Shadow

आर्थिक

अमेरिका अभी लम्बा झेलेगा। इनका बैंकिंग सिस्टम ही बकवास है।

अमेरिका अभी लम्बा झेलेगा। इनका बैंकिंग सिस्टम ही बकवास है।

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, समाचार
अमेरिका अभी लम्बा झेलेगा। इनका बैंकिंग सिस्टम ही बकवास है। ये लोग क्या करते हैं कि 1 रुपये की नेट वर्थ पर 10 रुपये उधार दे डालते हैं। बाकी का 9 रुपये ये दूसरे बैंकों से ले डालते हैं। अब यदि जिसने 1 रुपया दिया वो डूब गया तो समझ लो कि बाकी के बैंक अब किस्से 9 रुपये वापिस लेंगे, तो उनका भी पैसा फंस जाता है। सिलिकॉन वैली बैंक का भी यही हाल है। अब अमेरिका झूठ कह रहा कि खतरा नही है। लेकिन सच्चाई यही है कि या तो उसे बेलआउट पैकेज देना पड़ेगा या फिर इसका असर और बैंकों पर पड़ेगा। अब यदि ये बेलआउट पैकेज देते हैं तो इनकी लिक्विडिटी बढ़ेगी। उस लिक्विडिटी से इनके यहां महंगाई बढ़ेगी और उसे रोकने को ये इंटरस्ट रेट बढ़ाएंगे। नतीजा दुनिया भर के मार्केट प्रभावित होंगे और फिर करंसी की वैल्यू फिर से कमजोर होगी। इस वजह से इनके लोग दूसरे देशों से पैसा खींचेंगे और आपके रिजर्व से लेकर इम्पोर्ट एक्सपोर्ट प्र...
आर्थिक परिदृश्य और बचत के नए स्रोत

आर्थिक परिदृश्य और बचत के नए स्रोत

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
भारत के नागरिकों का पिछले कुछ वर्षों से निवेश को लेकर बैंकिंग क्षेत्र मुख्य आकर्षण का केंद्र नहीं रहा है, इसके बावजूद भारतीयों की घरेलू बचत लगातार बढ़ रही है। आर्थिक निवेश के कई दूसरे स्रोत लोगों की प्राथमिकता में शामिल हो रहे हैं। कोरोना दुष्काल के दौरान बीमा की तरफ आकर्षण तेजी से बढ़ा। भारत में जीवन बीमा आर्थिक निवेश का सदैव प्रमुख स्रोत रहा है। प्रत्येक भारतीय को जीवन बीमा में आर्थिक निवेश का विचार पारिवारिक सोच के रूप में प्राप्त होता है। जब आर्थिक बचत की बात होती है, तो व्यक्ति के दिमाग में दो प्रश्न एक साथ उठते हैं। पहला, शायद प्रति व्यक्ति खर्चा कम हो रहा है, इसलिए आर्थिक बचत बढ़ रही है। दूसरा, प्रति व्यक्ति वित्तीय आय बढ़ रही है, जिससे आर्थिक बचत भी बढ़ रही है। ये दोनों प्रश्न परस्पर विरोधाभासी हैं। पहला प्रश्न नकारात्मक रुख लिए है, तो दूसरा सकारात्मक सोच का है। इन सबके बीच एक ...
आर्थिक प्रगति में शुचितापूर्ण नीतियों का अपनाया जाना जरूरी

आर्थिक प्रगति में शुचितापूर्ण नीतियों का अपनाया जाना जरूरी

आर्थिक, राष्ट्रीय
हाल ही के समय में भारत के आर्थिक विकास की दर में बहुत तेजी आती दिखाई दे रही है एवं आगे आने वाले समय में आर्थिक प्रगति की गति और अधिक तेज होने की उम्मीद की जा रही है। किसी भी क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ने के अपने लाभ भी हैं और नुक्सान भी। आर्थिक क्षेत्र में प्रगति करते समय इसका ध्यान रखा जाना बहुत जरूरी है कि इस संदर्भ में प्रगति के लिए जो नीतियां अपनायी जा रही हैं वे जनता की अपेक्षाओं को पूरा करती हैं। साथ ही, देश में आर्थिक विकास को गति देने के लिए गल्त आर्थिक नीतियों को लागू नहीं किया जाय क्योंकि गल्त आर्थिक नीतियों को अपनाते हुए आर्थिक स्त्रोतों को बढ़ाना देश एवं जनता के हित में नहीं होता है। आर्थिक प्रगति के इस खंडकाल में इस बात पर भी विशेष ध्यान देना जरूरी है कि भारत की आर्थिक प्रगति में शुचितापूर्ण नीतियों का पालन किया जा रहा है। आर्थिक प्रगति किसी भी कीमत पर हो एवं चाहे इस...
बाज़ारवाद के इस दौर में क्या ग्राहक वाकई राजा है?

