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जिससे पता चलता है ईवीएम फुलप्रूफ है।_

जिससे पता चलता है ईवीएम फुलप्रूफ है।_

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_ईवीएम में छेड़छाड़ कर यूपी और उत्तराखंड में चुनाव जीतने के आरोपों को चुनाव आयोग ने बेबुनियाद बताते हुए आठ कारण गिनाए हैं। जिससे पता चलता है ईवीएम फुलप्रूफ है।_    *साइबर खबर न्यूज़ ब्यूरो**नई दिल्लीः* ईवीएम की साख पर उठे सवालों के बीच चुनाव आयोग ने सफाई दी है। हार के बाद अफवाह फैला रहे पार्टी समर्थकों को यह आठ कारण पढ़ना चाहिए। जिससे साफ पता चलता है कि ईवीएम से किसी भी दशा में छेड़छाड़ संभव ही नहीं है। अगर आप यह आठ कारण पढ़ते हैं तो सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाती पोस्ट शेयर करने के भेड़चाल से बच सकेंगे। पेश है एनडीटीवी की खबर का अंश। यूं तो ये आठ कारण आयोग की ओर से बताए गए हैं, सभी जगह ये खबर चल रही, मगर एनडीटीवी का जिक्र इसलिए कि भाजपा आलोचकों की नजर में इस चैनल की साख है।1-आयोग का कहना है कि ईवीएम में इंटरनेट से जुड़ा नहीं होता। इसलिए इसे किसी भी दशा में ऑनलाइन हैक नहीं किया जा सकता.2. किस ...
जवाहर लाल नेहरू थे भारत में पहली बूथ केप्चरिंग के मास्टरमाइण्ड प्रधानमन्त्री

जवाहर लाल नेहरू थे भारत में पहली बूथ केप्चरिंग के मास्टरमाइण्ड प्रधानमन्त्री

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जवाहर लाल नेहरू देश में हुए प्रथम आम चुनाव में उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट से पराजित घोषित हो चुके कांग्रेसी प्रत्याशी मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को किसी भी कीमत पर ज़बरदस्ती जिताने के आदेश दिये थे। उनके आदेश पर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमन्त्री पं. गोविन्द वल्लभ पन्त ने रामपुर के जिलाधिकारी पर घोषित हो चुके परिणाम बदलने का दबाव डाला और इस दबाव के कारण प्रशासन ने जीते हुए प्रत्याशी विशनचन्द्र सेठ की मतपेटी के वोट मौलाना अबुल कलाम की पेटी में डलवा कर दुबारा मतगणना करवायी और मौलाना अबुल कलाम को जिता दिया।यह रहस्योदघाटन उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सूचना निदेशक शम्भूनाथ टण्डन ने अपने एक लेख में किया है।उन्होंने अपने लेख "जब विशनचन्द सेठ ने मौलाना आज़ाद को धूल चटाई थी भारतीय इतिहास की एक अनजान घटना" में लिखा है कि भारत में नेहरू ही बूथ कैप्चरिंग के पहले मास्टर माइंड थे। उस ज़माने में भी बूथ पर कब्ज़...
जवाहरलाल नेहरू की गलतियां* जो हम आज तक भुगत रहे हैं ।

जवाहरलाल नेहरू की गलतियां* जो हम आज तक भुगत रहे हैं ।

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*1) कोको आइसलैंड* - 1950 में नेहरू ने भारत का ' कोको द्वीप समूह' ( Google Map location -14.100000, 93.365000 ) बर्मा को गिफ्ट दे दिया। यह द्वीप समूह कोलकाता से 900 KM दूर समंदर में है।बाद में बर्मा ने कोको द्वीप समूह चीन को दे दिया, जहाँ से आज चीन भारत पर नजर रखता है।*2) काबू व्हेली मनिपुर -* पंडित नेहरू ने 13 Jan 1954 को भारत के मणिपुर प्रांत की काबू व्हेली दोस्ती के तौर पर बर्मा को दे दिया। काबू व्हेली का लगभग क्षेत्रफल 11000 वर्ग किमी है और कहते हैं कि यह कश्मीर से भी अधिक खूबसरत है।आज बर्मा ने काबू व्हेली का कुछ हिस्सा चीन को दे रखा है। चीन यहां से भी भारत पर नजर रखता है।*3) भारत - नेपाल विलय -* 1952 में नेपाल के तत्कालीन राजा त्रिभुवन विक्रम शाह ने नेपाल को भारत में विलय कर लेने की बात पंडित नेहरू से कही थी, लेकिन नेहरू ने ये कहकर उनकी बात टाल दी की भारत में नेपाल के विलय से दोनों देश...
कौन जीता कौन हारा

