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6 दिसंबर की रात – “चंद्रकांत जोशी”

6 दिसंबर की रात – “चंद्रकांत जोशी”

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ढाँचे के आसपास तूफान के पहले और तूफान के बाद की खामोशी का मंजर था। कार सेवक, पत्रकार, नेता और तमाशाई जा चुके थे। मगर कुछ शक्तियाँ ऐसी थी जो अपने काम में चुपचाप लगी थी और इन शक्तियों के पीछे मैं भी चुपचाप एक गँवार देहाती की तरह लगा हुआ था। अगर किसी को तनिक भी भान हो जाता कि मैं पत्रकार हूँ और यहाँ मौजूद हूँ तो फिर मेरे लिए जान बचाना मुश्किल हो जाता, क्योंकि ढाँचा टूटने के बाद सबसे रहस्यमयी, रोमांचक और एक नया इतिहास लिखने वाला घटनाक्रम यहाँ होने वाला था।जिस जगह पर मैं 6 दिसंबर, 1992 की शाम को घुप्प अंधेरे और कड़कड़ाती ठंड में कुछ टिमटिमाते दीयों, लालटेन और टॉर्च की रहस्यमयी रोशनी में कुछ हिलती-डुलती मानवीय आकृतियों के बीच किसी भुतहा हिंदी फिल्म के दृश्यों को डरते-सहमते देख रहा था। रामसे ब्रदर्स की भुतहा फिल्मों से लेकर हॉलीवुड की खतरनाक भुतहा फिल्मों को तीन घंटे देखना रोमांच का काम हो स...
<strong>क्यों जरूरी है नोएडा एयरपोर्ट का जल्दी शुरू होना</strong>

क्यों जरूरी है नोएडा एयरपोर्ट का जल्दी शुरू होना

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क्यों देश को इंतजार है नोएडा एयरपोर्ट शुरू होने का आर.के. सिन्हा अगर सब कुछ योजना के चलता रहा तो उत्तर प्रदेश के जेवर में तेजी से बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से पहली उड़ान अगले साल मार्च के महीने में अपने सफर पर चली जाएगी। यानी अब छह से भी कम महीनों का वक्त बचा है, इसे शुरू होने में। पहले कहा जा रहा था कि यहां से पहली फ्लाइट साल 2024 के अंत में ही उड़ान भरेगी। नोएडा एयरपोर्ट जितना जल्दी शुरू हो जाए उतना ही भारत आने और यहां से जाने वाले करोड़ों मुसाफिरों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर होगी। भारत सरकार का उड्डयन एवं गृह मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार मिल कर कोशिश कर रहे हैं ताकि नोएडा एयरपोर्ट वक्त से पहले ही शुरू हो जाए। नोएडा एयरपोर्ट का तुरंत बनना इसलिए भी जरूरी है ताकि इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (आईजीआई) को यात्रियों की भीड़ से बचाया जा सके। इधर भी...
नीतीश कुमार के वक्तव्य और व्यवहारों को कैसे देखें

नीतीश कुमार के वक्तव्य और व्यवहारों को कैसे देखें

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अवधेश कुमारबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गंभीर नेता माने जाते रहे हैं। इन दिनों उनके वक्तव्य और व्यवहार लोगों को हैरत में डाल रहे हैं। विरोधियों की छोड़िए उनके समर्थक और निकटतम भी प्रश्न उठा रहे हैं कि वाकई यह नीतीश कुमार ही हैं? पिछले दिनों विधानसभा के अंदर के दो प्रसंगों ने पूरे देश में उनकी छवि को मटियामेट किया है। जनसंख्या नियंत्रण पर बोलते हुए उन्होंने पति-पत्नी के यौन रिश्ते को हाथों और चेहरे से इशारा करते हुए ऐसी शब्दावलियों का प्रयोग किया जिनकी हम आप कल्पना नहीं कर सकते। व्यक्तिगत बातचीत में उस तरह की भाषा बोली जाए तो अनदेखी की जा सकती है लेकिन सार्वजनिक रूप से और वह भी विधानसभा के अंदर कतई नहीं। हंगामा होने पर उन्होंने क्षमा याचना की और कहा कि मैं स्वयं अपनी निंदा करता हूं। हालांकि उस वक्तव्य में भी क्षमायाचना या आत्मनिंदा जैसे अफसोस का हाव-भाव नहीं था। उसके बाद पूर्व मुख्यमंत...
एमपी चुनाव, बनते बिगड़ते मुद्दे और हाव-भाव

