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Rajasthan Government troubles

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प्रदेश भाजपा सरकार के लिये चुनौती बनता 'बेरोजगारÓ रामस्वरूप रावतसरे कसभा उपचुनावों को देखते हुए चार साल से अटकी भर्तियों की रुकावटें भाजपा सरकार जल्द से जल्द दूर करने की तैयारी में है। सरकार की लेटलतीफ ी के चलते बेरोजगार संघ ने उपचुनावों में कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान करने पर तथा कांग्रेस द्वारा भी उप चुनावों में राजस्थान में बेरोजगारी को ही मुद्दा बनाकर चलने के कारण भाजपा को उप चुनावों की वैतरणी पार करने के लिये इस ओर ध्यान देना पड़ रहा बताया जा रहा है । यही नहीं जनता का रूख भी बदला सा होने के कारण भाजपा सरकार लोकसभा उपचुनाव की चिंता में चार साल से अटकी भर्तियों की रुकावटें जल्द से जल्द दूर करने की पुरजोर कोशिश बताई जा रही है । राजस्थान बेरोजगारों का प्रदेश बनता जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है, प्रदेश में 77,413 पदों की भर्तियां विभिन्न कारणों ...

Uttrakhand Government

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उत्तराखंड सरकार में तनातनी रफी खान उत्तराखंड प्रदेश में तिर्वेंद्र सिंह सरकार बने अभी एक साल भी पूरा नहीं हो पाया है और पार्टी विरोधी गुट लगातार तिर्वेंद्र सिंह नामी किले को ढहाने में और उनको सत्ताच्युत करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ रहा हे,यह अलग बात हे की अभी तक विरोधी गुट उनके किले में दरार तक नहीं बना पाया है पर असन्तुष्टो की बढ़ती फेहरिश्त कही न कही दिल्ली हाईकमान के माथे पर बल जरूर उत्पन्न कर रही हे ! देवभूमि के इस प्रदेश की यह बिडम्बना हैकी 17 सालो में राजनीती के पंडित नारायण दत्त तिवारी को छोड़कर एक भी मुख्यमंत्री चाहे कांग्रेस का रहा हो या बीजेपी का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है ! दोनों ही पार्टी के बड़े नेता सूबे के बजूद में आने से लेकर तिर्वेंद्र सरकार के पूर्व तक मुख्यमंत्री बदलने की बड़ी रस्म को अमलीजामा पहनाते रहे हैं, इसमें जहाँ पार्टियों के असंतु...

Elections in Delhi necessary

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दल्ली में चुनावी दंगल अब जरूरी आम आदमी पार्टी कितनी भी सफाई पेश करे, कितने भी तर्क प्रस्तुत करे, दुराशय के कितने भी आरोप लगाए, यह तो तय है कि बीसों विधायकों की सदस्यता समाप्त होकर ही रहेगी। चुनाव आयोग ने तो अपना फैसला दे ही दिया है, उच्च न्यायालय और राष्ट्रपति का फैसला भी शीघ्र ही आ जाएगा। ये तीनों भी यदि 'आपÓ के 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के फैसले को ठीक कह दें तो क्या वह ठीक हो जाएगा? देश के लगभग आधा दर्जन राज्यों में संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर अदालती दंगल चल रहा है। इन नियुक्तियों का जो भी औचित्य बताया जाए, इनके रद्द होने पर सरकार की छवि बिगड़ती है। जब दिल्ली में 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया, मैं तब ही सोच रहा था कि दिल्ली की इस एक छोटी-सी सरकार को चलाने के लिए इतने दबे-ढके मंत्रियों को पिछवाड़े से लाने की क्या जरुरत है कुल 65-70 विधायकों की विधानसभ...

