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<strong>Opposition parties in India naming their group as” INDIA “mischievous and condemnable</strong>

Opposition parties in India naming their group as” INDIA “mischievous and condemnable

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N.S.Venkataraman   The recently concluded meeting  of some opposition parties in Bangalore to jointly put their efforts to defeat the Prime Minister Modi in the 2024 election, has named their group as Indian National Developmental  Inclusive  Alliance , which can otherwise  be referred as  “INDIA”  in short. This nomenclature has caused considerable surprise and anxiety amongst the discerning people. Of course, there are a number of political parties in India and the name of such parties  have the term India included such as Indian National Congress, Communist Party of India, All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam.  and so on. There is nothing wrong in having such names with India being there.  However, having a name only ...
<strong>हिंदू राष्ट्रवाद के पितामह थे लोकमान्य तिलक</strong>

हिंदू राष्ट्रवाद के पितामह थे लोकमान्य तिलक

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-ः ललित गर्ग:- बाल गंगाधर तिलक प्रखर राष्ट्रवादी, हिन्दूवादी नेता एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व थे। वे समाज सुधारक, राष्ट्रीय नेता, थे जिन्हें भारतीय इतिहास, संस्कृत, हिन्दू धर्म, गणित और खगोल विज्ञान में महारथ हासिल थी। तिलक ने ही सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठाई थी। स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे ले कर रहूंगा। इस नारे ने बहुत से लोगों को प्रोत्साहित किया था। आजादी के परवानों के लिए ये महज कुछ शब्द भर नहीं थे बल्कि एक जोश, एक जुनून था जिसके जरिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानियां देकर मां भारती को अंग्रेजों से आजादी दिलाई। इस वाक्य को पढ़ने और सुनने वाले को बाल गंगाधर तिलक की याद आ ही जाती है। लोकमान्य का अर्थ है लोगों द्वारा स्वीकृत किया गया नेता। लोकमान्य के अलावा इनको हिंदू राष्ट्रवाद का पितामह भी कहा जाता है।बाल गंगाधर तिलक भारतीय राष्ट्रीय...
बज गयी 2024 की रणभेरी

बज गयी 2024 की रणभेरी

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विनीत नारायणपक्ष और विपक्ष अपने-अपने हाथी, घोड़े, रथ और पैदल तैयार करने में जुट गये हैं। दिल्ली और बैंगलुरु में दोनोंपक्षों ने अपना अपना कुनबा जोड़ा है। जहां नए बने संगठन ‘इंडिया’ में 25 दल शामिल हुए हैं वहीं एनडीए 39दलों के साथ आने का दावा कर रहा है। अगर इन दावों की गहराई में पड़ताल करें तो बड़ी रोचक तस्वीर सामनेआती है।पिछले चुनाव में एनडीए में अब शामिल हुए इन 39 दलों को मिले वोट जोड़ें तो इस गठबंधन को देश भर में23 से 24 करोड़ के बीच वोट मिले थे। जबकि ‘इंडिया’ के मौजूदा गठबंधन को 26 करोड़ वोट मिले थे। पर येवोट इतने सारे दलों में आपसी मुक़ाबले के कारण बंट गये। जिससे इनकी हार हुई। अगर ये गठबंधन ईडी,सीबीआई व आईटी की धमकियों के बावजूद एकजुट बना रहता है और मुक़ाबला आमने-सामने का होता है तोजो परिणाम आयेंगे वो स्पष्ट हैं।दूसरा पक्ष ये है कि जहां एनडीए आज 60 करोड़ भारतीयों पर राज कर रही है वहीं ...
इतनी देर से क्यों जागा डीजीसीए?

इतनी देर से क्यों जागा डीजीसीए?

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*रजनीश कपूरजब भी कभी कोई विमान हादसा होता है या होते-होते टल जाता है तो भारत का नागर विमानन महानिदेशालययानी डीजीसीए ऐसी घटना की जाँच करता है। ऐसे मामलों में जाँच पूरी होने तक डीजीसीए उस विमान केपायलट व क्रू को ‘ग्राउंड’ कर देता है यानी उड़ान भरने पर रोक लगा देता है। सवाल है कि क्या डीजीसीए का सिर्फ़इतना ही फ़र्ज़ है? सवाल ये भी है कि क्या ऐसी दुर्घटनाओं के बाद की जाने वाली ऐसी जाँच में केवल एयरलाइनके स्टाफ़ की ही गलती क्यों सामने आती है? क्या डीजीसीए के अधिकारियों को हवाई जहाज़ की नियमित जाँचऔर रख-रखाव की पड़ताल नहीं करनी चाहिए, जो उनका फ़र्ज़ है? यदि डीजीसीए द्वारा ऐसे निरीक्षण समय-समय पर होते रहें तो ऐसे हादसे टाले जा सकते हैं।आज हम देश की एक नामी एयरलाइन इंडिगो के बारे में बात करेंगे। निजी क्षेत्र की यह एयरलाइन पिछले महीनेकाफ़ी सुर्ख़ियों में रही। कारण था इसके विमानों में लैंडिंग के सम...
आतंकवाद के लिए हथियार बनते ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म

