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रोजगार सृजन कर किसानों की सहायता करता डेयरी उद्योग

रोजगार सृजन कर किसानों की सहायता करता डेयरी उद्योग

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रोजगार सृजन कर किसानों की सहायता करता डेयरी उद्योग (दूध उत्पादन में अन्य व्यवसायों की तरह करियर की अपार सम्भावनायें हैं, देश भर में राज्य सरकारें दूध की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को सब्सिडी देकर इस उद्योग को बढ़ावा दे रही हैं, वहीं विज्ञान और तकनीकी में नए-नए प्रयोग कर के  दूध उत्पादन बढ़ाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। खासकर ग्रामीणों क्षेत्र के लोगों को उनकी आजीविका के साधनों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित की जाती हैं।) -सत्यवान 'सौरभ' दूध भारत में सबसे बड़ी कृषि-वस्तु है। यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5% का योगदान देता है और 80 मिलियन डेयरी किसानों को सीधे रोजगार देता है। आर्थिक गतिविधियों में सुधार, दूध और दुग्ध उत्पादों की प्रति व्यक्ति खपत में वृद्धि, आहार संबंधी प्राथमिकताओं में बदलाव और भारत में बढ़ते शहरीकरण ने डेयरी उद्य...
मुफ्त की रेवड़ी  न तो टिकाऊ है और न ही चुनाव जीतने की गारंटी

मुफ्त की रेवड़ी न तो टिकाऊ है और न ही चुनाव जीतने की गारंटी

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मुफ्त की रेवड़ी  न तो टिकाऊ है और न ही चुनाव जीतने की गारंटी यदि मतदाता बुद्धिमान और शिक्षित हैं, तो वे इस तरह की चालों के झांसे में नहीं आएंगे। मुफ्त उपहार स्वीकार करने के बाद भी, वे सरकार के प्रदर्शन या उसकी कमी के अनुसार मतदान करना चुन सकते हैं। यदि वे मुफ्त उपहारों और वादों को अस्वीकार करते हैं, तो राजनीतिक दल अधिक रचनात्मक कार्यक्रमों के लिए आगे बढ़ेंगे। अस्वीकृति की शुरुआत पंचायत राज और राज्य विधानसभा चुनावों से होनी चाहिए। मतदाताओं के केवल एक निश्चित वर्ग के लिए किसी विशेष क्षेत्र में सब्सिडी चुनाव में जीत का आश्वासन नहीं दे सकती है। -सत्यवान 'सौरभ' श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था के पतन की हालिया खबरों ने राज्य की भूमिका पर एक नई बहस को जन्म दिया है। श्रीलंका की सरकार ने बोर्ड भर में करों में कटौती की और कई मुफ्त सामान और सेवाएं प्रदान कीं। नतीजतन, अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई और सरकार गिर...
जिहादी सोच का दमन करना जरूरी

जिहादी सोच का दमन करना जरूरी

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जिहादी सोच का दमन करना जरूरी  लेखक::अवधेश कुमार (वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक) उदयपुर में कन्हैयालाल की गला काटकर की गई हत्या की भयानक घटना से देश उद्वेलित है। यदि कन्हैयालाल को नुपुर शर्मा के पक्ष में एक कथित पोस्ट के कारण जान गंवानी पड़ी तो उस कट्टर मानसिकता की वजह से, जिससे उसके हत्यारे रियाज अख्तरी और गौस मोहम्मद भरे हुए थे। इस कट्टर सोच के गिरफ्त में न जाने कितने अन्य रियाज और गौस मजहब के नाम पर अनेक कन्हैयालालों का कत्ल करने को तैयार बैठे हैं।  कन्हैयालाल की हत्या कुछ वैसे ही की गई, जैसे फ्रांस में अक्टूबर, 2020 में शिक्षक सैमुअल पैटी की एक चेचेन जिहादी आतंकी ने की थी। उस हत्यारे को बताया गया था कि पैटी ने अपनी कक्षा में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लेक्चर देते हुए छात्रों को शार्ली आब्दो में छपे वे कार्टन दिखाए थे l जो पैगंबर मोहम्मद साहब को लेकर बनाए गए थे। इसके बाद...
राजनेता मोदी जी के पद चिह्नों पर चलें*