Arvind Kejriwal’s AAP

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भस्मासुर केजरीवाल केजरीवाल ने अपनी संभावनाओं को खुद डकार लिया जावेद अनीस स देश की राजनीति में बदलाव चाहने वालों के लिये आम आदमी पार्टी का सफर निराश करने वाला है हालांकि इसका एक दूसरा पक्ष यह हो सकता है कि अन्ना, अरविन्द और आप मंडली के सहारे बदलाव की उम्मीद लगाये लोग जरूरत से ज्यादा मासूम रहे हों. बहरहाल आम आदमी पार्टी उम्मीदों को तोडऩे के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुये एक बार फिर सुर्खियों में है. पार्टी ने राज्यसभा के लिए अपने तीन उम्मीदवारों का ऐलान करते हुए शीर्ष नेता के प्रति वफादारी,धनबल और राजनीति में जाति की महत्ता का भरपूर ध्यान रखा है . आम आदमी पार्टी के गठन को पांच साल बीत चुके हैं और इस दौरान पार्टी के नेतृत्व ने बहुत ही तेजी से पुरानी पार्टियों के राजनीतिक कार्यशैली और पैतरेबाजियों को सीख लिया है. दरअसल आम आदमी पार्टी बाकी सियासी दलों से अलग होने औ...

UP

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गरमाता राजनैतिक पारा अमित त्यागी और एस.पी. सिंह धारात्मक परिवर्तन एक समय चक्र में पूर्ण होता है। बदलाव धीरे धीरे दिखाई देता है। उत्तर प्रदेश सरकार एक साल पूरा होने की तरफ बढ़ रही है। सरकार के द्वारा नीतिगत फैसलों से जनता में अच्छा संदेश जा रहा है। कानून व्यवस्था में सुधार ऊपरी स्तर पर भी दिख रहा है और अंदरूनी स्तर पर भी एंकाउंटर द्वारा सफाई अभियान जारी है। ऐसे ही एंकाउंटर राजनैतिक दलों द्वारा अपने अपने भीतर भी किए जा रहे हैं। भाजपा को समझ आ चुका है कि संघटन में बाहरी नेताओं से नुकसान होता है। वह अब अपने पुराने नेताओं को संगठन में वरीयता देने जा रही है। बूथ लेवेल पर मजबूती की तैयारी की जा रही है। हर माह मण्डल स्तरीय बैठकों में बूथ टोली को मतदाताओं से करीब रिश्ता बनाने का कहा गया है। मण्डल स्तर भाजपा में ब्लॉक स्तर की इकाई होता है। भाजपा में संगठनात्मक रूप से कुल 1471 मण्डल हैं। भाजपा ...

Modi Yogi and FDI

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क्या मोदी-योगी ने विदेशो में पढ़े नितिज्ञों के आगे घुटने टेक दिए हैं? मोदी और योगी जैसे भारतीयता का चिंतन रखने वालों के सत्ता में आने के बाद भी व्यवस्था में परिवर्तन नजर क्यों नहीं आता ? कृषि प्रधान देश में कृषि, कृषक एवं अन्नदाता की सबसे ज्यादा दुर्दशा है। इसका एक मात्र कारण वो नीतिज्ञ है जो विदेशो में पढे हैं। वह ऐसी नीतियाँ ही बनाते हैं जिनसे विदेशियों को भारत से ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सकें। सरकार कोई भी आये। कमोवेश, नीतियां वही रहती है। क्योंकि नीतियां बनाने बाले इस तंत्र में बैठाये गये हैं। ये लोग हावर्ड और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से शिक्षा लेकर आये हैं। उदाहरण के तौर पर वर्तमान नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र से डी फिल किये हुये हैं तो वह कैसे भारत और भारत की आत्मा के अनुरूप नीतियां बना सकते हैं। नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष अरविन्द पानगढयि़ा...