कौन जीता कौन हारा

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उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, मणिपुर और गोवा की पांचों विधानसभाओं के चुनाव परिणाम आ गये हैं। इनमें से उत्तर प्रदेश विधानसभा के 403, उत्तराखण्ड के 70, पंजाब विधानसभा के 117, मणिपुर के 60 और गोवा के 40 सदस्यों को जनता ने चुना है। चुनाव परिणामों पर यदि दृष्टिपात किया जाए तो स्पष्ट होता है कि जनता ने बहुत परिपक्व निर्णय दिया है। साथ ही अपवाद स्वरूप यदि पंजाब को छोड़ दें तो हर प्रदेश की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों में अपना विश्वास व्यक्त किया है। इन चुनाव परिणामों की गंभीरता से समीक्षा की जानी अपेक्षित है। सर्वप्रथम हम उत्तर प्रदेश पर आते हैं, यहां की जनता ने सपा के परिवारवाद, पारिवारिक कलह, साम्प्रदायिक तुष्टिकरण की नीति, शासन प्रमुख का जातिवादी दृष्टिकोण पर अपना नकारात्मक दृष्टिकोण स्पष्ट कर दिया है। इसी प्रकार बसपा के खुरपा व बुरका के समीकरण को सिरे से नकार दिया है। कुमारी माय...
संकट में भारत का पहला नदी द्वीप ज़िला – माजुली

संकट में भारत का पहला नदी द्वीप ज़िला – माजुली

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ब्रह्यपुत्र - एक नद्य है, बु्रहीदिहिंग - एक नदी। एक नर और एक नारी; दोनो ने मीलों समानान्तर यात्रा की। अतंतः लखू में आकर सहमति बनी। लखू में आकर दोनो एकाकार हो गये। एकाकार होने से पूर्व एक नदी द्वीप बनाया। असमिया लोगों को मिलन और मिलन से पूर्व की रचा यह नदी द्वीप इतना पसंद आया कि उन्होने इसे अपना आशियाना ही बना लिया। असमिया भाषा भी क्योंकर पीछे रहती। वह भी कुहूक उठी - 'माजुली'। बस, यही नाम मशहूर हो गया। 1661 से 1669 के बीच माजुली में कई भूकम्प आये। लगातार आये इन भूकम्पों के बाद 15 दिन लंबी बाढ़ आई। वर्ष था - 1750। इस लंबी बाढ़ के बाद ब्रह्मपुत्र नदी दो उपशाखाओं में बंट गई - लुइत खूटी और ब्रुही खूटी। ब्रह्यपुत्र की ओर की उपशाखा को लुइत खूटी, तो ब्रुहीदिहिंग की ओर की ओर उपशाखा को ब्रुही खूटी कहा गया। द्वीप और छोटा हो गया। कालांतर में ब्रुही खूटी का प्रवाह घटा, तो लोगों ने इसका नाम भी बदल दिया। ब...
“वैदिक काल” का अध्ययन

“वैदिक काल” का अध्ययन

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वैदिक सभ्यता को भारतीय संस्कृति का आधार स्तंभ माना जाता हैं। वैदिक काल 1500 ई.पू से 600 ई.पू  तक माना जाता हैं। वैदिक काल को भी दो भागों में विभाजित किया गया है पहला 1500 ई. पू. से 1000 ई. पू. तक के काल को ऋग्वेदिक काल जाता है, इस काल में ही विश्व के सबसे प्राचीन माने जाने वाला ग्रंथ ऋग्वेद की रचना हुई थी तथा बाकी के तीन वेद यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद की रचना उत्तरवैदिक काल में हुई थी जिसका काल 1000 ई.पू. से 600 ई.पू. माना जाता हैं ऋग्वेदिक काल( 1500 ई. पू. से 1000 ई. पू.) इस काल की जानकारी ऋग्वेद से प्राप्त होती हैं   मैक्स मूलर के अनुसार आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था। आर्य प्रारंभ में ईरान गए वहाँ से भारत आए।आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता ग्रामीण थी तथा उनकी भाषा संस्कृत थी।इस काल की सबसे पवित्र नदी सरस्वती नदी थी जिसे नदियों की माता कहा जाता था। ऋग्वेदिक काल में प्रशासनिक...
स्त्रियों को मनचाहा लिखने की स्वतंत्रता नहीं मिल सकी है – गीताश्री

स्त्रियों को मनचाहा लिखने की स्वतंत्रता नहीं मिल सकी है – गीताश्री

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हिंदी कहानी और पत्रकारिता में गीताश्री का नाम किसी के लिए भी नया नहीं हैं। गीताश्री की कहानियां आज हिंदी कहानी क्षेत्र के आकाश पर छाई हुई हैं। उनकी कहानियों में स्त्री विमर्श अपने हर रूप में है। कभी वह 'गोरिल्ला प्यार’ के रूप में है तो हालिया प्रकाशित 'डाउनलोड होते हैं सपने’ में सपनों की नई परिभाषा के रूप में। गीताश्री के पास पत्रकारिता के अनुभवों के साथ स्त्री अनुभवों का भी अथाह संसार है। गीताश्री के विचार कभी आराम नहीं करते, वे विराम नहीं लेते हैं। गीताश्री चलते रहने में भरोसा करती हैं। गीताश्री की कविता 'जितना हक’, 'औरत की बोली’, 'स्त्री आकांक्षा के मानचित्र’, 'नागपाश में स्त्री’, 'सपनों की मंडी’ (आदिवासी लड़कियों की तस्करी पर आधारित), '23 लेखिकाएं और राजेन्द्र यादव’ (सम्पादन), 'प्रार्थना के बाहर और अन्य कहानियां’, 'स्वप्न साजि़श और स्त्री’ तथा 'डाउनलोड होते हैं सपने’ पुस्तकें बाज़ार मे...
एक देश एक बजट : एक सराहनीय कदम