राजनेता मोदी जी के पद चिह्नों पर चलें*

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राजनेता मोदी जी के पद चिह्नों पर चलें* यह सर्वविदित है कि जब मोदी जी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के पद को त्यागकर प्रधानमंत्री के पद को गृहण किया तो उन्होंने अपने बैंक में संचित सम्पूर्ण धनराशि अपने सेवकों में वितरित कर दी और अपनी संचित निधि को शून्य कर दिया था। यदि वे चाहते तो उस संचित धनराशि को अपनी जन्मदात्री माता जी एवं अपने परिवार के सदस्यों को वितरित कर सकते थे। इतना ही नहीं अपितु उन्होंने समय-समय पर देश-विदेश के भ्रमण के पश्चात प्राप्त हुए कीमती उपहारों को तथा अपने बहुमूल्य वस्त्रों की भी निलामी कराकर उससे प्राप्त धनराशि को गरीबों के हितार्थ सरकारी कोषों में दान कर दिया। उन्होंने कभी भी निजी सेवाओं के लिए गुजरात सरकार से पेंशन अथवा अन्य कोई सरकारी सुविधा की मांग नहीं की। यह एक आदर्श नेता की पहचान है। आज भारतीय संसद में अधिकांश सांसद भाजपा के हैं, सम्भव है कि इस वर्ष राज्यसभा में भी...
A new device fabricated for high-density data storage

A new device fabricated for high-density data storage

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A new device fabricated for high-density data storage New Delhi, July 14 (India Science Wire): A multi-institutional team led by researchers from the Indian Institute of Technology (IIT)- Jodhpur has fabricated a memory device for electronic gadgets that promises to provide high-density data storage. The currently available technologies such as hard disk drives (HDD), USB flash drives, SD cards, Solid State Drives (SDD), Dynamical Random-Access Memory (DRAM), and Static Random-Access Memory (SRAM) have limited data storage capacity. They cannot handle the vast quantum of data generated by digital globalization and the internet of things (IoTs). Memory devices need to be miniaturized to store the massive data in a small device. But, the currently available silicon-based memory techno...
क्या नयी शब्द नियमावली बदलेगी सदन का माहौल?

क्या नयी शब्द नियमावली बदलेगी सदन का माहौल?

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क्या नयी शब्द नियमावली बदलेगी सदन का माहौल? मृत्युंजय दीक्षित वर्ष- 2022 में संसद का मानसून सत्र एक नई कहानी लिखने जा रहा है क्योंकि इस बार सांसदों के लिए एक पुस्तिका जारी की गयी है जिसके अनुसार कम से कम 60 शब्दों के बोलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। विगत कई वर्षों से जब भी संसद कोई सत्र आहूत किया जाता है तो इसका कोई भी दिन बिना हंगामे और शोरगुल के नहीं बीतता है। इसी हंगामे और शोरगुल के बीच माननीय सांसद गण सदन कि मर्यादा को भूलकर असंसदीय शब्दावली का उपयोग करते जिन्हें बाद में सदन की कार्यवाही के रिकार्ड से बाहर किया जाता है। लेकिन इस बार संभवतः दृश्य अलग होगा क्योंकि अब नये नियमों के अनुसार लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सदस्य चर्चा में हिस्सा लेते हुए जुमलाजीवी, बालबुद्धि, जयचंद, कोविड स्प्रेडर और स्नूपगेट जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। लोकसभा सचिवालय ने दोहरा चरित्र...
महिलाओं में बढ़ रही है धूम्रपान की लत

महिलाओं में बढ़ रही है धूम्रपान की लत

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महिलाओं में बढ़ रही है धूम्रपान की लत -ललित गर्ग- भारत के लिये यह बेहद चिन्ताजनक एवं दुखद स्थिति है कि बड़ी संख्या में नवयुवतियां एवं महिलाएं धूम्रपान के जाल में फंसती जा रही है। ताजा अध्ययन बताते हैं कि 20 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू उत्पादों की गिरफ्त में फंस चुकी हैं। वे इस बात से बेखबर है कि धूम्रपान की लत उन्हें जीवनभर की परेशानी दे सकती हैं। जीवन बहुमूल्य है और हमें इस जीवन को खुल कर जीना चाहिए, इसका भरपूर आनंद उठाना चाहिए, लेकिन नशे में बर्बाद करना बुद्धिमानी नहीं है। कितना अच्छा होता कि जो महिलाएं आज तंबाकू का सेवन कर रही हैं और जीवन को धुएं में उड़ा रही हैं, वे अपनी सेहत, संस्कृति एवं परिवार पर इसके असर को समझती। वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण (गेट्स) के मुताबिक, देशभर में 20 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू उत्पादों का शौक रखती हैं। 10 फीसदी लड़कियों ने खुद सिगरेट पीने की बात को स्वीकार किया ह...
शेरों के बहाने हंगामा, विपक्ष की दहशत का प्रतीक

