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केंद्र सरकार के उपक्रम बन रहे कमाऊ पूत

केंद्र सरकार के उपक्रम बन रहे कमाऊ पूत

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केंद्र सरकार के उपक्रम बन रहे कमाऊ पूत आज से एक दशक से अधिक समय पूर्व तक केंद्र सरकार के उपक्रमों को चलायमान बनाए रखने के लिए केंद्रीय बजट में भारी भरकम राशि का प्रावधान करना पड़ता था तथा इन उपक्रमों को केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती थी। परंतु, आज स्थिति एकदम बदल गई है एवं अब केंद्र सरकार के उपक्रम केंद्र सरकार को लाभांश के रूप में भारी भरकम राशि प्रदान कर रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में केंद्र सरकार के विभिन्न उपक्रमों ने 5 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि का लाभ अर्जित किया है। केंद्र सरकार के उपक्रमों में यह आमूलचूल परिवर्तन केंद्र में ईमानदार सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा निगमित अभिशासन से सम्बंधित नियमों का कड़ाई से अनुपालन कराए जाने के चलते ही सम्भव हो सका है। पूर्व में इन उपक्रमों में पनप रहे भ्रष्टाचार के चलते इन उपक्रमों की लाभप्रदता पर विपरीत प्रभाव पड़ता...
केरल में भारत माता का अपमान यह केवल चित्र नहीं देश की आत्मा पर चोट है!

केरल में भारत माता का अपमान यह केवल चित्र नहीं देश की आत्मा पर चोट है!

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केरल में भारत माता का अपमान यह केवल चित्र नहीं देश की आत्मा पर चोट है! अजय कुमार,वरिष्ठ पत्रकार भारत माता… एक ऐसा नाम, एक ऐसा भाव, जो करोड़ों भारतीयों के दिल की धड़कन है। जब कोई "भारत माता की जय" बोलता है, तो ये केवल एक नारा नहीं होता, बल्कि एक ऐसी पुकार होती है, जिसमें देशभक्ति, श्रद्धा और मातृत्व का गहरा बोध समाहित होता है। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, उसी भारत माता की तस्वीर अब देश के भीतर विवाद की जड़ बन रही है। जिस तस्वीर के सामने स्वतंत्रता सेनानी सिर झुकाकर बलिदान की प्रेरणा लेते थे, उसे देखकर अब केरल के एक मंत्री की आंखें चुभने लगी हैं। केरल के कृषि मंत्री पी प्रसाद ने पर्यावरण दिवस पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम का सिर्फ इसलिए बहिष्कार कर दिया क्योंकि मंच पर भारत माता की तस्वीर लगी थी। यह घटना एक प्रतीक भर नहीं है, यह उस वैचारिक युद्ध की प्रत्यक्ष झलक है जो अब भारत की आत्मा से टक...
ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री का राष्ट्र को संबोधन

ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री का राष्ट्र को संबोधन

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ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री का राष्ट्र को संबोधनऑपरेशन सिन्दूर न्याय की अखंड प्रतिज्ञा हैआतंकवाद व उसको पोषित करने वालों को कड़ा संदेशमृत्युंजय दीक्षितपहलगाम की वीभत्स घटना और आपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई –बुद्ध पूर्णिमा के दिन देश को पहली बार संबोधित किया । पूरा देश इस संबोधन की सांस थामे प्रतीक्षा कर रहा था क्योंकि अचानक सीज फायर सुनकर सब हतप्रभ थे – ये क्या हुआ ? हम तो पाकिस्तान को जीत रहे थे? देश में अजीब सी छटपटाहट फ़ैल गई थी। प्रधानमंत्री आए, भारतवासियों से बात की और सब कुछ शीशे की तरह स्पष्ट हो गया। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद व पाकिस्तान पर भारत की रणनीति स्पष्ट करते हुए अपने देशवासियों के साथ साथ वैश्विक समुदाय को भी संबोधित किया और कुछ राष्ट्रों को उनके दोहरे रवैये पर कड़ा संदेश दिया।प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वप्रथम ऑपरेशन सिंदूर की अभूतपूर्व सफलता पर देशव...
ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई

ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई

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ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई - डॉ सत्यवान सौरभ भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादियों के 9 ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रमुख आतंकवादी संगठनों के हेडक्वार्टर भी शामिल थे। भारतीय सेना ने 100 किलोमीटर तक पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकवादी अड्डों पर सटीक एयरस्ट्राइक की। साथ ही, भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मार गिराया। इस ऑपरेशन ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत अपनी सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जय हिंद! भारत ने हाल ही में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकवादियों के खिलाफ एक ऐतिहासिक सैन्य ऑपरेशन "ऑपरेशन सिंदूर" को अंजाम दिया, जो केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारतीय सेना की ताकत, साहस और...
(संघर्ष से शांति तक का सफर) “युद्ध से युद्धविराम तक: भारत-पाक रिश्तों की बदलती तस्वीर”

(संघर्ष से शांति तक का सफर) “युद्ध से युद्धविराम तक: भारत-पाक रिश्तों की बदलती तस्वीर”

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(संघर्ष से शांति तक का सफर) "युद्ध से युद्धविराम तक: भारत-पाक रिश्तों की बदलती तस्वीर" 10 मई 2025 को, भारत और पाकिस्तान ने एक पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमति व्यक्त की, जो हाल के वर्षों में सबसे गंभीर संघर्ष के बाद हुआ। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद सैन्य तनाव बढ़ा था। अमेरिकी राष्ट्रपति की मध्यस्थता में हुई वार्ता के बाद, दोनों देशों ने इस संघर्ष को समाप्त करने का निर्णय लिया। हालांकि, सीमा पर स्थायी शांति अभी भी एक बड़ी चुनौती है। सच्ची शांति तब तक संभव नहीं है जब तक कि दोनों देश आपसी विश्वास, संवाद और सहयोग को प्राथमिकता न दें। युद्धविराम केवल एक कदम है, पर स्थायी शांति की दिशा में कई और कदम बढ़ाने की जरूरत है। Pakistan will have to give up its anti-India policy in the interest of its citizens भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंध हमेशा से...
युद्धविराम के पीछे का सच

युद्धविराम के पीछे का सच

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युद्धविराम के पीछे का सच-डॉ.सत्यवान सौरभ युद्धविराम पर चर्चा से पहले यह समझना जरूरी है कि किसी भी देश का प्रमुख उद्देश्य अपने नागरिकों की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा होता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता भी यही है – देश की अखंडता और जनता की सुरक्षा। लेकिन जब कोई युद्धविराम होता है, तो उसके पीछे केवल सैन्य कारण नहीं, बल्कि कई कूटनीतिक, सांस्कृतिक और मानवीय कारक भी काम कर रहे होते हैं। कुछ आलोचक पिछले कुछ दिनों से प्रधानमंत्री मोदी पर युद्धविराम के फैसले को लेकर सवाल उठा रहे हैं। यह स्वाभाविक है कि लोग भावनात्मक रूप से आहत हों, खासकर जब हाल ही में पहलगाम में हुए हमले जैसे घटनाक्रम सामने आए हों। लेकिन क्या यह उचित है कि केवल आवेश में आकर किसी निर्णय की निंदा की जाए? आइए, इस पूरी स्थिति को थोड़े गहराई से समझते हैं। 1. परमाणु हमले का संभावित खतरा: पिछले कुछ दि...
भारतीय सेना की ऐतिहासिक उपलब्धि – ऑपरेशन सिंदूर

भारतीय सेना की ऐतिहासिक उपलब्धि – ऑपरेशन सिंदूर

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भारतीय सेना की ऐतिहासिक उपलब्धि - ऑपरेशन सिंदूरआतंकिस्तान अब भी नहीं सुधरा तो रण भीषण होगामृत्युंजय दीक्षितपहलगाम में विगत 22 अप्रैल 2025 को हुए वीभत्स आतंकी हमले के बाद भारत की सेना ने 6-7 मई की रात को पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को नष्ट करने की सफल कार्यवाई की। पाकिस्तान की सेना ने इसमें आतंकियों का साथ देने का निर्णय किया और भारत के नागरिक तथा सैन्य ठिकानों को चोट पहुँचाने के लिए हमले किये। 10 मई 2025 को भारतीय सेना के आक्रामक प्रहार के पश्चात अंततः पाकिस्तान ने युद्ध विराम की गुहार लगाई। भारतीय सेना का आतंकवाद के खिलाफ यह अभियान पूर्णतः सफल रहा जिसमें पाकिस्तान तथा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को लगभग तबाह कर दिया गया।भारतीय सेना द्वारा जो जानकारी साझा की गई है उससे स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों सहित वहां के 11 एयर बेस भी पूरी तरह से तबाह हो गये हैं जिसमे...
शानदार जीत से भारत एशिया की एक बड़ी शक्ति बना

