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क्यों मोदी ने संसद पर हमले को किया याद

क्यों मोदी ने संसद पर हमले को किया याद

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 आर.के. सिन्हा भारत के संसदीय लोकतंत्र के लिये 13 दिसंबर, 2001 काला दिन था। उस दिन देश के दुश्मनों ने हमारे लोकतंत्र के मंदिर को निशान बनाया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए संसद पर हुए उस हमले का उल्लेख करके उन शूरवीरों के प्रति देश की कृतज्ञता को ज्ञापित किया जिनकी बहादुरी के कारण ही संसद भवन के अंदर आतंकी घुस नहीं सके थे। तब संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था। उस दिन विपक्षी सांसद राज्यसभा और लोकसभा में हंगामा काट रहे थे। सदन को तत्काल 45 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी संसद से घर की ओर जा चुके थे। हालांकि, उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत अन्य सांसद संसद भवन में ही मौजूद थे। तभी सफेद एंबेसडर कार से जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकी संसद भवन परिसर ...
एक साथ चुनाव भारत के लोकतंत्र के लिए हानिकारक क्यों?

एक साथ चुनाव भारत के लोकतंत्र के लिए हानिकारक क्यों?

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एक साथ चुनावों से देश की संघवाद को चुनौती मिलने की भी आशंका है। एक साथ चुनाव होने से लोकतंत्र के इन विशिष्ट मंचों और क्षेत्रों के धुंधला होने का खतरा है, साथ ही यह जोखिम भी है कि राज्य-स्तरीय मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दों में समाहित हो जाएंगे। अगर लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाए गए तो ज्यादा संभावना है कि राष्ट्रीय मुद्दों के सामने क्षेत्रीय मुद्दे गौण हो जाएँ या इसके विपरीत क्षेत्रीय मुद्दों के सामने राष्ट्रीय मुद्दे अपना अस्तित्व खो दें। डॉ सत्यवान सौरभ एक साथ चुनाव का तात्पर्य है कि पूरे भारत में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे, जिसमें संभवतः एक ही समय के आसपास मतदान होगा। एक साथ चुनाव, या "एक राष्ट्र, एक चुनाव" का विचार पहली बार औपचारिक रूप से भारत के चुनाव आयोग द्वारा 1983 की रिपोर्ट में प्रस्तावित किया गया था। एक साथ चुनाव कराने के क...
जस्टिन ट्रूडो सम्बन्धों को विद्रूप कर रहे हैं

जस्टिन ट्रूडो सम्बन्धों को विद्रूप कर रहे हैं

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इसमें कोई शक नहीं है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का अपरिपक्व व्यवहार व दोहरापन दोनों देशों के संबंधों को उस मोड़ पर ले आया है कि भारत को कनाडाई नागरिकों को वीजा देने पर रोक लगानी पड़ी है। खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत की कथित भूमिका को लेकर किया गया प्रलाप निस्संदेह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि अपरिपक्व राजनय को भी दर्शाता है। वहीं ट्रूडो की राजनीतिक अस्थिरता से अपनी सरकार बचाने की कोशिशों से उत्पन्न हताशा को भी दर्शाता है। दूसरी ओर एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक का निष्कासन सुलगते रिश्तों की ज्वलनशीलता को बढ़ाने वाला ही था। निज्जर हत्या प्रकरण में आधी-अधूरी जांच के बीच में ही निष्कर्ष रचने वाले ट्रूडो की बयानबाजी उनके उतावलेपन को ही उजागर करती है। निस्संदेह वे लगातार अलगाववादियों के हाथों में खेल रहे हैं। जाहिर है कि हमारी एकता-संप्रभुता...
आईना नहीं, चेहरे बदलिए जनाब !

आईना नहीं, चेहरे बदलिए जनाब !

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“बहिष्कार और असहयोग” हाल ही में यह दोनों पुराने शब्द भारत की राजनीति में फिर तेज़ी से उछले हैं। देश में बने नए राजनीतिक गठबंधन ‘इंडिया’ गठबंधन ने घोषणा की है कि वह मीडिया के कुछ एंकरों का बहिष्कार करेगा । उनका तर्क है कि कुछ समाचार चैनलों के एंकर यानी कार्यक्रम के प्रस्तोता सरकारी प्रचार के काम में इस तरह लगे हुए हैं कि निर्भयता और निष्पक्षता के पत्रकारीय दायित्व को छोड़ बैठे हैं। ऐसे मीडिया को उन्होंने ‘गोदी मीडिया’ नाम दिया है। 14 एंकरों के नाम लेकर कहा गया है कि वे निर्बाध रूप से भाजपा सरकार के पक्ष में हवा बनाने का काम कर रहे हैं। वैसे यह आरोप अपने आप में नया नहीं है। अर्से से कुछ चैनलों पर ‘सरकारी’ होने की बात कही जाती रही है। इससे ऐसे चैनलों पर कुछ असर नहीं लग रहा। मीडिया की भूमिका सवालों के घेरे में यदा-कदा आती रही है। पत्रकारिता से हमेशा यह अपेक्षा रही है कि वह विवेकपूर्ण त...
<strong>नारी का राजनीतिक जीवन भी अमृतमय बने</strong>

