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मोदी-विरोध के नाम पर देश-विरोध क्यों?

मोदी-विरोध के नाम पर देश-विरोध क्यों?

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-ललित गर्ग-एक बार फिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को नीचा दिखाने के इरादे से लद्दाख में चारागाह भूमि पर चीनी सेना का कब्जा होने का दावा किया है, निश्चित इस तरह के बयान न केवल सेना के मनोबल को कमजोर करते हैं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता एवं अखण्डता को ध्वस्त करते हैं। राहुल गांधी मोदी-विरोध में कुछ भी बोले, यह राजनीति का हिस्सा हो सकता है, लेकिन वे मोदी विरोध के चलते जिस तरह के अनाप-शनाप दावे करते हुए गलत बयान देते हैं, वह उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता को ही दर्शाता है। आखिर कब राहुल एक जिम्मेदार एवं विवेकवान सशक्त नेता बनेंगे?राहुल गांधी ने कथित तौर पर लद्दाख की जमीन पर चीन का कब्जा होने का जो दावा किया गया है, वह जल्दीबाजी में बिना सोच के दिया गया गुमराह करने वाला बयान है, उससे यही पता चलता है कि उन्हें न तो प्रधानमंत्री की बातों पर यकीन है, न रक्षा मंत्री की और न ही विदेश मंत्...
हिंदुत्व की विचारधारा को आगे बढ़ाते योगी आदित्यनाथ

हिंदुत्व की विचारधारा को आगे बढ़ाते योगी आदित्यनाथ

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विधानसभा सत्र में योगी जी ने विरोधी दलों पर बनाई मनोवैज्ञानिक बढ़त !मृत्युंजय दीक्षितउत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र संपन्न हुआ। इस सत्र में जहाँ एक ओर कई ऐतिहासिक व महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संबोधन ने प्रदेश के विपक्ष को चिंता में डाल दिया। केंद्र में आई.एन.डी.आई.ए. गठबंधन सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया और प्रधानमंत्री जी के उत्तर के बीच में स्वयं ही बहिर्गमन कर अपनी किरकिरी करा ली, इसका प्रभाव विधानसभा सत्र पर भी दिखा।संसद में आई.एन.डी.आई.ए का अविश्वास प्रस्ताव गिर जाने के बाद विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा मुखिया अखिलेश यादव पर सियासी तंज कसे और कहा कि हम 2024 ही नहीं अपितु 27 व 32 भी जीतेंगें। योगी जी की इस भविष्यवाणी से विरोधी दल के नेता सकपका गये हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सम्बोधन में जहां प्...
एक गरीब पिछड़ा जिला पर सांप्रदायिकता में अव्वल

एक गरीब पिछड़ा जिला पर सांप्रदायिकता में अव्वल

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हरियाणा में नूंह के सांप्रदायिक अंधड़ के बाद की कार्रवाई जारी है, लेकिन क्या दबा-छिपा है, उसकी संभावनाएं कोई भी भी नहीं बता सकता । सर्वोच्च अदालत का आदेश है कि सरकारें तय करें कि कोई नफरती भाषण न दिया जाए। माहौल को भडक़ाया-उकसाया न जाए। हिंसा की कोई गुंजाइश न हो| यह जिम्मेदारी हरियाणा, दिल्ली, उप्र और केंद्र की सरकारों की तय की गई है। अदालत ने जुलूस, रैली, प्रदर्शन आदि की वीडियोग्राफी और रिकॉर्डिंग के भी आदेश दिए हैं। फिलहाल सुनवाई जारी है। नूंह हिंसा के पूरे प्रकरण में मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी, कथित गोरक्षकों, को ‘खलनायक’ चित्रित किया गया है। क्या सिर्फ दो हिंदूवादी चेहरों के कारण हरियाणा के एक संवेदनशील इलाके को हिंसा और दंगे की आग में झोंका गया? सांप्रदायिक दोफाड़ के हालात पैदा किए गए? मासूम लोग मारे गए और 70 से अधिक घायल हुए। जिला अदालत की अतिरिक्त चीफ ज्यूडिशियल मजिस्टे्रट...
मेवात- चूक कहाँ हुई ?

मेवात- चूक कहाँ हुई ?

