एक गरीब पिछड़ा जिला पर सांप्रदायिकता में अव्वल
हरियाणा में नूंह के सांप्रदायिक अंधड़ के बाद की कार्रवाई जारी है, लेकिन क्या दबा-छिपा है, उसकी संभावनाएं कोई भी भी नहीं बता सकता । सर्वोच्च अदालत का आदेश है कि सरकारें तय करें कि कोई नफरती भाषण न दिया जाए। माहौल को भडक़ाया-उकसाया न जाए। हिंसा की कोई गुंजाइश न हो|
यह जिम्मेदारी हरियाणा, दिल्ली, उप्र और केंद्र की सरकारों की तय की गई है। अदालत ने जुलूस, रैली, प्रदर्शन आदि की वीडियोग्राफी और रिकॉर्डिंग के भी आदेश दिए हैं। फिलहाल सुनवाई जारी है। नूंह हिंसा के पूरे प्रकरण में मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी, कथित गोरक्षकों, को ‘खलनायक’ चित्रित किया गया है। क्या सिर्फ दो हिंदूवादी चेहरों के कारण हरियाणा के एक संवेदनशील इलाके को हिंसा और दंगे की आग में झोंका गया? सांप्रदायिक दोफाड़ के हालात पैदा किए गए? मासूम लोग मारे गए और 70 से अधिक घायल हुए। जिला अदालत की अतिरिक्त चीफ ज्यूडिशियल मजिस्टे्रट...