नारी का राजनीतिक जीवन भी अमृतमय बने

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  ललित गर्ग  भारतीय संसद के नए भवन के पहले सत्र का श्रीगणेश अनेक दृष्टियों से ऐतिहासिक, यादगार एवं अविस्मरणीय रहा। मंगलवार के शुभदिन अनेक नये अध्याय एवं अमिट आलेख रचे गये, जिनमें सरकार और विपक्ष के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध की दुर्लभ तस्वीर सामने आयी, वहीं ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023’ के रूप में नारी शक्ति के अभ्युदय का नया इतिहास रचा गया। यह सुनकर एवं देखकर अच्छा लगा कि सभी नेताओं ने पार्टी लाइनों से ऊपर उठकर बाबा साहेब अंबडेकर, पंडित जवाहरलाल नेहरू, बाबू राजेंद्र प्रसाद, अटलविहारी वाजपेयी जैसे सभी महान नेताओं को याद किया, जिन्होंने नया एवं सशक्त भारत बनाने में योगदान दिया।हर राजनीतिक दल महिला उत्थान, उन्नयन एवं विधायी संस्थानों में संतुलित महिला प्रतिनिधित्व के लंबे-चौड़े दावे करते रहे हैं और वादे भी, लेकिन जब समय आता है तो महिलाओं को उनका हक देने में अनेक किन्तु-परन्तु एवं कौताही ह...
नई संसद : सबसे बड़ा लोकतंत्र होना सार्थक हो

नई संसद : सबसे बड़ा लोकतंत्र होना सार्थक हो

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बीते कल भले ही देश का सबसे बड़ा लोकतंत्र का मंदिर संसद भवन संविधान भवन बन गया हो, लेकिन यह भवन भारतीय संविधान की रचना से लेकर लोकतंत्र के उदय व परिपक्व हो जाने का साक्षी है। पांच दिवसीय विशेष संसद सत्र का पहला दिन इसी संसद भवन की संसदीय कार्यवाही का आखिरी दिन बना। संसद भवन में पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी से लेकर डॉ. मनमोहन सिंह तक के कार्यकाल को याद किया गया। वहीं पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद से लेकर मौजूदा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक के संबोधन का स्मरण किया गया। निस्संदेह, इस भवन को देश के पंद्रह प्रधानमंत्रियों का नेतृत्व मिला। सदन ने संवाद के जरिये देश की दशा सुधारने और नई दिशा देने का गुरुतर दायित्व निभाया। एक परिपक्व लोकतंत्र के रूप में पिछले साढ़े सात दशक में सामूहिकता के निर्णय इसकी जीवंतता को ही दर्शाते हैं। इसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र...
यशोभूमि से मिला राजनैतिक सन्देश

यशोभूमि से मिला राजनैतिक सन्देश

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मृत्युंजय दीक्षितप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर राजधानी दिल्ली में एशिया के सबसे बड़े प्रदर्शनी व कांफ्रेंस सेंटर यशोभूमि राष्ट्र को समर्पित करते हुए इसी नवीन प्रांगण से 18 प्रकार के पारंपरिक कारीगरों व शिल्पकारों की लाभ पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया है। इस योजना के माध्यम से सुथर, बढ़ई, नाव निर्माता, अस्त्रकार, लोहे का काम करने वाले, टोकरी, चटाई, झाड़ू बनाने वाले, कॉयर बुनकर, गुड़िया और खिलौना निर्माता, पारंपरिक सुनार, कुम्हार, जूते बनाने वाले, हथौड़ा और टुलकिट निर्माता, ताला बनाने वाले, मूर्तिकार, पत्थर तराशने वाले, पत्थर तोड़ने वाले राजमिस्त्री, बाल काटने वाले, मालाकर, कपड़े धोने वाले, दर्जी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले आदि कार्य कार्य करने वाले हुनरमंद भाई बहनों को 3 लाख तक बिना गारंटी ऋण देने की घोषणा की है। विश्वकर्मा...
<strong>गणेश हैं विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और उन्नत राष्ट्र-निर्माता</strong>