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-एक समय था जब अनेक स्थानों पर मुस्लिम दुबारा हिन्दू बनना चाहते थे. परन्तु हमने रोटी बेटी का रिश्ता नहीं जोड़ा. हरियाणा के मुस्लिम बहुल मेवात क्षेत्र में आर्य समाज के स्वामी समर्पणानंद जी ने मुस्लिम नेताओं के सामने हिन्दू बनने का प्रस्ताव रखा था, इसके उत्तर में उस समय के मुस्लिम नेता खुर्शिद अहमद, जो स्वयं धोती कुर्ता पहनते थे और पगड़ी बांधते थे- ने स्वामी दी के प्रस्ताव के उत्तर में कहा था, बाबा जी हिन्दू लोग हमारी लड़कियाँ तो ले लेंगे, हमारी लड़कियाँ सुन्दर होती हैं परन्तु हमारे लड़कों को आपके लोग लड़की देंगे ? यह प्रस्ताव कार्यान्वित नहीं हो सका | उस घटना को लगभग 50 साल हो चुके हैं. मेवात में हिन्दूओं की सैंकड़ों बेटियां लव जेहाद का शिकार हो कर मुस्लिम बन चुकी हैं. -अब यह समस्या लाइलाज बन चुकी है क्योंकि 1980 के बाद आए पेट्रोडालर ने बाजी ही पलट दी है. सऊदी पैसा आने के बाद उत्तरप्रद...
मणिपुर: मुख्य न्यायाधीश और दोषियों को सज़ा?

मणिपुर: मुख्य न्यायाधीश और दोषियों को सज़ा?

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*रजनीश कपूरमशहूर शायर शहाब जाफ़री का एक चर्चित शेर है, “तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफ़िला क्यों लुटा। मुझेरहज़नों से गिला नहीं तिरी रहबरी का सवाल है।” मणिपुर हिंसा को लेकर पिछले कुछ दिनों से देश की सर्वोच्च अदालत भीसरकार से कुछ ऐसे ही सवाल कर रही है। मणिपुर में हुई बर्बरता के चलते पूरा देश शर्मसार है। परंतु इस मामले पर जब भीकोई मणिपुर की सरकार या सत्तारूढ़ दल के नेताओं से सवाल पूछता है तो वे दूसरे राज्यों में हुई महिला अपराधों कीघटनाओं या अन्य हिंसा के मामलों कि तुलना करते हैं। ऐसा करके वे असल मुद्दे से ध्यान भटकाने का काम कर रहे हैं।बीती 3 मई को मणिपुर में आरक्षण के मुद्दे को लेकर जो हिंसा भड़क उठी उसने अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान लीऔर सैंकड़ों लोगों को बेघर कर दिया है। बीते मंगलवार को जिस तरह देश के मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार के वकीलों कोआड़े हाथों लिया उससे एक बात तो ...
ज्ञानवापी मामले में योगी आदित्यनाथ ने मीडिया से बात की तो बात दूर तक चली गई !

ज्ञानवापी मामले में योगी आदित्यनाथ ने मीडिया से बात की तो बात दूर तक चली गई !

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बात करने से पहले यह बता दें कि योगी के गुरु गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ ने तीन दशक पूर्व क्या मांग की थी ? उन्होंने कहा था कि ग्यारहवीं शताब्दी के बाद भारत में एक एक कर 3000 मंदिर तोड़कर मस्जिदें बनाई गई हैं !मुस्लिम समाज इनमें से यदि अयोध्या , मथुरा , काशी पर अपना दावा छोड़ दे तो बाकी मंदिरों की बात सदा सदा के लिए बंद कर दी जाएगी !ऐसा करने पर देश में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच ऐसा सौहार्द कायम होगा जिसकी अभी कल्पना भी नहीं की जा सकती ! महंत अवैद्यनाथ की बात का देश भर के साधु संतों और अन्य धर्माचार्यों ने एक सुर से समर्थन किया । विश्व हिंदू परिषद के मार्गदर्शक मंडल ने ऐसा प्रस्ताव भी पारित कर दिया । अशोक सिंहल ने तो इसे अभियान ही बना लिया । कल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसी मांग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मुस्लिम समाज को खुद ही ज्ञानवापी परिसर को काशी विश्वनाथ को सौंप देन...
मतई वर्ग भी पीड़ित है, इन्हें भी सुरक्षा व न्याय चाहिए ?

मतई वर्ग भी पीड़ित है, इन्हें भी सुरक्षा व न्याय चाहिए ?

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आचार्य विष्णु हरि सरस्वती मणिपुर की हिंसा पर एंकाकी चर्चा और विमर्श नहीं हो रहा है? क्या मणिपुर की हिंसा की चर्चा व विमर्श संपूर्णता में नहीं होनी चाहिए? क्य सिर्फ हिंसा के लिए आरक्षण ही एक मात्र कारण है?मणिपुर हिंसा के लिए क्या सिर्फ मतई वर्ग ही जिम्मेदार है? क्या कूकी मॉब जिम्मेदार नहीं है? क्या कूकी वर्ग को म्यांमार से लाकर एक साजिश के तहत मणिपुर में नहीं बसाया गया था? क्या सिर्फ कूकी वर्ग की महिलाओं के साथ अपमान और हनन जैसी घटनाएं हुई हैं? क्या मतई वर्ग की महिलाओं के साथ ऐसी अपमान जनक और हनन वाली घटनाएं नहीं हुई हैं? क्या कूकी लोगों ने अपनी बहुलता वाले गांवों और क्षेत्रों से मतई लोगों का संहार नहीं किया है, या फिर उन्हें नहीं खदेड़ा है? क्या कूकी लोगों ने मतई वर्ग के व्यापारिक और शैक्षणिक सहित अन्य धार्मिक स्थलों को आग के हवाले नहीं किया है? क्या चर्च की इसमें भूमिका नहीं है? क्...
महिलाओं एवं बच्चियों के लापता होने की त्रासदी

