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सुरंगों से छलनी होता हिमालय?

सुरंगों से छलनी होता हिमालय?

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उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा परियोजना की सुरंग सुर्खियों में है। सुरंग के एक हिस्से के धंसने से वहां फंसे 41 मजदूरों की जान संकट में है। इसके बाद एक बार फिर विश्व की सबसे युवा पर्वतमाला हिमालय में सुरंगों के निर्माण पर सवाल भी उठने लगे हैं। दरअसल, सुरंगों सहित भूमिगत निर्माण में इस तरह के हादसे नई बात नहीं है। अब तो सुरंगों के धंसने और निर्माणाधीन सुरंगों के ऊपर बसी बस्तियों के धंसने की शिकायतें आम हो गयी हैं। इसमें दो राय नहीं कि विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों वाले हिमालयी क्षेत्र की जनता को विकास भी चाहिए, तभी उनकी जिन्दगी की परेशानियां कम होंगी और बेहतर जीवन सुलभ होगा। हिमालयवासियों के लिए सड़कें भी चाहिए तो बिजली-पानी और अन्य आधुनिक सुविधाएं भी। पहाड़ों पर सड़कें बनाना तो आसान है, मगर उन सड़कों के निर्माण से उत्पन्न परिस्थितियों से निपटना आसान नहीं है। तेज ढलान के कारण पन बिजली उत्प...
महाभारत में क्लोनिंग…

महाभारत में क्लोनिंग…

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क्या आपको यकीन होगा कि अब शरीर के अंदर ही नया गर्भाशय या किडनी तैयार किए जा सकते हैं? 25 साल पहले डाक्टर मातापुरकर की बात पर भी कोई यकीन नहीं करता था। पर उन्होंने साबित कर दिया कि जैसे पेड़ की डाल काट देने पर या छिपकली की पूंछ कट जाने पर वह फिर से आ जाती है, वैसा ही आदमी के शरीर के साथ भी संभव है। बीज कोशिका के आधार पर गर्भाशय, किडनी और यहां तक कि आंतें भी बनाई जा सकती हैं। एक ओर अमरीकी वैज्ञानिक प्रयोगशाला में भ्रूण से मानव क्लोन तैयार करने का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत के डाक्टर बालकृष्ण गणपत मातापुरकर को किसी भी अंग से बीज कोशिका निकालकर अंग को पुन: उत्पादित करने का पेटेंट मिल चुका है। 1991 में उन्होंने इस तकनीकी पर पहला लेख लिखा, पर उसमें यह नहीं बताया कि यह किस प्रकार संभव होगा। वजह यह थी कि विश्व समुदाय स्टेम सेल यानी बीज कोशिका के आधार पर अंग या ऊतक निर्माण की बात पचान...
हलाल सर्टिफिकेशन के बहाने अर्थ व्यवस्था पर शिकंजा कसने का षड्यंत्र उजागर

हलाल सर्टिफिकेशन के बहाने अर्थ व्यवस्था पर शिकंजा कसने का षड्यंत्र उजागर

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उत्तर प्रदेश में ग्यारह संस्थाओं पर एफआईआर दर्ज -- रमेश शर्मा धर्म को बहाना बनाकर भारत की अर्थ व्यवस्था पर शिकंजा कसने का एक बड़ा षड्यंत्र सामने आया है । उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी की पहल पर लखनऊ थाने में ग्यारह ऐसी संस्थाओं के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की है जो हलाल सर्टिफिकेशन के बहाने बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में अपने समर्थकों को भर्ती कराने और उनके लाभांश में भी हिस्सा बटाने का दबाब बनाते थे ।यह एफआईआर लखनऊ के हजरतगंज थाने में भारतीय दंड संहिता की सात धाराओं में दर्ज हुई है । इनमें धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र करना), 153ए (विभिन्न समूहों के बीच धार्मिक वैमनस्यता बढ़ावा), 298 (किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करना), 384 (फिरौती बसूलना), 420 (धोखाधड़ी), 471 (अनाधिकृत दस्तावेज तैयार) और 505 (लोगों को भ्रमित करना) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है। जिन संस्थाओं के विरुद्ध एफ...
<em>चिंताओं से घिरा भारत का मध्यम वर्ग।</em>