बाज़ारवाद के इस दौर में क्या ग्राहक वाकई राजा है?

आर्थिक, जीवन शैली / फिल्में / टीवी
बाज़ारवाद के इस दौर में क्या ग्राहक वाकई राजा है?आज हम जिस दौर में जी रहे हैं वो है बाज़ारवाद और उपभोक्तावाद का दौर। अब पहला प्रश्न यह कि इसका क्या मतलब हुआ? परिभाषा के हिसाब से यदि इसका अर्थ किया जाए तो वो ये होगा कि आज उपभोक्ता (यानी किसी भी वस्तु का उपयोग करने वाला) ही राजा है। खास बात यह है कि बाज़ारवाद के इस दौर में उपभोगता की जरूरत से आगे बढ़कर उसके आराम को केंद्र में रखकर ही वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है।मोबाइल है तो यूजर फ्रेंडली। कोई ऐप है तो उसका इस्तेमाल करने वाले की उम्र यानी बच्चे, युवा, अथवा वयस्क के मानसिक विकास,उसकी जरूरतों और क्षमताओं को ध्यान में रखकर उसे कस्टमर फ्रेंड्ली बनाया जा रहा है। अगर रोबोट है तो ह्यूमन फ्रेंड्ली। और पूंजीवाद के इस युग में तो मनुष्य के उपभोग के लिए समान बनाने वाली विभिन्न कंपनियां उसे अपनी ओर आकर्षित करने के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा कर र...
वैश्विक स्तर पर भुगतान के माध्यम के रूप में स्थापित हो रहा है भारतीय रुपया

वैश्विक स्तर पर भुगतान के माध्यम के रूप में स्थापित हो रहा है भारतीय रुपया

आर्थिक, राष्ट्रीय
भारत में कच्चा तेल, स्वर्ण एवं रक्षा उपकरण जैसे उत्पादों का आयात सबसे अधिक होता है। आज भारत द्वारा सबसे अधिक तेल का आयात रूस से किया जा रहा है जिसका भुगतान रुपए अथवा रूबल में हो रहा है। “आत्मनिर्भर भारत” की घोषणा के बाद से रक्षा उपकरणों को भारत में ही निर्मित किए जाने के प्रयास तेजी से चल रहे हैं जिसके चलते रक्षा उपकरणों का आयात बहुत कम हो जाने की सम्भावना है। इसी प्रकार भारत यूनाइटेड अरब अमीरात से 200 टन सोने का आयात कर रहा है जिसका भुगतान भी भारतीय रुपए में किया जा रहा है। कुल मिलाकर अब भारत को आगे आने वाले समय में अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता कम होने लगेगी। साथ ही, वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कई देशों के बीच रुपए की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ती जा रही है। अब प्रबल सम्भावना बनती जा रही है कि भारतीय रुपया शीघ्र ही वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में स्वीकार किया जाने लगे...
अमेरिकन बैंक का डूबना..!

अमेरिकन बैंक का डूबना..!

EXCLUSIVE NEWS, Today News, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
अमेरिकन बैंक का डूबना - प्रशांत पोळ शुक्रवार १० मार्च को अमेरिका की सोलहवी सबसे बडी बैंक, 'सिलिकॉन व्हॅली बैंक' (SVB) डूब गई. डीफंक्ट हो गई. एक ही दिन मे, बैंक पर रन आकर, इतनी बडी बैंक डूबने का शायद यह अनूठा उदाहरण हैं. अमेरिकन अर्थव्यवस्था (financial system इस संदर्भ मे) कितनी खोखली हैं, इसका यह उदाहरण हैं. *इसका परिणाम कल से, अर्थात सोमवार से, दिखना शुरु होगा.* इस बैंक के ग्राहक मुख्यतः स्टार्ट - अप कंपनीज और टेक कंपनीज थे. अमेरिका मे आई टी और टेक कंपनीज मे महिने मे दो बार वेतन बटता हैं. दिनांक १ को और दिनांक १५ को. जब १५ मार्च को वेतन बांटने का समय आएगा तो अनेक कंपनियों को समस्या होगी. उनकी बैंक ही डूब गई हैं, जिसमे उनका पैसा था. अब वेतन कहां से करेंगे? चालीस वर्ष पुरानी यह बैंक अचानक नही डूबी हैं. पिछले दो वर्षों से इसके लक्षण ठीक नही दिख रहे थे. अपने यहां जैसी आरबीआई रेग...
रकारी बजट पर ‘रेवड़ी कल्चर’ का साया खतरनाक

