर लोहिया कहते थे कि भारत के तीन सबसे बड़े पौराणिक नाम – “राम, कृष्ण और शिव ही हैं।” उनके काम के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी प्राय: सभी को, कम से कम दो में एक भारतीय को तो होगी ही। उनके विचार व कर्म, या उन्होंने कौन-से शब्द कब कहे, उसे विस्तारपूर्वक दस में एक तो जानता होगा। कभी सोचिए कि एक दिन में भारत में कितनी बार यहां की जनता प्रभु राम का नाम लेती है।   पर भगवान राम को सिर्फ भारत तक सीमित करना उचित नहीं होगा। वैसे तो  थाईलैंड बौद्ध देश हैं, पर वहां भी राम आराध्य है। राजधानी बैंकॉक से सटा है अयोध्या शहर। वहां के लोगों की मान्यता है कि यहीं थी भगवान श्रीराम की राजधानी। थाईलैंड के बौद्ध मंदिरों में आपक...
श्रीराम हैं अनंत, रामकथा अनंता

श्रीराम हैं अनंत, रामकथा अनंता

Today News, धर्म, सामाजिक
सचमुच श्रीराम न केवल भारत के लिये बल्कि दुनिया के प्रेरक है, पालनहार है। भारत के जन-जन के लिये वे एक संबल हैं, एक समाधान हैं, एक आश्वासन हैं निष्कंटक जीवन का, अंधेरों में उजालों का। भारत की संस्कृति एवं  विशाल आबादी के साथ दर्जनभर देशों के लोगों में यह नाम चेतन-अचेतन अवस्था में समाया हुआ है, इस लोक की थाती श्रीराम हैं और व्याप्ति भी श्रीराम। श्रीराम अनंत हैं तो रामकथा भी अनंता हैं, श्रीराम केवल भारतवासियों या केवल हिन्दुओं के मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं हैं, बल्कि बहुत से देशों, जातियों के भी मर्यादा पुरुष हैं जो भारतीय नहीं। रामायण में जो मानवीय मूल्य दृष्टि सामने आई, वह देशकाल की सीमाओं से ऊपर उठ गई। वह उन तत्वों को प्रतिष्ठित करती है, जिन्हें वह केवल पढ़े-लिखे लोगों की चीज न रहकर लोक मानस का अंग बन गई। हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा ...
नौ दिन कन्या पूजकर, सब जाते है भूल देवी के नवरात्र तब, लगते सभी फिजूल

नौ दिन कन्या पूजकर, सब जाते है भूल देवी के नवरात्र तब, लगते सभी फिजूल

TOP STORIES, धर्म, संस्कृति और अध्यात्म
क्या हमारा समाज देवी की लिंग-संवेदनशील समझ के लिए तैयार है? नवरात्रों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है। पर कुछ लोग नवरात्रि के बाद यह सब भूल जाते हैं। बहुत जगह कन्याओं का शोषण होता है और उनका अपमान किया जाता है। आज भी भारत में बहूत सारे गांवों में कन्या के जन्म पर दुःख मनाया जाता है। ऐसा क्यों? क्या आप ऐसा करके देवी मां के इन रूपों का अपमान नहीं कर रहे हैं। कन्याओं और महिलाओं के प्रति हमें अपनी सोच बदलनी पड़ेगी। देवी तुल्य कन्याओं का सम्मान करें। इनका आदर करना ईश्वर की पूजा करने जितना पुण्य देता है। शास्त्रों में भी लिखा है कि जिस घर में औरत का सम्मान किया जाता है वहां भगवान खुद वास करते हैं। दुनिया में और यौन भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलनों के साथ देवी की अवधारणा में विविधता लाने का समय आ गया है। -प्रियंका सौरभ नवरात्रि एक हिंदू पर्व है। नवरात्रि एक संस्कृ...
योगी सरकार का एक निर्णय और छद्म धर्मनिरपेक्ष बैचेन-मृत्युंजय दीक्षित

योगी सरकार का एक निर्णय और छद्म धर्मनिरपेक्ष बैचेन-मृत्युंजय दीक्षित

BREAKING NEWS, धर्म, राज्य
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के एक निर्णय से छद्म धर्मनिरपेक्ष दल बहुत बैचेन और व्यग्र हैं। चिंता में हैं कि अब उनकी तुष्टिकरण की राजनीति का क्या होगा ? प्रदेश की राजनीति में अभी तक कहा जाता रहा है कि दिवंगत सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव चरखा दांव चलाया करते थे लेकिन इस बार असली चरखा दांव योगी आदित्यनाथ जी ने चल दिया है और मुस्लिम तुष्टिकरण तथा जातिवादी नेताओं को चित्त कर दिया है। जो लोग रामचरित मानस जैसे दिव्य व पवित्र ग्रंथ की कुछ चौपाईयों का गलत अर्थ निकालकर हिंदू समाज में जातिभेद व विवाद उत्पन्न कर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने का प्रयास कर रहे थे अब सकते में हैं। ये लोग यह सोच रहे थे कि प्रदेश में भगवा लहर को सनातन धर्म और सनातन संस्कृति के आस्था के केंद्रो और धर्मग्रंथों का दुष्प्रचार करके और प्रदेश की सामाजिक समरसता का वातावरण दूषित करके रोका जा सकता है।प्रदे...
1 मार्च 1689 सम्भाजी महाराज का बलिदान