एमपी चुनाव, बनते बिगड़ते मुद्दे और हाव-भाव

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श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रण मिलते ही चुनावी राज्यों में सियासत शुरू हो गई. मध्यप्रदेश से सबसे पहली आवाज कांग्रेस के सीएम फेस कमलनाथ ने उठाई. उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए भाजपा नेताओं को ही क्यों आमंत्रित किया गया है? जब श्रीराम की जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए कारसेवकों ने अपने प्राण न्योछावर किए थे. तब यह आवाज़ क्यों नहीं आई थी कि अयोध्या का आंदोलन सभी राजनीतिक दलों का है? चुनावी घोषणा पत्र में राम मंदिर निर्माण का संकल्प व्यक्त करने वालों को ही मंदिर निर्माण के श्रेय का हक बनता है. सनातन धर्म और आस्था के लिए श्रीराम जन्मभूमि मंदिर चुनावी वाद-विवाद का विषय नहीं हो सकता है. सनातन को डेंगू और मच्छर मानने वाली विचारधारा के सहयोगी और समर्थक चुनावी नजरिये से राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा में भागीदारी की मांग कर रहे हैं...
बदल रहे अब जम्मू-कश्मीर के हालात

बदल रहे अब जम्मू-कश्मीर के हालात

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_-बलबीर पुंज_ जम्मू-कश्मीर के हालिया घटनाक्रम से क्या रेखांकित होता है? जहां स्वतंत्र भारत में पहली बार पाकिस्तान सीमा के निकट इस वर्ष पुनर्निर्मित शारदा माता मंदिर में शारदीय नवरात्रि की पूजा हो रही है, वही इसी दौरान पुंछ में पोस्टर चस्पा करके हिंदुओं और सिखों को क्षेत्र छोड़ने हेतु धमकी देने का मामला प्रकाश में आया है। यह ठीक है कि धारा 370-35ए के संवैधानिक क्षरण के बाद से घाटी में आध्यात्मिक-सांस्कृतिक पुनर्स्थापना के साथ समेकित आर्थिक विकास, केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी, पर्यटकों की बढ़ती संख्या, तीन दशक बाद नए-पुराने सिनेमाघरों का संचालन, भारतीय फिल्म उद्योग के लिए कश्मीर पुन: पसंदीदा गंतव्य बनना और जी20 पर्यटन कार्यसमूह की सफल बहुराष्ट्रीय बैठक और आतंकवादी-पथराव की घटनाओं में तुलनात्मक कमी आदि का साक्षी बन रहा है। परंतु क्या यह जिहादी मानसिकता को समाप्त करने के लिए...
राजस्थान में बदलाव की बयार

राजस्थान में बदलाव की बयार

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रमेश सर्राफ धमोरा राजस्थान में पिछले तीस वर्षों से हर पांच साल बाद सत्ता बदलने का रिवाज चला आ रहा है। अगले महीने होने वाले राजस्थान विधानसभा के चुनाव में जहां भाजपा हर बार राज बदलने के रिवाज को बनाए रखने का प्रयास कर रही है। वही सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी फिर से सरकार बनाकर रिवाज बदलना चाहती है। चुनाव में दोनों ही पार्टियों पूरे दमखम के साथ उतरने जा रही है। तीसरे मोर्चे के रूप में बसपा, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, आम आदमी पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन, भारतीय आदिवासी पाटी, वामपंथी पार्टिया जैसे छोटे राजनीतिक दल भी प्रदेश की राजनीति में तीसरी शक्ति बनकर सत्ता की चाबी अपने हाथ में लेना चाहते हैं। राजस्थान में पिछले 30 वर्षों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस की मुख्य धुरी बने हुए हैं। तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके अशोक गहलोत के इर्द-गिर्द ही कांग्रेस की राजनीति घ...
पांच राज्यों के चुनाव को कैसे देखें