शानदार जीत से भारत एशिया की एक बड़ी शक्ति बना

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शानदार जीत से भारत एशिया की एक बड़ी शक्ति बना ललित गर्ग भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर जारी तनाव एवं युद्ध की स्थितियों के बीच भारत ने बड़ा ऐलान करते हुए सीज फायर लागू किया। चार दिन चले सैन्य संघर्ष में परिस्थितियां और भी ज्यादा नाजुक हो गई थीं एवं पाकिस्तान की भारी तबाही हुई। दोनों परमाणु सम्पन्न देशों के बीच के बढ़ते तनाव के बीच समझौते के बाद भले ही पाकिस्तान के विनाश का सिलसिला थम गया हो, लेकिन उसकी एक भूल भारी का सबब बन सकता है। क्योंकि भारत ने यह बड़ा फैसले लेते हुए कहा था कि भविष्य में उसकी जमीन पर किसी भी आतंकवादी हमले को भारत के खिलाफ युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा और उसकी गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा। पाकिस्तान की फितरत को देखते हुए भारत सरकार एवं भारतीय सेना अधिक चौकस, सावधान एवं सतर्क रहते हुए संघर्ष-विराम के लिये यदि सहमत हुई है तो उसका स्वागत होना चाहिए। जब भारत ने पाकिस...
( प्रोपेगेंडा और झूठी ख़बरों से सतर्क रहें) “जब खबरें बनती हैं हथियार: युद्ध, प्रोपेगेंडा और फेक न्यूज”

( प्रोपेगेंडा और झूठी ख़बरों से सतर्क रहें) “जब खबरें बनती हैं हथियार: युद्ध, प्रोपेगेंडा और फेक न्यूज”

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(प्रोपेगेंडा और झूठी ख़बरों से सतर्क रहें)"जब खबरें बनती हैं हथियार: युद्ध, प्रोपेगेंडा और फेक न्यूज" -प्रियंका सौरभ युद्ध के दौरान फैलाई गई झूठी खबरें न केवल सैनिकों और आम नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में डालती हैं, बल्कि समाज में भय और नफरत का भी प्रसार करती हैं। यह न केवल जनता की भावनाओं को भड़काती है, बल्कि सच्चाई की नींव को भी कमजोर करती है। कई बार युद्ध के मैदान से बहुत दूर बैठे लोग भी इन झूठी खबरों के शिकार बन जाते हैं और इससे राष्ट्र की एकता और संप्रभुता को भारी क्षति पहुँचती है। युद्ध का समय हमेशा से मानव इतिहास का सबसे तनावपूर्ण और संवेदनशील दौर रहा है। जब दो देशों के बीच टकराव चरम पर होता है, तब सिर्फ हथियारों की ही नहीं, बल्कि सूचनाओं की भी लड़ाई लड़ी जाती है। प्रोपेगेंडा और झूठी ख़बरें इस संघर्ष का एक अनिवार्य हिस्सा बन जाती हैं। यह स्थिति विशेष रूप से भारत और पाक...
“सैनिकों का सम्मान: समर्पण और बलिदान की पहचान”

“सैनिकों का सम्मान: समर्पण और बलिदान की पहचान”

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"सैनिकों का सम्मान: समर्पण और बलिदान की पहचान" हमारे सैनिक, जो सीमाओं पर अपने प्राणों की बाजी लगाते हैं, हमारे असली नायक हैं। युद्ध की आशंका में लौटते सैनिकों को ट्रेन में सीट दें, सड़क पर मिलें तो अपने वाहन से आगे छोड़ें, और होटलों में निशुल्क ठहरने की सुविधा दें। उनका सम्मान हमारा कर्तव्य है, न कि महज़ औपचारिकता। जहाँ भी मिले, सलाम करें – देश में इनसे बढ़कर कुछ नहीं। देवताओं के लिए भंडारे लगाते हो तो इन सैनिकों को भी माँ जैसा सम्मान दो। कहना कि ये तो सरकारी तनख्वाह लेते हैं, एक अपराध है। तनख्वाह सभी कर्मचारी लेते हैं, लेकिन ये अपने जीवन की बाजी लगाते हैं, अपने घर-परिवार से दूर रहते हैं, और हमारी सुरक्षा के लिए हर कठिनाई सहते हैं। आइए, इस परंपरा को मजबूत करें और सैनिकों का मान बढ़ाएं। जय हिंद! हमारे देश के सैनिक, जो सीमाओं पर अपने प्राणों की आहुति देकर हमारी रक्षा करते हैं, केव...