
भारतीय परंपरा, संस्कृति और विचार की सच्ची प्रतीक और संवाहक रही है संस्कृत।
भले ही आज के युग में संस्कृत को एक 'मृत भाषा' की संज्ञा दे दी गई है लेकिन संस्कृत ही आज दुनिया की एकमात्र ऐसी भाषा है जिसे सबसे प्राचीन भाषा होने का गौरव प्राप्त है। आज दुनिया में लगभग 6-7 हजार से भी ज्यादा भाषाओं का प्रयोग किया जाता है और इन सभी भाषाओं की जननी संस्कृत को ही माना जाता है। यहां यह कहना कदापि ग़लत नहीं होगा कि
संस्कृत केवल एक मात्र भाषा नहीं है अपितु संस्कृत एक विचार है। संस्कृत एक संस्कृति है, एक संस्कार है। संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है ,सहयोग है वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना निहित है।महर्षि श्री अरबिंदों के शब्दों में ‘अगर मुझसे पूछा जाए कि भारत के पास सबसे बड़ा खजाना क्या है और उसकी सबसे बड़ी विरासत क्या है, तो मैं बिना किसी हिचकिचाहट के जवाब दूंगा कि यह संस्कृत भाषा और साहित्य है और इसमें वह सब कुछ है। यह एक शानदार विरासत है, और जब तक यह हमारे लोगों के...