शेरों के बहाने हंगामा, विपक्ष की दहशत का प्रतीक

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शेरों के बहाने हंगामा, विपक्ष की दहशत का प्रतीक  (क्या भारत के प्रतीक चिन्ह को एक राजनीतिक मुद्दा बनाना सही है? अगर मेरी व्यक्तिगत राय पूछें तो शेरों के खुले मुहं को दिखाना एक बहुत अच्छी बात है. ये शेर हमारे राष्ट्रीय प्रतीक हैं. शांति हमारी आत्मा में बसी है लेकिन बदलते दौर में अग्रेशन दिखाना भी बहुत जरुरी है. क्योंकि आज के पॉलिटिकल और शक्तिशाली होते युग में हम केवल शांति के दूत बनकर नहीं रह सकते. हम चारों तरफ दुश्मनों से घिरे हुए हैं इसलिए राष्ट्र के अग्रेशन को दिखाना बहुत जरूरी है. यह भारत की एग्रेसिव विदेश नीति का प्रतीक  भी हो सकते हो सकते हैं ताकि दुश्मन इस देश की तरफ नजर करने से पहले हजार बार सोचे.) -प्रियंका 'सौरभ' अशोक स्तंभ संवैधानिक रूप से भारत सरकार ने 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर अपनाया था. इसे शासन, संस्कृति और शांति का सबसे बड़ा प्रतीक माना गया है. ल...
भारत और शिंजो आबे

भारत और शिंजो आबे

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भारत और शिंजो आबे (आबे प्रत्येक माध्यम से भारत के साथ खड़े थे। डोकलाम संकट और मौजूदा गतिरोध के दौरान जापान ने यथास्थिति को बदलने के लिए चीन के खिलाफ बयान दिए। 2021 में, भारत सरकार ने श्री आबे को देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया।) -सत्यवान 'सौरभ' संसदीय चुनाव के लिए एक अभियान कार्यक्रम के दौरान एक हमलावर द्वारा गोली मारे जाने के बाद शुक्रवार को आबे के असामयिक निधन ने एक ऐसे नेता के करियर पर पर्दा डाल दिया, जिसने जापानी राजनीति और कूटनीति को फिर से परिभाषित किया। अपने 2013 के भाषण में, उन्होंने तीन विदेश नीति प्राथमिकताओं को रेखांकित किया। पहला वह चाहते थे कि जापान "वैश्विक कॉमन्स का संरक्षक" बनने के लिए कदम बढ़ाए। दूसरी देश के युद्ध के बाद के संविधान का संशोधन और तीसरा रूस के साथ शांति संधि। 2021 में, भारत सरकार ने श्री आबे को देश के दूसरे सर्वोच्च न...
अवसादों भरा हफ़्ता

अवसादों भरा हफ़्ता

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अवसादों भरा हफ़्ता विनीत नारायण पिछला हफ़्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवसादों से भरा रहा। जो घटनाएँ घटीं उनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष असर भारत पर भी पड़ेगा। इस क्रम में सबसे ज़्यादा दुखद घटना जापान के पूर्व प्रधान मंत्री शिंजो आबे की नृशंस हत्या है। वे न केवल जापान के सशक्त और लोकप्रिय नेता थे बल्कि विश्व राजनीति में भी उनका सर्वमान्य प्रभावशाली व्यक्तित्व था। इस तरह की हिंसा जापान की संस्कृति में अनहोनी घटना है। कुछ लोगों को अंदेशा है कि इसके पीछे चीन का हाथ हो सकता है। जिसने हत्यारे को मनोवैज्ञानिक रूप से इस हाराकिरी के लिए उकसाया होगा। ऐसे षड्यंत्रों का प्रमाण आसानी से जग-ज़ाहिर नहीं होता, इसलिए दावे से कुछ भी नहीं कहा जा सकता। पर ऐसा अंदेशा लगाने वालों का तार्किक आधार यह है कि ‘साउथ एशिया सी’ में चीन की बढ़ती दादागिरी को रोकने की जो पहल शिंजो आबे ने की उससे चीन जाहिरन बहुत विचलित...