महिलाओं एवं बच्चियों के लापता होने की त्रासदी

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  ललित गर्ग  मणिपुर में 19 जुलाई को दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर गांव में घुमाने का वीडियो वायरल हुआ था, उस घटना ने देश-विदेश के सभ्य समाजों को झकझोर दिया है। अब ऐसी ही एक घटना पश्चिम बंगाल के मालदा में सामने आई है। यहां भीड़ ने दो महिलाओं की पिटाई की, फिर उन्हें अर्धनग्न कर दिया गया। यह घटना मालदा के बामनगोला पुलिस स्टेशन के पाकुआ हाट इलाके में हुई। दोनों पीड़ित महिलाएं आदिवासी हैं। जब उनकी पिटाई हो रही थी और कपड़े उतारे जा रहे थे तो पुलिस वहां मूकदर्शक बनी खड़ी हुई थी। बात केवल आदिवासी महिलाओं की नहीं है, बात केवल महिलाओं पर हो रहे अपराधों, यौन-उत्पीड़न, बलात्कार, हिंसा की भी नहीं है, बल्कि अधिक विचलित करने वाली बात महिलाओं एवं बच्चियों के लापता होने की है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की ओर से संकलित आंकड़ों के अनुसार 2019 से 2021 के बीच यानी मात्र तीन वर्षों में देश भर में 13 ला...
इस्लाम की लम्बी सोच

इस्लाम की लम्बी सोच

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--------- ------- ----- कोई भी विचार जो १४०० साल पुराना है, उसे हमें लम्बी सभ्यतागत दृष्टि में ही समझना होगा। जिस तरह भारत एक सभ्यतागत राष्ट्र है, उसी तरह इस्लाम एक सभ्यतागत शक्ति है और इसे उसी प्रकार से समझा जाना चाहिए। मुसलमान यह कहते हैं कि ‘इस्लाम कभी नहीं हारा’। दुखद बात यह है कि एक देश को छोड़कर यह सच है। लेकिन इसका क्या अर्थ है? कि इस्लामी सेनाएँ कभी नहीं हारी? कि युद्ध के मैदान में शत्रु उनसे कभी नहीं जीते? कि उनके इतिहास में कभी बुरे साल या दशक नहीं आये? नहीं, ऐसा नहीं है। पैगंबर मोहम्मद की मृत्यु के बाद अरब से बाहर निकलते ही इस्लामी सेनाएं पूर्व में भारत के द्वार पर पहुंच गईं और पश्चिम में स्पेन में यूरोप के दरवाजे खटखटाने लगीं।ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस समय के दो महान साम्राज्यों ने लगभग तुरंत ही इस्लाम के सामने घुटने टेक दिए। उस समय के सबसे महान साम्राज्यों में से एक, फ...
मणिपुर : सियासी रोटियां न सेंकी जाएं

मणिपुर : सियासी रोटियां न सेंकी जाएं

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बलबीर पुंज मणिपुर में दो महिलाओं के साथ जो हुआ, वह अक्षम्य है। परंतु क्या यह भारत के संदर्भ में अपवाद है? क्या भारत या शेष विश्व के किसी भूक्षेत्र में ऐसी बीभत्सता पहली बार हुई है? क्या कोई दावा कर सकता है कि इस पिशाची घटना के बाद ऐसे मामले रुक जाएंगे? कटु सत्य तो यह है कि महिलाओं से इस प्रकार का असहनीय आचरण अक्सर इसलिए होता है, क्योंकि जिन लोगों (अधिकांश राजनीतिक) पर इस प्रकार की नारकीय घटना को रोकने का दायित्व है, वे मूलत: बेईमान और तुच्छ मानसिकता से ग्रस्त है। मणिपुर मामले में समाज का एक वर्ग इसलिए गुस्सा नहीं है, क्योंकि 4 मई को दो महिलाओं के साथ जो कुछ हुआ, वह बहुत शर्मनाक था, बल्कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि उन्हें इस घटना पर सियासी रोटियां सेकने और भारत को कलंकित करने का अवसर मिल गया है। मणिपुर में जो काली इबारत लिखी गई, वह दुर्भाग्य से देश के अन्य भागों में भी किसी न किसी र...