Northeast Election

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त्रिपुरा, मेघालय एवं नागालैंड चुनाव भाजपा की दमदार दस्तक अमित त्यागी गुजरात चुनाव के बाद राहुल गांधी मुखर हुये हैं। हर बार हर तरफ मुंह की खाते जा रहे राहुल गांधी गुजरात चुनाव के बाद इतने ज्यादा उत्साहित हो गये कि बहरीन में जाकर भारत के विरोध में भाषण दे आए। मोदी सरकार को हर नीति पर उन्होनें जम कर कोसा। जीएसटी, नोट बंदी, अखलाक सहित शायद ही कोई विषय हो जिसे उन्होनें स्पर्श न किया हो। एक स्थापित अजेंडे के तहत वह बोलते रहे। उनकी बातों में तथ्य कम थे। उनकी खुद की विफलता की कुंठा ज्यादा दिख रही थी। ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार पूर्ण रूप से सफल सरकार है। अपने लक्ष्य से मोदी सरकार काफी पीछे चल रही है। किन्तु जिस तरह से विपक्षी खेमे के लोग सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हैं उससे विपक्षी खेमे की नीयत सवालिया निशान खड़े कर जाती है। मोदी और उनकी टीम को विपक्षियों के बयान नई संजीवनी दे जाते हैं। ...
Karnatak government takes U-turn on attempt towards minority appeasing

Karnatak government takes U-turn on attempt towards minority appeasing

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It refers to Karnatak government taking U-turn when it amended its earlier circular regarding taking back cases against Innocent Minorities to cover all innocent persons rather than only innocent minorities, but only when opposition BJP highlighted minority-appeasing policy of state-government for vote-bank politics in view of forthcoming assembly-elections. Now Karnatak government is giving clarification that circular was based on recommendations of Rajender Sachchar committee. If it is so, why such a circular was issued now decades after Rajender Sachchar Committee presented its report. Secondly, the circular (earlier and modified) were not necessitated at all because no law can provide provision to harass innocent persons. Innocence can only be proved by any court-verdict. Any s...
Monarchy ruler provides bullet-proof SUV instantly on demand to his predecessor

Monarchy ruler provides bullet-proof SUV instantly on demand to his predecessor

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It refers to Bihar Chief Minister providing a bullet-proof Toyota Fortuner SUV instantly on demand to his predecessor Jeetan Ram Manjhi when the later went to meet Nitish Kumar, without usual file-movement or other government-formalities bypassing all rules and procedures. This can be possible only when democratically elected leaders behave like monarchy rulers. Bihar Chief Minister should make it clear how such replacement of car for former Bihar Chief Minister was done without proper verification bypassing normal government-procedure. Bypassing government-procedure is also a corrupt practice. It is beyond understanding why tax-payers are unnecessarily burdened by white elephants present in form of former Chief Ministers. Already Supreme Court is seized with nuisance of government...
आदमखोरों से मुकाबला कौन करेगा?

आदमखोरों से मुकाबला कौन करेगा?

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- ललित गर्ग- देश में एक के बाद एक अग्निकांड हो रहे हैं। एक अग्निकांड मुम्बई के पब में हुआ, जहां पन्द्रह लोगों की जान चली गयी है। और अब उससे भी भयानक अग्निकांड बाहरी दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्टरी में हो गया, जिसने 10 महिलाओं समेत 17 लोगों की जान ले ली। उस जहरीली काली आग ने कितने ही परिवारों के घर के चिराग बुझा दिए। कितनी ही आंखों की रोशनी छीन ली और एक कालिख पोत दी कानून और व्यवस्था के कर्णधारों के मुँह पर। ‘अग्निकांड’ एक ऐसा शब्द है जिसे पढ़ते ही कुछ दृश्य आंखांे के सामने आ जाते हैं, जो भयावह होते हैं, त्रासद होते हैं, डरावने होते हैं। जीवन का हर पल दुर्घटनाओं का शिकार हो रहा है। दुर्घटनाओं को लेकर आम आदमी में संवेदनहीनता की काली छाया का पसरना हो या सरकार की आंखों पर काली पट्टी का बंधना-हर स्थिति में मनुष्य जीवन के अस्तित्व एवं अस्मिता पर सन्नाटा पसर रहा है। इन बढ़ती दुर...