चिंताओं से घिरा भारत का मध्यम वर्ग।

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मध्यम वर्ग के लोगों की चिंताओं का कोई अंत नहीं होता। क्योंकि ये बच्चों को लायक बनाने में अपना पूरा जीवन निकाल देते हैं। फिर उस अनुरूप बच्चों का विवाह या नौकरी न हो तो भी चिंतित रहते हैं। अपनी इज्जत बनाए रखने के लिए यह अपना दुख दर्द किसी से नहीं कहते हैं। दूसरों से बातचीत करने पर कभी-कभी समाधान मिल जाया करता है। पर क्योंकि यह लोग कहते नहीं इसलिए इन्हें समाधान नहीं मिल पाता और यह चिंताओं से घिरे रहते हैं। -प्रियंका सौरभ भारतीय मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता? भारतीय मध्यम वर्ग वह वर्ग है जिसे समाज में अपनी मान मर्यादा को भी बनाए रखना होता है। बच्चों की शिक्षा पर भी पर्याप्त ध्यान देना होता है तथा समाज में क्या चल रहा है? इसका भी ध्यान रखना जरूरी होता है। बच्चों के विवाह पर भी इन्हें काफी धन खर्च करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त दूसरे के यहां भी कोई फंक्शन होने पर इन्हें ...
39 करोड़ मरीज, हर साल 30 लाख मौतें, सांसों की इस घातक बीमारी के लिए कौन जिम्मेवार?

39 करोड़ मरीज, हर साल 30 लाख मौतें, सांसों की इस घातक बीमारी के लिए कौन जिम्मेवार?

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क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज (सीओपीडी) एक ऐसी बीमारी है जो हर साल 30 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले रही है। वहीं अनुमान है कि दुनिया की पांच फीसदी आबादी इस बीमारी से पीड़ित है By Lalit Maurya  निम्न और मध्यम आय वाले देशों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज (सीओपीडी) के 30 से 40 फीसदी मामलों के लिए धूम्रपान जिम्मेवार है; फोटो: आईस्टॉक क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज (सीओपीडी) एक ऐसी बीमारी है जो हर साल 30 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले रही है। वहीं अनुमान है कि 39.2 करोड़ लोग यानी दुनिया की करीब पांच फीसदी आबादी इस बीमारी का शिकार है। इनमें से तीन-चौथाई वो हैं जो निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रह रहे हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह क्या है?      विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक ध...
डॉक्टरी बना कारोबार, ‘झोलाछाप’ कर रहे उपचार

डॉक्टरी बना कारोबार, ‘झोलाछाप’ कर रहे उपचार

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देशभर में खासकर गांवों में बिना जरूरी डिग्री वाले डॉक्टरों की भरमार है। कोई तीन-चार साल तक मेडिकल स्टोर पर काम करने के बाद डॉक्टर बन जा रहा है, तो किसी के पूर्वज इलाज करते आ रहे हैं। ये लोग मरीजों को दर्द निवारक दवाएं व इंजेक्शन की बदौलत तुरंत आराम तो दिला देते लेकिन इसका दुष्प्रभाव मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। ये झोलाछाप डॉक्टर (वे डॉक्टर जो न तो पंजीकृत हैं और न ही उनके पास उचित डिग्री है) नकली दवाओं के साथ इलाज कर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे है। ऐसा भी देखा गया है कि कई झोलाछाप डाक्टर नशे के व्यापार से भी जुड़े हुए हैं। ऐसे में गावों में चल रहे ये क्लीनिक नशेड़ियों की पौध को पैदा करने में जुटे हुए है। मगर देश भर में प्रशासन को जानकारी के बावजूद इन पर नकेल कसने की कोई कार्रवाई अंजाम नहीं दी जाती। -प्रियंका सौरभ पूरी दुनिया में डॉक्टर भगवान् के रूप में लोगों को नज़र आये है और ...
नोटा के उपयोग के कुछ नुक्सान भी हैं – 100 प्रतिशत मतदान से चुने गए प्रतिनिधियों की गुणवत्ता उच्चस्तर की होगी

नोटा के उपयोग के कुछ नुक्सान भी हैं – 100 प्रतिशत मतदान से चुने गए प्रतिनिधियों की गुणवत्ता उच्चस्तर की होगी

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भारत आज वैश्विक पटल पर एक महत्वपूर्ण आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है एवं भारत विश्व को कई क्षेत्रों में नेतृत्व प्रदान करने की स्थिति में भी आ गया है। कुछ देश (चीन एवं पाकिस्तान सहित) भारत की इस उपलब्धि को सहन नहीं कर पा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर समस्त विघटनकारी शक्तियां मिलकर भारत को तोड़ना चाहती हैं। इन विघटनकारी शक्तियों द्वारा भारत में जातीय संघर्ष खड़ा करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। जबकि भारत के कई सांस्कृतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक संगठन समस्त भारतीय समाज में एकजुटता बनाए रखना चाहते हैं ताकि भारत को एक बार पुनः विश्व गुरु बनाया जा सके। परंतु, आज  विघटनकारी शक्तियों के निशाने पर मुखर रूप से हिंदुत्व, भारत एवं संघ आ गया है।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने स्वयंसेवकों में राष्ट्रीयता का भाव विकसित किया है। संघ के स्वयंसेवक समाज की सज्जन शक्ति के साथ मिलकर समाज मे...
चिंताजनक है अखबारों और लेखकों की स्थिति