आतंकवाद के लिए हथियार बनते ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म

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डिजिटल युग में आतंकवादी युवाओं की कमजोरियों का फायदा उठाकर उन्हें अपने गुट में शामिल होने के लिए आकर्षित करने के लिए साइबरस्पेस का उपयोग कर रहे हैं। मुद्दे की गहरी समझ और बेहतर समाधान विकसित करने के लिए भारत के विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित कट्टरपंथ के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना। इन कार्यक्रमों के लिए पर्याप्त धनराशि सुनिश्चित करना, खुफिया बलों की क्षमता का विकास करना और कट्टरपंथ, विशेषकर आभासी कट्टरपंथ से निपटने के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करना। राज्य पुलिस की क्षमता का विकास, क्योंकि वे रक्षा की पहली पंक्ति हैं। बढ़ते कट्टरपंथ का बेहतर ढंग से मुकाबला करने के लिए राज्य पुलिस बलों को केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ अच्छे सहयोग से काम करने की जरूरत है। डॉ सत्यवान सौरभ कट्टरवाद द्वारा कोई व्यक्ति या समूह राजनीतिक, सामाजिक या धार्मिक यथास्थिति के विरोध में त...
पश्चिम के खेल – प्रशांत सिंह

पश्चिम के खेल – प्रशांत सिंह

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मैप को देखिए, इसमें न्यूयॉर्क से मॉस्को के बीच का दो रास्ता दिखाया गया है, एक रास्ता सीधा है उसमे दूरी ज्यादा है, दूसरा रास्ता घुमावदार है उसमें दूरी कम है।क्या ये अजीब बात नहीं है कि घुमावदार रास्ते की दूरी ज्यादा होनी चाहिए थी मगर वो कम है !!इस सवाल आसान जवाब यह है कि मैप दरअसल पृथ्वी के शेप के अनुपात से नहीं बनाई गई है अर्थात पृथ्वी पर हम जैसे जैसे equater से pole की तरफ जाएंगे वैसे वैसे देशांतर (Longitude) के बीच की दूरी घटती जाती है और इस अनुपात में मैप को ऊपर बढ़ते हुए सिकुड़ते हुए बनाया जाना चाहिए था ताकि मैप में दूरी को सही तौर से रिप्रेजेंट किया जा सके,लेकिन मैप वैसा नही बनाया जाता, ऐसा क्यों होता है.? "पश्चिम ने जितना बड़ा बौद्धिक घोटाला कर रखा है, बेइमानी की सरहदें उतनी बार लांग रखी हैं अगर उसपर लिखा जाएगा तो उन घोटाले के ऊपर सैंकड़ों किताबों की एक लाइब्रेरी तैयार हो जाए...
<strong>राजनीतिक चंदे की पारदर्शी व्यवस्था बनाना जरूरी</strong>

राजनीतिक चंदे की पारदर्शी व्यवस्था बनाना जरूरी

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- ललित गर्ग- वर्ष 2024 के आम चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं,राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का मुद्दा एक बार फिर गरमा रहा है। लोकतंत्र की एक बड़ी विसंगति या कहे समस्या उस धन को लेकर है, जो चुपचाप, बिना किसी लिखा-पढ़ी के दलों, नेताओं और उम्मीदवारों को पहुंचाया जाता है, यानी वह काला धन, जिससे देश के बड़े राजनीतिक आयोजन चलते हैं राजनैतिक रैलियां, सभाएं, चुनाव प्रचार होता है। उम्मीदवारों के साथ-साथ मतदाताओं को लुभाने एवं उन्हें प्रलोभन देने में इस धन का उपयोग होता है। जब से चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को चंदा देने का प्रचलन शुरु हुआ है, राजनीतिक दलों को इससे मिलने वाली राशि में काफी इजाफा हुआ है। देश के सात राष्ट्रीय और चौबीस क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की ओर से सार्वजनिक किए गए आमदनी के ब्योरे से यह खुलासा हुआ है। एडीआर द्वारा किए गए इस ब्योरे के विश्लेषण से पता चला है कि वर्ष 2017-1...
क्यों पतियों को बीवी ‘नो-जॉब’ पसंद है ?