एक देश एक बजट : एक सराहनीय कदम

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    भारत में रेल यात्रा लंबी दूरी तय करने का सबसे सुगम और सहज माध्यम है। आम जनता के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं। ऑनलाइन बुकिंग और सोशल मीडिया नेटवर्किंग ने आम जनता की मुश्किलों को काफी हद तक कम करने में मदद की है। अब तक रेल बचट आम बजट से अलग पेश किया जाता था मगर अब सरकार ने इसका विलय केन्द्रीय बजट के साथ करने का फैसला लिया है। अगले वित्त वर्ष (2017-18) से केंद्रीय बजट और रेल बजट को अलग अलग पेश करने की औपनिवेशिक परंपरा अब खत्म हो जाएगी। सरकार द्वारा उठाया गया यह एक सराहनीय कदम है। रेल बजट को अलग से पेश करने की यह प्रक्रिया स्वतंत्रता से पूर्व 1924 में ब्रिटिश सरकार ने की थी। साल 1921 में ईस्ट इंडिया रेलवे कमेटी के चेयरमैन सर विलियम एक्वर्थ ने यह देखा कि पूरे रेलवे सिस्टम को एक बेहतर मैनेजमेंट की जरूरत है। दस सदस्यों वाली एक्वर्थ समिति ने अपनी रिपोर्ट में रेल बजट को सामान...
क्या बदले तो बदले भारत :  व्यक्ति, व्यवस्था, पार्टी या लगाम ?

क्या बदले तो बदले भारत :  व्यक्ति, व्यवस्था, पार्टी या लगाम ?

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लोगों के लिए, लोगों के द्वारा, लोगों की सरकार’- यह लोकतंत्र की सर्वमान्य परिभाषा है। न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया - लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं। लोकनियोजन, लोकनीति, लोकस्वामित्व, लोकअभिव्यक्ति और लोक उम्मीदवारी - ये लोकतंत्र के प्रमुख प्रभावी पांच लक्षण है। लोक के साथ तंत्र का सतत् संवाद, सहमति, सहयोग, सहभाग, सहकार और सदाचार लोकतांत्रिक व्यवस्था संचालन के छह सूत्र हैं। यदि लोकतंत्र के उक्त तीन जोड़, चार स्तंभ, पांच लक्ष्ण और छह सूत्र सक्रिय व सुविचारित रूप से मौजूद हों, तो समझना चाहिए कि व्यवस्था सुचारु और लोकतांत्रिक है। यदि ऐसा न हो तो लोक घाोषणापत्र, लोक निगरानी और लोक-अंकेक्षण, लोक को नियंत्रित करने के तीन औजार हो सकते हैं और लोकउम्मीदवारी तंत्र में लोक के कब्जे का एक सर्वोदयी विचार। सोचिए! क्या हमारी पंचायत और ग्रामसभा के बीच, निगम और मोहल्ला समितियों के बीच सतत् औ...
दुर्लभ मानव जीवन उजले-उजले संकल्प करने के लिए है

दुर्लभ मानव जीवन उजले-उजले संकल्प करने के लिए है

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राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने आधारभूत नवाचार और उत्कृष्ट पारम्परिक ज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले 55 लोगों को सम्मानित किया। श्री मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित नवप्रवर्तन उत्सव के दौरान इन सभी लोगों को सम्मानित किया। इनमें से सबसे प्रमुख गुजरात के 82 वर्षीय भंजीभाई मथुकिया को कृषि से संबंधित कई नए तरीके विकसित करने के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया। इस मेले में हिस्सा लेने वाले वैज्ञानिक नहीं हैं लेकिन वे ऐसे खोजकर्ता हैं जिन्होंने अपनी खुद की जरूरत या अपने आसपास की समस्या के निदान के लिए अनोखी खोजें कर डाली। जैसे बिना बिजली से चलने वाली फ्रिज, क्ले वाटर फिल्टर, गर्मी में उगने वाले सेब की किस्म, मरीजों के नहाने के लिए कुर्सी, कूड़ा उठाने वाली मशीन आदि। नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की तरफ से आयोजित नवप्रवर्तन उत्सव में 55 से भी ज्यादा जमीनी इनोवेटरों ने हिस्...