चिंताजनक है अखबारों और लेखकों की स्थिति

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समाचार पत्र और यहां तक कि लेखकों को भी अस्तित्व बचाने के लिए गूगल व फे़सबुक को मात देना होगा। बदहाल होती स्थिति पर सवाल यह है- वे ऐसा कैसे करेंगे? सबसे महत्वपूर्ण कारक है न्यूज़ कैरियर की बढ़ोत्तरी- गूगल, फे़सबुक और बाकी दूसरे। एक तरफ वे किसी अन्य द्वारा उत्पादित समाचार ले लेते हैं और दूसरी तरफ वे समाचार पत्रों की आजीविका-राजस्व को हड़प लेते हैं। इनसे ज्यादा बदतर स्थिति में अखबारों के लिए लिखने वाले लेखक है जो आए दिन पूरी मेहनत करते है लेकिन मेहनताना देखे तो समुंदर में मोती मिल जाए मगर लेखकीय सहयोग नहीं।  कारण इंटरनेट पर सामग्री की भरमार के फलस्वरूप अखबार कहीं से भी कुछ उठाते है और चस्पा कर देते है। ऐसे में न लेखक की जरूरत और न ही लेखकीय सहयोग का झंझट। इसी के चलते पत्रकारिता आज शातिर दिमाग वालों के लिए धंधा बन गई है जो पच्चास सौ कॉपी छपवाते है या डिजिटल एडिशन निकाल...
मध्यपूर्व का संकट और भारत

मध्यपूर्व का संकट और भारत

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अरब-इस्लामिक समिट में अल्जीरिया प्रस्ताव लाया कि मित्र देश से सारे इस्लामिक देश राजनयिक-व्यापारिक सम्बन्ध तोड़ दें जिसे सऊदी-UAE समेत अन्य देश ने खारिज कर दिया। प्रस्ताव में कहा गया कि मित्र देश के साथ इस्लामिक देश सभी तरह के राजनयिक और आर्थिक संबंध खत्म कर लें और उसकी उड़ानों का अरब हवाई क्षेत्र से इस्तेमाल बैन कर दें। साथ ही अपने तेल निर्यातक देश होने का फायदा उठाएं और दुनिया को भी इसके लिए मजबूर करें जिसे सऊदी अरब, UAE, जॉर्डन, इजिप्ट, बहरीन, सूडान, मोरोक्को आदि ने खारिज कर दिया। ये सब अल्जीरिया तुर्की के और तुर्की चीन के कहने पर करवा रहा था ताकि मित्र देश से होकर गुजरने वाला इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर बर्बाद हो जिससे इसके BRI को फायदा मिले जहां से अब देशों ने अलग होना शुरू कर दिया है। इससे पहले UN में प्रस्ताव आया था जिसपर ये कहा गया था कि मित्र देश, ईस्ट पेलो और गोल्...
डीपफेक : भारत दुनिया के असुरक्षित देशों में छठे स्थान पर

डीपफेक : भारत दुनिया के असुरक्षित देशों में छठे स्थान पर

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विश्व के साथ भारत में भी सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। लोग सहज भाव से अपनी फोटो व वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं, लेकिन वे इससे जुड़े ख़तरों से सचेत नहीं हैं।काफी पहले से ही यह आशंका जतायी जा रही थी कि आने वाले समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जरिये अपराधी तत्वों द्वारा खतरनाक मंसूबों को अंजाम दिया जा सकता है। इस खतरे को देख आईटी विशेषज्ञ चेताते भी रहे हैं। हाल ही में बॉलीवुड की एक नायिका के वीडियो में छेड़छाड़ करके उसे विकृत करने के मामले ने इन आशंकाओं की हकीकत को बताया है। दरअसल, डीपफेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के टूल द्वारा छवियों और वीडियो को शरारतन बदलने का वह जरिया है, जिससे समाज में भ्रामक स्थिति पैदा की जा सकती है। उसमें वह कहा या होता दिखा दिया जाता है जो वास्तव में होता ही नहीं है। लेकिन असली होने का भ्रम पैदा क...