गणेश हैं विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और उन्नत राष्ट्र-निर्माता

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गणेश चतुर्थी- 19 सितम्बर 2023 पर विशेष-ललित गर्ग-गणेश भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं, वे विघ्नहर्ता एवं मंगलकर्ता सात्विक देवता हैं और उन्नत राष्ट्र-निर्माता हैं। वे न केवल भारतीय संस्कृति एवं जीवनशैली के कण-कण में व्याप्त है बल्कि विदेशों में भी घर-कारों-कार्यालयों एवं उत्पाद केन्द्रों में विद्यमान हैं। हर तरफ गणेश ही गणेश छाए हुए है। मनुष्य के दैनिक कार्यों में सफलता, सुख-समृद्धि की कामना, बुद्धि एवं ज्ञान के विकास एवं किसी भी मंगल कार्य को निर्विघ्न सम्पन्न करने हेतु गणेशजी को ही सर्वप्रथम पूजा जाता है, याद किया जाता है। प्रथम देव होने के साथ-साथ उनका व्यक्तित्व बहुआयामी है, लोकनायक का चरित्र हैं। गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं, ऐसे सार्वभौमिक, सार्वकालिक एवं सार्वदैशिक लोकप्रियता वाले देव का जन्मोत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को सम्पूर्ण दुनिया में उमंग एवं हर्षोल्ल...
<strong>नये भारत के निर्माता हैं कर्मयोद्धा नरेन्द्र मोदी</strong>

नये भारत के निर्माता हैं कर्मयोद्धा नरेन्द्र मोदी

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श्री नरेंद्र मोदी के 73वें जन्म दिवस- 17 सितम्बर 2023 पर विशेष- ललित गर्ग- एक महान् कर्मयोद्धा के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, सामरिक और आर्थिक सशक्तता की छाप छोड़ते हुए भारत को विश्वगुरु बनाने को तत्पर है, यह इतिहास के निर्माण का भाव है। निश्चित ही उनकी दृष्टि एवं दिशा भारत के नवशिल्प का आधार है। उन्होंने अंधेरों, अवरोधों एवं अक्षमताओं से संघर्ष करने की एक सार्थक मुहिम वर्ष 2014 में शुरू की। वे राजनीति में शुचिता के प्रतीक, अध्यात्म एवं विज्ञान के समन्वयक, कुशल राजनेता, प्रभावी प्रशासक, विलक्षण व्यक्तित्व के धनी हैं। उनके 73वें जन्म दिवस पर सुखद एवं उपलब्धिभरी प्रतिध्वनियां सुनाई दे रही है, जिनमें नये भारत एवं आत्मनिर्भर भारत के अमृतमय स्वर गूंज रहे हैं।  हमने हाल ही में उनके नेतृत्व में भारत की अध्यक्षता में हुई जी-20 के समिट में विश्व मंच...
कुप्पाहाली सीतारमय्या सुदर्शन

कुप्पाहाली सीतारमय्या सुदर्शन

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. 15 सितंबर--पुण्यतिथि कुप्पाहाली सीतारमय्या सुदर्शन का जन्म 18 जून 1931 को रायपुर (छत्तीसगढ़) में एक कन्नड़ भाषी परिवार में हुआ था। के एस सुदर्शन के पिता श्री सीतारामैया वन-विभाग की नौकरी के कारण अधिकांश समय मध्यप्रदेश में ही रहे और वहीं श्री सुदर्शन जी का जन्म हुआ। सुदर्शन मूलतः तमिलनाडु और कर्नाटक की सीमा पर बसे कुप्पहल्ली (मैसूर) ग्राम के निवासी थे। कन्नड़ परम्परा में सबसे पहले गांव, फिर पिता और फिर अपना नाम बोलते हैं। तीन भाई और एक बहिन वाले परिवार में सुदर्शन जी सबसे बड़े थे। सुदर्शन की प्रारंभिक शिक्षा रायपुर, दामोह, मंडला और चंद्रपुर में हुई। महज 9 साल की उम्र में ही उन्होंने पहली बार आरएसएस शाखा में भाग लिया। उन्होंने वर्ष 1954 में जबलपुर के सागर विश्वविद्यालय (इंजीनिरिंग कालेज) से दूरसंचार विषय (टेलीकाम/ टेलीकम्युनिकेशंस) में बी.ई की उपाधि प्राप्त कर प्रारम्भिक जिला, विभाग प्...