रकारी बजट पर ‘रेवड़ी कल्चर’ का साया खतरनाक

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, समाचार
-ललित गर्ग- सरकारों के बजट भी अब मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार बांटने, तोहफों, लुभावनी घोषणाएं एवं योजनाओं की बरसात करने का माध्यम बनते जा रहे हैं। बजट में भी ‘रेवड़ी कल्चर’ का स्पष्ट प्रचलन लगातार बढ़ रहा है, खासकर तब जब उन राज्यों में चुनाव नजदीक हों। ‘फ्रीबीज’ या मुफ्त उपहार न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में वोट बटोरने का हथियार हैं। यह एक राजनीतिक विसंगति एवं विडम्बना है जिसे कल्याणकारी योजना का नाम देकर सत्ताधारी पार्टी राजनीतिक लाभ की रोटियां सेंकती है।  यह तय करना कोई मुश्किल काम नहीं है कि कौनसी कल्याणकारी योजना है और कौनसी मुफ्तखोरी यानी ‘रेवड़ी कल्चर’ की, परंतु राजनीतिक मजबूरी इसे चुनौतीपूर्ण बना देती है। भारत जैसे विकासशील देश की विभिन्न राज्यों की सरकारें सरकारी बजट के माध्यम से आम-जनता को प्रभावित करने का हरसंभव प्रयास करती है। छत्तीसगढ़ सरकार का बजट इसका ...
मुद्रा स्फीति पर अंकुश क्यों जरूरी

मुद्रा स्फीति पर अंकुश क्यों जरूरी

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
कोरोना महामारी के बाद से पूरे विश्व में मुद्रा स्फीति बहुत तेजी से बढ़ी है। भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति 7 प्रतिशत के ऊपर एवं थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति 13 प्रतिशत के ऊपर निकल गई थी। कई विकसित देशों में तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति 10 प्रतिशत से भी ऊपर पहुंची थी जो कि पिछले 50 वर्षों की अवधि में सबसे अधिक महंगाई की दर है। मुद्रा स्फीति से आश्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि एवं मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी होने से है। मुद्रा स्फीति विशेष रूप से समाज के गरीब एवं निचले तबके तथा मध्यम वर्ग के लोगों को बहुत अधिक प्रभावित करती है। क्योंकि, इस वर्ग की आय एक निश्चित सीमा में रहती है एवं इसका बहुत बड़ा भाग उनके खान-पान पर ही खर्च हो जाता है। यदि मुद्रा स्फीति तेज बनी रहे तो इस वर्ग के खान-पान पर भी विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है। अतः, मुद्रा स्फ...
भारतीय गृहणियों के घरु कार्य का आंकलन कर इसे सकल घरेलू उत्पाद में शामिल किया जाना चाहिए

भारतीय गृहणियों के घरु कार्य का आंकलन कर इसे सकल घरेलू उत्पाद में शामिल किया जाना चाहिए

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक
भारतीय अर्थशास्त्रियों द्वारा जैसी कि उम्मीद की जा रही थी एवं भारतीय रिजर्व बैंक ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था सम्बंधी अपने आंकलन में जो सम्भावना व्यक्त की थी, उसी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 की तृतीय तिमाही, अक्टोबर-दिसम्बर 2022, में देश के सकल घरेलू उत्पाद में 4.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 की प्रथम तिमाही, अप्रेल-जून 2022, में एवं द्वितीय तिमाही, जुलाई-सितम्बर 2022, में क्रमशः 13.2 प्रतिशत एवं 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। जबकि चौथी तिमाही, जनवरी-मार्च 2023, में 5.1 प्रतिशत की वृद्धि की सम्भावना के चलते पूरे वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 7 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है। इसी प्रकार कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों जैसे गोल्डमेन सेच्स, मूडी, फिच, एशियाई विकास बैंक आदि ने भी वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्य...
India’s iron and steel industry capable of emitting less and producing more

India’s iron and steel industry capable of emitting less and producing more

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
CSE conducts stakeholder meet on decarbonising India’s iron and steel sector. Underlines the need for better planning, new technologies and adequate finance to help the sector make the much-needed shift in today’s climate-stressed world Download CSE’s new report here: https://www.cseindia.org/decarbonizing-india-s-iron-and-steel-sector-report-11434 Follow the workshop proceedings here: https://www.cseindia.org/workshop-on-decarbonizing-india-s-iron-and-steel-sector-by-2030-and-beyond-11623 New Delhi, February 28, 2022: “The iron and steel industry is an emission-intensive sector. Our new analysis shows it is possible to bring down carbon dioxide (CO2) emissions from our iron and steel sector drastically by 2030, while more than doubling India’s output of s...