क्यों पतियों को बीवी ‘नो-जॉब’ पसंद है ?

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 इस पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं को घर के अंदर समेटने का तरीका है उन्हें नौकरी न करने देना। पितृसत्ता के गुलाम लोगों को लगता है कि नौकरी करने अगर बहू घर के बाहर जाएगी, उसके हाथ में पैसे होंगे तो वो घर वालों को कुछ समझेगी नहीं। इसके पीछे की भावना होती है कि लड़की इंडिपेंडेंट होगी। वो अपने लिए खुद फैसले लेंगी और इससे उसपर उनका अधिकार कम होगा। लड़कियों और बहुओं को घर की इज्ज़त का नाम देकर घर में उनका जमकर शोषण किया जाता है। कई पुरुषों में यह सोच हावी है कि महिलाएं नौकरी करेंगी तो उनकी मोबिलिटी अधिक होगी, संपर्क अधिक बढ़ेगा। घर से बाहर निकल कर बाहर के पुरुषों से बात करेंगी। यह उन्हें बर्दाश्त नहीं होता है। पुरुषों को लगता है कि नौकरी करने पर महिलाएं उन पर आश्रित नहीं रहेंगी। वो खुद फैसले ले सकेंगी, उनकी चलेगी नहीं। इसलिए वो नौकरीपेशा महिलाओं को नहीं पसंद करते। -डॉ सत्यवान सौरभ ...
वैश्विकबाजारीशक्तियां सनातन भारतीय संस्कृति को प्रभावित करने का प्रयास कर रही हैं

वैश्विकबाजारीशक्तियां सनातन भारतीय संस्कृति को प्रभावित करने का प्रयास कर रही हैं

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सनातन भारतीय संस्कारों के अनुसार भारत में कुटुंब को एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में स्वीकार किया गया है एवं भारत में संयुक्त परिवार इसकी परिणती के रूप में दिखाई देते है। परंतु, पश्चिमी आर्थिक दर्शन में संयुक्त परिवार लगभग नहीं के बराबर ही दिखाई देते हैं एवं विकसित देशों में सामान्यतः बच्चों के 18 वर्ष की आयु प्राप्त करते ही, वे अपना अलग परिवार बसा लेते हैं तथा अपने माता पिता से अलग मकान लेकर रहने लगते हैं। इस चलन के पीछे संभवत आर्थिक पक्ष इस प्रकार जुड़ा हुआ है कि जितने अधिक परिवार होंगे उतने ही अधिक मकानों की आवश्यकता होगी, कारों की आवश्यकता होगी, टीवी की आवश्यकता होगी, फ्रिज की आवश्यकता होगी, आदि। लगभग समस्त उत्पादों की आवश्यकता इससे बढ़ेगी जो अंततः मांग में वृद्धि के रूप में दिखाई देगी एवं इससे इन वस्तुओं का उत्पादन बढ़ेगा। ज्यादा वस्तुएं  बिकने से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की लाभप्रदता में...
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लोहा मनवा रहा इसरो !

अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लोहा मनवा रहा इसरो !

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हाल ही में 14 जुलाई का दिन इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रयान- 3 को सफलतापूर्वक लांच कर दिया। इसरो के सभी वैज्ञानिकों को इसके लिए सर्वप्रथम हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। जानकारी देना चाहूंगा कि शुक्रवार की दोपहर यानी कि 14 जुलाई 2023 को 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन सेंटर से इस मिशन के तहत चंद्रयान -3 को लांच कर दिया गया। भारत ऐसा देश है जिसने बहुत कम लागत और बहुत कम समय में यह कर दिखाया है कि उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम किसी भी विकसित देश से कतई कमतर नहीं हैं। वास्तव में, दुनिया के जिन भी देशों ने अब तक चंद्रमा पर जो भी अन्वेषण कार्य किया है, वे अब तक उस तरह की उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए हैं जो चंद्रयान अभियानों के दौरान भारत ने अर्जित की है। यह हमें गौरवान्वित करता है। यहां पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि इस ...