पांच राज्यों के चुनाव को कैसे देखें

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अवधेश कुमारचुनाव आयोग ने भले पांच राज्यों के विधानसभाओं की औपचारिक घोषणा अब की है, देश पहले से ही चुनावी मोड में है। काफी समय से पूरी राजनीति की रणनीति 2024 लोकसभा चुनाव के इर्द-गिर्द बनाई जा रही है। लोकसभा चुनावों के पूर्व यही विधानसभा चुनाव हैं और इसके परिणाम कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण होंगे। कुल 16 करोड़ 14 लाख मतदाताओं, 679 विधानसभा सीटों तथा 83 लोकसभा स्थानों का महत्व समझना कठिन नहीं है। इन चुनावों के पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाकर महिलाओं को लोकसभा एवं विधानसभाओं में आरक्षण के लिए नारी सम्मान वंदन कानून बना दिया है। इन चुनाव में करीब 7 करोड़ 80 लाख महिला मतदाता हैं। यह पता चलेगा कि महिलाओं को आरक्षण देने से ये कितना प्रभावित हैं। यह चुनाव भाजपा, कांग्रेस तथा क्षेत्रीय स्तर पर बीआरएस यानी भारत राष्ट्र समिति के लिए एक हद तक करो या मरो जैसा है। कांग्...
भाजपा में टिकटों पर मची रार

भाजपा में टिकटों पर मची रार

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रमेश सर्राफ धमोरा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में अगले विधानसभा चुनाव के टिकटों को लेकर अंदरूनी गुटबाजी वह आपसी कलह बहुत बढ़ गई है। आगामी नवंबर महीने में देश के पांच प्रदेशों मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान व तेलंगाना में विधानसभा के चुनाव होने हैं। भाजपा ने अभी तक मध्य प्रदेश में 136 सीटों पर छत्तीसगढ़ में 84 सीटों पर व राजस्थान में 41 सीटों पर प्रत्याशियों के नामो की घोषणा कर दी है। भाजपा द्वारा जारी की गई सूची में बहुत से मौजूदा विधायकों व पूर्व में प्रत्याशी रहे नेताओं के नाम काट दिए जाने से पार्टी में विरोध की स्थिति उत्पन्न हो रही है। विभिन्न चुनावी एजेंसियों द्वारा किये गए सर्वे में भाजपा की स्थिति बहुत ज्यादा मजबूत नजर नहीं आ रही है। इसीलिए भाजपा ने पार्टी विरोधी लहर को रोकने के लिए बहुत सी सीटों पर प्रत्याशियों में फेरबदल किया है। भाजपा द्वारा राजस्थान में 6 लोक...
चुनावी रथ में ही क्यों सवार होती हैं जन-हित योजनाएं

चुनावी रथ में ही क्यों सवार होती हैं जन-हित योजनाएं

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चुनावी रथ में ही क्यों सवार होती हैं जन-हित योजनाएं   ललित गर्ग :- आजादी के अमृतकाल के पहले लोकसभा एवं पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की आहट अब साफ-साफ सुनाई देे रही है, राज्यों में चुनावी सरगर्मियां उग्र हो चुकी है। भारत के सभी राजनीतिक दल अब पूरी तरह चुनावी मुद्रा में आ गये हैं और प्रत्येक प्रमुख राजनैतिक दल इसी के अनुरूप बिछ रही चुनावी बिसात में अपनी गोटियां सजाने में लगे दिखाई पड़ने लगे हैं। जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें राजस्थान सर्वाधिक महत्वपूर्ण बनता जा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बहुत पहले ही विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है, वे हर दिन किसी-न-किसी लुभावनी एवं जनकल्याणकारी योजना की घोषणा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा सहित विभिन्न योजनाओं की तरह अब उन्होंने प्रदेश के 240 राजकीय विद्यालयों को महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्याल...
विधानसभा चुनाव और भाजपा

विधानसभा चुनाव और भाजपा

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मिजोरम को छोड़ दें तो चार प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव निकट है। और उसमें भी महत्वपूर्ण यह है कि इनमें से केवल एक राज्य में भाजपा की सरकार है। तिस पर भी हार का संकट गहरा रहा है। आम चुनाव 2024 से पहले का ये वह विधानसभा चुनाव है, जिसमें बढ़िया प्रदर्शन के बाद ही देशभर में तब के गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी के लिए '14 चुनाव में पीएम की उम्मीदवारी मजबूत हुई थी। इन चारों राज्यों में से तीन बड़े राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भाजपा ने क्लीन स्वीप जीत लिए थे। इसके बाद ही 2014 का जनरल इलेक्शन भाजपा के पक्ष में सुनामी बनकर आ गया।आज की स्थिति में राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर कांग्रेस की पकड़ काफी मजबूत है। भाजपा के लिए निष्पक्ष राजनीतिक विश्लेषण करने वाले भी कम से कम छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए दूर-दूर तक जीत का संकेत नहीं दे रहे। और राजस्थान में अभी तक कुछ भी मजबूती से नहीं कहा ...