
डगमगाती भविष्य-निधि अर्थात् बचत की बुनियाद
एक समय था, जब भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार मध्य-वर्ग था तो उसके लिए सबसे पवित्र-पूंजी थी कर्मचारी भविष्य-निधि कोष। भविष्य-निधि अर्थात् बचत की बुनियाद। कोई नागरिक निजी तौर पर बचत करना चाहे, या न चाहे पिछली सरकारों ने उसके लिए बचत के प्रावधान को अनिवार्य बनाने की कोशिश की थी। कर्मचारी के इस खाते में बचत सरकार की भी जिम्मेदारी थी। लेकिन,अब सरकार का नागरिकों के प्रति यह अभिभावकीय अस्तित्व अस्त हो रहा है। इस बार के केंद्रीय बजट का मूल स्वर यही है कि “कर दिए जाओ और बचत की चिंता न करो।“हमारे सामने भारतीय अर्थव्यवस्था में छोटी बचतों का इतिहास उस वक्त दर्ज हुआ जब 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के समय दुनिया के बाजार धड़ाम से गिर रहे थे। बाजार के जानकारों ने उस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाने का श्रेय घर-घर मौजूद बचतवादियों को ही दिया था। इस बचतवादी प्रवृत्ति का रखवाला था भविष्य-निधि कोष। आप आज जितन...