1 मार्च 1689 सम्भाजी महाराज का बलिदान

धर्म, समाचार, साहित्य संवाद
औरंगजेब द्वारा कठोर यातनाएँ, जुबान काटी, चीरा लगाकर नमक भरा रमेश शर्मा पिछले दो हजार वर्षों में संसार का स्वरूप बदल गया है । बदलाव केवल शासन करने के तरीके या राजनैतिक सीमाओं में ही नहीं हुआ अपितु परंपरा, संस्कृति, जीवनशैली और सामाजिक स्वरूप में भी हुआ है । किंतु भारत इसमें अपवाद है । असंख्य आघात सहने के बाद भी यदि भारतीय संस्कृति और परंपराएँ दिख रहीं हैं तो इसके पीछे ऐसे बलिदानी हैं जिन्होंने कठोरतम प्रताड़ना सहकर भी अपने स्वत्व की रक्षा की है । झुकना या रंग बदलना स्वीकार नहीं किया । ऐसे ही बलिदानी हैं सम्भाजी महाराज जिन्हें धर्म बदलने के लिये 38 दिनों तक कठोरतम यातनाएँ दीं गईं जिव्हा काटी गई, शरीर में चीरे लगाकर नमक भरा गया पर वे अपने स्वत्व पर अडिग रहे ।सम्भाजी महाराज छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र थे। उन्हें धोखे से बंदी बनाकर इतनी क्रूरतम प्रताड़ना दी गयी जिसकी कल्पना तक नहीं की...
भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त चैतन्य महाप्रभु

भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त चैतन्य महाप्रभु

धर्म
फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा ( चैतन्य जयंती पर विशेष ) -भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त चैतन्य महाप्रभुजन्म - भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त चैतन्य महाप्रभु जी का जन्म फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा (संवत1407) में बंगाल के नवद्वीप ग्राम में हुआ था।उनके पिता का नाम श्री जगन्नाथ मिश्र और मां का नाम शची देवी था। ये बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे।इन्हें बंगाल के लोग श्री राधा जी का अवतार भी मानते हैं। चैतन्य महाप्रभु के गुरू जी का नाम श्री केशव भारती था वे एक प्रकांड विद्वान थे।सन्यास- चैतन्य महाप्रभु जी ने 24 वर्ष की अवस्था में सन्यास लिया और केशव भारती जी से दीक्षा ली।यह भी मान्यता है कि सन1509 में जब ये अपने पिता का श्राद्ध करने बिहार के गया में गए तब वहां पर उनकी भेंट ईश्वरपुरी नामक एक संत से हुई उन्होंने महाप्रभु को कृष्ण कृष्ण रटने को कहा और तभी से उनका जीवन बदल गया।अलौकिक घटनाएं -चैतन्य महाप्र...
बंगला कृत्तिवास रामायण में जब हनुमान्जी ने क्यों अपना सीना चीरकर दिखाया?

बंगला कृत्तिवास रामायण में जब हनुमान्जी ने क्यों अपना सीना चीरकर दिखाया?

धर्म
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग हमने कई चित्र ऐसे देखे हैं कि हनुमानजी अपना सीना फाड़कर उसमें प्रभु श्रीराम सीताजी सहित दर्शन करा रहे हैं। अब प्रश्न यह उपस्थित होता है कि हनुमानजी को ऐसा क्यों करना पड़ा? यह दृश्य कब का है? इत्यादि। इन सब प्रश्नों का उत्तर बंगला कृत्तिवास रामायण के लंकाकाण्ड के अंतर्गत श्रीराम के राज्याभिषेक के शुभ अवसर का बड़े ही रोचकतापूर्ण वर्णित है।श्रीराम के अयोध्यापुरी में राज्याभिषेक के शुभ अवसर पर अदृश्य रूप से ब्रह्माजी ने स्वर्ण-कमलों की माला आकाश से समर्पित की, जो श्रीराम के गले की शोभा बढ़ाने लगी। नाना प्रकार के मणि-माणिक्य, पारस-पत्थर से बना कुबेर का हार श्रीराम के कंठ की शोभा में चार चाँद लगा रहा था। देवताओं के द्वारा भेंट किए गए आभूषणों से श्रीराम संसार में पूजित हुए। जिस भी मनुष्य में श्रीराम के राज्याभिषेक के बारे में सुना उसी की पार्थिव सम्पदा बढ...